रविवार, 24 जनवरी 2010

इस 'अदा' पर आखिर न हो जाय कौन फिदा .....(चिट्ठाकार चर्चा -२४)

आखिर सब्र का बाँध   आज  टूट ही गया .गए दिनों से ही यह सोच मन  पर तारी /भारी हो रही थी कि इस चिट्ठाकार यानि   स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा' को अपने इस ब्लॉग स्तम्भ में कब आहूत करुँ .आज उस विचार यज्ञ  में  समिधा की पूर्णाहुति हुई उन्ही की एक कविता से -मुलाहजा फरमाएं -


                                                                  स्वप्न मंजूषा 'शैल'


                                                                एक और अहल्या ....

 निस्तब्ध रात्रि की नीरवता सी पड़ी हूँ
कब आओगे ?
अरुणिमा की उज्ज्वलता सी पडी हूँ
कब आओगे ?
सघन वन की स्तब्धता सी पड़ी हूँ
कब आओगे ?
चन्द्र किरण की स्निग्धता सी पड़ी हूँ
कब आओगे ?
स्वप्न की स्वप्निलता सी पड़ी हूँ
कब आओगे ?
क्षितिज की अधीरता सी पड़ी हूँ
कब आओगे ?
सागर की गंभीरता सी पड़ी हूँ
कब आओगे ?
प्रार्थना की पवित्रता सी पड़ी हूँ
कब आओगे
हे राम ! तुमने एक अहल्या तो बचा लिया
एक और धरा की विवशता सी पड़ी हूँ
कब आओगे ?
 इस कविता से  मुझे वह आवश्यक स्फुरण  मिल गया जो चिट्ठाकार चर्चा के लिए जरूरी होता आया है .मैंने स्वप्न मंजूषा शैल की अप्रतिम प्रतिभा को उनकी कुछ उन कविताओं से पहचाना था जिनमें पौराणिक /मिथकीय पात्रों का चरित्र चित्रण  विशिष्ट वैयक्तिक स्टाईल में था और उन संदर्भों से जुड़े थे कुछ यक्ष प्रश्न  जो उनके द्वारा उठाये (उछाले नहीं !) गए थे-मिथक प्रसंग मुझे  सदैव  ललचाते है इसलिए मेरा उन कविताओं की ओर आकर्षित होना सहज ही था ..मुझे उन कविताओं में  एक विशिष्ट सा साहित्यिक बोध और मौलिकता का अहसास हुआ और मैंने  बाल वृद्ध अबला सबला और प्रबला तक  को भी प्रोत्साहित करने की अपनी स्वभावगत मजबूरी (जी हाँ, मैंने अपनी यह मजबूरी देर ही सही अब स्वीकार कर ली है ,आई कांट हेल्प इट ) के चलते उन्हें वैसी कविताओं के और प्रणयन तथा संग्रह प्रकाशन के लिए उत्साहित किया.वे तात्कालिक तौर पर उत्साहित दिखीं भी .मगर तब मैं यह तो जानता नहीं था कि वे एक बहुमुखी प्रतिभा की धनी व्यक्तित्व है इसलिए  वे जल्दी ही  दूसरे विषयों ,मधुर संगीत ,कविता पाठ  (निसंदेह वे समीर लाल जी  से बेहतर गाती हैं )  जैसे और भी सृजनात्मक कार्यों में व्यस्त  हो गयीं. हाँ ,इनके गायन और अल्पना वर्मा जी (हमारी वुड बी चिट्ठाकार मेहमान ) के गायन में कौन बाजी मारेगा -यह हम एक गुण ग्राहक श्रोता मंडल बनाकर निर्णय करेगें ,ऐसा मैंने कई बार सोचा है और इसलिए किसे नियमित सुना जाय इसे मुद्दे को अभी स्थगित कर रखा है .यह प्रतियोगिता  तब होगी जब दोनों जनों का एक साथ  भारत भूमि पर पदार्पण का मणि कांचन संयोग बनेगा और उन्हें निराला की 'राम की शक्ति पूजा ' को संगीत बद्ध करने और गाने का सम्मान  अता किया जायेगा .उस श्रोता मंडल के मुख्य श्रोता गिरिजेश जी होगें ,अन्य सदस्यों में हिमांशु ,अमरेन्द्र और मेरे अनुज मनोज भी होगें. मैं भी तन्मय होकर फ्लोर मैनेजर रहूँगा ही. फिर फैसला होगा -तब तक मैंने ब्लॉगजगत के किसी भी के स्वर श्रवण को मुल्तवी कर रखा है .

