उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव संपन्न हो गए .पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम्य सरकारों का जो स्वप्न कभी गांधी जी ने देखा था ,कालांतर में संविधान के तिहत्तरवें संशोधन के जरिये पूर्व- प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उसे साकार कर दिया .आज ग्राम्य सरकारों के रूप में हमारे पास त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था है -ग्राम पंचायत ,क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत जिस में सीधे जनता से चुने प्रतिनिधि विभिन्न पदों पर विराजमान होते हैं -सबसे महत्वपूर्ण उसमें है ग्राम प्रधान का पद जिसे आप पंचायती व्यवस्था का बादशाह या बेगम का पद कह सकते हैं -और सबसे ज्यादा सक्रियता ,तामझाम इसी पद के चुनाव के लिए हुआ -मात्र ग्राम प्रधान बनने के लिए लोगों ने लाख लाख रूपये मतदाताओं की सेवा सुश्रुषा में खर्च कर दिए ...खाने पीने की दिव्य व्यवस्थायें की गयीं -कई जगह पी पीकर लोग झूमते नजर आये -मिलावटी शराब ने पूर्वांचल में कई मतदाताओं को वोट देने के पहले स्वर्ग का द्वार दिखा दिया तो कई प्रत्याशी लोकतंत्र की देहरी के बजाय जेल के लौह दरवाजों को पार कर गए ...इसी आपाधापी के बीच एक दिन एक गाँव में कुछ बच्चे झूमते हुए मिले -पाउच का प्रभाव प्रत्यक्ष था ....बच्चे जिनकी वैधानिक उम्र भी पीने की नहीं है ..ग्राम प्रधानी के चुनाव में प्रतिबंधित पेय का चस्का लेते पाए गए ....
तभी मन में कौंधा था कि आखिर पीने की वैधानिक उम्र क्या होती है ..फिर एक दिन टाइम्स आफ इंडिया ने यही सवाल उठाया कि (शराब ) पीने की वैधानिक उम्र क्या है ? क्या आपको पता है पीने की वैधानिक उम्र ? क्या समीर और सतीश भाई इस जानकारी से रूबरू हैं ? सतीश सक्सेना जी ,दिल्ली में पीने की वैधानिक उम्र क्या है ? और समीर जी, कनाडा में ? उत्तर प्रदेश में लिक्कर की दुकाने इसे १८ वर्ष बताती हैं ....मगर दिल्ली में कहते हैं यह २५ वर्ष है! मगर उत्तर प्रदेश में आबकारी विभाग की अधिकृत सूचना है कि यह २१ वर्ष है ,यह तबसे २१ वर्ष है जब मतदाता की आयु २१ वर्ष मानी गयी थी .मगर बाद में मतदाता की आयु १८ वर्ष हुई तो लोगों ने सहज तर्क से पीने की उम्र भी २१ वर्ष के बजाय १८ वर्ष मान ली है ..नियम के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में कोई भी व्यक्ति जो २१ वर्ष के नीचे हो वह न तो शराब खरीद सकता है और न ही उसका सेवन कर सकता है ..दूसरा प्रतिबन्ध वर्दी मे कर्मचारियों के लिए है- वे भी शराब खरीद नहीं सकते या खरीदने जायं तो उन्हें नहीं दी जा सकती ...और सार्वजनिक स्थल पर तो मद्यपान किसी भी लोक सेवक के लिए निषिद्ध है!
