चिट्ठाजगत में जाकिर अब इतने अनजाने भी नही हैं ! चिट्ठाकारों में उनका एक आदर भरा स्थान है -उनका मूल चिट्ठा मेरी दुनिया मेरे सपने हिन्दी ब्लॉग जगत का एक पुरस्कृत चिटठा है ! यह तकनीकी दृष्टि से जितना सुंदर हैं इसके कंटेंट -ख़ास कर जाकिर की कवितायें मन मोहती हैं ! लेकिन आश्चर्य है कि जाकिर के कवि से लोग बाग़ अभी उतने परिचित नहीं हैं -जाकिर की जो पहचान है वह मुख्य रूप से बाल लेखक ( बड़ा कन्फयूजिंग नामकरण है यह मगर यहाँ आशय यह कि जाकिर बच्चों के लिए विविध विधाओं में लिखते हैं ऑर अनेक प्रतिष्टित पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं ) -मेरा दावा है कि शायद ही इतने पुरस्कार किसी भी चिट्ठाकार को मिले हो ! जाकिर पर तो मानों पुरस्कारों की बरसात हो रही है -मैं तो अदनान सामी स्टाईल में कभी कभी क्षुब्द्ध होकर ईश्वर से फरियाद कर बैठता हूँ कि आख़िर सब पुरस्कार ज़ाकिर को ही क्यों ? एकाध इधर भी खिसका दो हे मौला ! मगर सच कहूं जाकिर लिखते ही ऐसा हैं -वे सही अर्थों में सरस्वती पुत्र हैं -माँ सरस्वती ने उन पर अपना वरद हस्त रखा हुआ है !
बावजूद इसके कि जाकिर और मेरी उम्र में एक लंबा फासला है हमारे बीच पीढी अन्तराल से उपजी संवादहीनता बिल्कुल नहीं है बल्कि यह कह लें कि शायद मेरे उनके बीच अति संवादन का एक लंबा और अनवरत सिलसिला है -जो बिना एक गहरी आपसी समझ के सम्भव नही है -वे मेरे चुनिन्दा मित्रों में से हैं जिन पर मुझे फख्र है ! ब्लॉग जगत के विख्यात ,कुख्यात और सर्वज्ञात ( बुरे अथवा अच्छे कारणों से ) पुरुष और महिला ब्लागरों के बारे में मेरी और उनकी राय में कभी कोई फ़र्क नहीं रहा ! कौन कैसा है -कौन जोरदार ब्लॉग लेखन करता है ,कौन टंगड़ी खीचने का उस्ताद है ,किसका ब्लॉग उसके कंटेंट के कारण और किसका उसके तकनीकी ज्ञान के कारण बढियां है ! कौन दादागीरी पर उतारू है कौन निहायत गऊ किस्म का है -कौन महिला ब्लागर लिखने में और कौन दिखने में सुंदर है और कौन दोनों ही विशिष्टियों से विभूषित है -यह सब हमारी चर्चाओं में शुमार रहता है !
मगर इन सब के दीगर मैं जाकिर को उनके विज्ञान कथा लेखन के अवदानों के कारण जानता और मानता हूँ -कारण, विज्ञान कथा ( साईंस फिक्शन ) मेरी कमजोरियों ,मेरे पैशन में से एक है ! अगर किसी की विज्ञान कथा में रूचि भर है या कोई झूठमूठ में ही कह देता है कि उसे विज्ञान कथा से लगाव है तो तत्क्षण उससे मेरा एक लगाव सा हो जाता है ( आह मैं कितना शोषित हुआ हूँ अपनी इस कमजोरी से ! ) -फिर रजनीश जी का विज्ञान कथा लेखन तो उच्चता के उस स्तर को छूता है जहाँ विरले ही पहुँच पाते हैं !
दरअसल हिन्दी विज्ञान कथाकारों की अग्रपंक्ति में हैं ज़ाकिर ! ज़ाकिर से मेरा पहला परिचय तो इनकी ‘धर्मयुग’ (मार्च 1996) में प्रकाशित कालजयी वैज्ञानिक कहानी ‘एक कहानी’ के जरिये ही हो गया था। उनसे खतो-किताबत का सिलसिला ‘भारतीय विज्ञान कथा लेखक समिति’ के गठन (1995) के साथ शुरू हुआ और आज तो हम अन्तरंगता के उस मुकाम पर आ पहुँचे हैं, जहॉं अपरिचय और औपचारिकता की सारी दीवारें ढ़ह चुकी लगती हैं।
अदभुत कल्पनाशीलता के धनी और कलम के इस नन्हे से बादशाह (अभी ज़ाकिर की उम्र ही क्या है?) से अपनेपन का अब एक ऐसा रिश्ता है कि चन्द शब्दों में इस शख्सियत के बारे में कुछ लिख भर देना और पेशेवराना तरीके से एक दायित्व की इतिश्री कर लेना सहज नहीं लग रहा है तथापि ‘गुणान प्रगटीकरोति’ के परम्परा दायित्व के अनुसरण में ज़ाकिर के बारे में दो शब्द तो लिखना ही है -मेरी पसंद के एक चिट्ठाकार के रूप में भी !
