रात के सवा दस बज चुके थे..जोरों की भूख लगी थी ..मेरे और साथी तो रेलवे स्टेशन के निकट के एक ठीक ठाक से होटल अमृता में रुके हुए थे मगर मेरे केरल -आतिथेय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के १९७६ -७८ के संगी डॉ .के. शोभना कुमार मुझे स्नेहवश अपने घर ले गए जबकि मैं ऐसी अनौपचारिकताओं से अब दूर ही भागता हूँ -अगर आप किसी के दोस्त हों तो जरूरी नहीं कि उसका सारा परिवार आपकी परिचर्या में जुट जाए और यह औदार्य /मेजबानी प्रायः परिवार पर भारी पड़ती है ..मगर शोभना के जबरदस्त भावुक आग्रहों के आगे मेरा संकोच और अनिश्चय सब धूर धूसरित हुआ और हम रात ११ बजे उनके खूबसूरत से बंगले पर जा पहुंचे -इतनी रात भी डॉ. शोभना की सुशील पत्नी और दोनों प्रतिभावान बेटियाँ एक सूदूर देश -प्रांतर से आये अतिथि के लिए कुछ विस्मय और सम्मान से स्वागतोत्सुक दिखीं -आखिर मैं घर के मुखिया का लंगोटिया यार सरीखा जो था -हमारे बात बात की गलबहियों और परस्पर पीठ ठुकाई से उन्हें हमारी घनिष्ठता का चाक्षुष प्रमाण जो मिल रहा था -इस दोस्ती के बाबत तो उन्होंने पहले ही कान पकाऊ आख्यान सुन रखें होंगें .मेरा पहला सवाल था कि हिन्दी यहाँ कौन जाने है ? जवाब प्रत्याशित ही था -कोई नहीं ,बिलकुल भी नहीं ...राहत यह थी कि हमने तो विश्वविद्यालयी दिनों में मार मार कर शोभना को कामचलाऊ हिन्दी सिखा दी थी ...मगर वह महानुभाव परिवार को हिन्दी नहीं सिखा सके -मैंने मुंह मार कर अंगरेजी में ही उन्हें हेलो हाय किया और जल्दी से खाना खाने की फरमाईश की -एक जिम्मेदार और संवेदनशील अतिथि के तौर पर मैं उन्हें और ज्यादा देर तक जगाये नहीं रख सकता था और पेट में चूहे उधम भी मचाये हुए थे-खाना तो डायनिंग टेबल पर लगा ही था -मुझे खाने के मीनू से कोई ख़ास आशा नहीं थी...सुदूर परदेश का खाना और हम भी उसी परम्परा के ही हिमायती कि प्रेम से हमें कोई कुछ भी खिला दे तो सब मंजूर ...खाना प्रत्याशा के अनुसार ही था एक चावल का प्रेपरेशन(Puttu ) और एक उर्द की दाल सरीखा अर्धगीला सा व्यंजन (Payar ) और पप्पडम (पापड ) ...और कोई चम्मच छूरी नहीं -हम गवईं तो जन्मजात हैये हैं -शोभना से भी बढियां हाथ से सान लिए चावल,दाल और पपडम को और कौर बना बना कर मुहं में ठूसने लगे -बीच बीच में गरम और हलके गुलाबी रंग के पानी (medicated with locally available herb - Pathimugham ) को भी हलक से नीचे उतारते रहे -ढेर सा चावल गले के भीतर के पैरास्टाल्सिस मूवमेंट को बाधित करता है इसलिए पानी पीते रहना जरूरी था -शोभना बताते जा रहे थे कि कैसे उन्होंने उत्तर भारतीयों के लिए इस व्यंजन को ख़ास तौर पर आजमाया है और कैसे जो भी मुझसे पहले आया और खाया उसने तारीफ़ के पुल बांधें -सच ही भोजन सुस्वादु था मगर हम तो भैये रोटी वाले ठहरे ...एकाध रोटी वोटी भी होती तो ..खैर खाना जल्दी ख़त्म हुआ मैंने मिसेज शोभना को रात में ही यहाँ मिसेज द्वारा सौपें स्म्रति चिह्न स्वरुप कुछ अर्पित कर दिया और निश्चिंत से सो रहे ....
