बुधवार, 31 मार्च 2010

आसमान से मैंने देखा सूर्यास्त ...(केरल यात्रा संस्मरण -३)

एअर इंडिया का यह विमान तनिक आधुनिक साज सज्जा लिए था -सभी यात्रियों के ठीक सामने यानि की अगली सीट के पीछे मानिटर था कुछ कुछ वैसे ही  जैसे  कभी अपनी  एक विज्ञान कथा जो चन्द्र उडान पर थी में वर्णित था ...कुछ पल के  लिए ऐसा लगा कि मैं अपनी उस कहानी मोहभंग का एक पात्र हो गया हूँ -मानिटर पर प्लेन के उडान के क्षण  प्रतिक्षण का लोकेशन दिख रहा था -विमान दिल्ली से  भारत के बिलकुल मध्य रेखा में (नीचे )तेजी से आगे बढ रहा था ..वैसे तो प्लेन के सहयात्री  बिलकुल निःसंग होते हैं, आजू बाजू से कोई मतलब नहीं होता उनका -एक इम्पेर्सोनल सा भाव होता है -मगर बगल की सीट पर एक प्रोफ़ेसर साहब थे -न उन्हें मानीटर के चैनलों पर चल रही फिल्मों में कोई रूचि थी और न मुझे ही ..हाँ कुछ देर तक मैंने पशुओं की न्यारी  दुनिया पर एक डॉक्यूमेंट्री जरूर देखी .अब पता नहीं पहल किसने की मगर हम थोड़ा बतियाने लगे थे -प्रोफ़ेसर साहब थोडा मजाकिया /मनोविनोदी स्वभाव के थे -पहले तो  मुझसे किंगफिशर की फ्लाईट छूट जाने पर  उन्होंने जब कुछ ज्यादा ही अफ़सोस जताया तो मेरी उत्कंठा मुखर हो आई ...
"ऐसा भी क्या था किंगफिशर में ..? ."
"कमनीय कंचन काया परिचारिकाएँ और लाजवाब भोजन और कुछ उपहार भी ..."
"ओह " फिर मेरी दुखती रग फिर जैसे छेड़ दी गयी हो एक ठंडी उच्छ्वास  अनायास ही निकल पडी .
"अब एयर  इंडिया की परिचारिकाओं को तो देखिये ...मतलब इनमें अब देखने को रह ही क्या गया है ...हा हा हा  "
६५ वर्षीय प्रोफ़ेसर की वाईटल सांख्यिकी में रूचि ......मैं थोडा असहज  हुआ ..इसलिए नहीं कि मैं कोई निस्पृह विरत रागी योगी हूँ बल्कि इसलिए कि बात कुछ अन्य सदर्भों को लिए हुए थी -क्या औरतों को नौकरी से केवल इसलिए निकाल देना चाहिए कि वे कमनीय नहीं रहीं .....यह तो मानवता का तकाजा नहीं है ..मैंने प्रोफ़ेसर से अपना ऐतराज जताया .मगर उनके पास मानो उत्तर पहले से ही तैयार था ....
" यह व्यावसायिकता का युग है -किंगफिशर जैसी एअरलायिने यात्रिओं को विभिन्न तरीकों /कम्फर्ट से आकर्षित कर रही हैं ..एअर इंडिया में हम और आप गरजू लोग ही अब यात्रा को रह गए हैं ......" यह एक अंतहीन सी वार्ता थी ...
                                                             .... और यूं सूर्यास्त हो गया !
इस लम्बी हवाई यात्रा  का सबसे रोमांचपूर्ण क्षण वह था जब लगभग पौने सात बजे शाम हमने कोचीन पहुँचने  के पहले  ही  मुम्बई से थोडा आगे बढ़ने पर सूर्यास्त का नजारा देखा -वायुयान में आसमान और धरती का मिलन/क्षितिज हेजी हेजी सा नहीं बल्कि बहुत स्पष्ट दिखता है -लगता है कि एक स्पष्ट विभेदक रेखा दोनों जहां को अलग वजूद दे रही है -और उसी रेखा पर कोई २  मिनट तक सूर्य हिलकोरे लेता हुआ दिखा और फिर नजरों  से ओझल हो गया ....और लो शुक्र ग्रह भी दिखने लगा -बिलकुल साफ़ और चमकीला -अब करीब सात हजार मीटर  की ऊँचाई पर जहाँ न कोई गर्द गुबार ,न कोई प्रदूषण हो आकाशीय पिंड इतने साफ़ क्यों न दिखें ! मगर हाँ दूसरे तारे तो तो नहीं दिखे मैंने इधर उधर बहुत गरदन घुमाई .अचानक  सामने के मानीटर पर नजर गयी -बाहर का तापक्रम माईनस ४० डिग्री था ..सोचकर ही कंपकपी छूट  गयी!

