कभी कभी कुछ अजब गजब होने लगता है. जैसा कि पिछले दिनों मेरे साथ हुआ है. पुरस्कारों /सम्मानों के मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ तो थमने का नाम ही नहीं ले रहा है .सर्प संसार को मिले डोयिचे बेले, जर्मनी के बाब्स पुरस्कार से हम अभी ठीक से उबर भी न पाए थे कि विज्ञान परिषद् प्रयाग ने छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल श्री शेखर दत्त जी के कर कमलों से संस्था के सौ साल होने के उपलक्ष्य में हमें शताब्दी सम्मान भी थमा दिया .हम अभी सम्मान जनित विनम्रता के दुहरे बोझ से दबे थे कि ज़ाकिर अली ' रजनीश' ने अभी अभी अन्तरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त तस्लीम संस्था की ओर से एक और सम्मान थमा दिया है .
महामहिम के हाथों शताब्दी सम्मान
बहुत लोग ऐसा मानते हैं जिनमें मैं भी शामिल हूँ कि जब किसी को ज्यादा सम्मान पुरस्कार मिलने लग जायं तो यह माना जाने लगता है कि उसका सृजन काल अब अवसान तक आ पहुंचा . काश मेरे बारे में लोग ऐसी धारणा न बना लें -अभी मेरा सक्रिय सृजन काल चल ही रहा है . प्रत्यक्षम किम प्रमाणं . आज कल पुरस्कार सम्मान भी संदेह की निगाह से देखे जाते हैं और सेटिंग गेटिंग का फार्मूला यहाँ भी चलता है मगर मैं ईश्वर को हाज़िर नाज़िर मानकर यह कहना चाहता हूँ कि मुझे मिले इन पुरस्कारों की मुझे भनक तक न थी . अभी एक मजेदार वाकया हुआ -गोरखपुर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित साईंस ब्लॉगर कार्यशिविर के उदघाटन सत्र के आख़िरी पलों में मेरे मोबाईल पर कोई महत्वपूर्ण काल आ गई और उसी वक्त ज़ाकिर अली जी ने कोई उद्घोषणा कर डाली जिसे मैंने सुना नहीं .जैसे ही काल खत्म हुयी मैंने पाया कि डायस के अतिथिगण उठ कर खड़े हैं और मैं अभी भी बैठा ही हूँ -यह तो अशिष्टता थी ..मैं भी किंचित हडबडी से उठकर माजरा भांपने लगा तब तक एक अतिथि डॉ मनोज पटैरिया जी ने और तदनन्तर डॉ रामदेव शुक्ल जी ने मुझे बधाई दे डाली . मैं सकपकाया ...पूछने की धृष्टता तक कर बैठा कि किस लिए ? तभी अतिथि द्वय मुझे एक सार्टिफिकेट और स्मृति चिह्न पकडाते हुए कहते भये कि मुझे तस्लीम विज्ञान गौरव सम्मान से नवाज़ा जा रहा है . मैं अप्रस्तुत असहज सा रह गया . बल्कि मुझे तब तक यह डाउट था कि यह पुरस्कार मेरे लिए नहीं संभवतः डॉ पटैरिया के लिए था . मैंने उनसे यह कहा भी कि नहीं नहीं यह आपके लिए है तो उन्होंने सार्टिफिकेट का मुखड़ा मेरे सामने कर दिया ....और इसके पहले कि मैं पूरा माजरा समझ पाता पुरस्कार मेरे हाथ में था और कैमरों के फ्लैश चमक रहे थे…. जाकिर भाई ,कम से कम कह कर तो देते .....
तस्लीम विज्ञान गौरव सम्मान
एक मजेदार बात तो रह ही गयी ..जिस वर्कशाप बैग में अभी अभी मिले इस तीसरे सम्मान -सार्टिफिकेट को रखा था उसे घर पहुँच कर खोल कर देखा तो सार्टिफिकेट नदारद था ....अरे यह क्या हुआ ? अचानक दिमाग में कौंधा कि मेरे और डॉ पटैरिया का बैग एक जैसा ही था और हम एक ही होटल में रुके थे तो कहीं बैग तो नहीं बदल गए ? यही हुआ होगा -डॉ पटैरिया जी मैं डायस पर कह नहीं रहा था कि यह सम्मान आपके लिए था सो वह आपके साथ गया :-)
लोग बाग़ पुरस्कार और सम्मान के लिए बहुधा कहने लगे हैं कि भैया पुरस्कार में अगर कुछ नगद नारायण हो तो दे दो सम्मान अपने पास रख लो ..घर की गृहणियां भी अब सम्मान चिह्नों को हिकारत की नज़र से देखती हैं -बेफालतू घर के कोंने कोने को कब्जियाते जा रहे हैं -एक व्यंगकार की पत्नी ने (जैसा कि उसने बताया) कहा कि इससे बेहतर तो आंटे की एक छोटी बोरी ही मिली होती जो कम से कम इस्तेमाल में तो आ जाती ..... उधर सम्मानों को उचित ठहराने वाले कहते हैं कि आखिर पद्म सम्मानों में ही नगद राशि कहाँ मिलती है ? यह विवाद थमेगा नहीं -ऐसे में जो कुछ मिल जाय सम्मान सहित ग्रहण करते रहा जाय -अब सम्मान सहित तो विष भी स्वीकार कर लेने की अपनी सनातन संस्कृति रही है !