ज़ाकिर की विपुल साहित्य सर्जना के सुनहले पृष्ठों पर उनकी पहली विज्ञान कथा ‘एक कहानी’ ही ऐसी आलोकित और आभा मंडित हुई है कि सम्भावनाओं से ओतप्रोत इस उदीयमान रचनाकार के रचनात्मक भविष्य के बारे में एक गहरे आशवस्ति का भाव जगाती है। मेरी इच्छा है कि जाकिर उस कहानी को चिट्ठाकारों को पढ़ने के लिए आमंत्रित करें ! यह कहानी मानवीय सृजन में यान्त्रिकी के हस्तक्षेप की सम्भावित भयावहता को बखूबी अभिव्यक्ति देती है। यह एक मानक आदर्श विज्ञान कथा है। आज से डेढ़ दशक से भी पहले लिखी गयी इस कहानी के लेखक की उम्र ही तब क्या थी। जुमा-जुमा कुल बीस वर्ष। पर उसकी कथा सोच एक अदभुत काल द्रष्टा की थी और शैली शिल्प तो विश्व स्तर की नामी गिरामी विज्ञान कथाओं से होड़ लेती हुई। अकेले यही कहानी ही ज़ाकिर को विज्ञान कथा लेखकों के वैश्विक मंच पर आसीन कर देती है (बशर्ते इसका ठीक ठाक अंग्रेजी अनुवाद हो जाए)।
धर्मयुग की उस रचना के बाद इस रचनाकार के परवर्ती, अनुक्रमिक और अनवरत रचनात्मक अवदान की तो बात ही निराली है- इतनी अल्पायु में ही एक भरापूरा वैज्ञानिक उपन्यास ‘गिनीपिग’, तीन विज्ञान कथा संग्रह, विज्ञान कथाऍं उनके किसी भी सहधर्मी को ईर्ष्यालु बना देने के लिए काफी हैं। निश्चय ही इस रचनाकार को अभी तो आगे और बहुत आगे जाना है।
ज़ाकिर की कुछेक विज्ञान कथात्मक कृतियों की समीक्षा का सौभाग्य मुझे मिला है, जिनमें बच्चों के लिए लिखी उनकी रचना कृतियॉं भी शामिल हैं। वे किस्सागोई की कला में निष्णात हैं। कहानी के आदि, अन्त, उतार चढ़ाव और क्लाइमेक्स तथा हतप्रभ कर देने वाले पटाक्षेप से उनकी कहानियॉं एक विशिष्ट पहचान पाती हैं। वे शब्दों (शब्द ही तो ब्रह्म हैं) के चयन में भी बड़े सतर्क रहते हैं और कहानी के वातावरण/परिवेश के मुताबिक ही शब्द चयन करते हैं या यूँ कहें कि वे अपने शब्द संकलन संचय से ही कहानी के माफिक वातावरण सृजित कर लेते हैं। खासकर ‘विज्ञान कथाऍं’ और ‘विज्ञान की कथाऍं’ शीर्षक कथा संग्रहों को इस नजरिये से देखा जा सकता है।
इन दिनों वे हमारे एक साझा अभियान -ब्लागिंग के जरिये विज्ञान संचार की मुहिम में जुटे हुए हैं -साईंस ब्लॉगर असोशियेसन और तस्लीम के वे सूत्रधार हैं और मैंने उन्हें कई बार आगाह किया है कि इसके चलते उनका अपना मूल ब्लॉग उपेक्षित हो रहा है पर वे तो अभी विज्ञान संचार की मुहिम में ही लगे हैं -मेरी केवल यही एक बात नहीं मान रहे ! आप में से कोई मनायेगा उन्हें ?
जाकिर जी के बारे में जानकर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंहम मना लें तो पुरस्कार स्वरूप क्या मिलेगा
जवाब देंहटाएं???
@ठेंगा मिलेगा विनय जी -सारी !
जवाब देंहटाएंJakir ali Rajneesh profile says he is from sitapur and lucknow which is my work place and birthplace respectively so there is a bond . Perhaps that is why i got my first comment on my poiem blog from him when i migrated from roman t hindi courtsey jitender chaudhry.