मुझे इस विभाग की बारीकियों की बरोबर जानकारी नहीं है -मेरे एक दो मित्र जो इस मोहकमें में हैं वे भी किसी काम के नहीं हैं -जैसे ब्रांड इत्यादि की जानकारी और उनके तुलनात्मक स्वाद आदि पर मेरे कौतूहलपूर्ण सवालों का जवाब देने के बजाय वे मौन साध जाते हैं ..मैं उलाहना देता हूँ कि यार इस मोहकमें में होने के बाद भी आप इसका स्वाद नहीं चखते तो कहते हैं यह हमारी सेवा शर्तों में एक अनिवार्य प्रावधान नहीं है ,,,और मुझे ही चुप रह जाना होता है .मेरी भी जानकारी इस नशीले सपनीले संसार के बारे में इससे अधिक नहीं है कि जिन नामक/ ब्रांड मद्य महिलाओं में प्रिय है ,रम ज्यादा तेज होती है और व्हिस्की ज्यादा अभिजात्य मद्य का प्रकार है तथा शैम्पेन आदि खुशी के बड़े मौकों के लिए है ....जाहिर है मैं इस डोमेन के लिए पूरा लल्लू ही हूँ मगर मैं स्प्वायल्ट स्पोर्ट नहीं हूँ ,प्यार से कोई टोस्ट आफर करता है तो समूह चेतना के नाम पर एकाध पैग ले लेता हूँ मगर अगर होस्ट मद्य पारखी नहीं हुआ तो बिना अंगूर की बेटी की तारीफ़ सुने मन मसोसना भी पड़ जाता है ..मैं समझता हूँ ब्लॉग जगत में ऐसे अनाडी होस्ट नहीं होंगें या कमतर ही होंगे .
आखिर हालात ऐसे न हों तो फिर मजा काहे का ...कि साकी शराब दे कह दे शराब है! उम्मीद है कि आपकी उम्र २१ वर्ष से कम नहीं है !
मैंने अपनी इंजीनियरिंग हिमाचल प्रदेश से की है | इस कारण हरियाणा और पंजाब को भी नज़दीक से देखा है | यकीन मानिये वहां ऐसा कोई बंधन नहीं वहां तो धरल्ले से बिकती है शराब..हाँ अब नियम क्या कहते हैं पता नहीं....मैंने कभी पी नहीं वरना नियम पता जरूर करता...:)
जवाब देंहटाएंपीने की भी कोई उम्र होती है ??
जवाब देंहटाएंकैसी विडंबना है ?
जब मन में मौज उठी........
पैर चल दिए मयखाने को..
यहाँ पर तो न उम्र की सीमा हो...
और न समय का हो बंधन.......
सत्ता के मद से बड़ा कोई मद नहीं। ये पिलाने वाले ही चंद दिनों बाद नशामुक्ति अभियान का हिस्सा होंगे। और, इन पियक्कड़ों को कौन समझाए कि झूमने के लिए लिकर नहीं,संजीदा जिगर चाहिए।
जवाब देंहटाएंजो पीकर उम्र ही भूल जाये तो कैसा बन्धन।
जवाब देंहटाएंइसके लिए पियक्कड़ लाइसेंस होना चाहिए इसके लिए टेस्ट एक निश्चित उम्र के बाद लिया जाये कोई तय स्टेंडर्ड वाली व्हिस्की पीने के बाद साइकिल चलाने को दी जाए [पूरी सुरक्षा में ] अगर चला ली तो पास नहीं तो अगले सार फिर टेस्ट होगा
जवाब देंहटाएंइस विषय की कोई जानकारी मुझे भी नहीं इसे बाल [child ] टिपण्णी समझा जाये :))
यह सब चख ली हे लेकिन आदत नही डाली, ओर ना ही खुशि के मोके पर इसे चखा, ना ही दुख मे बस जब कभी दिल किया एक पेग या बीयर, या रम, जिन, बोदका, वाईन बस युही ले लि, कभी कभी तो सालो साल मन नही करता, जब कोई मेहमान आया तो उसे डाल कर देदी खुद पानी का गिलास ले कर साथ दिया, पता नही लोग केसे पियक्कड बन जाते हे.. वेसे लोगो को बहाना चाहिये पीने का
जवाब देंहटाएंआजकल तो बच्चे भी झूमते हुए मिल जाते हैं, पर ये अलग बात है कि वे बोतल वाली शराब नहीं पीते। वैसे उसे तो मैंने भी नहीं पिया, इसलिए कभी इस ओर ध्यान भी नहीं दिया।
जवाब देंहटाएंdear ke liye bear
जवाब देंहटाएंkhus-ke liye wishkey
aur gum me rum......
baki samay me bam-bam.
pranam.
अरविन्द जी , दिल्ली में तो २५ ही है । लेकिन यह और बात है कि पीने वालों में आधे तो इससे कम उम्र के ही होते हैं ।
जवाब देंहटाएंपीने वाले तो खुद ही सरे आम बहकते हैं
शराब को लोग यूँ ही बदनाम करते हैं ।
दीवाली मुबारक ।
5/10
जवाब देंहटाएंमदिरा सेवन पर अच्छी चर्चा.
