शास्त्री जे सी फिलिप से मिल लेने के बाद ऐसा लगा कि पूरी क्रेरल यात्रा का हेतु जैसे पूरा हो गया हो .अब रात हो आई थी हमने होटल के समीप और रेलवे स्टेशन तक थोडा चहलकदमी की -इस दौरान जिस एक चीज ने ज्यादा ध्यान आकर्षित किया वह केरल में मिलने वाली केले की लाल रंग वाली प्रजाति है जो उत्तर भारत में ढूंढें भी नहीं मिलती .एक केला ५-७ रूपये में मिलता है और मीठेपन का विशिष्ट स्वाद लिए रहता है -हमने केरल प्रवास के दौरान इसका जम कर उपभोग किया -मैंने सोचा कि इसे बच्चों तक साबुत क्यों न लेकर जाया जाय- बहुत पूछ पछोर का निष्कर्ष निकला कि यह इतनी दूर तक जाते जाते खराब हो जायेगा -फिर किसी ने हिम्मत नहीं दिखाई मगर मैंने चार केले सहेज लिए -एक रास्ते में खा गया और तीन घर तक बिलकुल सुरक्षित ले आया -आस पड़ोस के लोगों तक ने आश्चर्य से इस अद्भुत केले को देखा और चखा भी ...आप जब भी केरल जाएँ एक दर्जन ये लाल वाले केले भी साथ ले आयें! थोडा कडे /सख्त लें ताकि दो दिन की यात्रा में भी खराब न हों -और एकाध खराब भी होने ही लगे तो रास्ते में ही उदरस्थ कर लें .
लाल केरली केले -इतनी बुरी भी नहीं शेल्फ लाईफ
सुबह एअर पोर्ट जल्दी ही भाग लिए -प्लेन तो सवा ११ बजे था मगर सुबह सात बजे निकल कर सवा आठ बजे तक कोचीन एअर पोर्ट पहुँच लिए -रेल और प्लेन मिस होने की लेश मात्र भी संभावना के निवारण के लिए इस बार मैं बहुत सचेष्ट था और अतिरिक्त सावधानी बरत रहा था .कोचीन एरपोर्ट बहुत खूबसूरत है -प्लेन का इंतज़ार बहुत ही खुशनुमा माहौल में बीता ...स्पाईस जेट विमान बिलकुल सही समय पर था ...यह एक सस्ती सेवा है -और वायुयान के परिचारक /परिचारका बिलकुल स्मार्ट और यात्रियों को अटेंड करने में प्रोफेसनल दक्षता लिए हुए -प्रत्येक स्पाईस जेट सेवा किसी न किसी मसाले के नाम पर है -कोचीन -दिल्ली सेवा का यह विमान काली मिर्च को समर्पित है -इन सस्ती सेवाओं में बस एक ही सस्तापन है कि यहाँ रास्ते का रिफ्रेशमेंट पेमेंट के आधार पर होता है -इसके लिए परिचारक् टीम बहुत झेलती है -लोगों से रूपये इकट्ठा करना और चिल्लर की लेंन देंन -हाऊ डिसग्रेसफुल! केवल सौ दो सौ रूपये अधिकतम का ही मामला होता है जिसे लेकर एक चिल्ल पो सी मच जाती है -सारी रूमानियत काफूर हो रहती है -यह भी किराए में जोड लो न भैया -आखिर यह माजरा क्या है? यह उडान मुम्बई से होकर दिल्ली के लिए थी .मुम्बई के पहले कैप्टन ने जब दाहिनी ओर से गुजरने वाले एक किंगफिशर विमान को देखने का आह्वान किया और पलक झपकते ही वह नजरों से ओझल हो गया तो मेरा दिल एक बार जोर से धड़का -इसी विमान को मैंने २३ तारीख को दिल्ली एअरपोर्ट पर मिस कर दिया था ...चलिए एक हवाई झलक तो मिल गयी .....
