शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

किसिम किसिम की पहेलियाँ!

जी हाँ, किसिम किसिम की पहेलियाँ!कालिदास  काल से लेकर अमीर खुसरो तक पहेलियों ने कई रूप रंग बदले हैं और अब अंतर्जाल युग की पहेलियाँ हमारे सामने हैं .पिछली पोस्ट पर अल्पना जी ने मार्के की  बात कही ,"अंतर्जाल पर हर तरह की पहेलियाँ उपलब्ध हैं..हिंदी ब्लॉग जगत में चित्र पहेली बहुत ही कॉमन हो गयी हैं .***लेकिन विवेक रस्तोगी जी की गणित की पहेलियाँ और रवि रतलामी जी की वर्ग पहेली ,सागर नाहर जी की संगीत पहेली[धुन आधारित ].... अपने आप में अलग हैं ***"
पहेलियाँ जिस भी काल की रही हों उनका उद्येश्य सदैव मानव मेधा को कुरेदना,ज्ञान के स्तर की जांच  ,प्रत्युत्पन मति(हाजिर जवाबी ) की परख  और वाक् चातुर्य के प्रदर्शन के साथ निसंदेह मनोरंजन भी था.

आज की इस  पोस्ट का मकसद पहेलियों की अपनी परम्परा के कुछ दृष्टान्तों को आपसे साझा करने की है.राजा विक्रमादित्य /भोज और कालिदास के काल की इन्गिति  करती कई पहेलियाँ संस्कृत साहित्य में  समस्या  पूर्ति के नाम से जानी जाती हैं .मतलब कोई एक वाक्य/पद्यांश  दे दिया जाता था और तुरत फुरत उसे पूरा करने को कहा जाता था .एक उदाहरण से बात स्पष्ट हो जायेगी .एक दिन राजा भोज ने दरबार में आते ही  सुना दिया ....
टटन टटन  टह टट टन टटन्टह 
सभी दरबारी भौचक ....आम तौर पर कालिदास  ही जवाब दे पाते थे . उन्होंने यह समस्या पूर्ति भी कर दी जैसे कि उन्हें कोई दिव्य ज्ञान सा हो ..जो दृश्य वे देखे तक नहीं रहते थे, कहते हैं वह उनके मन  मष्तिष्क में कौंध  जाता था ..उन्होंने जवाब दिया -
राज्याभिषेके जलमानन्त्या 
हस्ताच्युतो हेम घटो युवत्या 
सोपानमार्गे च करोति शब्दं 
टटन टटन  टह टट टन टटन्टह  

मतलब  राजा के अभिषेक के लिए सोने के घड़े में जल लाती युवती के हाथ से घड़े के गिरने से सीढ़ियों पर उसकी शब्द ध्वनि हुई -टटन टटन  टह टट टन टटन्टह! ऐसी समस्यापूर्ति के अनेक उदाहरण है जो किसी पहेली से कम नहीं लगते .ऐसे ही अनेक उदाहरण  हिन्दी में भी  हैं -जैसे कडी कडक गयी कड कड धप .... राजा भोज ने सोचा होगा कि नितांत वैयक्तिक और गोपनीय बात भला कैसे कोई बता पायेगा मगर कालिदास की दृष्टि तो त्रिकाल दर्शी और अन्तर्यामी थी ...जवाब दिया -
भोज प्रेम भर भयो भुजंग 
लिपटे लीलावति के अंग 
जब मद हुआ घोर गड गप्प 
कडी कडक गयी कड कड धप 

अब हिंडोले में प्रेम की  सघनता हिंडोले की कड़ियों को तोड़ दे तो इसमें क्या आश्चर्य  ..राजा भोज अवाक हुए और लज्जालु भी -विवरणों में ऐसा लिखा है .इन मनोरंजक समस्यापूर्ति/पहेलियों में मौलिक योगदान अमीर खुसरो ने किया ..उन्होंने अपनी विद्वताभरी मुकरियों के जरिये पहेलियों के साथ ही उनका उत्तर भी बड़े ही संवेदनापूर्ण और साहित्यिक लहजे में दिया ...दो घनिष्ठ सहेलियों की आपसी बतकही को उन्होंने इन पहेलियों का शिल्प आधार बनाया  -
रात समय वह मेरे आवे
भोर भये वह घर उठि जावे
यह अचरज है सबसे न्यारा
सखि साजन? ना सखि तारा

 नंगे पाँव फिरन नहिं देत
पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत
पाँव का चूमा लेत निपूता
सखि साजन? ना सखि जूता
 