आज आपसे ही पता चला कि पीने की भी कोई ख़ास उम्र होती है. लगता तो नहीं कि कोई भी वाईन-शॉप वाला रुपये के अलावा और कुछ भी देखता होगा.
पोस्ट के साथ आपने कुछ व्यवस्था भी की होती तो यहाँ आने का मजा आ जाता.
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जवाब देंहटाएं.
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मैं तो यही कहूँगा कि:-
न पीना खराब है
न पिलाना खराब है
पीकर के...
बहक जाना
डगमगाना
होश में न आना
खराब है!
बाकी उम्र का क्या...
खरीदने लायक पैसे हों
और पीने लायक हौसला भी
तो कौन नामाकूल आपकी उम्र पूछता है?
... :)
दीपावली मना लीजिए। शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंएक मैं और धुत नशे में मयकदे का यह चिराग
जवाब देंहटाएंअब हुआ मालूम आखिर किस कदर तनहा हूँ मैं.
जवाब देंहटाएंआज तो झूमती हुई पोस्ट लिख दी !
दिल्ली में इस समय पीने की उम्र २५ साल से घटा कर २१ साल कर दी गयी है !
इस समय कहाँ चक्कर में पड़ रहे हो..इसका चक्कर जानना है तो कुछ लाइनें आपकी नज़र हैं ....
लालायित अधरों से जिसने,
हाय, नहीं चूमी हाला,
हर्ष-विकंपित कर से जिसने,
हा, न छुआ मधु का प्याला,
हाथ पकड़ लज्जित साकी
को पास नहीं जिसने खींचा,
व्यर्थ सुखा डाली जीवन की
उसने मधुमय मधुशाला।
बिना पिये जो मधुशाला को
बुरा कहे, वह मतवाला,
पी लेने पर तो उसके
मुह पर पड़ जाएगा ताला,
दास द्रोहियों दोनों में है
जीत सुरा की, प्याले की,
विश्वविजयिनी बनकर जग
में आई मेरी मधुशाला।
एक बरस में, एक बार
ही जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी,
जलती दीपों की माला,
दुनियावालों, किन्तु, किसी
दिन आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली,
रोज़ मनाती मधुशाला !
जब समझने लायक बुद्धि और खरीदने लायक कमाई हो...इसके अलावा पीने की उम्र का निर्धारण क्या किया जा सकता है?
जवाब देंहटाएंकुछ बंधन अपने ऊपर स्वयं ही लगाने होते हैं..... यह सोच नई पीढ़ी में होना ज़रूरी है.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी मिली.
जवाब देंहटाएंरामराम.
पीना ही हो तो नियम कैसे ?
जवाब देंहटाएंआदिवासियों में शिशु भी पी सकते है और वृद्ध भी ! ध्यान रहे इसमें कोई लिंग भेद नहीं !
वैधानिक उम्र तो हो ही गयी है [अब चाहे जितनी भी होती हो ;)]. पर कभी पी नहीं. एक बार एक दोस्त के साथ यहाँ खरीदने गया था और उसने आइ-कार्ड मांग लिया तो बड़ी ख़ुशी हुई के चलो वैधानिक उम्र से कम के लगते होंगे तभी मांग रहा होगा ;)
जवाब देंहटाएं@ अभिषेक ओझा ,
जवाब देंहटाएंअब आगे से मत जाना आजकल फोटो भी खींचते हैं ...!
सतीश भाई आप भी मधुशाला की देहरी क्रास कर रहे हैं -
जवाब देंहटाएंमेरी व्यथा तो दूसरी है
जो हाला मैं मांग रहा था वह न मिली मुझको हाला
जो प्याला मैं चाह रहा था वह न मिला मुझको प्याला
जिस साकी पर था दीवाना वह न मिला मुझको साकी
..जिस पर था मैं पागल हा न मिली वह मधुशाला
समीर जी तो खैर नाम में आने ही थे...बात पीने की जो चल पड़ी. :)
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ कनाडा में १८ वर्ष की उम्र लीगल है पीने के लिए एल्कोहल और सार्वजनिक स्थलों पर पूर्ण पालन भी होता है चाहे कैसी भी वर्दी हो.