आगे की यात्रा कोई ख़ास घटना पूर्ण नहीं थी ..हाँ जब कोचीन उतरने पर  हम तो यान में ही बैठे रहे मगर इक रोचक बात हुई -दो जन आये और उन्होंने मांग की उनकी सीटे खाली कर दी जायं जिन पर हम बैठे थे-हद है उन्हें हमारी ही सीट कोचीन से अलोट थी -प्रोफ़ेसर साहब  भुनभुनाये -देख  लिया न एअर इंडिया की करतूत ....बहरहाल सीटें कोचीन में बहुत खाली हो गयीं थी और परिचारक उन्हें अलग सीट पर बाइज्जत बैठाने  का जतन  करने में लग गए थे -हमने भी कह दिया था कि भाई लोग हम शुरू से जहां से बैठे हैं आखीर तक वहीं बैठे रहेगें ....हजरते दाग जहाँ बैठ गए बैठ गए ...(धीरे से बुदबुदाया था  मैं ) .
..
ठीक दस बजे हम तिरुवनंतपुरम पहुँच गए थे .मुझे लेने मेरे मित्र और मत्स्य फेडरेशन केरल के डी  जी एम डॉ के .शोभना कुमार आये हुए थे -हम ठीक आमने सामने ही खड़े एक दूसरे को मोबिलिया रहे थे ...वे धोती पहने थे और मैं मोटा हो गया था इसलिए एक दूसरे को पहचान नहीं पा रहे थे .....यात्रा का एक बड़ा हिस्सा पूरा हो गया था ....अब कल से केरल परिभ्रमण शुरू होना   था ....
जारी .....
आसमान से मैंने देखा सूर्यास्त ...(केरल यात्रा संस्मरण -३)

29 टिप्‍पणियां:

  1. कभी पश्चिमी तट पर समुद्र में सूरज को डूबते देखा है? कितना अद्भुत नज़ारा होता है वो. ये तस्वीर आपने खींची है? बहुत सुन्दर है.

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  2. "कमनीय कंचन काया परिचारिकाएँ और लाजवाब भोजन और कुछ उपहार भी ..."
    "ओह " फिर मेरी दुखती रग फिर जैसे छेड़ दी गयी हो एक ठंडी उच्छ्वास अनायास ही निकल पडी .
    "अब एयर इंडिया की परिचारिकाओं को तो देखिये ...मतलब इनमें अब देखने को रह ही क्या गया है ...हा हा हा "


    हे भगवान, लगता है भाटिया जी को बोलकर मिश्राईन भाभी को मेड-इन-जर्मन भिजवाना ही पडेगा.:) इस उम्र में बहुते खराब बात है ये.

    रामराम.

    "-ताऊ मदारी एंड कंपनी"

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  3. संस्मरण तो ठीक है,
    हम तो ताऊ की टिप्पणी पर मुस्कुरा रहे :-)

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  4. यह व्यावसायिकता का युग है -किंगफिशर जैसी एअरलायिने यात्रिओं को विभिन्न तरीकों /कम्फर्ट से आकर्षित कर रही हैं ..एअर इंडिया में हम और आप गरजू लोग ही अब यात्रा को रह गए हैं ......" यह एक अंतहीन सी वार्ता थी ...

    सूर्यास्त के नज़ारे के साथ ये कटाक्ष करना भी नहीं भूले...

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  5. tau jo korea kee paricharikayen hain unhen dekh kar to main bhee mohit ho gayee.mai to aaj sab ko raam raam karane hee aayee hoon| shubhakamanayen

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  6. ha...ha..ha..ha..aap to air india kee flite men the...magar ham to yon hi udte hue sab jahaan kee sair kar lete hain....bahut badhiyaa varnan hai bhayiya...afsos ham abhi tak vahaan nahin pahuch paaye.....!!

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  7. केरल घूमना स्वर्ग घूमने जैसा है.. मैंने भी एक यात्रा प्लान की थी कुछ दोस्तों के साथ जो किन्ही कारणोंवश हो नहीं पायी.. अच्छा लगा आपका यात्रावृतांत पढ़कर.. केरला की कुछ और फोटोस लगादीजिये तो बस दिन बन जाये

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  8. बहुत ही अदभुत चित्र हैं रोचक लग रहा इस यात्रा संस्मरण को पढना ...शुक्रिया

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  9. Magic in your words doctor, magic. One feels like keep reading.

    Forgive the English. Hindi software all malfunction on Windows 7 that Installed recently.

    By the way, thanks for confessing where all you were looking during your flight (of fantasy?).

    -- Shastri

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  10. ...Ye 'mard' nahi sudhrenge....

    Be it Kingfisher or Indian airlines, they are not gonna improve. Their focus will never shift...." suryaast to ek bahaana hai"

    from Lawyer to professors, from adolescense to heptagenarian...They are alike ! Kabhi nahi badlenge !

    Why they failed to see the beauty of elderly air hostesses?..'cause they fail to see the tears behind the twinkle of their eyes and they fail to read the unsaid tales behind the smiles on their lips.

    Smiles--which they are supposed to make it or fake it ! (while on duty)

    Anyways you should be grateful to unpleasant faces of Indian airlines who gave you a chance to look at sunset !

    Rochak sansmaran !
    A-rochak chehre !

    Smiles !

