अब तो जेहन में चिट्ठाकार चर्चा के लिए कई नामचीन नाम मन में उभरते रहते हैं ,मगर अब दुविधा या धर्मसंकट कह लीजिये यह फैसला अंतिम रूप से नहीं हो पाता कि उन संज्ञा स्वरुप सर्वनामों में से किसे तत्काल चुन लूं किसे छोड़ दूं? वही आदिम दुविधा कि कस्मै देवाय हविषा विधेम ? कुछ तो बार बार मनाही करते रहते हैं ,भाई साहब /अरविन्द जी /सुनिए जी मेरी चर्चा कहीं मत कर दीजिएगा ...और उनके वाजिब तर्क होते हैं इस निषेध के ...कुछ आत्म प्रचार नहीं चाहते ,कुछ को डर होता है कि कहीं ये महानुभाव उन बातों को न कह दे जिन्हें किसी भावुक से कमजोर (?) से क्षणों में इनसे कहा गया था ...और ब्लॉग जगत चौक पड़े कि यह गोपनीय बात तो केवल मुझे पता थी इनकी या अमुक अमुक ब्लॉगर की ...अच्छा तो ये महानुभाव भी जानते हैं यह सब ....मतलब डबल क्रास(अब इतना भी विश्वास नहीं रहा मुझमें !).. कुछ का कहना है कि इस स्तम्भ के चिट्ठाकार से मैं खुद जो अपनी तुलनात्मक व्याख्या करने लगता हूँ (क्या सचमुच ?)वह स्टाईल ठीक/पसंद नहीं लगती है उन्हें!
और मैं अनिर्णय की स्थिति में पहुंच जाता हूँ -ऐसे ही निर्णय अनिर्णय के दौर से गुजरते हुए अचानक एक नाम कौंध उठा ...पंकज मिश्र ..मतलब बगल में छोरा ..नगर में ढिढोरा ....जी हाँ अपने युवा हिन्दी चिट्ठाकार ..और अहसास रिश्तों के बनने बिगड़ने का ,ब्लॉग के स्वामी और ताऊ की शिष्य परम्परा के एक हजारवें एक शिष्य! इनका एक अंगरेजी ब्लॉग भी है.
पंकज मिश्र उन अनेक युवा (नारी समाहित ) आई सी टी एक्सपर्ट समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनके मन में जीवन में कुछ कर गुजरने का जज्बा है ,उनके सामने बड़ी कठिनाईयां है ,सामाजिक और पेशागत दोनों तरह की, मगर वे हार मानने वालों में से नहीं है ...एक न एक दिन यह जालिम ज़माना इनके अवदानों को पहचानेगा और उसे मान्यता देगा ही ...या वे खुद अपनी मान्यताये चुन ही लेगें ..देर सबेर ...किसी संजय दत्त से कमतर नहीं ...