सेक्योरिटी होल्ड लाउंज कोचीन एअरपोर्ट
यह फ्लाईट सही समय पर दिल्ली आ पहुँची -दिल्ली भी २७ मार्च को जैसे तप सा रहा था -प्री पेड़ बूथ से टैक्सी की केवल १९० रूपये में ...जबकि आते समय दिल्ली रेलवे स्टेशन से एअरपोर्ट तक एक निजी टैक्सी वाले ने पूरे पॉँच सौ ले लिए थे-प्रीपेड टैक्सी बूथ से टैक्सी लेना मुझे पूरे यात्रा काल में सबसे ठीक लगा .नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आकर मैंने पहले सोचा कि उस रेस्टोरेंट से जरा एक बार और भेट मुलाक़ात कर ली जाय जिसने पिछली बार मुझे चूना लगाया था मगर वह तो सिरे से नदारद था -पूरा का पूरा रेस्टोरेंट कैसे गायब हो सकता है -मैंने बार बार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की नाम पट्टिका देखी , फिर उसके ठीक सामने देखा तो भी रेस्टोरेंट नदारद -आखिर यह कौन सा डेजा वू/जामिया वू था ? जो पहले देखा हो फिर वही गायब हो ? मुझे लगा कि मैं हातिमताई के कारनामों का कोई पात्र बन गया हूँ ? चूंकि ट्रेन के चलने में काफी समय था इसलिए इत्मीनान से मैं खोजबीन में जुट गया -अरे ....तो यह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का पहाडगंज साईड था और मेरा पिछ्ला कारनामा अजमेरी गेट साईड पर घटित हुआ था ....हे भगवान् बाहर निकलने पर ये कैसे कैसे धोखे होते रहते हैं .बाबू जी ज़रा बचना बड़े धोखे हैं इस राह में ......अब अगली बार अजमेरी गेट पर हिसाब किताब बराबर किया जाएगा सोच के मैं प्लेटफार्म नंबर १२ पर आ रही ट्रेन की ओर बढ चला -ट्रेन से वापसी निरापद रही और मैं २८ मार्च ,१० को वाराणसी आ गया .....
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बच्चों के हिस्से में से भी और बहाना खराब होने का ! धन्य हैं आप भी।
जवाब देंहटाएंआधी पोस्ट पर साँस थम सी गई थी- इस आशंका से और रोमांच से कि देखें इस बार कैसे छूटती है? आप ने निराश कर दिया।
@ चिल्ल पो सी मच जाती है -सारी रूमानियत काफूर हो रहती है।
जे बात मुझे भी बुरी लागे है। लेकिन एक रंगीले ने एक बार गजबे कर दिया था। बहुत खाया लेकिन एक एक कर। रुक रुक कर। माँग माँग कर। दीदार के और बतियाने के बहाने कई बार मिले - असली रुमानी तबियत का था। गाँठ के पैसे तो हाथ का मैल हैं आँखों में अंजन लग जाँय तो क्या बुराई?
मैं यही सोच रहा था कि केरल यात्रा हो चुकी और लाल केला छूट गया। मेरे और आप जैसे भोजन भट्ट से यह छूट जाए यह नहीं हो सकता था। मैं ने इस के बारे में सुना ही सुना है। कभी चखने का अवसर नही हुआ।
जवाब देंहटाएंI 've been following u since ur first Keral post and i thank u for sharing ur amazingly funny and touching experiences .''Nice" overall.
जवाब देंहटाएंAapka yatra warnan kya hota hai...aap shabd chitr kheench pooree yatra hi karva dete hain!Bada maza aata hai padhne me...
