दूसरे दिन का सत्र तो शुरू होना था १०.३० पर मगर शुरू हो पाया ११.३० बजे ! प्रियंकर जी सत्र अध्यक्ष बने ! वक्ता ,मसिजीवी ,गिरिजेश राव ,विनीत ,हेमंत कुमार ,हिमांशु और मैं !संचालक रहे इरफान ! यह सत्र अध्यक्षीय अनुशासन और कुशल संचालन से देर से शुरू होने के बाद भी संभल गया ! मसिजीवी अच्छा बोले ! उन्होंने बेलाग कहा कि ब्लॉग की भाषा शैली साहित्यिक गोष्ठियों की बोली भाषा से बिलकुल अलग है -यहाँ तो जबरिया लिखने का भी आह्वान है ! उन्होंने हिन्दी पट्टी के बाहर के ब्लागरों के इस माध्यम के विकास में किये गए योगदानों को रेखांकित किया ! कहा कि ब्लॉग ने अभिवयक्ति को एक नया भाषिक तेवर दिया है !
गिरिजेश राव जी ने साहित्य और ब्लागिंग के विवाद को ही खारिज कर दिया ! उन्होंने कहा कि यह साहित्य संप्रेषण का ही एक नया माध्यम है और साहित्य की परिधि से अलग नहीं है ! उन्होंने कहा कि साहित्य तो हर जगह उपलब्ध है -बस दृष्टि दोष के चलते इसे स्वीकार नहीं किया जा रहा ! कहीं भी कही जाय ,बात कही जाने लायक होनी चाहिए ! उन्होंने ब्लॉग के लिए आंचलिक भाषाओं और संस्कृत तक के उपयोग को प्रोत्साहित किया ! ब्लॉग साहित्य से कहाँ अलग है ?
विनीत ने चिट्ठाकारी को केवल चिट्ठाकारी के ही परिप्रेक्ष्य में लेने की वकालत की -इसे किसी अन्य विधा भाषा के परिप्रेक्ष्य में देखने की कोशिश के प्रति आगाह किया ! उन्होंने कहा कि आज ब्लॉग जगत खुद इस स्थिति में आ चुका है कि उसका अकेले ही पृथक ,स्वतंत्र मूल्यांकन हो सकता है -ब्लॉग ने आज की ही डेट में एक नए शब्दकोश की आधार शिला रख दी है -चिटठा ,चटका ,बौछार आदि नए भाव के शब्द ही तो हैं! उन्होंने कुछ और शब्दों के उदाहरण गिनाये ! उन्होंने ब्लॉग को पारम्परिक मीडिया से ऊपर का दर्जा दिया और कहाँ यहाँ तो खबरों की खबर लेने का जज्बा है ! जहां खबरों की विश्वसनीयता मेनस्ट्रीम पत्रकारिता में घट रही है ब्लॉग जगत एक नये भरोसेमंद मीडिया में तब्दील हो रहा है ! वे उर्जा से लबरेज बहुत और बार बार बोलना चाहते थ मगर समय की सीमा ने उन्हें भी हठात रोका ! निश्चय ही उनके पास कई नई उद्भावनाएँ हैं ,सृजनशीलता है और उनके संकलित और अविकल विचारों को जानने की मुझे भी उत्कट इच्छा रहेगी !
