Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
मदमत्त हो रहा सावन
जवाब देंहटाएंछेड़ी अनंग ने तान
क्या खूब ! ... अतीव सुंदर
लगता है सावन ने आपको दबोच लिया है.बिलकुल मस्ताई अंदाज़ !
जवाब देंहटाएं...यह दहगल किसका नाम है ?
@दहगल का फोटू लगा दिया है -जीवन में चेले ने अगर दहगल का गान नहीं सुना तो चेल्हयाई खारिज :-)
जवाब देंहटाएंपहले जाओ सुन आओ दिल्ली के किसी बागीचे में अल्लसुबह -बाग़ का पता डॉ. दराल से पूछ लो :-)
भई,यही सब जानने-समझने के लिए तो गुरु बनाया है,ऐसे कैसे बिना नोटिस दिए चेल्हाई खारिज कर सकते हैं...?
जवाब देंहटाएं@ संतोष त्रिवेदी ,
जवाब देंहटाएंतेरी खुशबु दिन भर छाये, महक उठीं हैं रातें
अलसाई सी सुबह सुनाये,रात की बहकी बातें !
रात गयी पर याद ना जाए,कैसे उन्हें बुलाएं
बैरन बरसा याद दिलाए, नाम न बोला जाए !
गूंज रही बूंदों की
जवाब देंहटाएंझरर-झरर कान में
अंग-अंग गीला सा
बरसता सावन प्राण में..
bahut sundar rachana..abhaar
जवाब देंहटाएंवाह सावनमई मदमस्त करती रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
शुभकामनायें...
ओह ! यह तो किसी नवयौवना के दिल की बात कह दी . :)
जवाब देंहटाएंखुश्बू और महक के बीच अलसायापन और बहकी बहकी बातें !
जवाब देंहटाएंसुनहली और रुपहली के बीच की फुहारों संग उसका नाम !
नर्तन और गान के दरम्यान मदमत्त सावन संग उन्मत्त अनंग :)
आपने कविता लिखनी शुरू कर दी (प्री मानसून वाला भी एक था) इसका मतलब ही है, सावन सर चढ़ गया है. वैसे सुन्दर ही लगी आपकी रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सुन्दर सरस कविता!
जवाब देंहटाएंसावन में सावन सी खूबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंसावन की सी मीठी कविता ...
जवाब देंहटाएंशरमाई सी हंसी हो ,और साथ तुम्हारा ,
जवाब देंहटाएंकोयल ने छेड़ी हो तान ,
विरही बादल गाए गान .
बढिया रूमानी रचना वर्षा बावरी का मानवीकरण .
भाई साहब साइंस ब्लॉग खुल नहीं रहा है इस लिए रचनाए भी पोस्ट नहीं कर पा रहें हैं .कुछ कीजिएगा ,डॉ जाकिर को कहिएगा .प्रणाम केंटन के .कल तीन दिन के लिए लासवेगास(नेवादा राज्य ) की और कूच है .ट्रेवर सिटी मिशिगन और शिकागो (इलिनाय राज्य ) भ्रमण के बाद . आपकी याद के साथ वीरू भाई .
बहुत प्यारी कविता....
जवाब देंहटाएंसुन्दर..कोमल....भीगी सी..
सादर
अनु
अति सुंदर भाव ...
जवाब देंहटाएंपक्षी की मोहक मुद्रा ने कविता के प्रमद-भाव को जीवन्त कर दिया !
जवाब देंहटाएंसावन का आना और कविताई के बीज फूटना दोनों ही अच्छा है ...
जवाब देंहटाएंशब्दों ने सावन सा आनन्द दिया है...बहुत ही सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंबाप रे! आप तो कवियों की बिरादरी में आ गये!!
जवाब देंहटाएंमन मयूर का नर्तन
दहगल का शुभ गान
मदमत्त हो रहा सावन
छेड़ी अनंग ने तान।
..वाह!
सावन ने दिन का हर पहर मस्त कर दिया ... सावन तो नहीं आप मदमत्त हो रहे हैं अरविन्द जी .. और होना भी चाहिए ...
जवाब देंहटाएंवाह, पक्षी तो यहाँ भी मस्त होकर गान कर रहे हैं!
जवाब देंहटाएंsawan ke jhoolo ne mujhko bulaaya
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