 अब इनमें एक सहेली की तो  बस साजन  उन्मुखता प्रबल है मगर दूसरी का बुद्धि चातुर्य देखिये वह साजन -निरपेक्ष रहकर बुद्धि चातुर्य से सखी को चिढ़ा सी भी रही है  .अमीर खुसरो ने कुछ पहेलियाँ ऐसी स्टाईल में पूछी जो आज के बच्चे किशोर-युवा जाने अनजाने इस्तेमाल में लाते हैं -जैसे 
जूता पहना नहीं
समोसा खाया नहीं
उत्तरतला था
 
रोटी जली क्यों? घोडा अडा क्यों? पान सडा क्यों ?
उत्तरफेरा था

और  कई यहाँ है मनोरंजन कर सकते हैं .और एक निन्यानवे पहेली का चक्कर यहाँ भी चला है.आगे भी बीरबल और अकबर की नोक झोक में कई पहेलियों का आनन्द मिलता रहा ...जिन पर शायद फिर  कभी चर्चा करुँ ..मेरा पहेली पोस्ट टाईम खत्म होता है अब .......  

63 टिप्‍पणियां:

  1. काफी ज्ञान से भरी हुई पोस्ट...
    शुक्रिया....
    अब तो मेरे ब्लॉग में भी अगले सप्ताह से दो पहेलियों का प्रकाशन होगा...
    मेरे ब्लॉग में इस बार आशा जोगलेकर जी की रचना |

    सुनहरी यादें :-4 ...

    जवाब देंहटाएं
  2. :) बहुत बढ़िया ...
    टटन टटन टह टट टन टटन्टह--ये वाली पहेली पसंद आई ..कोई है जो ऐसी प्रतियोगिता शुरू करे ?:)))))
    ---चलिये आगे आने वाले गुनिजन पूरा करें--
    अर्ररर र्र्र्र्र्र्र्र र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र र्र्र्र्र्र्र्र्र्र

    [साईन इन बाद में करके आयेंगे ]

    जवाब देंहटाएं
  3. यह पुरापहेली आलेख शानदार है।

    अन्तिम पहेली इसप्रकार सुनी गई……

    पान सडे, घोडा अडे, विद्या विसर जाय।
    तवे पर रोटी जले, कहो चेला किस न्याय॥

    :- "फेरा नहिं"

    जवाब देंहटाएं
  4. एक और…

    पंडित प्यासा क्यों, गधा उदास क्यों?

    ----## # #?

    जवाब देंहटाएं
  5. ये अरररर वाली कोई पूरी करेगा क्या ? सिद्धार्थ जी सुन रहे हों तो बेनामी को संतुष्ट कर दे :)

    जवाब देंहटाएं
  6. पब्लिक कम्प्यूटर से लोग इन नहीं करना है इसलिए 'आयी डी' नहीं दिखेगा.

    सुगी जी --:पंडित प्यासा क्यों, गधा उदास क्यों
    --इसका जवाब है--लोटा न था :)

    जवाब देंहटाएं
  7. हा हा इसे कहते हैं अन्त्याक्षरी पहेली - अंतर्जाल पहेली की एक और किसिम !

    जवाब देंहटाएं
  8. भविष्यवाणी-
    आने वाली टिप्पणियों के आप की पोस्ट से अधिक रोचक होने की सम्भावना है.
    अब हम १० घंटे बाद वापस आयेंगे,सब पढ़ने.

    जवाब देंहटाएं
  9. उस्ताद जी जूनियर होशियारपुर वाले12 नवंबर 2010 को 1:49 pm बजे

    ९.२५/१०
    सुन्दर पहेलियात्मक पोस्ट.
    प्रणाम
    बधाई
    आभार
    शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  10. अनाम भाई
    रोचकता और आनंद की तलाश तो हम सभी को है ,देखते हैं ,

    जवाब देंहटाएं
  11. शुक्रिया (उस्ताद जी जूनियर होशियारपुरवाले)....चलिए गुरु घंटाल उस्ताद गए तो कम से कम आपका साथ तो है :)

    जवाब देंहटाएं
  12. अरे बहुत सारा ज्ञान मिल गया आज तो .

    जवाब देंहटाएं
  13. शोध पूर्ण आलेख। काफ़ी जानकारी प्राप्त हुई।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही रोचक पोस्ट बहुत जानकारी मिली इस से ...शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  15. मुझे तो उस्तादजी (असली पटियाला वाले ) अच्छे लगते हैं ....

    जवाब देंहटाएं
  16. उस्ताद जी जूनियर होशियारपुर वाले12 नवंबर 2010 को 6:17 pm बजे

    आदरणीय सक्सेना साहब,

    केवल असली लिख लेने से असली की गारंटी नहीं होती. और फिर मुझ होशियारपुर वाले से आप क्यों नाराज़ हैं? मैं जूनियर हूँ इसलिए ?