मुझे एक अतिरिक्त कमरा सब सुविधाओं के साथ दे दिया गया था ....रात घोड़े बेच कर सोये ,मतलब अच्छी नीद आई .बस सुबह ही उनका भयानक लैब्राडोर कमरा खुला देख कर घुस आया था उसकी गतिविधियों और शरीर की मांसपेशियों की कडकडाहट से सुबह ही मुझे उस भयानक आफत के सिर पर होने का आभास हो गया था ..मैं आँख मूदे निश्चल पडा रहा बिस्तर पर ही -डर से हालत पतली था -कहीं वह बेड पर ही न आ धमके ..बहरहाल कुछ शोर सा सुनायी पड़ा और लोग उसे फिर धर पकड़ कर ले गए -भूल से वह खोल दिया गया था और मेरे कमरे का दरवाजा खुला होने से अंदर तक चला आया था -शोभना ने बताया कि चूंकि मैं घटर के भीतर कमरे तक प्रवेश पा चुका था इसलिए वह मेरी घर के स्वामी से अंतरंगता भाप गया था ..मगर फिर भी मैंने कोई गतिविधि दिखाई होती तो डरा देता -और डराता वह बहुत भयानक रूप से है ..एक झुरझुरी सी दौड़ गयी ...साफ़ बच गए थे इक आफत से ...सुबह का नाश्ता जोरदार था -,मेरा फेवरिट डोसा और सांभर -डोसा लम्बा होने के बजाय रोटीनुमा था इसलिए मैं उसे उत्पंम समझ बैठा -मगर मेरी भूल का निवारण तुरंत ही हो गया ....नाश्ते के बाद हम इको टूरिज्म और शोभाकारी अलंकारिक मछलियों का नयन सुख लेने शहर से करीब ७५ किलोमीटर की दूरी पर बसे थेनामेला की पहाड़ियों पर निकल पड़े -केरल सरकार थेनामेला को इको टूरिजम रिसोर्ट के रूप में विकसित करने में जुटी है मगर यहाँ अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है .
मेरा दल वहां शोभाकार मछलियों की जानकारी और अक्वेरियम बनाने के प्रक्टिकल ट्रेनिंग में जुट गया और मैं मत्स्यफेड के सौजन्य से बनाए गए सुन्दर से अक्वेरियम को देखने में लग गया ...और यहीं मेरी मुलाक़ात मिस केरल से हो गयी -एक ही नजर में उन्होंने मेरा मन मोह लिया -उस बला के सौन्दर्य से तो आँखे हटती ही नहीं थीं .....मिस केरल तन्वंगी सी छरहरी काया की हैं -नाट अ ब्लोंड बट सर्टेनली अ ब्रनेट काईंड -यह कोई पहली ब्रनेट मुझे लुभा रही थी अपने अंग अंग के लोच और अठखेलियाँ खाती चाल सी और मैं मंत्रमुग्ध हो उसे देखता जा रहा था - मित्र शोभना की पार्श्व कमेंट्री चालू थी-यह मिस केरला हैं ,अब लुप्तप्राय हैं इसलिए सरकार ने इन्हें पकड़ने और पालने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है -इन्हें चोरी छिपे अक्वेरियम व्यवसायी सीमा पार ले जा रहे थे और करोडो डालर की काली कमाई में लोग लगे थे मिस केरल की स्मगलिंग के चलते - यह काफी रुक गयी है और अब यह संरक्षण में पल रही हैं -हम इनकी वंश वृद्धि में लगे हैं मगर मिस केरल भी तो हैं बहुत छुई मुई -यहाँ अक्व्वेरियम में न तो रास करती हैं और न ही बच्चे दे रही हैं -देखिये हम कब इन्हें ललचा पाते हैं परिवार बसाने और बाल बच्चे और परिवार को बढ़ाने में .
