अब कोई ब्लॉगर शहर में हो और वहां के ब्लागरों से उसकी मुलाकात न हो(कृपया अब इसे मुक्कालात न पढ़ें) यह तो असम्भव ही था ..भारतीय समाज अब सर्वथा एक नए सामजिक सम्बन्ध -बात व्यवहार को साक्षात कर रहा है ..और यह है ब्लॉगर मिलन....अपनी नीतिगत कार्ययोजना के तहत मैंने अपना कार्यक्रम पहले ही अपने ब्लाग पर डाल दिया था जिससे प्रायः इस असहज सवाल /औपचारिकता से बचा जा सके कि अरे पहले बताया होता तो हम भी मिल लेते आपसे ....वैसे भी दिल्ली जैसी अतिव्यस्त महानगरी में किसी के लिए किसी के पास समय नहीं रहता ..अपने लिए और अपनों के लिए भी जब लोगों के पास पर्याप्त समय और संसाधन नहीं है ...तो ऐसे में क्यों किसी को धर्मसंकट में डाला ही जाय ...
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यू पी भवन में जमी चौकड़ी
एक अद्भुत संयोग यह हो रहा था कि कैंटन ,अमरीका से वीरेन्द्र शर्मा ऐलियास वीरुभाई भी मेरे दिल्ली पहुचने के साथ ही वहां पहुँच रहे थे और इस अवसर को मुझे बिना उनसे मिले गवाना नहीं है यह मन संकल्पित कर चुका था ....उम्र की वानप्रस्थ अवस्था पर पहुँच कर भी वीरुभाई अजस्र ऊर्जा से भरे हैं और उनका मुखमंडल अलौकिक आभा से देदीप्यमान {इस ब्लॉग पर हिन्दी मुफ्त में सिखायी जाती है :)} रहता है और बतरस के ऐसे धनी कि बस सुनते जाईये , उनके पास सुनाने के लिए संस्मरणों का खजाना रीतेगा नहीं .....उनकी इस विशिष्टता से शाम को सम्पन्न एक छोटी किन्तु न्यारी सी ब्लागर मीट में डॉ .टी एस दराल जी और सतीश सक्सेना जी भी दो चार हुए ....बेदिल दिल्ली में डॉ दराल की दरियादिली देखने को मिली जब उन्होंने मुझे सायं भोज के लिए आमंत्रित किया -बहुत ही विनम्र ,मिलनसार ,एक भद्र नागरिक के सारभूत व्यक्तित्व हैं डॉ दराल ..शाम को वे और यारों के यार ब्लॉगर सतीश सक्सेना जी मुझे लेने उत्तर प्रदेश भवन आये ..तब तक वीरुभाई भी पधार चुके थे जहां हम ब्लागजगत के कई वर्जित क्षेत्रों की चर्चा में मशगूल थे ....
इंडिया गेट पर एकल फोटो: सौजन्य सतीश भाई!
बातों ही बातों में वीरुभाई ने टी एस दराल साहब का पूरा नाम पूछ लिया तो डॉ साहब तनिक संकोच में निरुत्तर से ही रहे ...और हम कनाट प्लेस पर कहीं शाम गुजारने चल पड़े ....रास्ते में इण्डिया गेट पर मित्रवर सतीश जी ने मुझे केंद्र बिंदु में रख ऐसा फोटो सेशन किया कि कुछ समय के लिए मुझे लगने लगा जैसे मैं कोई राष्ट्रीय नेता, अभिनेता हूँ ...और मेरा एक फोटो फोलिओ तैयार हो रहा है ..मैं यह भी चाहता था कि वीरुभाई फोकस में रहें और यह बात मुझे असहज भी कर रही थी ,असमंजस में डाल रही थी (क्षमा वीरुभाई ...सतीश भाई के उत्साह के आगे मैं लाचार था ...) ..शूटिंग के दौरान ही डॉ दराल साहब ने इण्डिया गेट की दीवार पर ऊपर लिखे एक नाम की और इशारा किया, किसी की तारीफ़ थी वहां ..अपने डॉ दराल साहब की ही तो ...विश्वास नहीं तो यह लिंक देखिये !