    आपको शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  17. ये तो हद है , पहेलियों पर भी पहलवानी पर उतारू हैं भाई बन्द :)

    जवाब देंहटाएं
  18. खुसरो की पहेलियों भरी जानकारी अच्छी लगी ...

    बढ़िया पोस्ट

    जवाब देंहटाएं
  19. लगता है मिसिर जी आप भी पहेलिया गये हैं. और हमारी रोजी रोटी पर निगाह पड गई है आपकी.:)

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  20. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  21. @ उस्ताद जी जूनियर होशियारपुर वाले
    नहीं यार !!
    तुम्हारी हिम्मत और ईमानदारी को दाद देता हूँ कि इन उस्तादों के बीच जमे हुए हो :-)
    इन मदारियों को अगर कुछ समझा दे सको तो वाकई एक अच्छा कार्य होगा ! खास तौर पर अच्छे ब्लाग्स को हतोत्साहित करने की साजिश रोकने का प्रयत्न करें !
    शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  22. ताऊ की रोज़ी का क्या होगा ....??

    जवाब देंहटाएं
  23. पहेलियों में बहुत दिमाग लगाना पड़ता है, इसलिये हम मानते हैं कि जो पहेलियाँ पूछते हैं और जो बूझते हैं, बहुत ही बुद्धिमान होते हैं।

    टैम्पलेट बदला है, अच्छा लग रहा है।

    जवाब देंहटाएं
  24. 29/30

    लो जी हमारे रहते प्रोत्साहन की क्या कमी? हमारे पास ढेर सारा प्रोत्साहन ही तो है। हम कोई नकली उस्ताद थोडे हैं जो दूसरों को हतोत्साहित करने के लिये एक दो नम्बर दें? और खुद कुछ ना लिखे,

    होशियारपुर वाले जुनियर उस्ताद अच्छा काम कर रहे हैं इसलिये हम असली पटियालवी उस्ताद उनको आशीर्वाद देते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  25. तीन तीन उस्ताद हो गए ????
    अब इससे बड़ी पहेली क्या होगी कि इनमें से घोर असली कौन?

    आपका आलेख ब्लाग लेखन में अच्छे आलेखों की कमी को दूर कर रहा है।...बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  26. असली उस्ताद हम हैं उस्ताद। असली और खांटी पटियाला वाले। कोई दूसरा असली होने का दावा ना करे।

    जवाब देंहटाएं
  27. अरे मुन्नी भौजी तुम इंहां कहां घूम रही हो भैया को छोडकर? जावो जा कर चूल्हा चौका संभालो तनि भैया का।

    जवाब देंहटाएं
  28. सच मानिये, हमें तो आप भी किसी पहेली से कम नहीं लगते..जाने कब क्या कर बैठें :)

    जवाब देंहटाएं
  29. पहेली पर पहला लेख लिखने की पहल करने के लिए आप काबिले तारीफ हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  30. तालाब में एक ज्ञानी ने पहनी बार एक कंकड़ फेंका...67 लहरें उठीं...! दूसरी बार एक पत्थर फेंका...
    ....लहरों की संख्या ? छोड़िए मुझे भी नहीं पता...ज्ञानी का नाम बताइए ?

    जवाब देंहटाएं
  31. मेरा लिए तो बड़ी पहेली ये है की मुन्नी बदनाम क्यों और उस्तादों की उस्तादी नाकाम क्यों?

    जवाब देंहटाएं
  32. मुन्नी बदनाम इसलिए कि पका आम हुई...उस्तादों की उस्तादी फेल इसलिए कि जो अच्छे विद्यार्थी न बन सके वे उस्ताद कहलाने लगे।
    ...अब मेरे प्रश्न का उत्तर ?

    जवाब देंहटाएं
  33. मिश्रा जी ... बहुत अच्छी लगी आपकी ये पोस्ट भी ... "टटन टटन टह टट टन टटन्टह"... बहुत पसंद आया ... और "कडी कडक गयी कड कड धप"... :)

    अकबर बीरबल की पहेलियों का भी इंतज़ार रहेगा ...
    शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  34. आज तो खूब महफ़िल रही भोले के दरबार में , हाज़िर होने वाले विशिष्ट मेहमानों पर निगाह डालिए