मित्रों इस पोस्ट को पढ़ भर लीजिये -बधाई देने की कौनो जरुरत नहीं -उसका कोटा पूरा हो चुका है !
आप ब्लॉग्गिंग पर लौटे सो अच्छा लगा. उम्मीद है ग्राम यात्रा सुखद रहा होगा.
जवाब देंहटाएंहम फिर से बधाई दे देते हैं, हमारा कोटा कहाँ पूरा हुआ है?
जवाब देंहटाएं....ढेर बधाइयाँ ।
जवाब देंहटाएं.
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और हाँ,अभी एक और पुरस्कार मिलने की 'आशंका'है,उसकी भी अग्रिम बधाई ले लीजिये :)
अब तो मैं कह के लूँगा :-)
हटाएं:)
हटाएंपार्टी-शार्टी न देनी पड़े, इसलिये पहले ही बधाई के लिये बरज देना - ये अच्छी बात नहीं है। बिना सेटिंग के कोई सम्मान मिलता है तो वो सम्मान किसी इंडिविज्युल को न मिलकर उसके कार्य का सम्मान है, मैं ऐसा मानता हूँ इसलिये बधाई जरूर बनती है।
जवाब देंहटाएंदूसरी बात जो अच्छी नहीं है, वो ये कि ताजा पोस्ट तो आपकी ये वाली है लेकिन ईमेल सब्स्क्रिप्शन में इस बार हमें प्राप्त हुई है http://feedproxy.google.com/~r/http/feedsfeedburnercom/kwachidanytoapi/~3/mJPQ_oDprZM/blog-post.html?utm_source=feedburner&utm_medium=email
फ़ीड में शायद कुछ गड़बड़ है, कृपया चैक कर लें।
संजय जी पब्लिक ताबड़तोड़ आ रही है
हटाएंक्या आपको नहीं लगता कि आपके शिष्यगण जिस गति / हौसले / त्वरा /अतिरिक्त उत्साह से आपको सम्मानित कर रहे हैं उससे 'गुटबन्दीयता' की बू आने लगी है ठीक वैसे ही जैसे कि ...:)
जवाब देंहटाएं( ...उन्हें आप जानते ही हैं )
काहें शिष्य के सिर ठीकरा फोड़ रहे हैं -बिचारे किसी शिष्य का तो दिया पहला सम्मान है -
हटाएंडॉ अरविन्द मिश्र को आगे पुरस्कार लेने से, रोकने का, तरीका सुझाएँ , अरे इनके होते और मित्रों को पुरस्कार मिलने का नंबर ही नहीं आ पायेगा !
हटाएंहम तो जल गए यारों से ...
प्रोफ़ेसर अली सय्यद !!
:)
आपको और आपके शिष्य को एक पुरस्कार और मिलने वाला है , कमर कस तैयार रहें ...
जवाब देंहटाएंअग्रिम बधाई !
ना ना अब तो मैं कह के लूँगा :-)
हटाएं.
जवाब देंहटाएं.
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बहुत लोग ऐसा मानते हैं जिनमें मैं भी शामिल हूँ कि जब किसी को ज्यादा सम्मान पुरस्कार मिलने लग जायं तो यह माना जाने लगता है कि उसका सृजन काल अब अवसान तक आ पहुंचा
मैं भी यही मानता हूँ, इसलिये आपका 'इनाम-वीर' बनते जाना मेरे लिये चिंता का विषय तो है ही... फिर भी बधाई देना तो बनता है... अब क्यों न कोई धमाकेदार-दुनिया हिलाने वाली पोस्ट लिख मारिये... कम से कम उपरोक्त धारणा को झुठलाने के लिये ही सही... :)
...
प्रयाग विज्ञान परिषद् के पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई !
हटाएंअरविन्द भाई !
मैं भी प्रवीण के कमेन्ट से सहमत हूँ ! चूंकि आप मेरे मित्र हैं अतः आपका बार बार ईनामवीर बनना वाकई मित्रों के लिए चिंता का विषय है , आशा है प्रवीण के व्यंग्य को पहचानेंगे और उन्हें उचित (पुरस्कार) सम्मान भी देंगे !