मुझे जब इस प्रतिभाशाली रचनाकार की मिथक -कवितायेँ लम्बे समय तक फिर नहीं  दिखीं तब मैं इसके /इनके प्रति थोडा उदासीन हो गया और इसी बीच मुझे अपने नायिका भेद श्रृंखला के लिए कुछ चित्रांकन की जरूरत आन पडी.... तो उदीयमान  ब्लॉगर वाणी शर्मा ने मुझे इन्ही के नाम की सिफारिश कर दी  .....मेरी दुविधा मुखर हुई -क्या वे कर सकेगीं ? वाणी जी एकदम कांफिडेंट -हाँ बिलकुल . फिर मेरा नियमित चैट शुरू हुआ इस जहीन व्यक्तित्व  से ....मैंने अपने जीवन के पचास से एकाधिक वर्षों के मृदु कम -कटु अधिक अनुभवों के आधार पर स्वप्न जी को आगाह किया कि मामला बहुत महीन भावों का है और हमें इस प्रोजेक्ट को प्रोफेसनली लेना है -यह कहकर दरअसल मैं खुद अपने कतिपय भावुकता जन्य आशंकाओं का लफडा -निवारण कर निश्चिंत हो जाना चाहता था .मगर हर्ष मिश्रित अनुभव यह हुआ कि स्वप्न जी ऐसे रचनात्मक प्रयासों को हैंडल करने में पूरी परिपक्व दिखीं और एक  प्रोफेसनल नियमितता  के साथ अपनी घोर व्यस्तताओं के बावजूद भी  मुझे यथावश्यक चित्रों को उपलब्ध   कराती रहीं -और मेरे नायिका भेद श्रृंखला के सकुशल पूरी होने में बराबर की सहयोगिता निभायी. कौन इस अहैतुक औदार्य के लिए तैयार होगा ?-और वह भी कोई भारतीय मना नारी ? इंगित विषय के लौकिक/अलौकिक  निहितार्थों के बावजूद भी ? मैं और मेरे कुछ मित्र (ईर्ष्यावश नाम नहीं दे रहा हूँ !)  इसलिए ही स्वप्न जी को 'मर्दानी ' नारी मानते हैं -और इस अभिव्यक्ति पर नारीवादी हो हल्ला  मचायें तो मचाएं!स्वप्न जी में लेश मात्र की रूग्ण  स्त्रैणता नहीं है ,भारतीय 'नारीत्व' का कोई  विह्वल दारुण्य  नहीं है ,दुहाई नहीं है  ..और और सबसे बढ़कर, नारीवाद को लेकर कोई व्यामोहित  आग्रह भी  नहीं हैं .वे बस अकादमीयता-श्रेष्ठ आदमीयता की प्रेमी हैं. 

आज फिर उनकी एक कविता में एक अभिशप्त मिथकीय नारी पात्र  बिलकुल एक नई भाव भूमि के साथ दिखी तो फिर  मैं अपने  चिट्ठाकार चर्चा स्तम्भ लेखन को रोक नहीं पाया -हिमांशु की कविताओं पर भी इसे भारी बता डाला जिससे  हिमांशु की काव्य प्रतिभा की एक फैन ब्लागर को  इत्तिफाक नहीं है . (हे भाई हिमांशु ,कहीं आप न बुरा मान लें!आप सचमुच अतुलनीय हैं अब किसी की बखान  के लिए आप के स्थापित प्रतिमान को तो लाघना ही होगा ) .

क्या लिखूं क्या छोड़ दूं ?  ...जीवन में घोर संघर्ष कर वे वतन से सात समुद्र पार गयीं हैं ,सेल्फ मेड हैं .दुनिया जहान के विशद  और विविध अनुभवों की थाती लिए हैं वे.....महज पांच माह में उन्होंने ब्लागिंग में अपना एक ठीहा बना लिया है -सही अर्थों में एक ब्लॉगर हैं -एक नियमित ब्लॉगर -कम से कम एक पोस्ट रोज इनकी आ  जाती है -गजब की औद्योगिकता है इनके लेखन में मगर मजाल क्या कि क्वालिटी में कोई फर्क आये .सभी समरस, कुछ तो सोमरस सरीखी भी .चित्रों का उनका चयन और संकलन तो बस ऐसा कि उन पर बस न्योछावर हुआ जा सकता है .कुछ पर तो हम भी मर मिटने से जरा सा ही बचे ...बच गए यही राहत है .कुछ अनुभवहीन मित्र तो बच भी नहीं पाए . आयिए   इस जहीन और जोरदार ब्लॉगर  को स्टैंडिंग ओवेशन दें -तालियों की गूँज /अनुगूंज से स्वागत करें! 

