दिल्ली सुबह ६ बजे पहुँच गए ..यात्रा एक दु:स्वप्न सी बीत गयी थी ....अब मंजिल था भारत निर्वाचन आयोग जहाँ बूथ लेवल आफिसर(बी एल ओ ) को प्रशिक्षित करने के एक विशेष अभियान को गति देने के लिए उन प्रदेशों के नामित आधिकारियों को दीक्षित किया जाना था जहां अगले वर्ष चुनाव होने हैं ...इसलिए हिमाचल प्रदेश ,गुजरात ,पंजाब ,मणिपुर, गोवा आदि प्रान्तों से ४० नामित आधिकारी पहुँच रहे थे -उत्तर प्रदेश से नामित दस अधिकारी प्रदेश की विशालता को इंगित कर रहे थे ....स्टेशन पर ही नित्य कर्म निपटा कर सीधे आयोग जा पहुंचे क्योकि अभी तक यह जानकारी हमें नहीं थी कि हमें ठहरना कहाँ है ....
भारत निर्वाचन आयोग में प्रवेश करने वालों को कड़ी सुरक्षा जांच से गुजरना होता है ...और यह काम गृह विभाग के जिम्मे है ...यहाँ हवाई स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था को ही मूर्त रूप दिया गया है ..सी आई एस ऍफ़ के जवानों की आरम्भिक जांच के बाद रिसेप्शन और तीसरे स्तर पर फिर से नंगाझोरी और सामान आदि की जांच बड़ी सी कन्वेयर बेल्ट युक्त एक्सरे मशीन में की जाती है ..अब मेरे पास तो पूरा बैग ही था ..एक सख्त महिला सी आई एस ऍफ़ अधिकारी के जिम्मे एक्स रे जांच थी ...मैं बिलकुल मुतमईन कन्वेयर बेल्ट पर अपने बैग को रख दूसरी ओर उसे लेने पहुँच गया था तभी मुझे एक विनम्र किन्तु दृढ आवाज सुनायी पडी -आपके बैग में चाकू है ....मैं स्तब्ध! -चाकू तो लिया ही नहीं था ..चेक करने का आग्रह मैंने किया या उन्होंने, अगले पलों में सारा सामान बाहर फर्श पर बिखरा था ....
अब चाकू तो था नहीं ..तो मिलता कहाँ से ..हर सामान की बारीकी से जांच हुयी और फिर बैग को उसी कन्वेयर बेल्ट से गुजारा गया -लो फिर वही कथित चाकू मौजूद -हाँ अब जगह बदल गयी थी ..अब तक पीछे लोगों की लाईन लम्बी हो चुकी थी -एक्सरे जांच के लिए अधिकारी बस केवल एक ....अब और सुरक्षा अधिकारी पास आ गए .... एक एक सामान अलग से कन्वेयर बेल्ट पर रख गुजारा जाने लगा और जब टूथ पेस्ट की बारी आयी तो ठीक चाकू की आकृति मानीटर पर उभर आयी ..खोदा पहाड़ निकली चुहिया ..जानकारी दी गयी कि पेस्ट के कंडेंस होने से ऐसी आकृति उभर रही थी .....शिव शिव करते अब हम सातवीं मंजिल पर पहुंचे जहां अभी इसी जून माह में खुले भारत अन्तर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंध संस्थान के सकून भरे माहौल में हमें दीक्षित होना था .....दस बज चुके थे...
अब चाकू तो था नहीं ..तो मिलता कहाँ से ..हर सामान की बारीकी से जांच हुयी और फिर बैग को उसी कन्वेयर बेल्ट से गुजारा गया -लो फिर वही कथित चाकू मौजूद -हाँ अब जगह बदल गयी थी ..अब तक पीछे लोगों की लाईन लम्बी हो चुकी थी -एक्सरे जांच के लिए अधिकारी बस केवल एक ....अब और सुरक्षा अधिकारी पास आ गए .... एक एक सामान अलग से कन्वेयर बेल्ट पर रख गुजारा जाने लगा और जब टूथ पेस्ट की बारी आयी तो ठीक चाकू की आकृति मानीटर पर उभर आयी ..खोदा पहाड़ निकली चुहिया ..जानकारी दी गयी कि पेस्ट के कंडेंस होने से ऐसी आकृति उभर रही थी .....शिव शिव करते अब हम सातवीं मंजिल पर पहुंचे जहां अभी इसी जून माह में खुले भारत अन्तर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंध संस्थान के सकून भरे माहौल में हमें दीक्षित होना था .....दस बज चुके थे...
