यह तय ही नहीं हो पा रहा था कि फिल्म कैसी है -कुछ लोग ठीक ठाक बता रहे थे तो कुछ बिलकुल कूड़ा .तभी यह भी मालूम हुआ कि फिल्म तो करोडो का कारोबार कर चुकी है .आखिर मैंने भी फिल्म को देखने का जुगाड़ कर लिया .अभी अभी लौटा हूँ .समीक्षा लायक तो कुछ है नहीं .मगर हमेशा यह विचार रहता है दूसरों का कीमती समय और पैसा बचे तो कुछ पुण्य मेरी झोली में आ जाय . तो मत जायिये इसे देखने जबकि और बेहतर विकल्प मौजूद हैं .
इस फिल्म में आकर्षण का एक कारण सोनाक्षी सिन्हा हैं और यह सच है -वे और एकमात्र वे ही इस फिल्म को देखने का वैलिड और सॉलिड रीजन हैं ...वे सम्पूर्ण और सर्वांग दर्शनीय हैं (संजय मो सम कौन यह वाक्य लिखते सहसा आपकी याद आयी :-) उनकी अदाएं भी सीधे दिल पर आती हैं और कम से कम हम पूर्वांचलियों के सौन्दर्य बोध के हिसाब से बिल्कुल टंच हैं .इस फिल्म में भी उनके लटके झटके ..बलखाती कमर और मटकाते कूल्हे हैं . मगर दबंग के मुकाबले कमजोर दिखी हैं -शायद अक्षय कुमार के साथ केमिस्ट्री न बैठा पाने का मामला हो ....या फिर सौन्दर्य के उपभोक्ताओं पर भी ला आफ डिमिनिशिंग रिटर्न का प्रभाव होता हो ..
फिर भी अगर सोनाक्षी के लिए जाना चाहते हैं जाईये ....और उन पर आपका फिक्सेशन नहीं है तो दूसरी तीसरी फिल्म देखिये .अक्षयकुमार का डबल रोल है -जबरदस्त स्टंट है ,मार धाड़ है और कल्पना को भी धता बताते दृश्य हैं .पटना के माफिया से भिडंत है मगर फिल्म रियल्टी के बजाय रील में ही कैद होकर रह गयी .....पटना के डान माफिया पर एक से एक यथार्थ फ़िल्में आ चुकी हैं .हाँ एकाध दृश्य जरुर भव्य और कलापूर्ण बन उठे हैं जैसे दशमी के अवसर पर दशानन के पुतले के पीछे से अकस्मात माफिया डान का प्रगट हो जाना .
हेराफेरी के बाद लगातार अक्षय अपनी हास्य भूमिकाओं में वह नकली मगर सहज मासूमियत नहीं ला पा रहे हैं जो दर्शकों को बरबस हंसा देती है . यहाँ इसलिए वे एक हलके फुल्के हंसोड़ की भूमिका में हैं तो दूसरे कड़क पुलिस आफिसर -राऊडी राठौर के रूप में - राऊडी का डिक्शनरी अर्थ उपद्रवी ,हुल्लड़बाज ,दंगाई या गुंडा है और फिल्म में इस अर्थ के साथ ही इंस्पेक्टर राठौर को हिम्मती मौत से पंगा लेने वाला दिखाया गया है.कड़क राऊडी भूमिका में अक्षय बेहतर दिखे हैं .
मैं दो स्टार दे रहा हूँ और यह किसलिए संजय मो सम भाई तो कम से कम समझ ही जायेगें!
मनोरंजक फिल्म की शानदार झांकी . एक भूल सुधार करें सोनाक्षी सिन्हा कल स्थापित होकर उचाईयों को छूनेवाली अदाकारा हैं ये मेरा दावा है .
जवाब देंहटाएंन मैं फिल्म निर्माता हूँ न ही दिग्दर्शक .फिर भी एक बारीक अंदाजा ....