39 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना लगी अदा जी की . बढ़िया आलेख प्रस्तुति के लिए आभार....

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  2. ऋचा
    मंत्र
    समिधा
    आहुति
    यज्ञ
    छन्द
    संगीत
    कविता
    गीति
    चित्र
    परम्परा
    अभिधा
    लक्षणा
    व्यञ्जना
    ...
    सब एक में
    स्वप्ना।
    ..शक्ति पूजा की प्रतीक्षा है।

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  3. अरविंद जी! अदा जी वास्तव में रचनाकार ब्लागर हैं। इस आलेख के लिए साधुवाद!

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  4. रचना के साथ व्यक्तित्व का सुंदर परिचय,
    अदा जी वाकई ब्लॉग जगत में अपनी काबिलियत के बल पर छा गईं हैं .

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  5. मुझे तो लगता है कि अदा दीदी की खूबियो और प्यार को शायद ही शब्दो में बयां किया जा सके , वे इनसे बहुत ऊपर दिखती हैं , । बढिया प्रस्तुति ।

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  6. वाकई में.....इस 'अदा' पर आखिर न हो जाय कौन फिदा ....बहुत सुंदर फोटो के साथ सुंदर चर्चा....

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  7. हम तो माईल स्टोन हुए जा रहे हैं कि फलां हमसे अच्छा गाता है...:)

    वैसे अदा जी की आवाज तो हमने भी न्यू ईयर पर अपने ब्लॉग से सुनवाई थी आपको...

    अब यदि उनसे अच्छा गाये तो खुद न गाकर सैंट देते??

    बहुत अच्छा कवर किया आपने, बधाई अदा जी को और आपको और मुझे भी. :)

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  8. -------अदा दीदी मुझे भी भाती हैं,आपके जरिये और जानकारी मिल गयी------

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  9. .
    .
    .
    आदरणीय अदा जी सी जहीन और जोरदार ब्लॉगर को स्टैंडिंग ओवेशन...तालियों की गूँज /अनुगूंज से स्वागत...
    आभार!

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  10. Di ke bare me kuchh kahna mere bas ki baat nahin.... padh kar bahut achchha laga
    aur haan Arvind sir prem aur Immuno Histo Chemistry(IHC) ko mila kar ek kavita likhi thi bahut pahle aur ek ELISA ko mila ke.. aap chahen to dikhaaum kabhi?
    Jai Hind... Jai Bundelkhand...

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  11. में तो बहुते हैरान परेशान, कंदान मुस्कान, उठान पटकान इहान-उहान हो गई इसको पढ़ कर...तारीफ झेलना भी एक विधा है....और इसमें मेरा हाथ थोडा तंग है ..
    अरविन्द जी आपने मुझे बहुत-बहुत सम्मान दे दिया है...इसके योग्य मैं स्वयं को कहाँ मानती हूँ...
    सच में अभिभूत हूँ....और नतमस्तक भी...आप जैसे प्रज्ञं और विद्वान् व्यक्ति के मुख से अपने बारे में ऐसी बातें सुनना कितना सुखद है यह वर्णनातीत है...
    मैं हृदय से आभारी हूँ....आपकी और सबकी....सच आज आपने मेरी बोलती ही बंद कर दी...
    विनीत..
    स्वप्न मंजूषा 'अदा'

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  12. बहुत सुंदर बात कही आप ने सिर्फ़ अदा जी ही नही इन के पति की आवाज मै जादू है, मन मोह लिया आप सब ने

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  13. अदा जी के दीवानों में एक नाम हमारा भी है...और ये दीवानी फौज बढ़ती ही जा रही है...महफूज़ बेचारा किस-किस
    से सुलटेगा...

    अल्लाह...ये अदा कैसी...इन स्वप्नगीतों की...

    डॉक्टर साहब, हम जैसे कूप-मंडूकों के लिए थोड़ी आसान भाषा का ही प्रयोग कर लिया कीजिए...

    जय हिंद...