२५ साल का युवा भी अगर कम उम्र का नजर आये तो आई दी मांगी जाती है वरना स्ट्रिक्ट नो!!
और ड्राईविंग...उम्र कोई भी हो.... (पाईंट ८) एक ढ़ंग का पैग..उससे ज्यादा पिये पकड़ा गये तो अगले ६ महिना बस में ही चलते नजर आयेंगे..लाईसेन्स सस्पेन्ड..वो रिस्क भला कौनलेगा ऐसे शहर और देश में.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपने पोस्ट को एक हास्य का पुट ज़रूर दे दिया, पर बच्चों द्वारा शराब पीने की घटना चिंताजनक है. चुनाव के माहौल में शराब मुफ्त में बंटती है, तो बच्चों की पहुँच में भी हो जाती है. मेरे ख्याल से ये अधिकतर मजदूर वर्ग के बच्चे होंगे, जिनके माँ-बाप उन पर ध्यान नहीं दे पाते होंगे.
जवाब देंहटाएंमेरे ख्याल से इस समस्या को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, ना कि हँसी में टालने की.
हा! हा! हा! हा! हा!
जवाब देंहटाएंअपनी उमर 18 से कम निकली और अरविंद जी की भी। हम दोनों लल्लू लाल।
मुक्ति जी की बात से सहमत..आज यह एक समस्या बन गयी है .अभी हाल ही में एक समाचार के अनुसार टीनेज अल्कोहल सेवन से अधिक प्रभावित हैं.
जवाब देंहटाएं-दिवाली की शुभकामनाएँ आप को ..और इस अवसर पर सभी को प्रण लेना चाहिए कि मद्यपान न करें न कराएँ.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंशराब तो एक बार छुडाई भी जा सकती है पर आज कल तो ड्रग्स लेते टीन एजर्स भी आप आसानी से देख सकते हो . थाने के ठीक पीछे ये सफ़ेद पाउडर की पुडिया तो मैंने खुद बिकते और खरीदते देखा है .
इस के आगे कहने को कुछ शेष नही रह जाता .
मुझे दुनियावालो शराबी न समझो.....:)
जवाब देंहटाएंउम्र तो होती है झूमने की ....:)
जवाब देंहटाएंबाकी पंचायत व्यवस्था मुझे तो खर्च व्यवस्था ज्यादा लगती है
आपने पीने की न्यूनतम सीमा व वैधानिक सीमा जानने की बात उठाई है तो यह भी सवाल उठता है की क्या तम्बाकू गुटखा एवं तम्बाकूजनित अन्य उत्पादों की सेवन की आयु सीमा क्या निर्धारित हो चुकी है यह एक गंभीर प्रश्न है जिसे समाज को ही तय करना है कोई भी दुर्व्यसन हो उसके सेवन की कोई आयु की वैधानिकता का कोई प्रश्न ही नहीं उठाना चाहिए भारत जैसे घोर नैतिकतावादी देश में
जवाब देंहटाएंमुझे तो पाउच में तम्बाकू व गुटखा खाने वाली नै पीढी को देख कर कोफ़्त होती है की नशा के व्यापारियों ने पाउच संस्कृति फैला कर कितना अनर्थ कर डाला है
एक मेरा प्रश्न भी है की क्या इन्द्रियजन्य कोई भी नशा की क्या अधिकतम उम्र भी निर्धारित है यदि नहीं तो न्यूनतम आयु की गणना कौन करे
यह तो समाज पर निर्भर करता है क़ानून व विधान से इस पर रोक नहीं लगाया जा सकता न ही सरकारे समाजसुधारक के रूप में इस देश में कभी जानी जा सकती है
मदिरा के सेवन ने हमारे देश को युवाओ को भ्रष्ट बना दिया है। कभी कभी अपनी उम्र के 5-7 छोटे लड़को को मदिरा और धूम्र पान करते देखता हूँ तो आज भी वर्तमान परिवेश और संस्कारो पर विचार करने लगता हूँ कि 14-15 साल के लड़को को दूध-दही नही पंसद बल्कि मदिरा पंसद है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआज कल झुमने के लिए उम्र कि सीमा समाप्त हो चुकी है.
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