संस्थान में ही हमें बताया गया कि सभी राज्यों के अधिकारियों के अवस्थान की व्यवस्था उनके राज्य -आवासों में की गयी है -इस हिसाब से हमारी व्यवस्था उत्तर प्रदेश भवन में होनी थी ....प्रशिक्षण का अकादमीय स्तर बहुत अच्छा था -आयोग के वरिष्ठ आई ऐ एस आधिकारियों ने प्रशिक्षण का जिम्मा संभाल रखा था -हमें अपने प्रदेशों में निर्वाचन प्रशिक्षकों का एक वह कैडर तैयार करना है जो अब प्रत्येक बूथ लेवल के अधिकारी -बी एल ओ का सामर्थ्य और कौशल विकास इस स्तर तक बढ़ाये कि फोटोयुक्त निर्वाचक नामावली शत प्रतिशत त्रुटि विहीन हो जाय जो एक निष्पक्ष ,स्वतंत्र चुनाव की आधारशिला और 'पवित्र दस्तावेज' है . बी एल ओ अब हर बूथ पर निर्वाचन आयोग का जन संपर्क अधिकारी होगा ...प्रशिक्षण से जानकारियों का जखीरा हम आगे भी जरुर आपसे साझा करेगें ..आप भी तो कहीं न कहीं निर्वाचक /मतदाता होंगे ही .....या आप मुझसे किसी जिज्ञासा का समाधान कर सकते हैं ...पहले दिन के प्रशिक्षण का समापन आयोग के वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त शहाबुद्दीन याकूब कुरेशी साहब के संक्षिप्त किन्तु प्रभावशाली तक़रीर से हुआ और उन्होंने हमें इस बात की बधाई दी कि हम भारत अन्तर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंध संस्थान के पहले बैच के प्रशिक्षु बन रहे थे और यह एक ऐतिहासिक अवसर था .....
अब शाम को हम उत्तर प्रदेश भवन पहुंचे तो थक के चूर हो चुके थे ..अब बस इच्छा थी की बिस्तर पर जा लेटें .. ..बहुत आश्वस्त भाव से रिसेप्शन पर पहुंचे, परिचय दिया, मगर वहां से टका सा जवाब मिल गया कि उन्हें कोई सूचना ही नहीं मिली थी ...अब हम सदमें में थे ..रात में कहाँ जायं ..किसी ब्लॉगर को भी इतनी शार्ट नोटिस पर कुछ कहना मुनासिब नहीं था ....
अब दीगर यूपियन साथी अपनी अपनी जुगाड़ में लग गए ..नाते रिश्तेदारी या अन्यत्र होटलों का रुख किये ..मैं और बनारस से ही दूसरे अधिकारी आशुतोष मिश्र ने स्थिति पर 'गंभीर विचार विमर्श' किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि कहीं न कहीं कोई बड़ी संवादहीनता का परिणाम हम भुगत रहे हैं ....अब हम एक रणनीति पर जुट गए ...उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी अतीक अहमद साहब ने बड़ी मदद की ,बनारस का प्रोटोकाल आफिस और ऐ डी एम् प्रशासन पी के अग्रवाल साहब ट्रांसफर पर होने के बावजूद 'आपदा प्रबंध ' में जुटे और तब जाकर रात ९.३० पर एक फैक्स आ ही पहुंचा और हम राहत रूह हुए ....
अब दीगर यूपियन साथी अपनी अपनी जुगाड़ में लग गए ..नाते रिश्तेदारी या अन्यत्र होटलों का रुख किये ..मैं और बनारस से ही दूसरे अधिकारी आशुतोष मिश्र ने स्थिति पर 'गंभीर विचार विमर्श' किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि कहीं न कहीं कोई बड़ी संवादहीनता का परिणाम हम भुगत रहे हैं ....अब हम एक रणनीति पर जुट गए ...उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी अतीक अहमद साहब ने बड़ी मदद की ,बनारस का प्रोटोकाल आफिस और ऐ डी एम् प्रशासन पी के अग्रवाल साहब ट्रांसफर पर होने के बावजूद 'आपदा प्रबंध ' में जुटे और तब जाकर रात ९.३० पर एक फैक्स आ ही पहुंचा और हम राहत रूह हुए ....