आगे के वक्ताओं हेमंत कुमार और हिमांशु ने कविता की ब्लागीय प्रवृत्तियों को इंगित किया और कविता ,अकविता से कुकविता की भी चर्चा विस्तार से की और उसकी अमित संभावनाओं की आहट भी ली ! कई सवाल रूपी टिप्पणियाँ भी की गयीं ! कई बार तो वक्ता के बिना मूल पोस्ट /कथन के पूरा हुए भी टिप्पणियाँ तैरती हुई आ पहुंची ! मैंने क्या कहा इसका उल्लेख तो एक ब्लॉगर श्रेष्ठ कर ही चुके हैं और वैसे भी अपनी संस्कृति और संस्कार अपने ही कहे के बारे में बार बार कुछ कहने का निषेध करती है -ऐसी परम्परा भी है ! मैं अपनी बात संहत रूप से शायद अलग से अपने विज्ञान के चिट्ठों पर पोस्ट कर सकूं ! या फिर आगे यदि इस गोष्टी की प्रोसीडिंग निकले तो मैं जरूर ब्लॉग के जरिये विज्ञान संचार पर अपना आलेख देना चाहूंगा मगर डर तब भी रहेगा कि यही सम्पादक मंडल तब भी शायद यही कह दे कि यह लेख नहीं आत्म प्रचार है ! कैसा घोर कलयुग आ गया है(हा हा ) कि जहां आत्म प्रचार है वहां यह नहीं दिख रहा है बल्कि उसे कहीं अन्यत्र तलाशा/ आरोपित किया जा रहा है ! कहते हैं न सावन के अंधे को हर जगह हरा हरा ही दिखने लगता है !और लोग किसी मुगालते में न रहें -प्रोसीडिंग छपेगी ही ! अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा इतना खस्ता हाल भी नहीं है !
मुझे अपरिहार्य कारणों से सत्र को बीच में ही अध्यक्ष महोदय की अनुमति से छोड़कर बनारस भागना पड़ा ! तो यह अर्ध दिवस की ही रिपोर्ट आपके सामने रख पा रहा हूँ ! अध्यक्षीय उदबोधन क्या प्रियंकर जी कोलकाता पहुँच कर उपलब्ध करा सकेगें -प्लीज !
दावात्याग : अगर कोई बात कही किसी ने हो और उद्धृत किसी और के नाम से हो गयी हो (टू ईर्र इज ह्यूमन !) हो तो भैया टेंशन नहीं लेने का बस बता दें -संशोधन हो जायेगा ! यहाँ वक्ता नहीं विचार महत्वपूर्ण है ! कुछ संक्षेप भी हुआ है क्योकि बहुत कुछ यहाँ भी प्रकाशित हो चुका है और पिष्ट पेषण का मेरा कतई इरादा नहीं है !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
चलो........रात गई बात गई:)
जवाब देंहटाएंab yeh bacha-khucha bhi achcha laga....
जवाब देंहटाएंसच्ची बातें! अब आप का मनोयोग से नोट करने का महत्त्व समझ में आया। लप्पू पर वहीं धाराप्रवाह टाइपिंग करते लोग तो अनरथ अकारथ जैसा कुछ दिखा चुके हैं - आप ने सँभाल लिया।
जवाब देंहटाएंमसिजीवी, अफलातून,भूपेन, प्रियंकर, हर्षवर्धन, विनीत और ब्लॉगरों को ललकारते उस तेजस्वी युवक की मेधा शक्ति देख मन प्रफुल्लित हो उठा था। सोचा था कि आप लिख ही रहे हैं, मैं क्यों लिखूँ ?(असली आलसी जो ठहरा)
अरुण जी, आप, हिमांशु और हेमंत जी के साथ विविध विषयों पर इतनी चर्चाएँ और इतना हँसी ठठ्ठा ! दो दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला। उन पर ही जाने कितनी पोस्टें लिखी जा सकती हैं। आप का लिखा पढ़ कर धनधना जाने की तमन्ना थी, आप ने निराश कर दिया। . . इतना कम क्यों? देख रहा हूँ कि हमरा लिंक ही दे दिए हैं! नहीं भैया, आलसी आप नहीं हम हैं। अउर लिखिए।
सब कुछ इतने विस्तार से जानना अच्छा लगा ! निश्चित ही अभी पूरे ब्लॉग जगत के हर आयाम में एक प्रकार के स्तरीकरण की जरूत है !