जवाब देंहटाएंhe is one of the most balanced of bloggers and i respect him for all the accolades he has won and made lucknow and sitapur proud of him . i hjv not got a chance to meet him but want to
जाकिर भाई के साथ हमारी भी मंगलकामनाऐं..उनके बारे में और ज्यादा जानकर अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंजाकिर जी के व्यक्तित्व के बारे में जानकर अच्छा लगा, उनके आलेख और कवितायेँ तो निरंतर ब्लॉग पर आती हैं और ज्ञानवर्धक होती हैं. आभार उनसे रूबरू करने का.
जवाब देंहटाएंregards
जाकिर जी का लिखा अच्छा लगता है खास कर जब वह बाल विषयों पर लिखते हैं वही से उनसे परिचय हुआ था ..उनके बारे में जानकार अच्छा लगा ..शुक्रिया
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई की रचना धर्मिता का कायल हूँ ........ और बच्चों के लिए रचनाये ल्ज्खने में वह अपनी असल उम्र से अधिक परिपक्वता लिए हुए दिखाई पड़ते हैं!!
जवाब देंहटाएंशत प्रतिशत सहमत!!
विज्ञान के प्रति उनके जुझारूपन व जोश की तारीफ होनी चाहिए !!
प्राइमरी का मास्टरफतेहपुर
जाकिर साहब की प्रोत्साहित करती टिप्पणिया निरंतर मिलती है. पर आज की चर्चा के काफी कुछ जानने को मिला उनके बारे में.. विज्ञानं विषय के प्रति उनका रुझान तो आये दिन देखने को मिलता ही है पर कविताओ के बारे में मुझे इतना पता नहीं था.. आज आपने बताया तो अब निरंतर पढ़ते रहेंगे.. आपका बहुत बहुत धन्यवाद् एक असीम संभावनाओ से लबरेज सख्सियत से मुलाक़ात करवाने के लिए..
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई. ढेर सारी शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंजाकिर अली रजनीश जी के बालगीत मुझे बहुत अच्छे लगते हैं .. आपके माध्यम से उनके बारे में और जानकारी मिली .. तस्लीम की ओर से मुझे जो कमेंट मिलते हैं .. वे उन्हीं के द्वारा किए गए होते हैं क्या ?
जवाब देंहटाएंजाकिर अली रजनीश जी के व्यक्तित्व विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाल कर उनसे रूबरू होने का एक अवसर सुलभ कराया. आपका आभार.
जवाब देंहटाएंवाकई जाकिर जी हैं ही इस योग्य .सरलता और सौम्यता दोनों उनकी विशेष पहचान है .
जवाब देंहटाएंजाकिर जी के बारे में विस्तार से पता चला इस पोस्ट से. विज्ञानं लेखन की और भी कई सीढियाँ चढ़नी हैं उन्हें. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा ज़ाकिर जी के बारे मे जानकर।वे अपने ब्लाग को भी समय दे सके और विज्ञान की भी सेवा कर सके इन्ही शुभकामनाओ के साथ उनके उज्जवल भविष्य की मंगलकामना करते हैं।
जवाब देंहटाएंज़ाकिर अली रजनीश के बारे में इस सुन्दर आलेख के लिए अरविन्दजी का आभार ।
जवाब देंहटाएंमत मनायें रजनीश जी को
जवाब देंहटाएंउन्हें उनके मन के माफिर बहने दें
वे नहीं मानते हैं
तो आप तो मान जायें
न कि दोनों ही बेमानने के
गुलगुले या गुल खिलाएं
या खुद ही खाते जाएं।
जाकिर भाई के रचनाऐं कई ब्लोग पर पढ़्ते है पर उनकी शख्सियत से अन्जान थे.. शुक्रिया..
जवाब देंहटाएंजाकिर जी को उनकी छपी हुई बाल-साहित्य की रचनाओं से बखूबी पहचानता हूँ । शायद ही कोई पत्रिका हो जिसमें आप न छपे हों ।
जवाब देंहटाएंसच कहूँ तो असली चिट्ठाकार चर्चा मुझे यही लगी । पूर्णतया जाकिर जी को अभिव्यक्त करने का प्रयास और वह भी कृतित्व । आपका धन्यवाद ।
अब तो जाकिर जी का नाम ही प्रोत्साहन-सा लग रहा है मुझे ।
जाकिर जी के बहुमुखी व्यक्तित्व के बारे में जानना सुखद रहा.......