    ताऊ रामपुरिया
    उस्ताद जी
    असली उस्ताद पटियाला वाले
    जूनियर उस्ताद होशियारपुर वाले
    बेचैन आत्मा
    विचार (वान )हीन
    वैद्यराज
    पुरोहित जी
    भूत प्रेत
    और साथ में आपकी दोस्त मुन्नी बदनाम

    धन्य हो महाराज , बधाई ...जय हो

    जवाब देंहटाएं
  35. पुरानी पहेलियाँ बड़ी रोचक और नयी सी लगीं.... कभी नहीं सुनी थी पहले...... अच्छी लगी यह अलग सी पोस्ट

    जवाब देंहटाएं
  36. भारत मे पहेलियो को बहूत महत्व रहा है, बात बात पर बडो की पहेलियो से बच्‍चो का प्राथमिक ज्ञान वैसे ही मिल जाता था, लेकिन आ यह कम मिलता है।

    जवाब देंहटाएं
  37. @महेंद्र जी ,आलेख की प्रशंसा के लिए शुक्रिया
    @सतीश जी ,मानद डाक्टर ,ताऊ कोइ भी धंधा मन से नहीं करते ,इसलिए पहेली भी गयी ,बाकी नकली उस्ताद जी नदारद हो लिए ,यहाँ उनकी दाल गलने वाली नहीं थी -फ्राड आदमी है .मैंने सब अता पता कर लिया है .
    @हाय ,मुन्नी डार्लिंग ,कम से कम तुमसे ही लोग लुगाई ओपेननेस,और व्यवहार की जीवन्तता सीखें! और इसलिए ही तुम्हारा आना जरुरी था ब्लॉग जगत में ..

    जवाब देंहटाएं
  38. @पांडे जी हारी आप ही ज्ञानी का नाम बताईये ,भाई वाह क्या विचारवान उत्तर दिया है विचार शून्य के सवाल पर

    जवाब देंहटाएं
  39. उस्ताद जी जूनियर होशियारपुर वाले13 नवंबर 2010 को 7:14 am बजे

    उस्ताद जी (असली पटियालावाले) को जूनियर उस्ताद होशियारपुर वाले का सादर प्रणाम!

    आदरणीय सक्सेना जी को भी सादर प्रणाम

    असली उस्ताद जी ने आज मेरी सराहना करके और मुझे अपना आशीर्वाद देकर मुझे धन्य कर दिया. आज मुझे लगा कि जूनियर लोगों के लिए भी इस ब्लॉग जगत में जगह है. आप सब अपना आशीर्वाद बनाएं रखें.

    प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  40. अरविंद जी,

    ....अपने ताऊ का धंधा आपकी पोस्ट से घटेगा नहीं बल्कि और बढ़ेगा। हाँ इसकी संभावना है कि पहेली में फर्जीवाड़ा कम होगा।
    ....ताऊ के अंदाज में अपनी पहेली के लिए हिंट दे रहा हूँ...
    1-तालाब..ब्लॉग जगत
    2-कंकड़..ज्ञानी की पहली पोस्ट।
    3-लहरें..कमेंट
    ..दूसरों को भी बूझने दें..
    ...हा..हा..हा..

    जवाब देंहटाएं
  41. मुझे पहेलियां हमेशा पसन्द थीं और हैं पर वे पहेली नहीं जो आपकी रटन्द विद्या पर जोर दें लेकिन वे जो आपको सोच कर तर्क से जवाब देने को मजबूर करें।

    जवाब देंहटाएं
  42. bar-bar ane ke liye protsahit karti post.......

    aur ... paheliyan ..... jis se sirf... bachpan me ... uljhe-suljhe
    .... meri samajh me dimag walon ka..
    khel hai......


    pranam

    जवाब देंहटाएं
  43. सबसे बड़ी पहेली तो जिन्दगी है हमारी।

    जवाब देंहटाएं
  44. काफी ज्ञान से भरी हुई पोस्ट...
    शुक्रिया....