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  14. @@"आप जैसे प्रज्ञं और विद्वान् व्यक्ति के मुख से"----ऐसे ही न लुटिया डूबेगी मेरी और ब्लॉग जगत से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा न मुझे ..
    खुशदीप भाई, वैसे यह सही है की कभी कभी मुझे भी खुद अपना लिखा समझ नहीं आता मगर आप बताएं की किन हिस्सों को आपकी समझ ने समझने से इनकार कर दिया है ? हम तो हमेशा नीचे उतरने को तत्पर रहते हैं बशर्ते कोई आगे बढ़कर हाथ थामे ! (अब भाई यह तो समझा न ? )

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  15. महामना ...आज तो आपने निःशब्द कर दिया है ...अदाजी के बारे में मैं क्या बताउंगी ...उनसे एक बार भी जो मिल ले (चैट पर ही सही )...उनका फैन क्या एयरकंडीसन हुए बिना नहीं रह सकता ...उनकी शख्सियत में ही ऐसी कोई बात है ...निःशुल्क निर्द्वंद्व निःस्वार्थ प्यार और स्नेह की वर्षा करने वाली .....
    एक इंसान के रूप में वे एक परिपक्व मात्रतुल्य व्यक्तित्व हैं ...ऐसी अद्भुत स्नेही महिला से मिले स्नेह मिलने से लिए हम तो अपने आपको गौरान्वित महसूस करते हैं ...हम उनके बारे में क्या बताएँगे ...वो कहाँ और हम कहाँ ....{सच तो है मोटी तू कहाँ मैं कहाँ ..!! }

    जहाँ तक उनके लेखन की बात है ...कोई शक नहीं कि उनकी लेखनी पौराणिक चरित्रों पर किसी रूढ़िवादिता का आँख मूँद कर अनुसरण करने जैसी नहीं है ...जैसे वे अपनी वास्तविक जिन्दगी में व्यक्ति के दोनों पहलुओं का आकलन करने के पश्चात ही कोई निर्णय लेती हैं ...वही उदात्त भाव पौराणिक नकारात्मक चरित्रों के सन्दर्भ में भी रखती हैं ....अब इसके लिए कोई उन्हें मरदाना नारी बताये तो ये उसकी अपनी दुर्बलता है जो हर चरित्र को किसी एक ख़ास ढांचे में फिट देखना चाहता है ...
    इतना कुछ उमड़ घुमड़ रहा है ... समझ नहीं आ रहा कैसे लिखूं ....आपका बहुत आभार कि आपने उनके बारे में लिखने का कुछ मौका दिया ...
    सच ही इस अदा पर कौन ना जाये फ़िदा .....!!

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  16. 'अदा' जी पर आपकी यह अदा पसन्द आयी।

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  17. interesting :)

    अदा को करीब से जानना एक सुखद,अनुभव रहा है....फिर से तार्रुफ़ करवाने का बहुत बहुत शुक्रिया..

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  18. बहुत बढिया अरविंद जी,
    अदा जी विषय मे विस्तार से जानकारी खुब भायी।

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  19. निशंदेह हिन्दी साहित्य में अदा जी का योगदान तारीफेकाबिल है !

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  20. शिर्षक सटीक है और आपके लेखन का तो जवाब नही।

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  21. बहुत अच्छा लगा अदा जी के बारे में इतना कुछ जानकार उनका लिखा हमेशा प्रभावित करता है ..शुक्रिया

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  22. अदा जी की आवाज़ तो हमने भी सुनी है। सचमुच बहुत मधुर आवाज़ है उनकी।
    लेकिन आज उनकी पोस्ट पढ़कर थोडा असमंजस में पड़ गए।
    ज़रा आप भी उनका होंसला बढ़ाइए की भूल जाएँ की उनको कोई बीमारी है।

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  23. अदा जी, एक अपार उर्जा श्रोत की स्वामिनी हैं. मैं ये सिर्फ़ इस लिये नही कह रहा हूं कि वो अक्सर रोज लिखती हैं और इतना बेहतरीन लिख रही हैं कि आज ब्लागिंग मे वैसा लेखन बहुत कम लिखा जारहा है. बल्कि ताऊ की शोले मे उनके द्वारा लिखी स्क्रिप्ट से मैं उनके लेखन का मुरीद होगया था. उनके लेखन मे जबरदस्त संप्रेषण और सहजता है.

    गायन उनका बहुत ही सशक्त है बिल्कुल रियाजी स्वर है उनका. एक विंडो मे उनके ब्लाग पर गीत सुनना बहुत अच्छा लगता है.

    आत्मीयता उनमे कूटकूटकर भरी है. एक दिन उनका अचानक ही फ़ोन आगया और इस तरह बतियाती रही कि वर्षों से जानते हैं.