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  11. बच्चों में भी किंगफिशर का क्रेज है । क्यों

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  12. @Zeal,
    really sorry,can see the disapproval in between your lines but I confess ,I must remain sincere and honest in my in my deliberations..
    you did not reply how the pact of Ganesha and Vyasa could be put into practice?
    Ganesha is lord of wisdom so some insight must come from you ...its not Vyasa's cup of tea!

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  13. बोरिंग टाइम की बढ़िया चर्चा ...शुभकामनायें !!

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  14. हवाई जहाज से सूर्यास्त देखना बहुत रोमांचक अनुभव है. बहुत पहले भोपाल से मुंबई जाते समय मैंने यह भी गौर किया कि सूर्यास्त न केवल बेहतर दीखता है बल्कि छितिज पर अद्भुत लालिमा आठ बजे के बाद तक भी रहती है. ऐसा वायुयान के पृथ्वी के घूर्णन की दिशा के सापेक्ष जाने के जारण हो सकता है शायद.

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  15. सबसे बढिया टीप डा. अमर कुमार जी की रही ....बस म्यूट मोड में थी इसलिए थोडी सी दिक्कत हो गई ...वैसे कही बात उन्होंने जोरदार ...जील तो दिखीं मगर जैकवा नहीं आता दिखा
    अजय कुमार झा

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  16. विमान यात्रा और परिचारिकाएं ! यानि आम के आम और गुठलियों के भी दाम चाहिए । दिलचस्प !
    वैसे विमान की ३००००- ३४००० फीट की हाईट हो तब बाहर का तापमान -४० डिग्री होता है।
    यात्रा सुखद रहे ।

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  17. Kahan Raja bhoj (Vyasa), kahan Gangu teli ?

    That was just a corollary. "Satyug' cannot come in 'Kaliyug'. The pact is imaginary. The beauty of that pact lies in its imagination only.

    Life is nothing but a memorable journey. Several, moments and places and people come across and leave a lasting impact.

    Destination /goal/manzil...is the END. So kindly do not think of end.

    Journey to achieve something is the most beautiful phase. After achieving the goal, the project ends. (End scares!)

    Lord Ganesha , after all is use to of being worshiped first and given utmost importance everywhere. So any deal finalized may put his position at stake. And like everyone, he is also wise and not not ready to take a chance where loss is almost certain. In the male dominating society 'Vyasa' is in win-win situation.

    Since Ganesha is quite generous, he will extend his support by prompting, motivating and encouraging Vyasa .

    Above all Ganesha has full faith in Vyasa's Capacities.

    I hope nothing is cryptic .

    Thanks.

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  18. Now Vyasa finds to his great pleasure that his newly found new age Ganesha is quite eloquent and an orator par excellence-a 'vachspati' as well something unheard of traditional Ganesha!

    Let lord Shiv shower his choicest blessings to this curious association!
    Sah nau bhuvati ....

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  19. @Dr.DARAL Thanks!
    It was an inadvertant mistake/ oversight -the measurements should be in meters and not in feet .
    regretted,
    arvind

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  20. मजेदार जी आप की यह यात्रा, "कमनीय कंचन काया परिचारिकाएँ और लाजवाब भोजन और कुछ उपहार भी ..." अरे बाबा यह किंग फ़िशर वाले आप को स्वर्ग का एहसास दिलाते है कि हि मानव अच्छॆ काम करेगा तो तुझे स्वर्ग मै ऎसी अपसरये मिलेगी.... ओर बुरे काम करेगा तो तुझे एयर इंडिया.........???आप डरिये मत खुल कर बात लिखे मै ताऊ के कहने से मिश्राईन भाभी को लठ्ठ नही भेजूगां, बस एक एक बेसबाल का बल्ला भेज दुंगा, वो लठ्ठ से मजबुत होता है :)

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  21. Bahut sundar chitr..mai aapse sahmat hun.....kya kiseeki patnee 50 saalki ho jaye aur unhen mezbanee karni ho to kisi yuva mahilako bula lena chahiye?
    Phir to mahilaon ko bhi naujawan karmchariyonki maang karni chahiye!

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  22. "कमनीय कंचन काया परिचारिकाएँ और लाजवाब भोजन और कुछ उपहार भी ..."
    हम्म...

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  23. रोचक संस्मरण ...अच्छी तस्वीर ..
    और उससे भी रोचक अच्छी ताउ की टिप्पणी ...:):)

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  24. @Raj Bhatia-

    "Belan is more effective"

    @ Arvind ji-

    Dhyan rahe 'Tau' ji is our representative. But still we are enjoying the spicy narration....

    and 'Thanks" for the blessings .

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  25. बढ़िया चल रहा है यात्रा वृत्त....
    दिलचस्प। प्रोफेसर साहब की शख्सियत बढ़िया लगी।

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  26. अब तो पहुँच गए केरल ! केरल भ्रमण ठीक रहेगा !
    लिखने का अंदाज ही मन हर लेता है !

    चित्र सच में क्या आपने खींचा है ! बेहतरीन ! आभार ।

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