वीरुभाई और डॉ. दराल के बीच सैंडविच हुए हम
वीरुभाई को अपनी 'फुलनेम जिज्ञासा' का उत्तर मिल गया था ..तो प्रश्नोत्तर के इस नायाब लहजे की सूझ थी डॉ दराल साहब की और इसकी खातिर मुझे भी इण्डिया गेट को करीब से देखने का बोनस मिल गया था...शाम तो सचमुच हसीन थी....और उसे ब्लडी मेरी ने और भी हसीं बना दिया था ...ब्लडी मेरी के बारे में मेरी जिज्ञासा को काबिल दोस्त सतीश भाई ने विधिवत शांत किया(सबसे नीचे बाएं कोने पर ब्लडी मेरी का चित्र है!)इस नायाब पेय पर ज्ञानवर्धन पर मेरी त्वरित प्रतिक्रया थी कि कितना कुछ जानना समझना शेष रह गया है इस दुनियां में:) ....
सिविल सेवा अधिकारी संस्थान से बाहर निकलते ही सतीश जी ने शूट किया
वीरुभाई के चहकने ने भी मुझे ब्लडी मेरी की ओर प्रशंसा भाव से देखने को उत्सुक किया ....वीरुभाई का ज्ञान विज्ञान विषयों और खासकर चिकित्सा पर ज्ञान बहुत अद्यतन है ..यह आप उनके ब्लाग -राम राम भाई पर जाकर भी देख सकते हैं ....कितने ही विषयों की विविधता पर उनकी लेखनी समान रूप से चलती है ....इन दिनों वे साईंस ब्लागर्स असोसिएशन के ब्रांड अम्बेसडर बने हुए हैं ....हमें उन के ज्ञान और सानिध्य पर फख्र है ...जुग जुग जिए महानुभाव ....हजार वर्ष!खाने का इंतज़ार
मुझे एक अस्पष्ट सा आईडिया था कि हमारी यह लघु ब्लॉगर मीट कनाट प्लेस पर होनी थी इसलिए वहीं अपनी किसी ट्रेनिंग के सिलसिले में मौजूद अभिषेक मिश्र से मैंने पहले तो रुकने को कहा था ..उन्होंने इंतज़ार भी किया मगर बाद में मैंने वेन्यू अलग होने की बात उन्हें बताई ..सारी अभिषेक.... फिर कभी .....अब वेन्यू था -सिविल सेवा अधिकारी संस्थान और वहां यद्यपि थोडा शोर अवश्य था मगर खान पान की गुणवत्ता लाजवाब थी ...भोजन भी यम यम ...डॉ दराल साहब के इस औदार्य और ब्लॉगर नवाजी के लिए शुक्रिया शब्द बेहद औपचारिक है इसलिए इसे देने से कतरा रहा हूँ .......आनंद आ गया था आज दिल्ली में दो दिनों के बाद .... तनाव शैथिल्य की यह सौगात बस यादों में पैबस्त हो गयी है ....शाम को सतीश जी ने हमें अपने अवस्थान स्थल पर छोड़ा और डॉ दराल और वीरुभाई को लेकर आगे बढ़ गए थे ..आगे की दास्ताँ वीरुभाई भी कभी सुनाएगें ही...
.....जारी है दिल्ली दास्तान ...
.....जारी है दिल्ली दास्तान ...
सतीश भाई आपसे जलन हो रही है -कितने युवा लगते दिखते हैं आप...इसलिए ही आपकी ज्यादा फोटो नहीं लगायी :)
जवाब देंहटाएं"ब्लागजगत के प्रतिबन्धित क्षेत्र"... मेरे लिए उत्सुकता जगाने वाली अवधारणा है.