जवाब देंहटाएंजाकिर जी की रचनात्मकता नये आयाम छुये - इसके लिये शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंजाकिर जी के बारे में काफी कुछ जानने को मिला. उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन चिटठाकार चर्चा के ज़रिये जाकिर जी से परिचय हुआ.और उनके बारे में उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में मालूम हुआ.सच लिखते हैं आप...उनकी उपलब्धियां किसी भी ब्लॉगर को काम्प्लेक्स दे सकती हैं.
जवाब देंहटाएंउन के चिट्ठे पर अभी गए नहीं क्योंकि वह टिपण्णी में हमेशा विज्ञान ब्लोगों का लिंक रखते हैं.
आज घूम कर आते हैं.धन्यवाद..हाँ ,आप दोनों की पुरानी पहचान और लम्बी दोस्ती है जो हमेशा ऐसे ही बनी रहे.शुभकामनायें.
आज आपने अनायास ही मेरे दिमाग की शंका मिटा दी. मैं अक्सर सोचता था कि ये जाकिर अली " रजनीश" क्या वही खक हैं जिनकी कहानियां मैने नवनीत मे भी पढी हैं?
जवाब देंहटाएंफ़िर कभी इसलिये मैने नही पूछा कि इनकी इतनी उम्र नही लगती . नवनीत (शायद १९९४-१९९५) मे इनकी एक बालकथा पढी थी "रिश्ते की परिभाषा" जो मुझे आज भी याद है.
अक्सर मैं पहले भी पूछना चाहता था पर पूछ नही पाया. अब पूछता हूं कि क्या ये वही हैं? फ़िर इनकी उम्र क्या है?
मेरी तरफ़ से उनको बहुत शुभकामनाएं और बधाई.
रामराम.
मैंने तो स्वम इनके ब्लॉग पर ही जाकर पूछा था कि -क्या आप वही जाकिर तो नहीं जिनका जिक्र राष्ट्रीय साहित्यिक पत्रिकाओं में एक कथाकार के रूप में होता रहता है =सोचा तो इन्होने भी होगा "" ""वो मुझसे पूछते हैं ग़ालिब कौन है " इन्होने बताया कि हाँ में वही हूँ / तस्लीम और साइंस पर तो कम मगर इनकी कहानिया बाल कहानियां जो राष्ट्रीय स्तर की है वे ""अलीजाकिर.ब्लागस्पाट .कॉम.सर्च .लेवल"" पर मिल जाती हैं एक सुंदर कहानी इनके द्वारा दिसम्बर ०७ में पोस्ट की गई 'छोटी सी बात ' सुंदर है पहले तो मैं साहित्यिक पत्रिकाएं पढता रहता था अब वंचित हूँ हो सकता है अभी भी पत्रिकाओं में इनकी कहानिया छपती हों / इधर इन दो क्षेत्रों में तो इनका योगदान है ही इनके द्वारा रचित लगभग ५० से ऊपर पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है
जवाब देंहटाएं"कौन दादागीरी पर उतारू है कौन निहायत गऊ किस्म का है -कौन महिला ब्लागर लिखने में और कौन दिखने में सुंदर है और कौन दोनों ही विशिष्टियों से विभूषित है -यह सब हमारी चर्चाओं में शुमार रहता है !"
जवाब देंहटाएंलगता है अपना गर्नल कनऊलदगे बढ़ाने के लिए अब मुझे भी आप से बतियाना पड़ेगा. वैसे जाक़िर भाई के बारे में वास्तव में मुझे इतनी जानकारी नहीं थी. इस ज्ञानवर्धन के लिए आपको साधुवाद.
इस ब्लॉगिंग की आभासी दुनिया ने कितने अच्छे लोगों को एक साथ जोड़कर एक विशिष्ट समाज की रचना कर दी है, यह देखकर हमें रोमांच हो जाता है। इस प्रतिभा को सलाम।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका भी जो परिचित कराया।
nek dil insan hone ke saboot mujh akinchan ke paas bhee jama hain
जवाब देंहटाएंbehad positive soch hai unakee mere chitthon men bakayada aana hotaa hai unaka
जाकिर जी को ढेर सारी शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा उनके बारे मेँ यहाँ देखकर - आभार !
आज आपके माध्यम जाकिर अली रजनीश जी की प्रतिभा के बारे जाना तो हर्ष हुआ....कुछ दिनों पहले हुए विवाद में उन्होंने ने मुझ से मेरी लेखनी को लेकर कुछ सवाल पूछे थे ...तब मैं नहीं जानती थी वे कौन हैं ...हो सकता है मैंने कोई कदा शब्द उनके लिए इस्तेमाल किया हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ ........!!
जवाब देंहटाएंजाकिर जी से परिचय करवाने का और वो भी इतनी दिलचस्प शैली में-बहुत-बहुत शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी मंत्र-मुग्ध करती है...