    उनका एक उजला पक्ष मुझे यह लगता है कि उनका फ़ोनालाप हो या उनका लेखन हो...दोनों बिल्कुल ऐसे हैं कि युं लगता है वो साथ मे बैठी बात कर रही हैं. उनमें एक तरह की सहजता है जो जल्द ही उनकी लोक प्रियता का राज है. बहुत ही कम समय में उन्होनें अपनी पहचान बनाली है. और अति शीघ्र वो ब्लागिंग के शीर्ष पर होंगी.

    बिल्कुल विशिष्ठ लेखन शैली है उनकी. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  24. अदा जी की सार्थक उपस्थिति से ब्लॉग जगत समृद्ध हुआ है , निस्संदेह ..
    मैं अदा जी की पोस्टें पढता रहा हूँ , टीपूं चाहे न टीपूं ... ऐसी पोस्टें मुझ जैसी
    अदनी- टीपों की मोहताज नहीं होतीं ! .. अदा जी यूँ की कारवां में चार चाँद लगाती रहें ,
    ऐसी प्रार्थना है ..
    ............. आभार ,,,

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  25. अदा जी के लेखन पर सार्थक लेख के लिए अरविंद जी कोटिश बधाई।

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  26. मिसिर जी,
    आपकी रचना ...आह ...वाह ..अत्यंत सुन्दर !


    ( दो दिन से सर्वर डाउन था सो बहुत बेचैनी थी टिप्पणी की तब जाकर आराम मिला )

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  27. एक प्रतिभायुक्त व्यक्तित्व का परिचय प्रस्तुत करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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  28. अदा जी की रचनात्मकता/सृजनात्मकता के सम्बन्ध मे सुन्दर जानकारी के लिये धन्यवाद.

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  29. एक दिन जो दिल से लिखेंगे,
    बस पूरा जीवन नजर आयेगा ।
    रोज लिखने वालों को ,
    कोई कहाँ तक पढ पायेगा ॥

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  30. अदा जी के बारे में इतना सब पढ़कर बहुत अच्छा लगा. हालांकि मैं उन्हें नियमित नहीं पढ़ती पर उनका लेखन अच्छा लगता है. बहुत कम लोग ऐसे बहुमुखी प्रतिभा वाले होते हैं.

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  31. इस स्टैंडिंग ओवोशन में हम भी शामिल हैं मिश्र जी, चाहे देर से ही शई...

    इस ’अदा’ पे कौन न मर जाये ऐ खुदा
    लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं

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  32. कितना सुखद है कि जिन्हें आप पसन्द कर रहें हों उसी की प्रशंसा के गीत गाये जा रहे हों चहुँओर, तो कल्पना कीजिये अनुभूति की ! अदा जी की रचना-प्रतिभा पर कौन न्यौछावर नहीं होगा ! बहुआयामी विस्तार है इनके कृतित्व का ।

    आभार !

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  33. अदा जी के विस्तृत परिचय के लिए धन्यवाद.
    -----
    ये क्या बात कह दी अरविन्द जी आप ने..अदा जी जैसी सिद्धहस्त गायिका से मुकाबला?
    अरे नहीं सर जी ..मैं तो खुद को गायिका ही नहीं समझती क्योंकि गाना आता ही नहीं जो भी आप ने कभी सुना वो तो कोई भी गुनगुना सकता है.
    उनके पति और बच्चे सभी गाते बजाते हैं पूरे घर का माहोल संगीत का है..
    और मेरा गाना मेरे घर में कोई सुनता ही नहीं :( बल्कि .गाना शुरू करते ही बच्चों की आवाज़ आ जाती है --'ममा प्लीस डोंट सिंग!'...मगर गाने का कीड़ा फिर भी कुलबुलाता है तो घर में खुद के अकेले होने का इंतज़ार करना पड़ता है.अब ऐसे नौसिखीये बेसुरे का मंझी हुई गायिका से मुकाबले की बात आप ने सोची भी कैसे?
    अगर गाना सही में आता तो ब्लॉग पर लगा कर सब को सुनती क्यों?कहीं बेहतर जगह नाम कमा रही होती...अभी तो खड़े होना भर सीखा है ..और दौड़ाने की कोई तमन्ना भी नहीं है.
    ---------
    --अरविन्द जी...आप के लिए यही कहूंगी..कि' आप तो ऐसे न थे?'

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  34. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  35. @Read-सब को सुनती क्यों as सब को सुनाती क्यों
    and दौड़ाने as दौड़ने

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