जवाब देंहटाएंचलिये वापसी अच्छी रही, स्पाईस जेट में जो खाना होता है वह कैलोरी वाला ज्यादा होता है, हमें तो इसीलिये इंडियन एयरलाइन्स ही पसंद है। वैसे जेट से सस्ता है स्पाईस में नाश्ता। नहीं तो ट्रेन में घर का खाना।
जवाब देंहटाएंअब जब भी केरल का चक्कर लगेगा तो ये केला जरुर चखेंगे।
ये तो घोर बे इंसाफी की बात है हमने पिछली के पिछली वाली पोस्ट में आपसे ये क्या कह दिया कि ये व्यंजन तो हमारे घर में भी बनाता है आप दो पोस्ट से ऐसे व्यंजन और फल दिखा रहे है बोलती बंद हो गई
जवाब देंहटाएंनिवेदन है ऐसी फोटो ना लगाए जिससे पाठक के मुह में बम्बा, टोटी फिट हो जाये :)
(और एकाध खराब भी होने ही लगे तो रास्ते में ही उदरस्थ कर लें .)
अरे जब हम जायेंगे तब ना :(
आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए यहां इन केलों का उत्पादन शुरू कर दिया गया है ! मेरे ही मोहल्ले में कई घरों में उपलब्ध हैं ये !
जवाब देंहटाएंफिलहाल सकुशल घर वापसी की बधाइयाँ !
बहुत मजे दार विवरण, केले देख कर मुंह मै पानी आ गया, क्योकि मै तो रोजाना केले ओर अन्य फ़ल खाता हुं,. बाकी दिल्ली की भुल भुलेया बाली बात भी खुब अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
चलिये कुशल मंगल यात्रा समापन हुआ और केले भी सुरक्षित पहुँच गये तो और भी बढ़िया. जय हो!! बढ़िया वृतांत रहा.
जवाब देंहटाएंअब सिंग साहेब को वो टिकिट के पैसे भिजवाना याद रखियेगा. :)
बढ़िया यात्रा... एक वही फ्लाईट मिस को छोड़ दें तो :)
जवाब देंहटाएंपिछली पोस्ट वाली फोटो में आप बड़े सीरियस दिखाई दे रहे हैं?
घूम- घाम फिर घर को आये ....
जवाब देंहटाएंदिलचस्प रहा आपका केरल भ्रमण और संस्मरण ....!!
@समीर साहेब गजब की याददाश्त और संवेदना है आपकी -आते ही पहला काम बैंक से रुपया निकालना और एaरपोर्ट पर जाकर सिंह साहब को धन्यवाद साहित उसे देना -यही किया !
जवाब देंहटाएंबेहद ही रोचक रहा आपका ये केरल का यात्रा चित्रण....
जवाब देंहटाएंregards
पिछली पोस्ट का महामिलन देख कर खुशी हुई ..
जवाब देंहटाएंइन सुस्वादु केलों की चिप्स ले आना था और महीने भर
दुरदुराते ! काहे चूके ? या फिर पड़ोसी न जाने इसके लिए बात अन्दर
ही अन्दर घोट बैठे ?
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आपने कहा था ...'' एक निस्तेज सा अनरोमांटिक कोवलम का सूर्यास्त .... ''
अगली बार गोवा - सूर्यास्त देखिएगा , शायद 'रोमांटिक' लगे .. और क्या दुआ करूँ
आपके हक में ! :) 'मन-भराव' हो !
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मैंने भी गहरी सांस ली कि '' .... और बनारस आ गया .. '' !
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और हाँ , कहीं आप घोषणा कर के आये हैं कि 'कवितावली' पर कुछ कहेंगे , क्या
है अगला नंबर ? हम भी तो 'बाबा' के 'फैन' हैं !
@अमरेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंसारी मैं तो भूल ही गया था -मित्र उन्नीकृष्णन ने एक गिफ्ट हैम्पर दिया था जिसमें केले के चिप्स और सोंठ वाली मिठाई थी जो अभी भी चल रही है -बनारस जल्दी आ जाएँ तो खाने को मिल सकती है !
अरविन्द
@ अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंपेटागि तो कहीं भी खींच सकती है .. जहाँ रहता हूँ उसके बारे में जायसी ने कहा है -
'' सो दिल्ली अस निबहुर देसू |
कोई न मिला जेहिं कहैं सनेसू || ''
पर सुबहे-बनारस देखने आउंगा ज़रूर और फिर आपको याद करूंगा ! आभार !