    जवाब देंहटाएं
  45. मैने सोच लिया है कि सब से बाद मे आपके ब्लाग पर आया करूँगी\ वाह वाह पोस्ट से भी रोचक टिप्पणियाँ हो गयी कितने उसताद??? हंस कर बुरा हाल हो रहा है। आपकी पोस्ट से अच्छी जानकारी मिली है।\ एक आध उस्ताद को मेरे ब्लाग पर भी भेज दें आज असली नकली कोई नही पहुँचा। सुन रहे हैं सभी उस्ताद? होशियारपुर वालो आप तो नंगल से नज़दीक हो पहुंच जाओ पंजाबरोडवेज से। लगता है मिश्रा जी आपकी पहेलियाँ सभी को आकर्शित करेंगी। शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  46. मैने सोच लिया है कि सब से बाद मे आपके ब्लाग पर आया करूँगी\ वाह वाह पोस्ट से भी रोचक टिप्पणियाँ हो गयी कितने उसताद??? हंस कर बुरा हाल हो रहा है। आपकी पोस्ट से अच्छी जानकारी मिली है।\ एक आध उस्ताद को मेरे ब्लाग पर भी भेज दें आज असली नकली कोई नही पहुँचा। सुन रहे हैं सभी उस्ताद? होशियारपुर वालो आप तो नंगल से नज़दीक हो पहुंच जाओ पंजाबरोडवेज से। लगता है मिश्रा जी आपकी पहेलियाँ सभी को आकर्शित करेंगी। शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  47. आपकी पोस्ट तो हमेशा की तरह अच्छी लगी. पर टिप्पणियों के रूप में नए-नए अनामी-बेनामी लोग पोस्ट की गंभीरता को कम कर देते हैं. मेरे विचार से आपको बेनामी का ऑप्शन हटा देना चाहिए. टिप्पणियाँ कम आयें ये ज्यादा अच्छा है.

    जवाब देंहटाएं
  48. शानदार ! पहेली में डूबोगे तभी कुछ पावोगे :)

    जवाब देंहटाएं
  49. हे भगवान कहां कहां से खोज कर लाते हैं आप भी ये सब.

    जवाब देंहटाएं
  50. इतिहास की चर्चा करते हुए पहेली के महत्व,विस्तार और रोचकता पर बड़े ही प्रभावी ढंग से प्रकाश डाला आपने...
    बढ़िया एवं रोचक चर्चा....धन्यवाद अरविंद जी

    जवाब देंहटाएं


  51. अब जरा मेरी चिलम भी भरिये,
    आपकी यह श्रृँखला ज़बरदस्त निकलेगी !

    बाबू अर्ररर र्र्र्र्र्र्र्र र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र र्र्र्र्र्र्र्र्र्र जी,
    जरा इहौ बूझऽ रजऊ मारा पटक के,
    तबियत गनगना दऽ, रज्जा हचक के
    नहीं बूझ पाये तो सोझै भागऽ सटक के

    1. उप्पर आग तऽ निच्चे अदहन
    जे न बूझ पाये ऊ हमार दुलहन
    2. ललकई पी कर तर गयी
    उजरकी बिन पिये डूबी पड़ी
    3.एक बाट में दू ठो दुआर
    दुन्नौ बन्द तऽ होय अन्हार

    अब आप अर्ररराइये, हम चले मटक के !



    जवाब देंहटाएं
  52. डागदर साहब ई हमारे बस में नाही ,उत्तरवा भी बता दीजियेगा प्लीज !

    जवाब देंहटाएं
  53. दिमाग को अच्छी खुराक मिल गयी- आभार

    जवाब देंहटाएं
  54. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  55. @ Arvind Mishra

    बाबू मिसिर जी, ई बुझ्झौवल अपना उप्पर काहे लेते हैं, जी ?
    ई बुझ्झौवल तऽ हम अर्ररर र्र्र्र्र्र्र्र र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र र्र्र्र्र्र्र्र्र्र जी के दिये रहे, जौन ढेर ज्ञान ठोंकि के सीना तान चले गये रहे ।
    1. उप्पर आग तऽ निच्चे अदहन
    उप्पर आग = चिलम, निच्चे अदहन = गुड़गुड़ी में खदबदाता पानी
    निष्कर्ष हुआ ------------- हुक्का
    2. ललकई पी कर तर गयी.. उजरकी बिन पिये डूबी पड़ी
    ललकई = तली हुई पूड़ी जो घी पीकर तैर गयी
    उजरकी = कच्ची पूड़ी जो कि घी में डूबी पड़ी है
    3.एक बाट में दू ठो दुआर... दुन्नौ बन्द तऽ होय अन्हार
    बाट = नाक का गलियारा , दू ठो दुआर = दोनों नथुने
    हम पहिलेहिन जानते थे कि बेनामी जी अर्रररा गये होंगे, अउर आप गलत सलत मानी मतलब निकाल कर हाथ खड़ा कर दिये |

    जवाब देंहटाएं
  56. वाह आनंद आ गया । जितनी बढिया पोस्ट उतनी ही चुटीली टिप्पणियां ।

    जवाब देंहटाएं

यदि आपको लगता है कि आपको इस पोस्ट पर कुछ कहना है तो बहुमूल्य विचारों से अवश्य अवगत कराएं-आपकी प्रतिक्रिया का सदैव स्वागत है !

मेरी ब्लॉग सूची

ब्लॉग आर्काइव