जवाब देंहटाएंब्लोगर मीट अच्छी चल रही है आपके युवा साथी तो कुछ ज्यादा ही जवान दिख रहे है
जवाब देंहटाएं''तनाव शैथिल्य की यह सौगात बस यादों में पैबस्त हो गयी है''- कमाल की पैबस्ती.
जवाब देंहटाएंकाजल कुमार जी की उत्सुकता का शमन करें !
जवाब देंहटाएं@ डॉ अरविन्द मिश्र,
जवाब देंहटाएंसुनील कुमार के कमेन्ट पढ़ लिए ??
...अगर हम जैसे जवान होंगे तो लोग मुस्करायेंगे ही अरविन्द भाई !
५० के बाद एक दूसरे की जवानी की तारीफ़ लोग अकसर करते दिखते हैं साथ ही कोशिश यह भी रहती है कि कोई सुन तो नहीं रहा :-)))
Sachmuch bahut hi jiwant hai aapka yarta vritant.
जवाब देंहटाएंEllection commission ke sojanya se is hui is blloger meet ke pratibhadiyo ko pranaam.
@ डॉ दराल के सौजन्य से यह मीटिंग वाकई यादगार रही और यकीनन पार्टी के हीरो वीरू भाई ही थे , उन्हें भुलाया नहीं जा सकता !
जवाब देंहटाएंफोटोग्राफी में मेरा आप पर फोकस होने का कारण, दिल्ली के लिए आप नए थे बाकि सब लोग यहाँ के ही हैं ...इंडिया गेट की यादें आपको पसंद आयीं सो उस दिन दिया गया समय, व्यर्थ नहीं गया !
शुभकामनायें और आभार वीरू भाई का ...
यकीन मानिए हमारा सारा जीवन इसी अवधारणा को जीते आजमाते बीता है ,जो किसी और की तारीफ़ नहीं कर सकता ,दूसरे की उपलब्धि को अपनी व्यक्तिगत ख़ुशी समझ के, नांच कूद फुदक नहीं सकता वह बड़ा अभागा है .हमने सहज ही गौरवान्वित अनुभव किया है अपने विज्ञ मित्रों की सोहबत में और साफ़ कहा है -भाई साहब हम चोर हैं जहां भी कुछ अच्छा लगता है ,वह हमारा ,हमारे बाप का .कोई अच्छा लगता है और हम तारीफ़ न करे यह अच्छे लगने और उस अप्रतिम बौद्धिल या दैहिक सौन्दर्य का भी अपमान है जिसे देख हम पलांश को ही सही रीझें हैं .खूबसूरती तन की और मन की एक सार्वजनक संपत्ति है उस पर किसी एक की बपौती और मिलकियत हो कैसे सकती है ।
जवाब देंहटाएंहोश के लम्हे नशे की कैफियत समझे गए हैं ,
फ़िक्र के पंछी ,ज़मीं के मातहत समझे गए हैं ,
(और )नाम था अपना ,पता भी ,दर्द भी इज़हार भी ,
(पर )हम हमेशा दूसरों की मार्फ़त समझे गए थे .
दिल्ली ब्लोगिया मिलन के सूत्र धार ,निर्माता ,निर्देशक ,हमारे बनारसी बाबू ही थे .स्वागत समिति के मालिक ज़नाब सतीश जी सक्सेना साहब ,और और होस्ट हर दिल अज़ीज़ अज़ीम -तर चिठ्ठाकार डॉ .तारीफ़ सिंह दराल साहब .आथितेय कोई उनसे सीखे .एक ऐसा इंसान जो खाद्य के लज़ीज़ होने के पूरी इत्तला दे और फिर खाने को उकसाए और फिर आपको खिलाके तृप्ति महसूस करें ऐसे हैं हमारे दराल साहब .बेशक कैमरा नायक पर संकेंद्रित था .लेकिन हम भी उस फिल्म के एक किरदार थे ये क्या कम है हमारे लिए .हमारी अप्रतिम बेशकीमती धरोहर यह .संसर्ग संवाद ।
काजल कुमार जी वह ब्लॉग -वर्जित क्षेत्र सूक्ष्म रोमांस था .
