आज पूरे तीन दिन बाद नेट नसीब हो पाया है -शुक्रवार को जब सुबह अपनी निश्चित हो चुकी दिनचर्या के मुताबिक सुबह ६.३० बजे ब्लॉग कर्म की ओर प्रवृत्त हुआ तो पाया कि ब्राडबैंड सेवा अवरुद्ध है -उलझन शुरू हो गयी ! हर घंटे पर चेक करता रहा मगर स्थति वही रही -और फिर शुरू हो गयी मेरी विभागीय व्यस्तता ! देर शाम को लौटा और पाया नेट कनेक्शन अभी भी ठीक नही हुआ है ! मन अनमना सा हो गया ! यह जानने की उत्कंठा धरी की धरी रह गयी कि ब्लॉग जगत में आज क्या लिखा पढ़ा गया -लोगों ,लुगाईयों ने क्या कारनामें किए !बाईस्कोप की तरह चेहरे जेहन में आते जाते रहे . धर्म क्षेत्रे कुरु क्षेत्रे समवेता युयुत्सव .......किम कुर्वतः संजय ? मेरा और आपका संजय तो अब यही ब्राड बैंड ही तो है न ,अब जब यही दगा दे गया तो किससे ब्लॉग क्षेत्रे की जानकारी ली जाय ?
जब व्यग्रता ज्यादा बढ़ी तो ब्राड बैंड सुविधा प्रदाता यानि बी एस एन एल के स्थानीय कार्यालय के सम्बन्धित सेक्शन को फोनियाया - एक भोली भाली महिला आवाज में जवाब आया," सर ब्राड बैंड सेवा में कुछ गडबडी है लोग ठीक कर रहे हैं "
"कब तक ठीक हो जाएगा मैडम ?"
"कह नही सकती सर "
"एस डी ओ साहब से बात कराईये "
"सर आप जानते हैं न कि हमारे यहाँ शनिवार और इतवार दोनों दिन की छुटी रहती है !"
मैं एक भावी आशंका से काँप गया मैं ...
"तो क्या मतलब एस डी ओ इस सेवा को बहाल करने में नही लगे हैं ?"
"नही सर उनकी तो आज छुट्टी है न ..."
"तब ?"
"वे तो अब सोमवार को ही आयेंगें "
मैं जान गया कि अब यह सेवा सोमवार को ही बहाल हो पायेगी ! मैं भी विभागीय काम से लखनऊ निकल गया -केन्द्रीय कर्मी छुट्टी मना रहे हैं और इन दिनों उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्येक माह के दूसरे रविवार को लखनऊ में प्रदेश के सारे अधिकारियों की हाई प्रोफाईल बैठकें करा रही है .बहरहाल आज घर पहुँचा तो धन्यभाग- ब्राड बैंड सेवा बहाल हो गयी है और मैं आपसे मुखातिब हो पाया हूँ -लगता है एस डी ओ साहब के कान पर जू रेंग गयी और वे सोमवार की बजाय अपनी छुट्टी पहले ही खत्म कर काम पर आ जुटे ! बी एस एन एल का क्या भरोसा जो बनारस जैसे अंतर्राष्ट्रीय मान चित्र पर उभरे शहर में ब्राड बैंड सेवा को ठीक करने में पूरे तीन दिन ले बीता ! अंतर्जाल और मेरे सम्बन्धों में इतना बड़ा अन्तराल अभी तक नही आया था -मैं उस दहशतनाक मंजर से सिहर उठा हूँ जब कहीं कुछ ऐसी अनहोनी न हो जाय कि इस आभासी दुनिया का वजूद ही न मिट जाय !
फिर हम इनके जरिये बने कितने ही मधुर रिश्तों -नातों को कैसे निबाह पायेगें ? ब्लॉग संस्कृति का क्या होगा ? क्या तब साहित्यकार ठठा के हँस नही पड़ेगे कि लो गया ब्लॉग साहित्य , -ब्लॉग साहित्य ,हुंह माय फ़ुट !
यह अंतर्जाल /ब्लॉग व्यवधान क्या क्या सोचने पर विवश नही कर गया ! मैंने सोचा क्यूं न इसे आपसे बाँट मन हल्का कर लूँ और यह निवेदन भी कर लूँ कि मुझे पिछ्ला बैकलाग देखने -पूरा करने में समय लग सकता है ! तब यदि इस दौरान आपने कुछ विशेष रचा हो और आप चाहते हों कि मैं उसे पढने का सौभाग्य प्राप्त करुँ तो मुझे मेरे ई मेल पर सूचित कर दें --मुझे आपके ई मेल का इंतज़ार रहेगा ! मेरा ई मेल आप जानते ही हैं -न भी जानते हों तो यह रहा -drarvind3@gmail.com
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
-
Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
अतिमार्मिक !