जवाब देंहटाएंखुरचन तो अच्छी लगती ही है. आभार
जवाब देंहटाएंहम तो थे नहीं... तो इसी से जान रहे हैं कि क्या हुआ होगा. वन डाइमेंशन की कई पोस्ट्स को मिलाकर थ्रीडी विजुअलाइज़ कर रहा हूँ कि हुआ क्या होगा :)
जवाब देंहटाएंजो बातें छूट गईं थीं अन्य रिपोर्टिंग्स में उन्हे आपने बखूबी प्रस्तुत किया है । कहीं भी दुहराव नहीं है ।
जवाब देंहटाएंअर्धदिवसीय रिपोर्ट है तो संक्षिप्त होना स्वाभाविक है ।
बहुत हो गया भैया अब तनिक विश्राम कर लीजिये । तबियत का ध्यान रखें ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मिश्राजी
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विश्लेषण मे आपकी कुशलता की दाद देनी पडेगी अरविन्दजी सर!
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अर्ध दिवसीय रिपोर्ट !
मे भी पुर्णता का आभास मिल रहा है सरजी!!!
बहुत बहुत बधाई आपकी अर्ध दिवसीय रिपोर्ट वास्ते
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हेपी ब्लोगिग
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
SELECTION & COLLECTION
ब्लोगर सम्मलेन की अंतिम संक्षिप्त रिपोर्ट ...बहुत कुछ कह गयी सम्मलेन के बारे में ...
जवाब देंहटाएंपर आत्मप्रचार ने ऐसा भी क्या डराया आपको की दावात्याग लिखना पड़ा ....!!
यहाँ वक्ता नहीं विचार महत्वपूर्ण है !
जवाब देंहटाएंआपकी सार्थकता के कायल हैं हम. बहुत धन्यवाद, इस ब्लागर संगोष्ठी के बारे मे लगातार बताने के लिये.
रामराम.
"साहित्य तो हर जगह उपलब्ध है -बस दृष्टि दोष के चलते इसे स्वीकार नहीं किया जा रहा"
जवाब देंहटाएं....Girijesh ji ki baat se sehmat !!
Waise accha varnana tah poore kumbh ka !!
(Blogiya kumbh ka)
Pichli post main bhi !!
बहुत ही सटीक रिपोर्ताज। दूसरे भाग में आप रुक गये होते तो मुलाकात हो जाती!
जवाब देंहटाएंक्या होती है एक आदर्श ब्लोग्गर मीट , कैसे करते हैं उसकी रिपोर्टिंग , कैसे वहां बैठना, चलना और फोटू खिंचवाना ‘चहिये ‘ , और भी बहुत कुछ ……देखें सिर्फ़ यहाँ — maykhaana.blogspot.com
जवाब देंहटाएंखुरचन अछ्छी होती ही है लेकिन खुर नहीं ,पहले दिन जो खुर प्रहार हो रहे थे उसके कारण मैं तो अपना चिठ्ठाकारी की उन्मुक्तता और नियंत्रण पर अपना आलेख " आपन तेज सम्हारो आपे " की तर्ज पर बिना पढ़े ही नाम वापस ले लिया फिर कभी यह लेख अपने क्याकहूँ ब्लॉग पर दूंगा
जवाब देंहटाएंवैसे क्या अच्छा होता यदि वरिष्ठ व स्वनामधन्य ब्लागरों को वी आई पी का सम्मान देते हुए बायोनीमा का किट दे दिया जाता सब टेंसन समाप्त हो जाती
मेरा कंप्युटर दुरुस्त हो गया है शीघ्र ही इन्ही विषयो पर अपना लेख देने का प्रयास करूँगा
Blogger meet ka itna vivaran bhi poora scene samjha gya.
जवाब देंहटाएंdhnywaad
शेष बची तमाम रपट पढ़कर थोड़ा सकून मिला।
जवाब देंहटाएंअब विषय परिवर्तन करें मिश्र जी...!
@रात गयी बात गयी नहीं :)
जवाब देंहटाएंअगर ऐसा रहेगा तो फिर से रात आयेगी और फिर से कोई बात हो जायेगी इसीलिए चलो नहीं