प्रायोजित पुरस्कार , हथियाए पुरस्कार , खुद अपने लिए भारी संख्या में वोट डालने का प्रवंध करते पुरस्कारों के लिए तालियाँ बजाने से अच्छा तो प्रवंधन क्षमता के लिए तालियाँ बजाना अधिक बेहतर हैं !
आप पुरस्कार योग्य प्रतिभा रखते हैं इसमें मुझे ज़रा भी संदेह नहीं ...मगर अक्सर भोलेपन का लोग मज़ाक बनाते देर नहीं लगाते !
आंखे खोलें प्रभु....
सादर
अब अपना स्वभाव ही ऐसयीच है सतीश जी -कांट हेल्प !
हटाएंek pratibhashali ka samman sukh pradan karta hai, bahut badhai
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंअब बधाई भी बोझ बन रही हैं :-) क्यों न हो "जब किसी को ज्यादा सम्मान पुरस्कार मिलने लग जाए"
जवाब देंहटाएं:-)
हटाएंpकिसी पुरस्कार का मिलना उसके गुणों को दर्शाता है,,,बधाई स्वीकारें ,अरविन्द जी,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बेटियाँ,
आभार
हटाएंइसका मतलब सम्मानों का मानसून अच्छा चल रहा है..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाइयां..
जवाब देंहटाएंवैसे अब सम्मानों को लेकर आपकी प्रोफाइल इतनी मजबूत है कि किसी सम्मान में अगर आपका नाम ना हुआ तो माना जाएगा कि "बेईमानी" हो रही है।
महेंद्र जी मैंने प्रोफाइल पर तो कुछ भी नहीं लिखा है !
हटाएंवो शायद प्रोफाइल में नहीं लिखी हुई दमदारी की ही बात कह रहे हैं :)
हटाएंभैया जी प्रणाम इश्वर का प्रसाद कभी ठुकराया नहीं जाता आज इस सम्मान का कोई औचित्य है या नहीं कह नहीं सकता किन्तु कल होगा मैं विश्वास से कहता हूँ
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंअरे वाह बधाई तो बनती ही है और देंगे भी, आप दिल खोलकर हमारी बधाईयां और शुभकामनाएं स्वीकार किजीये. अभी तो शुरूआत है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हां, एक बात कहना भूल गये, आपको पुरस्कारों का बोझ लग रहा है तो हमारे इधर भिजवा करवा दिजीये.:)
जवाब देंहटाएंरामराम
ताऊ को मत देना भाई.... ई...ई...
हटाएंसब ब्लैक में बेच देगा !
सतीश जी, आप काहे हमारा धंधा चौपट करने पर तुले हैं? चलिये कुछ बंदरबांट आपके साथ भी कर लेंगे, अपना मुंह बंद रखियेगा.:)
हटाएंरामराम.
अब हम दें या न दें?
हटाएंदो चार मुझे भी ...
जवाब देंहटाएंमित्रों का ख़याल रखियेगा !!
:)
बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंपुरस्कार को सम्मान देना ही होगा।
जवाब देंहटाएंबिन्दास लिखते रहिए।
आभार
हटाएंआपके निर्देशानुसार बधाई नहीं दे रहा.पढ़ कर अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंfir bhi ek chhoti si badhai to banti hai :)
जवाब देंहटाएंCONGRATULATIONS SIR !!
आभार
हटाएंबधाई हो आपको :) :)
जवाब देंहटाएंवह गाना याद आ रहा -है "बधाई हो बधाई - जन्मदिन की तुमको - जन्मदिन तुम्हारा - मिलेंगे लड्डू हमको .... "
अब लड्डू तो नेट पर मिलेंगे नहीं :(
लेकिन सम्मानों पर आपको बहुत बहुत सी बधाइयां :) :)
मिल के रहेगें - सब्र रखिये :-)
हटाएं:)
हटाएंकोई जो चाहे कहता रहे, पर सम्मान मिलना सम्मान की बात है इसलिए बहुत बहुत बधाई आपको.
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंकोटा आपका बधाई लेने में पूरा हुआ है हमारा कोटा देने का अभी पूरा नहीं हुआ ..
जवाब देंहटाएंतो बधाई भी सभी पुरुस्कारों की और इस हास्य परिहास भरी पोस्ट की भी ...
आभार
हटाएंबाणभट्ट .........
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई! हमारी दुआ तो यही है कि (कम से कम) भारत रत्न तक जारी रहे यह इनामी सिलसिला ...
जवाब देंहटाएं:-)
हटाएंबहुत बहुत बधाइयां.
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंMai to badhayi zaroor doongi....muddaton baad blog jagat me lauti hun!