बाहर निकलने पर ये कैसे कैसे धोखे होते रहते हैं बाबू जी ज़रा बचना बड़े धोखे हैं इस राह में ...
जवाब देंहटाएंआपके दक्षिण भारतीय दौरे की संस्मरण श्रंखला रोचक रही। लाल केले का स्वाद, बस्तर से लगे अपने जनमस्थान दल्ली राजहरा में ले चुका हूँ। स्वाद अब तक मौज़ूद है स्मृति में।
इस केले के बारे में नई जानकारी मिली.
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक यात्रा संस्मरण रहा यह तो.
जवाब देंहटाएंरामराम
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जवाब देंहटाएं.
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अच्छी यात्रा संस्मरण-माला,
पूरी पढ़ी,
आपके साथ-साथ हम भी घूमे केरल...
'मिस केरल' तो अक्सर हमारी भी प्लेट सजाती हैं और बाजार में 'केरल' नाम से ही बिकती हैं।
धन्य हैं मिश्रा जी आप भी केरल से लेकर आये भी तो केले ..लेकिन सही है ना .. बाकी सब तो बाकी सब लाते हैं और आप बाकी सब मे नही हैं । बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक रहा यह संस्मरण ।
जवाब देंहटाएंआपका ये यात्रा वृतांत प्रारंभ से अंत तक बहुत रोचक रहा.....
जवाब देंहटाएंकेरल यात्रा पर आपके सारे आलेख
जवाब देंहटाएंआज आराम से पढ़ रही हूँ ...
बहुत बढ़िया लिखा है - स - विस्तार !
आप यूं ही लिखते रहें
स स्नेह,
- लावण्या
लोउन्ज तो बड़ा भव्य लगा.
जवाब देंहटाएंto kya safar khatm...??are nahin bhyi safar to ab bhi chaloo hai...hai ki nahin....yah khubsurat safar yun hi chaltaa rahe.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दरता से आपने केरल की यात्रा का विवरण किया है! बहुत बढ़िया लगा साथ ही साथ मैं अपने कॉलेज के दिनों में चली गयी जब कोचीन में दो साल थी और बहुत सारे मज़ेदार किस्से हैं जिसे याद करती हूँ मैं हमेशा! केला तो मुझे बहुत पसंद है और केरल का केला तो बहुत ही ख़ास है जो भारत के किसी भी जगह पर नहीं मिल सकता!
जवाब देंहटाएंहम्म, दिल्ली स्टेशन के इस गड़बड़झाले में हम भी गड़बड़ा गये हैं एकाध बार. वैसे भी हमें दिशा भ्रम बहुत होता है. चलिये अच्छा हुआ आपकी वापसी ठीक-ठाक रही. एक बात पूरी तरह से समझ में आ गई है कि आप पूरी तरह भोजन भट्ट हो.
जवाब देंहटाएंKAfi achchee rahi yatra...aur sansmaran bhi
जवाब देंहटाएंये है सशक्त कलम शुक्रिया जी
जवाब देंहटाएंयात्रा वृतांत के लिये
रोचक संस्मरण .
जवाब देंहटाएंलिखना का अंदाज़ हमेशा की तरह बढ़िया है .
सभी किश्तें पढ़ीं,अच्छी खासी लेख माला हो गयी है.
विस्तार से लिपिबद्ध हो गया यात्रा-संस्मरण !
जवाब देंहटाएंहाँ, हम भी सोच रहे थे कि देखें इस बार कैसे छूटती है, पर... !
पूरा विवरण आपकी करामाती लेखनी से और भी सज गया है ! पढ़ना प्रसन्न कर गया !
रोचक यात्रा विवरण. केरल में केले के एक दर्जन से भी अधिक प्रजातियाँ हैं.
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