अक्षय कुमार की तो कोई फिल्म देखने लायक होती ही नहीं अब.हम वैसे भी नहीं देखने वाले थे.अब तो बिलकुल नहीं जायेंगे.
जवाब देंहटाएंहमने तो यह फ़िल्म पहले ही देख ली थी, पर इसके पहले दक्षिण भारत की ओरिजिनल फ़िल्म देख चुका था, तो यह फ़िल्म उसके बाद देखने में अच्छी नहीं लगी, अच्छा लगा तो केवल सोनाक्षी का रोल ।
जवाब देंहटाएंपरिजनों के कारण इसके कुछ दृश्य झेल चुका हूं , टिपिकल दक्षिण भारतीय मसाला फिल्म है !
जवाब देंहटाएंसोनाक्षी सिन्हा या तो अपना वज़न कम कर लें या फिर उनको केवल दक्षिण भारतीय फिल्में ही करना चाहिये :)
आप समीक्षक बनने की राह पर हैं अरविन्द भाई !
जवाब देंहटाएंआपने ऐसा (दो) स्टार दिया है कि उसे समझने में शायद किसी से भूल नहीं होगी, हम जैसे फिल्म न देखे हुओं से भी...
जवाब देंहटाएंकहां हैं मो सम...
बिल्कुल टंच हैं तब तो देखना ही पड़ेगा :)
जवाब देंहटाएंहमें तो यह फिल्म बहुत मनोरंजक लगी.मस्त कॉमेडी और ऐक्शन का तड़का है.बुराई के खिलाफ लड़ाई ज़रूर तब हास्यास्पद लगती है जब अक्षय नकली राठोर बन जाते हैं.
जवाब देंहटाएं....वैसे टाइम पास मूवी है.सोनाक्षी खूब सेक्सी दिखी हैं :-)
अब पूरा आलेख आपने संजय जी को समझाने के लिए लिखा है या ...
जवाब देंहटाएंखैर
हमने भी पिछले सप्ताह ही देखी। सपरिवार। घर के सभी सदस्यों को बड़ा आनंद आया। इस फ़िल्म का खास पहलू इसके गाने हैं और उनका फ़िल्मांकन भी लाजवाब है। फिर वो जो “सिगनेचर” म्यूजिक और उस पर ताल .. जबर्दस्त है।
हां सोनाक्षी का इसमें लाजवाब चित्रांकन हुआ है। बाक़ी निर्देशक दक्षिण के हैं इसलिए कमर के आस-पास ज़्यादा अटके रहे। दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में यह बड़ा आम है।
हम तो इस फ़िल्म को चार स्टार दे चुके हैं।
किसलिए...
संजय भाई को भी न पता होगा ...! :):)
(सिम्पली कि मुझे यह फ़िल्म बहुत अच्छी लगी)
@ शिखा जी .. पुनर्विचार कीजिए।
जवाब देंहटाएंमेरी पहली टिप्पणी ... ?
जवाब देंहटाएंस्पैम में ??
देख तो हम भी चुके हैं। बस एक गाने के चक्कर में..चिंता ता चिता चिता...और सोनाक्षी को छोड़ दिया जाय तो पूरी फिल्म बकवास।
जवाब देंहटाएंदो स्टार ऐसे बनते हैं, मान लिया।
मुझे तो फिल्मों में कोई दिलचस्पी नहीं .... अब तो समीक्षा भी ऐसी है कि टी वी पर भी आएगी तो शायद नहीं देखूँगी ...
जवाब देंहटाएंआभार.
जवाब देंहटाएंटी वी पर ही इतनी बढ़िया फ़िल्में देखने को मिल जाती हैं -- और दिल ही नहीं करता .
जवाब देंहटाएंराउडइ का एक मतलब उपद्रवी और हुल्लड़ बाज़ भी है बाकी ये स्वप्न नगरी जो मतलब निकाले .सोनाक्षी की कद काठी और पैरहन आकर्षक लगता है अल्हड भी .फिर वह कपडे भी पहने दिखलाई देतीं हैं पहनतीं हैं .
