यह कौन नहीं जानता की हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में विधायिका का स्थान सबसे ऊंचा हैं -बाकी न्यायपालिका और कार्यपालिका उसी की अनुगामिनी भर हैं -मगर इसी विधायिका का एक यह घिनौना चेहरा भी देखिये कि उसी की नुमायन्दगी कर रहे एक विधायक ने किस तरह अपने चेलों चपाटों के साथ एक अपर जिला मजिस्ट्रेट को उनके आफिस में ही घुस कर धुन डाला और आराम से कचहरी परिसर से बाहर निकल गए ! आज बनारस में इस घटना को लेकर बवाल मचा हुआ है -पूरी खबर पढ़ ले !
अब उत्तर प्रदेश भी कुछ वर्षों पहले के बिहार के समान बनता जा रहा है -क्या इन जन प्रतिनिधियों के आचरण से लगता है कि हमारा महान देश सचमुच लोकतंत्र के उदात्त गुणों को आत्मसात करने लायक हो गया है ? अब्दुल समद अंसारी जिन पर यह अत्यंत कुत्सित कृत्य करने का आरोप है ,समाजवादी पार्टी के विधायक हैं ! वे जोर जबरदस्ती अपनी हनक पर एक गलत काम अपर जिला मजिस्ट्रेट (प्रोटोकाल ) से कराना चाहते थे मगर उनके मना करने पर उनको पीट दिया -उनके चेले भी साथ थे जिनमे बनारस के एक पार्षद मनोज राय धूप्चंदी भी शामिल थे ! लोकतंत्र और विधायिका को शर्मसार करती इस घटना से बनारस की जनता ,अधिकारी .कर्मचारी सब स्तब्ध है ! सभी में असुरक्षा और अपमानित होने की भावना घर कर गयी है -जब एक मजिस्ट्रेट यहाँ सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी की नियति का आप अंदाजा लगा सकते हैं ? अभी भी मुलजिम बेखौफ घूम रहा है -ऍफ़ आयी आर खुद अपर जिला मजिस्ट्रेट आर के सिंह ने लिखायी और मीडिया के सामने अपनी आपबीती बताते हुए फफक फफक के रो पड़े !
यह पोस्ट आपसे इस लिए बाँट रहा हूँ की मैं आज खुद भी इस घटना से क्षुब्ध हूँ और विधायिका के इस घिनौने चेहरे से डरा हुआ भी ! आप की क्या प्रतिक्रिया है ?
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
बिहार तो सुधर रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश पुराने बिहार का उत्तराधिकारी बनता जा रहा है. हम तो शर्मिंदा हैं की जिस गंगा के मैदानी संस्कृति की तूती बोलती थी वहां असभ्यता की पराकाष्टा देखने मिल रही है. आज भारत में अराजकता के लिए दोनों प्रदेश कुख्यात हो चले हैं.
जवाब देंहटाएंबेहद शर्मनाक और निन्दनीय घटना है, दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिये,
जवाब देंहटाएंवैसे विधायिका से भी ऊपर जनता की ताकत है अगर उसका सदुपयोग हो सके तो .
बाहुबल ही से तो सरकारें चल रही हैं!
जवाब देंहटाएंशर्मनाक और निन्दनीय घटना -जाने किस ताकत का गुरुर है.
जवाब देंहटाएंयदि सत्ताधारी पार्टी के प्रति अपना समर्थन दिखाने के लिए कुछ गुण्डों द्वारा एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का घर जला दिया जाता है और बेखटके राज्य सरकार के मुख्यालय से निकला जा सकता है तो सपा वाले उनसे पीछे क्यों रहे? इस सरकार के पास गुन्डागर्दी के खिलाफ़ कार्यवाही करने का नैतिक बल ही नहीं बचा है।
जवाब देंहटाएंअब सरकारी अधिकारी अपने रिस्क पर काम करें तभी चल पाएगा। मन कुपित हो रहा है।
ऍफ़ आयी आर खुद अपर जिला मजिस्ट्रेट आर के सिंह ने लिखायी और मीडिया के सामने अपनी आपबीती बताते हुए फफक फफक के रो पड़े !
जवाब देंहटाएंकैसी शर्मनाक घटना है !!
अति निन्दनीय । देखते हैं क्या होता है दोषी विधायक के साथ ?
जवाब देंहटाएंमौजूदा जनतांत्रिक व्यवस्था की खामियों का नतीजा है यह।
जवाब देंहटाएंये वाकया किसी एक शहर का नहीं है..!!
जवाब देंहटाएंक्षुब्ध होने के अलावा जनता जिस रोज सडकों पर आजायेगी..इनका इलाज भी हो जायेगा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाकई निंदनीय है ये..
जवाब देंहटाएंAisi gatividhiyon ke viruddh sarthak kaararvai ka na hona aisi aur ghatnaon ki prerna ka bhi karya karta hai.
जवाब देंहटाएंनिहायत ही शर्मनाक घटना.....
जवाब देंहटाएंबेहद शर्मनाक और निन्दनीय घटना !
जवाब देंहटाएंसुब्रह्मण्यम जी बहुत सही और संतुलित कह रहे हैं।
जवाब देंहटाएंये एक बेहद शर्मनाक घटना है, दोषियों को सजा जरूर मिलनी ही चाहिये और साथ साथ ऐसा प्रबंध भी होना चाहिए की दुबारा ऐसा न हो.................
जवाब देंहटाएंउस पर तुर्रा ये की शिवपाल यादव खुले आम कह रहे है की लोक प्रतिनिधियों का सम्मान करना चाहिए वर्ना ऐसी घटना घटेगी .वे कही भी शर्मसार नहीं दिखे ..अगर मीडिया इस घटना को हाईलाईट नहीं करता तो कुर्की होनी मुश्किल थी...ऐसे लोगो को कम से कम पांच साल तक प्रतिबंध लगाना चाहिए .चुनाव न लड़ने का
जवाब देंहटाएंबेहद शर्मनाक...........
जवाब देंहटाएंगुंडे गुंडई नहीं करेंगे तो क्या करेंगे.
जवाब देंहटाएंजब मुख्यमंत्री-निवास के पड़ोस में घर बेखौफ जलाया जाए वहीं छोटे-मोटे अफसरों को तो रोज़ पीटने के लिए तैयार रहना चाहिए. ..उस पर तुर्रा यह की लोग पूछते हैं जनता विद्रोह काहे करती है?
जवाब देंहटाएंसत्ता और बाहुबल के गुरूर वाले मूर्ख संत कबीर के शब्द भूल जाते हैं:
एक लख पूत सवा लख नाती|
ता रावण घर दिया न बाती ||