सोमवार, 17 अगस्त 2009

ब्लागर अरुण प्रकाश - प्रोफाईल लो मगर पोटेंशियल हाई !....

अरुण प्रकाश जी यथार्थ जगत के मेरे उन पुराने साथियों में से हैं जिन्होंने इस आभासी जगत में भी अपनी दस्तक दी है ! अब वे मुझसे भी बड़े अधिकारी हैं (...तो समझ सकते हैं कि वाकई कितने बड़े होगें ) . यहीं वाराणसी की धरती को सुशोभित कर रहे हैं ! पुरूष तत्व के काफी धनी हैं ! इसलिए नारी नख शिख सौन्दर्य गाथा में इन्होने अपनी घणी उपस्थिति दर्ज कराई थी । इतनी घणी कि कुछ सुंदर ब्लागरों को उस ब्लागमाला से ही प्रत्यक्षतः घृणा हो गयी और मेरे न चाहते हुए भी वहां से वापस न लौटने के लिए फूट लिए -इस तरह मेरे ब्लॉग के कुछ नियमित टिप्पणीकारों को भड़काने में इनका बड़ा हाथ रहा ! मैं गुस्साता तो रहा पर मित्रता की खातिर कुछ कह न सका ! आख़िर मित्र धर्म भी कोई चीज ठहरी !

मैंने उनसे बार बार आग्रह करता हूँ कि वे ब्लॉग जगत में ज्यदा सक्रिय हों तो वे कई बहाने बनाते हैं । जैसे राज काज नाना जंजाला ! या फिर वे जो भी लिखते हैं उन पर कम लोग झाँकने आते हैं और जो आते भी हैं टिपियाते उनसे भी कम हैं ! मैं गारंटी के साथ कहता हूँ कि उनका व्यंग बाण श्रेणी का लेखन उत्कृष्ट किस्म का है -पर वे पूरी प्रत्यक्ष विनम्रता के साथ इससे इनकार कर देते हैं और यह जुमला जोड़ते हैं कि अगर यह उत्कृष्ट श्रेणी का होता तो कैसी इतनी कम टिप्पणियाँ मिलती ! अब मैं या कोई भी उन्हें कैसे समझाए कि टिप्पणी प्राप्त करने के लिए कितने टोटके करने होते हैं यहाँ और कैसे कैसे पापड बेलने होते हैं ! वे चाहें तो आदरणीय समीरलाल जी की शागिर्दगी कर इस गुर को सीख लें .मगर वे मेरी एक नही सुनते !

उनकी रसानुभूति परले दर्जे की है ।पक्के रसिक और रसिया हैं ! उनके ब्लॉग पर की फोटू से भी इसकी पुष्टि की जा सकती है ! उनकी इस दर्जे की रसिकप्रियता के लिए शायद मैं भी कुछ कुछ अपने को जिम्मेवार मानता हूँ -करीब दस वर्ष पहले उन्होंने ऐसे ही एक दिन मुझसे अपने पीठ दर्द का जिक्र किया था ! उन दिनों से ही मैं डेजमांड मोरिस का मुरीद हो गया था और उनके हवाले से यह नुस्खा उन्हें बता दिया ! अब इस कम खर्च वाला नसी नुस्खे से उनका दर्द जरूर छूमनतर हो गया होगा क्योंकि उसके बाद उन्होंने फिर से दर्द उभरने की चर्चा तो नहीं की पर हाँ गाहे बगाहे पीट दर्द के उल्लेख से रसिक चर्चा जरूर छेड़ देते हैं ! और मैं असहज सा हो जाता हूँ -जिसके कुछ निजी कारण हैं !

उनकी लेखनी में बड़ी चुभन हैं -एक बानगी देख ही लीजिये !और यह भी ! मेरा पक्का मानना है की वे ब्लागरी अफसरी से ज्यादा अच्छी तरह कर सकते हैं और इस मामले में अनूप शुक्ल जी सरीखा मिसाल कायम कर सकते हैं पर वे मान नहीं रहे हैं -आप सभी से गुजारिश है उन्हें मनाने में मेरी मदद करें ! एक संभावनाशील ब्लॉगर इस तरह गुम सुम रहे यह आपको भी गवारा नहीं होगा !