मिस केरल -एक चुधियाता सौन्दर्य
आज का दिन और दिल तो मिस केरल लूट कर ले जा चुकी थीं ...दोपहर का खाना भी बहुत जायकेदार था -कई व्यंजन थे जिसमें ऐवियेल बहुत पसंद आया जो कई कई सब्जियों का एक मिश्रित सब्जी व्यंजन था -खाने में मछली भी थी .....और मट्ठा भी -मैंने मट्ठा खूब पीया .....अपने दल को वहीं छोड़ मैं वापस तिरुवनंतपुरम आ गया ..कई आफीसियल काम थे....
और हमने छक कर लंच किया
जारी ......
किसी मित्र के इतने स्नेह को ठुकराना भी अच्छा नहीं होता है, बहुत ही अच्छा लगता है जब ऐसा कहीं देखने सुनने को मिलता है नहीं तो आजकल रिश्तों में वो गर्मी बची ही कहाँ है।
जवाब देंहटाएंऔर जमकर व्यंजनों का लुफ़्त लिया गया है, सभी के स्वाद और रंगरुप से हमारा परिचय करवाईयेगा जरुर।
खुशखबरी !!! संसद में न्यूनतम वेतन वृद्धि के बारे में वेतन वृद्धि विधेयक निजी कर्मचारियों के लिये विशेषकर
अच्छी पोस्ट! मिस केरल बहुत भाई। आप के सौन्दर्य अनुराग का एक सूत्र यह भी है कि आप मत्स्य विशेषज्ञ हैं।
जवाब देंहटाएंऔर यहीं मेरी मुलाक़ात मिस केरल से हो गयी -एक ही नजर में उन्होंने मेरा मन मोह लिया -उस बला के सौन्दर्य से तो आँखे हटती ही नहीं थीं .....मिस केरल तन्वंगी सी छरहरी काया की हैं -नाट अ ब्लोंड बट सर्टेनली अ ब्रनेट काईंड -यह कोई पहली ब्रनेट मुझे लुभा रही थी अपने अंग अंग के लोच और अठखेलियाँ खाती चाल सी और मैं मंत्रमुग्ध हो उसे देखता जा रहा था
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ जो हमे पता चल गया कि आप यह सब मत्स्य सुंदरी के बारे में कह रहे हैं वर्ना आज मेड-इन-जर्मन भिजवाने का पक्का इंतजाम कर लिया था.:) खैर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी? आप बाज आने वाले तो हो नही...फ़िर कभी सही.
रामराम.
ताऊ मदारी एंड कंपनी
अभी अभी सूचना प्राप्त हुई है कि मिस केरल के लुभावने वर्णन के बाद मत्स्य विभाग के समस्त मुलाजिमों का स्थानांतरण विषैले सर्प अध्ययन (कोबरा )विभाग में कर दिया गया है ...
जवाब देंहटाएं@ ताऊ
इतना सोचने की बात क्या है ...मेड इन जर्मनी क्या काम करेगी जो बेलन और चिमटे करते हैं ...बस मिश्रायीन जी को उनके अधिकार याद दिलाने भर की देर है ...:):)
केरल के व्यंजन का खूब लुत्फ़ लिया आपने मिस केरल वाकई मोह रही है दिल को ...
जवाब देंहटाएंमिस केरल, वाह ! कमाल ! वैसे हम तो कुछ और सोचे पढ़े जा रहे थे :)
जवाब देंहटाएंअभिषेक जी ,अप्रैल फूल !
जवाब देंहटाएंCongrats Vyasa !
जवाब देंहटाएंSo finally you met your 'Bold and beautiful-ms Mallu' .Hope the regret of missing kingfisher must have gone after meeting this slippery blonde.
You didn't mention that your mallu bhabhi added 'shakkar' in puttu and payasam.
@ Ojha ji-
Not only you, all were thinking on the same pattern by the mirage he created.