जिस समुदाय की नुमायन्दगी पंकज करते हैं वह उत्साह और ऊर्जा से लबरेज वह जमात है जिनसे आज का हिन्दी ब्लागजगत भी धन्य हो रहा है ...और सच कहूं तो प्रकारांतर से हिन्दी भाषा और साहित्य भी धन्य हो रहा है ...इन टेक्नोलोजी विशेषज्ञों का व्याकरणीय भाषाई ज्ञान भाषा पंडितों(यहाँ कौन और कितने हैं ? ) जैसा तो नहीं है पर अपनी बात कहने की पूरी क्षमता है इनमें ...और वे जो भी कहते हैं बेलौस कहते हैं -शायद इसलिए भी कि वे उन पुरायटों के मानिंद नहीं है जिन्हें दुनियादारी आ चुकी है और जो मन माफिक, जैसा माहौल देखते हैं वैसा ही बोलते हैं (आखिर कर दी खुद से न तुलना ?) ..मेरे वे प्रिय दोस्त सच ही कहते हैं ....सचमुच यह बुरी आदत है मुझमें ! अब चूंकि इनका मन साफ़ है इसलिए इनमें उचित अनुचित का विवेक अभी जागृत है -कहीं कुछ भी अनुचित सा होते या ज्यादती होती देखते हैं तो फिरंट हो जाते हैं ....मगर पंकज मिश्र ने तो महीनों धैर्य रखा ....आप सब को शायद पता नहीं है ये करीब दो बरसों तक लगातार हिन्दी के ब्लॉग पढ़ते आ रहे थे ..किस ब्लॉग और ब्लॉगर को नहीं जानते ये ...वो क्या कहते हैं न ..सब के आई पी नंबर तक इनकी वेब डायरी में मौजूद है ...मतलब राम झरोखे बैठ कर सबका मुजरा लेत वाली कहावत इन्होने पूरी तरह यहाँ चरितार्थ किया ..बीच बीच में मुझे बताते भी रहते ,भाई साहब, यह आपने देखा ..वो देखा ..यह तो ठीक नहीं है या फलाने की दादागीरी तो अब नाकाबिले बर्दाश्त हो चली है ...और मैं बार बार इनसे कहता कि भाई दूर से तमाशा मत देखिये ..यहाँ आईये और सक्रिय होईये ....और ये महानुभाव सलाह तो मुझसे लेते रहे और प्रेरणा ताऊ से पाते रहे और एक दिन अवतरित हो ही गए ब्लागजगत में ..उस दिन मौसम जरूर सुहावना ही रहा होगा ....इनकी जन्म कुण्डली से गत्यात्मक ज्योतिष वाली संगीता जी बता सकती है उस दिन के मौसम के बारे में ...मैं मानकर चलता हूँ वह दिन ही रहा होगा और सुहावना भी ......
महानुभाव अवतरित भी हुए तो सीधे चिट्ठाचर्चा लेकर ...सहसा तो मुझे एक गवईं कहावत याद हो आई -बिच्छी क मन्त्र न जानई और कीरा (सांप ) क बिल में उंगली डालई ....मगर इन्होने तो पूरे अजगर के मुंह में या कहिये कि कालिया नाग के मुंह में अंगुली ही नहीं पूरी हथेली डाल दी थी ...मैं स्तब्ध सा ,चमत्कृत सा यह नई बाल कृष्ण लीला देखने तटष्ठ हो लिया(मतलब यमुना तट पर पहुँच लिया ) ...ब्लॉग यमुना तीरे अब एक कलयुगी कालिया मर्दन शुरू हो चुका था ..जिसका केवल आंखमूदें विनयावनत हो पूजन स्तवन किया जा सकता था जो मैं बदस्तूर कर रहा हूँ ...चिट्ठा चर्चा की मोनोपोली टूटी ....जो एक ऐतिहासिक क्षण था ....और जो अकल्पनीय सा लग रहा था उसे छोटू उस्ताद ने कर दिखाया ....यह अभ्युत्थानाय धर्मस्य का ही यह एक और प्रगटन था .....और हिन्दी ब्लॉग जगत में साम्यवाद की घोषणा रूपी लहर का प्रस्फुटन .....ईहाँ न पक्षपात कछू राखऊ की स्थापना ....स्थापित हो चुके चिट्ठाचर्चा में आ चुकी समयानुकूल बुरायियों के विरुद्ध एक प्रतिक्रया स्वरुप चर्चा हिन्दी चिट्ठो की का अभ्युदय हुआ और लोगों ने इसे हाथो हाथ लिया .....यह पंकज मिश्रा का ब्लागजगत में धमाकेदार आगमन था ....