19 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लगा पड़कर और बहत कुछ जानने को मिला! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई!

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  2. ब्लागरों को ब्लागिंग के लिए उकसाने का कर्म करते रहना चाहिए। प्रतिफल अच्छा मिलता है।

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  3. ई लण्ठाधिराज तो बड़े काम के हैं। विश्व की सर्वोत्तम रचना के आचार्य ! हम तो वहीं तक सीमित रहेंगे।

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  4. आपकी बात सोफी सदी सच है............ कोई ब्लोगेर ब्लोगिंग छोड़ दे ......... ऐसा नहीं होना चाहिए........

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  5. आपके दिये लिंक बड़े महत्वपूर्ण है अरुण जी की लेखनी को महसूस करने के लिये ।
    उनकी ताजी प्रविष्टि का प्रभाव तो बड़ा गहरा पड़ गया है मुझ पर । हम तो निपट ही लेंगे अब इस सुअरा (गिरिजेश जी की संज्ञा) से ।

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  6. सुंदर ब्लॉगर!?

    हमें इन शब्दों से आगे बढ़ने में बहुत मेहनत करनी पड़ी :-)

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  7. अरुण प्रकाश जी के बारे में जानकर अच्छा लगा.. हैपी ब्लॉगिंग

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  8. बड़ी सुन्दर महिला वहां कह रही है - क्या कहूं! कोई फिलम वाली लगती है! :)

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  9. Hamari bhi kaamna hai ki aise sambhavnashil Blogger blogging mein aur bhi mukhar hon.

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  10. भाई मिश्र जी , बड़ी मेहनत की आपने मेरी तारीफ में तथा अपनी तथाकथित मारिस महोदय के नुस्खे के पुनः प्रचार के लिए मुझे आजमाने में
    आपने अपनी टांग के चोटिल होने पर ये नुस्खा आजमाया की नहीं ये तो मुझे ठीक से नहीं पता लेकिन ऐसा लगता है की गंगा घाट पर आपकी फिसलन अब कई स्तर पर दिखाई दे रही है
    वैसे तो मुझे इस समय बहुचर्चित फिल्म कमीने के एक गाने की पंक्ति भी याद आ रही है
    कभी हम कमीने निकले कभी दोस्ती कमीनी,
    मेरे यार भी कमीने ,इक दिल से दोस्ती थी ये हजूर भी कमीने
    लेकिन ये आप के लिए नहीं है आप के लिए दूसरी कविता है
    प्यार आँखों से जताया तो बुरा मान गए
    हाले टांग हमने पूछा, तो बुरा मान गए
    यूँ तो हर रोज सताते हैं रकीबों की तरह
    हमने एक रोज सताया तो बुरा मान गए
    बस फकत इतनी खता से उन्हेंआया गुस्सा
    उनका नुस्खा उन्ही को बताया तो बुरा मान गए
    आपने मेरे तथा मेरे ब्लाग को इसी बहाने याद किया तथा चर्चित किया इसके लिए साधुवाद तथा आभार आशा है आपकी प्रेम कृपा बनी रहेगी आपकी टांग अब कैसी है ???

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  11. लोगों से हिन्दी में चिट्ठा लिखवाने के लिये तरह तरह के पापड़ बेलने होते हैं।

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  12. अहा इन सौंदर्यपूरक लिंकों के लिये नवाजिश-करम-शुक्रिया-मेहरबानी...और एक नये ब्लौग से परिचय करवाने के लिये भी।

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  13. अरुण प्रकाश जी के कई ब्लाग पोस्ट पढ़े। धांसू लिखते हैं। धंस के लिखना चाहिये अरुण जी को।

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  14. वाकई रोचक..यह ब्लॉग तो आज ही देखा..
    स्वाइन फ्लू पर पोस्ट.. --कुछ हट कर ही है यह ब्लॉग..
    सच कहने के कई तरीके!एक ऐसा भी..खूब!
    [blogging mein नियमित रहें तो निश्चित ही Superस्टार ब्लॉगर बन जायेंगे.]

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