आप भगवान के अपने ही देश में हैं । आनन्द उठायें । बंगळुरु दूर नहीं है, आप आमन्त्रित हैं ।
जवाब देंहटाएं"रात भी डॉ. शोभना की सुशील पत्नी और " आकस्मिकता में नामों को लेकर कुछ कन्फ्यूजन हुआ ...सुशील की पत्नी शोभना जैसा :) बाद में लेब्राडोर विवरण भयंकर / भयानक / हाहाकारी आशंकाओं से भरा हुआ ...मेहमान होने की सुखानुभूति शुष्क हुई अब हम मेजबान भले ...कभी इधर भी आइये जंगली भैंसे उर्फ़ मिस्टर छत्तीसगढ़ से मिलनें !
जवाब देंहटाएं@zeal
जवाब देंहटाएंyou have a prophetic vision ,awesome !
खाने-पीने की ओर आपकी पोस्ट का झुकाव लार टपकवा रहा।
जवाब देंहटाएंमिस केरल तो हमें भी भा गई :-)
ye pyar aur mithas aajkal rishtom me bhi nazar aata hai.aap khushanaseeb hai jo itne achche dost mile hain.kerala aur miss kerala dono bahut pasand aayaa.
जवाब देंहटाएंमुझे आप नही दिख रहे । आप की प्लेट में काँटे ढूढ़ने हैं।
जवाब देंहटाएंवैसे इतनी प्यारी 'मिस केरल' को कोई नहीं खाएगा।
@ उस बला के सौन्दर्य से तो आँखे हटती ही नहीं थीं .....मिस केरल तन्वंगी सी छरहरी काया की हैं -नाट अ ब्लोंड बट सर्टेनली अ ब्रनेट काईंड -यह कोई पहली ब्रनेट मुझे लुभा रही थी अपने अंग अंग के लोच और अठखेलियाँ खाती चाल सी और मैं मंत्रमुग्ध हो उसे देखता जा रहा था
अच्छी कविताई है। अपनी पसन्द की है :)
@ भयानक लैब्राडोर कमरा खुला देख कर घुस आया था उसकी गतिविधियों और शरीर की मांसपेशियों की कडकडाहट से सुबह ही मुझे उस भयानक आफत के सिर पर होने का आभास हो गया था ..मैं आँख मूदे निश्चल पडा रहा बिस्तर पर ही -डर से हालत पतली था
बाल्मीकि का एक युद्ध प्रसंग याद आ गया। पढ़ते हैं क्या? हालत में पलीता लग सकता है लेकिन वह 'था' नहीं 'थी' होती है।
Shukyiya Manyavar !
जवाब देंहटाएंYour descriptions simply invite people to read them!
जवाब देंहटाएंWrite on! You have many fans!
पहले शोभना जी के नाम से बुद्धू बनाया, फिर मिस केरल के वर्णन से. और बढ़िया-बढ़िया व्यंजन का वर्णन करके ललचवा रहे हैं सो अलग. आप सुधरेंगे थोड़े ही न.
जवाब देंहटाएंअर्विंद जी पहले तो आप को एयर इंडिया की होस्टेज पसंद नही आई, अब मिस केरला? उधर ताऊ बार बार मेड इन... मेड इन जर्मन लठ्ठ की बात कर रहा है, ओर अब तो वाणी गीत जी भी ""मेड इन जर्मनी क्या काम करेगी जो बेलन और चिमटे करते हैं ...बस मिश्रायीन जी को उनके अधिकार याद दिलाने भर की देर है ...:):)
जवाब देंहटाएंतो भईया अब मिस केरला को छोडॊ जी
उन्मुक्ता का पदार्परण हो रहा है :-)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन विवरण.
जवाब देंहटाएंक्रमशः एक साथ पढ़ना मजेदार है इस विवरण को !
जवाब देंहटाएंमिस केरल का पदार्पण तो गज़ब हुआ इस प्रविष्टि में !
बेहतरीन यात्रा-संस्मरण !