इसी आपाधापी में ठीक बगल के छत्तीसगढ़ भवन में ही क्यों न रुक लिया जाय इस तमन्ना के चलते छत्तीसगढ़ के ही दो ब्लॉगर पुंगवों अली सईद जी और फिर ललित जी को भी फोन मिलाया मगर उन्होंने भी अपनी मजबूरी जता दी ......बहरहाल तब तक मामला सुलझ गया था ...उत्तर प्रदेश भवन का अवस्थान बहुत आरामदायक और अनुभवों की समृद्धता से गुजरने जैसा रहा ..यह सत्ता की ऊर्जा और चमक से ओतप्रोत है ....और यहाँ बड़ा मनसायन सा रहता है ..लोकतंत्र के रंगारंग और वैविध्यपूर्ण नज़ारे बोरियत को पास नहीं फटकने दे रहे थे ..हमने तो यह भी फैसला ले लिया था कि समस्या सुलझने तक हम वहीं लाउंज के आरामदायक सोफों पर ही रात गुजार देगें ..बहरहाल वह नौबत नहीं आयी ....वहीं भोजन किया और पुरसकून महौल में बोझिल आँखों ने कब हमें नीद के आगोश में ले लिया पता ही नहीं चला .....दास्ताने दिल्ली जारी....
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अरविन्द भाई लगता है , रात के बाद अगला दिन भी काफी अड्वेंचरस रहा . यह चाकू वाला वाकया तो वाकई बड़ा दिलचस्प रहा .
जवाब देंहटाएंचलिए यु पी भवन ने इज्ज़त रख ली . उम्मीद करता हूँ की इसके बाद कोई तकलीफ नहीं हुई होगी .
बहुत ही दिलचस्प.
जवाब देंहटाएंआप के दिल्ली में होने की खबर हमें सतीश जी से मिल गई थी और आप की पोस्टों के इंतजार में थे। जान कर अच्छा लगा कि आप चाकू के लिए पकड़े गए, निकला टूथपेस्ट। जाँच होनी चाहिए कि मशीनें किसी घोटाला खरीद की तो नहीं हैं?
जवाब देंहटाएंटूथपेस्ट चाक़ू बन गया. ये तो किस्मत ही कहेंगे. मुझे तो ऊंट पर कुत्ता काटने वाली कहावत याद आ गयी :)
जवाब देंहटाएंयहाँ भी राज्य की कार्यसंस्कृति की झलक मिल ही गई, जो इतने समयांतराल में एक फैक्स तक समय पर नहीं भेज सकती, और जिन्होंने कहा था कि व्यवस्था राज्य आवास में की गई है उनसे भी पूछना चाहिए था.
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट बांचकर लगा कि दिल्ली में उ.प्र. भवन, म.प्र.भवन की तरह एक ब्लागर भवन होना चाहिये। :)
जवाब देंहटाएंश्री अभिषेक मिश्र के कमेन्ट से सहमत !
जवाब देंहटाएंउक्त दिवस आपसे निरंतर संपर्क नहीं हो सका ! हमारे कारण आपको जो भी असुविधा हुई उसके लिए खेद है !
दिल्ली में आपके दिल को सुकून मिले।
जवाब देंहटाएंभाई साहब कसाव दार प्रस्तुति .जांच अधिकारी की चौकसी अच्छी लगी .आपका तो जो हुआ सो हम समझ सकतें हैं .शरीफ आदमी के लिए तो मरण हो जाता है चाहे दांत कुरेदनी नुमा हो .पुर -सुकून ,जो काम निपटे ठीक ठाक .(सकून या सुकून ?).