अरविंद जी, वास्तव में मैं हतप्रभ हूँ। समझ में नहीं आ रहा कि आपकी इस पोस्ट के लिए क्या कहूँ। वैसे एक बात तो तय है कि आपने कुछ ज्यादा ही तारीफ कर दी है मेरी। यकीन जानिए, मैं अभी इतनी प्रशंसा के लायक नहीं। हॉं, आप मुझे अपना मित्र मानते हैं, ये मेरे लिए गर्व का विषय है। क्योंकि वास्तव में आज की दुनिया में एक अच्छा इन्सान मिलना बहुत किस्मत की बात होती है। और फिर वह इन्सान एक अच्छा रचनाकार (मेरी समझ के अनुसार आप हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान कथाकार है) भी हो, तो बात ही क्या। खैर, इस अपनत्व के लिए औपचारिकता (अपनत्व में औपचारिकता की जगह होनी भी नहीं चाहिए) आपको धन्यवाद न भी दूँ, तो भी आप जैसा मित्र पाने के लिए ईश्वर को शुक्रिया तो कह ही सकता हूँ।
जवाब देंहटाएंआशा करता हूँ कि भविष्य में भी आपका स्नेह इसी प्रकार प्राप्त होता रहेगा। और हॉं, आपका निर्देश सर ऑंखों पर। मेरी कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द ‘एक कहानी’ को ‘मेरी दुनिया मेरे सपने’ पर प्रकाशित कर सकूं।
ब्लॉगर मित्रो, आप सबने मेरे लिए शुभकामनाऍं व्यक्त की हैं, इसके लिए मैं आप सबका हृदय से आभारी हूँ।
संगीता जी, आपको बताना चाहूँगा कि ‘तस्लीम’ और ‘साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन’ की तरफ से मिलने वाली टिप्पणियॉं करने की धृष्टता मैं ही करता हूँ। अगर कोई गल्ती हुई हो, तो माफ कीजिएगा।
रामपुरिया जी, मैं तो आश्चर्यचकित हूँ कि 1994/95 में छपी कहानी अभी तक याद है आपको। आपकी इस याददाश्त पर कौन निसार न हो जाए। वैसे आपको बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि ‘रिश्ते की परिभाषा’ कहानी इस नाचीज के द्वारा ही लिखी गयी है। और जहॉं तक मेरी उम्र की बात है, तो मेरी जन्मतिथि 1 जनवरी 1975 (वास्तविक तिथि 3 अगस्त) है, अब उम्र का अंदाजा आप खुद ही लगा लें।
बृजमोहन जी, आपकी विनम्रता का मैं कायल हूँ। यकीन जानिए, मैंने जो कुछ भी लिखा है, वह सब आप जैसे महानुभावों की शुभेच्छाओं का ही सुपरिणाम है।
और हॉं, रचना जी, सॉरी, आपको तो मैं भूल ही रहा था। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप भी लखनऊ और सीतापुर से जुड़ी हुई हैं। कभी इधर आना हो, तो आपके दर्शन करना चाहूंगा। यकीन जानिए, आप जैसी ओजस्वी महिला से मिलकर मुझे भी प्रसन्नता होगी।
Arvind Mishraji
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई. ढेर सारी शुभकामनाएं.
हे प्रभु यह तेरापन्थ और मुम्बई टाईगर कि और से मगल भावना।
@Arvind Mishra said..."ठेंगा मिलेगा विनय जी -सारी !"
आ,अरविन्दजी, अगर ढेगा विनयजी को नही भेजा हो तो हमे पार्सल कर दिजिऐ,गुरु प्रसाद समझग्र्हण कर लेगे
जाकिरजी से तो हम बहुत दिनों से प्रभावित हैं. लेकिन इतनी जानकारी नहीं थी. आभार.
जवाब देंहटाएंढेर सारी शुभकामनायें... बहुत कुछ सीखने को मिलता है जाकिर जी की पोस्ट से.
aapne jaakir ji se parichay karayaa dhanyavaad
जवाब देंहटाएंjhallevichar.blogspot.com
ज़ाकिर भाई, मुझे अच्छे तो लगते ही थे, अब और भी अच्छे लग रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंडाक्टर अरविन्द जी ने इन नज़रों में भाई ज़ान के चँद खुशूसियत का सुरमा जोडाल दिया ।
ज़हे नसीब कि मैं भी उनके सँग ही ब्लागरों की पीढ़ी में शुमार किया जाऊँगा !
ज़ाकिर जी के बारे में और जानकार खुशी हुई - धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं