सोमवार, 18 जुलाई 2011

देश की राजधानी का तीन दिनी प्रवास-यात्रारंभ आज!


आज दिल्ली प्रस्थान हो रहा है ...भारत निर्वाचन आयोग में अभी नव निर्मित इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीच्यूट आफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में १९ से २१ जुलाई तक मतदाता सूचियों को अद्यतन करने में लगे बूथ लेवल आफीसर को प्रशिक्षित करने के लिए मास्टर्स ट्रेनर का कार्यक्रम आयोजित है . उसी में शिरकत करना है.दिल्ली प्रवास की मेरी यादें कभी भी मधुर नहीं रहीं मगर मैं ऐसे सगुन असगुन वाले बातों पर विश्वास नहीं करता और हर बार पूरे उत्साह -उमंग के साथ दिल्ली जाता हूँ ...पिछली बार दिल्ली में मेरे अल्प प्रवास के दौरान बनारस में हादसे के कारण मुझे आनन फानन में वहां से भागना पडा था ...और उससे  भी पिछली बार त्रिवेंद्रम की मेरी प्लेन दिल्ली से ही छूटी थी ..मतलब मिस हो गयी थी ....अभी यादों को और पीछे ले जाने का वक्त नहीं है ....और असहज यादों से मनुष्य भागता भी है और इसमें कोई बुद्धिमत्ता भी नहीं कि ये बातें आप से साझी की जायं! 

नगरों और महानगरों के लोगों के जीवन की आपाधापी देखते हुए अब यह भी कहने की हिम्मत मित्रों से नहीं होती कि भैया आपसे मिलने को जी चाहता है, आन मिलिए फला जगह! और खुद की भी व्यस्तता इन प्रशिक्षण देने वालों  के कारण भी इतनी हो रहती है जैसे  वे सभी ज्ञान बाँट कर अपनी छुट्टी कर लेना चाहते हों ...गरज यह कि शायद   ही किसी  से भेट  मुलाकात हो पाए -वो एक घुटा पिटा शेर है  न -तुम्हे गैरों से कब फुर्सत कब अपने गम से मैं खाली ,चलो अब हो चुका मिलना न तुम खाली न मैं खाली ....


मगर फिर भी कद्रदानों की कमी नहीं है इस दुनियाँ में ...उनकी तबीयत का हाल कब क्या हो जाय ....एक तो अमेरिका से ही पधार रहे हैं अपने वीरुभाई ...उनसे अपुन की प्रगाढ़ता नई नई है और न जाने किस दैवीय संयोग से वे भी उन्ही दिनों दिल्ली में हैं जब मैं भी वहां हूँ -वे आज शिकागो से उड़ रहे हैं दिल्ली के लिए ...शायद यह मुलाकात तो हो ही जाय ---ये वीरुभाई बड़े छुपे रुस्तम निकले ....इनकी शख्सियत पर विस्तार से लिखूंगा लौटने पर -मुलाकात गर हो गयी तो ....अब सतीश सक्सेना जी की भी न जाने क्या व्यस्ततायें हो  मगर देखिये उनसे   भी शायद भेंट हो ही जाय कनाट प्लेस घूमते घामते ..बाकी तो किसी से उम्मीद नहीं लगती ....सभी लोग अपनी अपनी दिनचर्या को समर्पित हैं -और दिल्ली की लम्बी सड़कों पर उन्हें दौडाने की मेरी इच्छा नहीं है और कोई आग्रह भी नहीं है ..

बाकी तो कुछ पढने पढ़ाने वाले ब्लॉगर मित्र हैं उनके परिसर से उन्हें क्षण भर के लिए भी बेदखल करना मुझे  रास नहीं आएगा ....और कुछ्की माँदों में घुसने में मुझे ही डर लगता है ....ले देकर वीरुभाई और मित्र सतीश सक्सेना जी ही बच रहते है एक उम्मीद बंधाये कि शायद कहीं एक लघु ब्लॉगर मीट हो ही जाए -उम्मीद पर दुनियाँ कायम है .....हाँ यात्रा पर निकलने के पहले ,दौरान और समापन तक आपकी शुभकमनाएं प्रतीक्षित रहेगीं! थ्री जी मोबाईल ही रहेगा मेरे पास ..उससे अपडेट मिलता रहेगा! 


28 टिप्‍पणियां:

  1. दिलवालों की दिल्ली का यह प्रवास आपके लिये शुभ हो, ब्लॉग-मिलन, ब्लॉग सम्मेलन सभी हो जायें और दो चार धांसू रिपोर्ट्स लिखी जायें अगली कुछ कडियों में।

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  2. आइये आइये आपका स्वागत है दिल्ली में !
    वीरू भाई से मिलकर वाकई ख़ुशी होगी ! हार्दिक आभार अग्रिम सूचना के लिए !

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  3. टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    आपका यात्रा शुभ और मंगलमय हो ! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!