जवाब देंहटाएंदिल को छू गयी आपकी व्यथा ! ईश्वर इतना कष्ट किसी को न दें !
पहले अखबार न आने पर ऐसे तड़फड़ाते थे, पर जमाना बदल गया है!
जवाब देंहटाएंये ब्राड बेंड कभी कभी प्रायः सबकी बैंड बजा देता है। आपको जल्दी निजात मिल गयी।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सबकुछ आपके विज्ञान के अनुसार ही नहीं होता .. ग्रहों को भी अपना काम करने दीजिए .. गोचर में चंद्रमा पूरे ढाई दिन में असमान के 30 डिग्री यानि एक राशि को कवर करता है .. इसका प्रभाव पडने से पूरे ढाई दिनों तक कोई समस्या बरकरार रह सकती है .. चलिए एक छोटी ढैय्या से छुटकारा तो मिल गया .. बधाई !!
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा चलिए बधाई हो तीन दिन का वनवास खत्म हुआ आपका ..
जवाब देंहटाएंregards
ब्राड ब्रान्द्वा का इते भी हाल बुरो है. शिकायत करना भी अपने आप में एक उपलब्धि होती है.
जवाब देंहटाएंच्च्च्च..! भगवान भी कैसे कैसे दिन दिखाता है
जवाब देंहटाएंहम तो एक पखवारे से परेशान हैं ,कभी बिजली नहीं -कभी ब्राडबैंड फेल -कभी इनवर्टर खराब तो कभी जनरेटर .किसी तरह जुडें हैं फिर भी.
जवाब देंहटाएंबी एस एन एल = भाई साहब नहीं लगेगा.
जवाब देंहटाएंयह मतलब बताया गया था हमें.
सच मै बेचेनी बढ जाती है,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त सुन्दर
जवाब देंहटाएं---
प्रेम अंधा होता है - वैज्ञानिक शोध
बढ़िया। अंतर्जाल-व्यवधान सचमुच एक ब्लागर को, नियमित ब्लागर को व्याकुल कर देता है।
जवाब देंहटाएंInternet ki samasya to hamein bhi jhelni pad rahi thi, chaliye ab isse bahar nikal aaye hain. Badhai aapko bhi.
जवाब देंहटाएंहम तो आपको फ़ोन करके पूछने वाले ही थे कि क्या बात है. वैसे संगीताजी वाली बात मे भी तथ्य दिख रहा है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
Ye sab inverter bechne waalon ki chal hai...........
जवाब देंहटाएंमैं तो हाल ही में चौदह दिन का वनवास झेल चुका हूँ.
जवाब देंहटाएंशायद इसीलिए बीएसएनएल की एक परिभाषा यह भी है; भूल से न लेना।
जवाब देंहटाएं@ bhgvaan se bhee nahee lagegaa -ise bhee not kiyaa jaay my lord !
जवाब देंहटाएंमैं सोचता था मेरे साथ ही ऐसा हुआ है। चलो एक साथी तो मिला। शुक्रवार शाम से मेरा भी चौड़ी पट्टी के बंदर से संबंध नहीं था। आज शाम ही बहाल हुआ है। लेकिन आकस्मिक व्यस्तताओं के कारण ब्लाग जगत में कल सुबह ही लौटना हो सकेगा।
जवाब देंहटाएंजैसे आपके दिन बहुरे, वैसे सबके बहुरें।
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ भी जब ब्रॉडबैण्ड बंद होता है तो शुक्रवार की शाम या शनिवार को।
जवाब देंहटाएंये चक्कर क्या है :-)
इतना ब्राड है आपका बैंड की तीन दिन तक बजता रहा!!!! :)
जवाब देंहटाएंब्राडबैण्ड न चले तो ऑफलाइन पोस्ट चमकानी चाहिये विण्डोज लाइवराइटर पर!
जवाब देंहटाएंबाकी घायल की गति घायल जाने!
-मैं उस दहशतनाक मंजर से सिहर उठा हूँ जब कहीं कुछ ऐसी अनहोनी न हो जाय कि इस आभासी दुनिया का वजूद ही न मिट जाय !
जवाब देंहटाएंफिर हम इनके जरिये बने कितने ही मधुर रिश्तों -नातों को कैसे निबाह पायेगें ? ब्लॉग संस्कृति का क्या होगा ?
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कैसे कैसे ख्याल aa जाते हैं???
vyangy लिखने में आप का कोई saani नहीं है!
बैंड वाकई बज गया :) अच्छा व्यंग लिख दिया आपने इस व्यथा पर
जवाब देंहटाएंआप तो लगता है जैसे अमेरिका-उरोप मे हैं जी. इंडिया मे तो ई आम बात है.
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