जवाब देंहटाएंअक्षय कुमार के आपस अब नया देने को स्टंट ही बचें हैं .रविकर जी फिर रविकर जी हैं उनकी आशु कविताई अप्रतिम हैं किसी भी पोस्ट को चमका सकती है अर्थ भर सकती है उसमे .शुक्रिया आपकी शुभ कामनाओं के लिए .कल यहाँ उत्तर भारत जैसी हो गरमी थी तापमान था ४० सेल्सियस १०० फारेन -हाईट के गिर्द .आज और भी गरम दिन है लेकिन एक तो यहाँ गरमी का एहसास नहीं है सेन्ट्रल कूलिंग में दूसरे डेटरोइट का मौसम दो दिन बाद बदल जाता है .आज बाद दोपहर बारिश भी है मौसम करवट लेगा .मौसम का भविष्य कथन एक दम सटीक और समय की नोंक के हिसाब से एक दम खरा ही रहता है .शुक्रिया इस जन प्रिय पोस्ट के लिए .
मन तो हमारा भी नहीं बन रहा है... ..... आभार
जवाब देंहटाएं@सतीश भाई,तीन दर्जन फिल्म समीक्षाओं को इस ब्लॉग पर निबटाने के बाद आखिर आपकी अनुशंसा मिल ही गयी ,शिरोधार्य!
जवाब देंहटाएं@वीरू भाई,राऊडी के डिक्शनरी अर्थ को आपके सुझावानुसार दे दिया गया है -आभार !
जवाब देंहटाएंnever enjoyed such movies... !!
जवाब देंहटाएंदेखी क्यों ?:)
जवाब देंहटाएंलग रहा है उ दो स्टार भी नायिका ले उडी.... बाकि डॉ साहेब ने नायक को सिफर दे कर विदा कर दिया है.....
जवाब देंहटाएंआजकल 'तेरी कहकर लूँगा' में बहुत स्कोप है लिखने के लिए... वासेपुर पर लिखिए...
मेरे ख़याल से पूरी फिल्म में सिर्फ सोनाक्षी सिन्हा और गीतों का फिल्मांकन तारीफ़ के काबिल हैं | सोनाक्षी बोलीवुड में ताज़ी हवा के झोंके की तरह आयी हैं, उम्मीद है भविष्य में और बेहतर फ़िल्में देंगी |
जवाब देंहटाएंथोड़ी देर से इस फिल्म की समीक्षा आपने दी. मैं पहले ही देख चुका हूँ. कम से कम मेरी ओर से पुण्य मेरी झोली में नहीं आने वाली
जवाब देंहटाएंआपकी दो का अर्थ है कि न देखी जाये..
जवाब देंहटाएंवाह मिसिरजी, आपकी अऊर हमरी पसंद केतना मिलता जुलता है? हमहूं देखा रहा राऊडी राठौरवा, मजा आ गईल।
जवाब देंहटाएंसब बच्चा लोगन को टिप्पू चच्चा का टिप टिप
अपुन तो टाइम पास करने वाते हैं ... और ये सही टाइम पास लगी इसलिए ... मस्त है फिल्म जो भी कहो .. जितने भी नंबर दो ...
जवाब देंहटाएंआया था फ़िल्म के बारे में जानने
जवाब देंहटाएंआपने तो सर्वांग सौन्दर्य में अटका दिया :-)
अच्छे समीक्षक हैं आप..स्टार भी सोच-समझ .. ठोक-पीटकर कर देते हैं..
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ कि 'मो सम कौन' की याद आपको लिखते समय आई, कहीं सम्पूर्ण सर्वांग दर्शन के दौरान आ जाती तो स्टार-वार होने का अंदेशा था:)
जवाब देंहटाएंसोनाक्षी को ये पोस्ट और समीक्षा प्रेषित कर देखिये, बड़ों से उत्साहवर्धन पाकर यकीनन वो प्रसन्न होगी|