पंकज संवेदन शील है मगर रिएक्टिव भी हैं -एक वह वृत्ति जिसे स्थापित समाज हिकारत की नजर से देखता है -बच्चू अभी जुमा जुमा कुछ साल ही हुए दुनिया में आये और ऐसा मिजाज ? चलो आगे सब आंटे दाल का भाव मालूम हो जायेगा ...मगर वो कहते हैं न ...लीक छोड़ तीनो चले शायर सिंह सपूत ..तो आज के अपने चिट्ठाकार चर्चा के नायक इसी परम्परा के हैं और कोई भी मुगालते में न रहे ..वे एकला चलो रे के भी अनुयायी हैं ...वे वो हैं जिसकी चर्चा भी इन दिनों ब्लॉग जगत में अन्यत्र चल रही है -सिंहों के नहीं लेहड़े ....कुछ ऐसे ही शेरे दिल हैं पंकज ..आईये उनका स्वागत करें ..
अरविद भैया-आपने पंकज जी के विषय मे अच्छी जान कारी दी है। हम इनके जज्बे को सैल्युट करते हैं-आभार
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबांध कितने भी मज़बूत क्यों न हो लेकिन जब सैलाब अपनी पर आ जाए तो उनकी एक नहीं चलती...पकंज भी ऐसा ही सैलाब है...
जवाब देंहटाएंअरविंद जी,
प्लीज़ कोई मुझे इस लेहड़े का मतलब बताएगा...अदा जी से भी पूछा था लेकिन जवाब नहीं मिला...
जय हिंद...
धन्यवाद अरविंद जी बहुत दिनों से उनकी पोस्ट और चिट्ठा चर्चा पढ़ रहा था आप अपने बड़े अच्छे ढंग से पंकज भैया से परिचय कराया..
जवाब देंहटाएंआप ने लिखा पर्दा उठता है, और गिरा दिया।
जवाब देंहटाएंपंकज संवेदन शील है मगर रिएक्टिव भी हैं...
जवाब देंहटाएंपंकज जी के बारे में यह सही है.
पंकज संवेदन शील है मगर रिएक्टिव भी हैं...
जवाब देंहटाएंपंकज जी के बारे में यह सही है.
पंकज जी के शानदार व्यक्तित्व से उतने ही सुन्दर अभिव्यक्ति द्वरा परिचय करने का आभार.....
जवाब देंहटाएंregards
पंकज जी के जीवट का मैं भी कायल हूँ। बहुत श्रम, समय और समझ के साथ इनकी चर्चाएँ होती हैं।
जवाब देंहटाएंइनके ब्लॉग पर नहीं गया हूँ, आज जाता हूँ।
चिट्ठाकार चर्चा द्वारा आप एक पुनीत काम कर रहे हैं।
वाह तो पंकज जी छुपे रुस्तम हैं । उन्हें बहुत बहुत आशीर्वाद इसी तरह उन्नति करते रहें। उनका परिचय देने के लिये आपका भी धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंपंकज जी का परिचय करने का आभार!
जवाब देंहटाएंपंकज जी के बारे मे जानकार अच्छा लगा..
जवाब देंहटाएंअरविंद जी आप मेरे ब्लाग 'हँसते रहो' पर आए...बहुत-बहुत शुक्रिया...लेकिन जिन सभी फोटो को देखकर आप एक ही समझ बैठे हैं...वो सभी अलग-अलग हैं...उन सभी मे किसी न किसी का चेहरा बदल दिया गया है...:-)
एक एक बार फिर से आ कर देखेंगे तो अच्छा लगेगा
पकंज भाई सच में लाजवाब व्यक्तित्व वाले है , । आभार आपका
जवाब देंहटाएंखैर पंकज के बारे में हम भी धीरे धीरे जान ही जायेंगे पर...उन्होंने मानिटर पर पुष्पमाला क्यों चढ़ा रखी है मतलब क्या समझें हम ?
जवाब देंहटाएंवहां टेबिल पर कागज,उस पर शायद कुछ ब्लागर के नाम...? फिर एक अदद स्क्रू ड्राईवर भी ...इरादे तो नेक हैं ना ?
भाई मिसिर जी हम तो बस आपके सहारे देख/पढ़ रहे हैं वर्ना पंकज नें संकेत तो डरावने ही दिए हैं !