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  4. दिल्ली प्रवास आपका बहुत अच्छा रहे यह शुभकामनायें और दोस्तों से मिलने की ख़ुशी भी आपको मिले

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  5. दिल्ली जैसे शहर में वाकई किसी से कहना कि भाई आओ मिल जाओ बहुत मुश्किल लगता है.
    फिर भी शुभकामनायें आपको, प्रवास शुभ हो और ब्लोगर मीट भी.

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  6. .बाकी तो किसी से उम्मीद नहीं लगती ...

    ओये होए मिस्र जी ! कैसी दिल तोड़ने वाली बात करते हो भाई . दिल्ली वाले इतने भी बेदर्दी नहीं .

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  7. शुभकामनाएँ.
    यकीन मानिए ,दिल्ली के अनुभव इस बार बहुत अच्छे रहेंगे.
    आप ने सभी की व्यस्तताओं का वर्णन बड़े ही रोचक ढंग से किया है..'उनके परिसर से उन्हें क्षण भर के लिए भी बेदखल करना मुझे रास नहीं आएगा ....और कुछ्की माँदों में घुसने में मुझे ही डर लगता है ...':))
    ........
    यूँ तो दिल्ली अब मेरा भी शहर है लेकिन उत्तर प्रदेश के लोगों में आज भी जो प्रेम भाव से मिलना..आवभगत का सलीका है वह दिल्ली के लोगों में बहुत ही कम दिखने को मिलता है..उत्तर प्रदेश के लोगों में आज भी अतिथि सम्मान ,अडोस - पड़ोस ,रिश्तेदारियाँ,गाँव -चोपाल ,मिलना -मिलाना बाकि है.
    इसलिए मानसिक रूप से तैयार हो कर जाएँ /अपेक्षाएं दुःख देती ही हैं .

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  8. आजकल ई साहब बहुत ब्लॉगर मीट के दीवाने हुए जा रहे हैं|
    ...बस सोचा कि बताता चलूँ ....!!!

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  9. अरे हाँ शुभकामनाएं भी ठेल रहा हूँ |

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  10. दिल्ली में आपका स्वागत है।
    सब शुभ होगा.......

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  11. यात्रा शुभ हो. हम भी आ रहे हैं आप से मिलने. कब और कैसे का जवाब सरप्राइज रहेगा :)

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  12. आपकी यात्रा मंगलमय हो, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  13. शेर आप सुनाते हैं और मांद में रहने वाले हमें बता रहे हैं.. मोबाइल पर अपडेट की बात करते हैं और नंबर भी नहीं बताते कि आपके मुख-अरविन्द से दो बोल सुन सकूं शुभाशीष के!!
    कभी दिल से पुकारा होता तो ये नाचीज़ भी इसी दिल्ली की बेदिल गलियों में रहता है!!

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  14. विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस के ए.सी. डिब्बे में प्रवेश करते ही ब्लॉगर महोदय का स्वागत तीन बेवड़ो ने गर्मजोशी से किया है। पूरी यात्रा में उनके पैग झलकते रहते हैं, ऊँची आवाज में रातभर देश-काल की चर्चा चलती रही है और श्रीमन्‌ अपना मन मसोस कर फेसबुक अपडेट करते रहे हैं।

    जिन्होंने यात्रा की शुभकामनाएँ दी हैं उनके साथ हमारी सम्वेदनाएँ। आशा है आगे जो होगा वह अच्छा ही होगा।

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  15. स्वागत दिल्ली में. यात्रा शुभ हो.

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  16. chaliye ab kuchh post men aap hame Dilli ki sair karayenge...shubhyatra

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  17. अब जब जा ही रहे हैं तो प्लेन मिस न होने के प्रबंध कर ही लिजिए... मिस की सहायता भले ही लें :)

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  18. आपकी चर्चा अवश्य देखें यहाँ पर...http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/

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  19. भाई साहब गुड़ जहां होगा मख्खियाँ वहां ज़रूर आएँगी .जितनी सुन्दर आपकी कलम उससे कहीं सुन्दर आप निकले .मिले आपसे तो आगे के लेखन को एक दिशा मिली .यकीन मानिए बौद्धिक आकर्षण बड़ा प्रबल होता है और फिर आप -देह और देही,रचना और रचना -कार दोनों एक से बढ़ कर एक निकले .आप उस बैठकी के ,चिठ्ठाड़ी मिलन के सूत्रधार और कथाकार सभी तो थे एक साथ .ऊपर से सतीश सक्सेना इतना मीठे की मिलने के बाद कई दिनों तक शक्कर खाने की ज़रुरत न पड़े .और दाराल साहब तारीफ़ सिंह जी -उनसे मिलना एक पुनर -मिलन था ,दे -जावू था ,कहीं नहीं लगा हा पहली बार मिलें हैं .इति आप बे -दिल दिल से अपने घरोंदे में सुरक्षित लौट गए ,संतोष हुआ आजकल घर से निकलना और सलामती के साथ लौट आना भी एक इत्तेफाक ही तो है .

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  20. बहुत बढ़िया...या क्या कहूँ?

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