काश हम भी वहाँ होते तो आनन्द उठाते।
जवाब देंहटाएं@काजल भाई ,
जवाब देंहटाएंकृपया उसे प्रतिबंधित के बजाय वर्जित पढ़ें ...समझ तो हुजूर जायेगें ही आहिस्ता आहिस्ता ...
आप का दिल्ली में यह अनुभव तो बहुत ही अच्छा और यादगार रहा.
जवाब देंहटाएंतारीफ़ उस खुदा की जिसने जहाँ बनाया!
जवाब देंहटाएंशीर्षक में डॉ दराल का नाम डॉ दयाल हो गया है सुधार लीजिये। अन्य विषयों को अन्यों के लिये छोडना ही बेहतर!
'sacchidanand' post.....
जवाब देंहटाएंbare bhaion ke bhi bare bhai 'yane ke dada bhaion ko jankar bara anand aaya
pranam.
"ब्लडी" मेरी को देखना चाहते हैं कि आखिर मुई है कितनी "ब्लडी" :) और ब्लडी होते हुए भी "मेरी"? :) :)
जवाब देंहटाएंमल्लिका पुखराज की याद आ गयी. आपको बधाई.
जवाब देंहटाएंDoor ka dhol suhavna lagta hai...gale ki ghanti ubaau hoti hai ....badhiya hai jee ...post
जवाब देंहटाएंnice pics
जवाब देंहटाएंlooks you enjoyed lot
सुंदर यात्रा
जवाब देंहटाएंऊंचे लोग, ऊंची पसन्द!
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी , ब्लॉग जगत में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे दिल से मिलने का दिल करता है । आप लोगों से मिलना बहुत अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंसचमुच सतीश जी ने बहुत सुन्दर फोटोग्राफी की है ।
कुछ फिकरे ब्लोगर बंधुओं को बहुत पसंद आ रहे हैं । :)
बेहद शानदार रही यह ब्लागर मीट, हमारा ध्यान भी इस "ब्लागजगत के प्रतिबन्धित क्षेत्र" क्षेत्र पर जाकर अटक गया था किंतु बाद में टिप्पणियों में स्पष्ट होगया कि माजरा कहां का था?यानि क्षेत्र बदला हुआ था:) बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
बहुत ही जीवंत यात्रा, --जारी रहे.....
जवाब देंहटाएंरोचक मिलन गाथा :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया लग रहा है यात्रा वृतांत पढ़ना।
ये 'यात्रा वृत्तांत' शब्द कहीं गलत तो नहीं इस्तेमाल कर बैठा :)
जवाब देंहटाएंआपसे दिल्ली में मुलाकात न सही, आपके माध्यम से यहाँ के कुछ और ब्लौगर्स से अप्रत्यक्ष मुलाकात तो हो ही गई. यह भी कम नहीं.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आप सबकी मुलाकात के विषय में जानकर .... जीवंत वृतांत ..
जवाब देंहटाएंबड़ी क्यूट दास्तान है। फ़ोटो भी क्यूट हैं।
जवाब देंहटाएंब्लडी मेरी का जिक्र करके आप मार्डन भी हो लिये। :)
काफी रोचक होती जा रही है इस सफर की दास्तां...
जवाब देंहटाएंकर्मक्षेत्र में संघर्षरत रहते हुए खुशियों के पल ढूंढना कोई आपसे सीखे।...वाह!
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2011/07/blog-post_27.html
जवाब देंहटाएंचार लोगों का दो-चार होना और पाव-बारह होकर नौ दो ग्यारह होने का व्रत्तांत रोचक रहा :)
जवाब देंहटाएंयात्रा वृतांत पढ़ना अच्छा लगा .
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