खैर पंकज के बारे में हम भी धीरे धीरे जान ही जायेंगे पर...उन्होंने मानिटर पर पुष्पमाला क्यों चढ़ा रखी है मतलब क्या समझें हम ?
जवाब देंहटाएंवहां टेबिल पर कागज,उस पर शायद कुछ ब्लागर के नाम...? फिर एक अदद स्क्रू ड्राईवर भी ...इरादे तो नेक हैं ना ?
भाई मिसिर जी हम तो बस आपके सहारे देख/पढ़ रहे हैं वर्ना पंकज नें संकेत तो डरावने ही दिए हैं !
पंकज मिश्रा जी से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंपंकज जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा.... फोटो तो बहुत सुंदर है.....
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ मिला जानने को ..
जवाब देंहटाएंअकेले हनुमान ( जहाँ जरूरत हो वहां ) लंका-दहन
करें , यही कामना करता हूँ ...
राव-वाणी में कहना चाहूँगा कि पुनीत कार्य 'चालू आहे' !!!
आदरणीय भाई साहब प्रणाम ,
जवाब देंहटाएंआपने तो इतना लिख दिया जितना मै सोच भी नहीं सकता था चलिए आज से जोश दुगुना हो गया ..
पुष्प माला मानिटर पर इसलिए है क्युकी फोटो वाले दिन विजयदशमी था और हमारे यहाँ इस दिन पूजा होती है और स्क्रू ड्राईवर हमारे पेशे से जुडा है ...बस यही सब है
परिचय अच्छा रहा.
जवाब देंहटाएंएक और चिट्ठे और चिट्ठाकार बनने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त हुई ...आभार ...!!
जवाब देंहटाएंसर मुझे तो सिर्फ़ इतना कहना है कि एक बिना लाग लपेट वाले स्पष्ट इंसान ने दूसरे साफ़ दिल इंसान के लिए आशीर्वाद के रूप में कुछ शब्द लिखे ..मैं तो आप दोनों का कायल हूं ...पंकज जी उर्जा से भरे हुए हैं तथा सभी युवा साथियों के लिए प्रेरणास्रोत भी
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पंकज जी के बारे में जान कर .........
जवाब देंहटाएं" उन संज्ञा स्वरुप नामों में से किसे तत्काल चुन लूं किसे छोड़ दूं? "
जवाब देंहटाएंसमय बहुत है, एक एक करके सभी को निबट लीजिए :)
पंकज में असीम सम्भावनायें हैं पर निरर्थक पंजा लड़ाने से बचना जरूरी है। वह ऊर्जा डिसीपेटर होता है! :)
जवाब देंहटाएंपंकज मिश्र से परिचय करानने हेतू आभार
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
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जवाब देंहटाएंthank you sir far this introduction of the pankaj.
जवाब देंहटाएंपंकज जी का बढ़िया परिचय दिया है ......
जवाब देंहटाएंपंकज जी के बारे में इतने विस्तार से जान कर बहुत अच्छा लगा .शुक्रिया
जवाब देंहटाएंचिट्ठाकार -चर्चा में पंकज जी के बारे में जान कर अच्छा लगा .आभार .
जवाब देंहटाएंआज के अपने चिट्ठाकार चर्चा के नायक इसी परम्परा के हैं और कोई भी मुगालते में न रहे ..वे एकला चलो रे के भी अनुयायी हैं ...वे वो हैं जिसकी चर्चा भी इन दिनों ब्लॉग जगत में अन्यत्र चल रही है -सिंहों के नहीं लेहड़े ....कुछ ऐसे ही शेरे दिल हैं पंकज .
जवाब देंहटाएंमिश्रजी, आपने एक बिल्कुल सही आकलन किया है आपकी भविष्यवाणी सौ प्रतिशत सही होगी. ये मेरा वादा है.