जवाब देंहटाएंभाई साहब कसाव दार प्रस्तुति .जांच अधिकारी की चौकसी अच्छी लगी .आपका तो जो हुआ सो हम समझ सकतें हैं .शरीफ आदमी के लिए तो मरण हो जाता है चाहे दांत कुरेदनी नुमा हो .पुर -सुकून ,जो काम निपटे ठीक ठाक .(सकून या सुकून ?).
जवाब देंहटाएंये सुरक्षा के नाम पर भी अच्छी जोकरई होती है. सुरक्षा-जांच के समय तो नेल कटर भी रखवा लेते हैं पर प्लेन में सात-आठ इंच का वाक़ायदा स्टील के छुरी-कांटे थमा देते हैं तो कोई बात नहीं...
जवाब देंहटाएंपिच हली पोस्ट भी आज ही पढ पाई। चलिये बचाव हो गया जै टुथपेस्ट जी की। भारत अन्तर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंध संस्थान का भला हो हमे कम से कम तीन पोस्ट तो पढने को मिलेंगी ही अधिक भी हो सकती हैं। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंजाँच होनी चाहिए कि मशीनें किसी घोटाला खरीद की तो नहीं हैं?
जवाब देंहटाएंtabhi to asal me churi-chaku rakhne bale bhai logon ke bag se tooth-pest
face cream baramad hota hai......
जीवट है आप में। हम तो पलटानी की बस\गाड़ी पकड़ लिये होते!
जवाब देंहटाएं@मुतमईन
जवाब देंहटाएं@मनसायन
डॉ साहिब, इन शब्दों शब्दों पर भी परकाश डालिय... या कहिये तो पंचमजी या आचार्य से संपर्क किया जाए..... :)
लोकतंत्र कहने को ही कुछ ढीलाढाला सा तंत्र लगता है... पर आपके अनुभव बता रहे हैं... कि कितनी शक्ति और साधन और अनुभव लगाना पढता है.....
दिलवालों की दिल्ली में कुछ भी हो सकता है .बढ़िया पोस्ट... साथ ही बहुत कुछ जानने को मिला आभार .
जवाब देंहटाएंदिलवालों की दिल्ली में कुछ भी हो सकता है .बढ़िया पोस्ट... साथ ही बहुत कुछ जानने को मिला आभार .
जवाब देंहटाएंतो आगे उत्तर प्रदेश भवन गाथा सुनने को मिलेगी :)
जवाब देंहटाएंरसप्रद यात्रा वृतांत/संस्मरण।
जवाब देंहटाएंदांत तो चाकू जैसे कहे जाते थे, मुलायम टूथपेस्ट भी चाकू का भेष धरने लगे।
वह तो उत्तर प्रदेश भवन में कठिनाईयाँ झेलने का प्रशिक्षण था।
शैली काफी रोचक है। देखें अगले दिन चाकू पेस्ट न हो जाय!
जवाब देंहटाएंLucknow se mere sahyogi shri gautam aur shri mukharji dy. Colloctor bhi the is training me. Bata rahe the is 'atihasik' training ke liye request karne par bhi koi certificate tak nahi diya. Khair training Complete so ab b.l.o. Trained karne ka jimma aapka. itne sajeev chitran ke liye badhai swikare..
जवाब देंहटाएं@अनूप जी,बजा फरमाते हैं -दिल्ली की ब्लॉगर बिल्डिंग की आधारशिला आप ही रखें -यही इच्छा है !
जवाब देंहटाएं@दीपक जी ,
किसी आचार्य को पकड़ पाए या नहीं ....मुतमईन मतलब निश्चित होता है (शायद ! ) और मनसायन मन को हरषाने वाला ... :)
@@काजल भाई ,
जवाब देंहटाएंक्या पते की बात कही है आपने -बड़ा सटीक प्रेक्षण है -अब विमान में काँटा छुरी भी बंद करवाएगें आप !
गजब की यात्रा चल रही है, अपन तो बोरिया बिस्तरा बांधकर होटल निकल लिये होते ।
जवाब देंहटाएंरात का दु:स्वप्न और सुबह का आगाज़ ऐसा!..टूथपेस्ट को कथित चाक़ू बता कर सामान भी खुलवा दिया!यहाँ तक तो बुरा ही हुआ..अच्छा है आगे चलकर यूपियन साथियों ने तो मदद की..
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