जवाब देंहटाएंकोटा में आरक्षण की व्यवस्था भी पहले से होती तो बधाई सम्मान का आयोजन भी हमारी तरफ से हो गया होता..
जवाब देंहटाएं?????
हटाएंहार्दिक बधाइयाँ सर जी ... :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
इतने सारे इनाम /सम्मान मिलने पर बहुत -बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंइस ख़ुशी में मिठाई या पार्टी नहीं... हमें तो बस दशहरी आमों का टोकरा चाहिए.
काश आप भारत आतीं तो एक दशहरी बाग़ ही आपको कर देते :-)
हटाएं:)वाह!यह भी खूब रही!
हटाएंइतने सारे पुरस्कार प्राप्त कर आप कह रहे हैं कि बधाई न दी जाए ..... यह तो नाइंसाफी है .... आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं'सम्मान 'प्राप्ति हेतु हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंtheek hai badhai nahin dete..shubhkamnaye de dete hain ki ye silsila yun hi jaari rahen :)
जवाब देंहटाएंयूँ अचानक सम्मान की घोषणा -- यह तो सरासर ज्यादती है। ऐसे में कोई कमज़ोर दिल वाला हो तो बड़ा लफड़ा हो सकता है। :)
जवाब देंहटाएंवही तो डाक्साहब ये सम्मान देने वाले समझते क्यों नहीं! :-( खुदा न खास्ता कुछ हो गया होता तो ?
हटाएंसबसे पहले तो आपको एक बार फ़िर से सम्मानित होने के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंआपको अपने सम्मानित होने पर सफ़ाई जैसी देनी पड़ी इससे इन इनामों का स्तर और हाल पता चलता है। किसी के इरादे में कोई खोट नहीं कहता मैं लेकिन पिछले कुछ दिनों में थोक के भाव लेफ़्ट/राइट इनाम बांटने वालों ने पुरस्कारों की स्थिति हास्यास्पद बना दी है।
खासकर तस्लीम द्वारा आपको सम्मानित करने की जब खबर मैंने सुनी तो सबसे पहला बिम्ब जो मुझे सूझा वह यह था जैसे किसी विशालकाय हाथी को घेरघार के पांच लीटर के डब्बे में घुसेड़ कर बंद कर दिया गया हो। यह बात मैंने आपको फोन पर बताई भी थी।
जहां तक मुझे याद है आप तस्लीम से शुरुआत से ही जुड़े रहे हैं। तस्लीम द्वारा आपको सम्मानित किया जाना ऐसा ही है जैसे किसी प्राइवेट कम्पनी के कर्मचारी को सप्ताहांत में पिंक स्लिप थमा दी गयी हो। आपकी सेवाओं का मूल्य आपको चुका दिया गया अब आप आराम करो। अगर इसमें आपकी भी सहमति रही हो तो फ़िर यहां ’अंधा बांटे रेवड़ी फ़िर फ़िर खुद को देय ’ वाला उदाहरण लागू होगा।
आशा है मेरी टिप्पणी को अपने प्रति किसी पूर्वाग्रह के चश्में से न देखा जायेगा। लेकिन अगर देखा भी जायेगा तो कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
आपको एक बार फ़िर से शुभकामनायें।
अनूप जी बात आपकी काबिले गौर है -शुक्रिया ! अब आपको हमेशा यह आशंका क्यों घेरे रहती है कि आपकी बात हम अन्यथा ले लेगें :-)
हटाएंआपकी योग्यता पर टिप्पणी तो मेरे जैसे लोग कर सकते भी नहीं. मगर बिना जुगाड के सम्मान आप और हम सभी के लिए प्रेरणा का काम तो करते ही हैं.बधाई.
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंजुगाड़, सेटिंग,पूर्वाग्रह...इन-जैसे सभी शब्दों से निस्पृह होकर सभी सम्मानों के लिए ढेर सारी बधाईयाँ।
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंएक बार पुनः बधाई।
जवाब देंहटाएंउस्ताद लोग अक्सर बिना तिल के भी ताड़ बना देते हैं, ऐसा ही इस सम्मान के संबंध मे भी देखने मे आ रहा है। यह सम्मान मिश्रा जी को देने का तस्लीम का मकसद सिर्फ इतना है की जिन लोगों ने इसे बोब्स सम्मान तक पहुंचाया उन्हे सम्मानित किया जाये। मिश्रा जी को मिला सम्मान इस कड़ी की शुरुआत है, जो आगे भी जारी रहेगी।
जवाब देंहटाएंपुरस्कार मिलने की आपको हार्दिक बधाई। पुरस्कार वगैरह लेते रहना चाहिए।
जवाब देंहटाएंइतने पुरस्कार - कितना सम्मान !
जवाब देंहटाएंबड़ी बात है ,बधाई स्वीकारें !