होनहार अकेले ही चलते हैं और जिधर से निकल जाते हैं उधर ही कारवां बन जाता है. वर्ना तो आप जानते हैं कि यहां क्या हाल है?
आपकी कही हर बात का वक्त जवाब देगा.
इस असीम उत्साह के धनी युवक मे धैर्य की कमी नही है. जो दो साल तक सिर्फ़ अध्ययन कर सकता है अब आप उसके धैर्य की बात कर रहे हैं.
पंकज पिछले दो साल से मेरे निरंतर संपर्क मे हैं और उसमे कुछ विशेष बात है वर्ना ताऊ युनिवर्सिटी में ऐरों गैरों को एडमिशन ही नही मिलता.
पंकज के बारे मे आप द्वारा किये सही आकलन के लिये आपका बहुत आभार व्यक्त करता हुं.
रामराम.
पंकज मिश्रा जी से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंपंकज से बातचीत है. एक प्रभावी व्यक्तित्व के स्वामी हैं..खैर, तभी तो आप लिख भी रहे हैं उनका परिचय. :)
पंकज जी से मिलवाने के लिए बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंपरिचय कराने का धन्यवाद। पंकज जी को हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंपंकज मिश्रा जी से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंपंकज जी को उनके ब्लॉग से जाना था और आज आप ने भी बताया.
जवाब देंहटाएंदूरदर्शिता इनका खास गुण है.ऐसा लगता है.
अकेले शुरू की गयी इनकी चर्चा में तकनीकी टच और लेखन कुशलता ने इन्हें जल्द ही लोकप्रिय कर दिया.
ऐसे ही आगे बढ़ते रहें.शुभकामनाएँ हैं.
महान लोगों का अवतरण,चाहे वह दुनिया में हो या कोई और क्षेत्र में .. उस वक्त खास ग्रहीय योग की संभावना से इंकार किया ही नहीं जा सकता .. चाहे गत्यात्मक ज्योतिष कहे ना कहे .. क्यूंकि हर योग को निकालने में अभी विज्ञान का रिसर्च बहुत सीमित है !!
जवाब देंहटाएंपंकज जी का लिखा यदा-कदा पढ़ता रहता हूं...आज उनके बारे में विस्तृत रुप से जानना अच्छा लगा और तस्वीर में तो कयामत ढ़ा रहे हैं पंकज जी।
जवाब देंहटाएंइश्वर इन्हें उम्रदराज करे
जवाब देंहटाएंपंकज भाई की प्रतिभा से कौन नहीं परिचित। हाँ आपके बहाने जानकारी थोड़ा डिटेल में मिल गयी, शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंपंकज भाई निश्चित ही बेहद संभावनाशील और बेहद प्रतिभाशाली युवा हैं..शानदार परिचय करवाया आपने..आभार.!
जवाब देंहटाएंये बात तो तय है..कि नए ब्लागरों पर नज़र सबसे पहले पंकज भाई की सबसे पहले पड़ती है..व्यक्तिगत रूप से मै भी इनका आभारी हूँ..!
कई बार आत्मीयता गहरी हो तो कुछ हल्का कहने का मन नहीं करता । पंकज की चर्चा ने उन्हें सबका परिचित बना दिया है ।
जवाब देंहटाएंयहाँ पंकज का जिक्र देखकर प्रमुदित हो रहा हूँ । दो तीन बार देख चुका हूँ प्रविष्टि को । जानबूझ कर टिप्पणी करने से बचता रहा । दूसरों की टिप्पणियाँ आह्लादकारी बनती गयीं । उनका रस लेता हुआ पंकज के सुन्दर व्यक्तित्व का अनावरण होते देखता रहा मन में ।
आज यह टिप्पणी इसलिये कि कभी पंकज पढ़े इस प्रविष्टि को तो एहसास करें कि हम भी शुभकामना देने वालों की कतार में हैं, और निरख कर मुदित मन तालियाँ बजा रहे हैं खड़े होकर !
आपकी इस प्रविष्टि का आभार ।