मनोज के फागुनी पोड्कास्टों की बयार के मदमस्त झोकें में ब्लागजगत झूमने लगा है -ज्ञानदत्त जी तो फगुआ के बजाय कजरी गाने लग गए हैं -और बड़े मिसिर जी को भी शिद्दत से याद किया है उन्होंने जोडीदार बनने के लिए . हाजिर साहब जी . किसी ने जिज्ञासा भी की है कि गदेलवा माने क्या होता है ? मनोज ने बताया बच्चा होता है गदेलवा . तरसे जियरा मोर बालम मोर गदेलवा -ये लाईन है जो नायिका गहरी अनुभूतियों और आक्रोश के साथ कहती हुई पाई जाती है -न जाने किससे किससे कहती जाती है बेचारी! मुझसे तो नहीं कहा अब तक !उसकी बेबसी ,उसकी अतृप्ति देखी नहीं जाती -मगर क्या इसलिए कि उसका बालम गदेला है ? जी गदेला तो है मगर क्या वह उम्र से गदेला है -बस यहीं झोल है और समझ का फेर है -अरे नायिका तो है पूर्ण यौवन सम्पन्न और काम केलि /क्रीडा में पूरी दक्ष मगर बालम मिल गया है निरा बुद्धू ,बकलोल ,निपट अनाडी -ससुरा कुछ समुझतै नहीं है -अब सलज्ज नारी संकोच से भी बिचारी नायिका उबर नहीं पा रही है -अब क्या कहे और बताये भी तो क्या क्या ,पिय को कैसे अपने मदन आग्रहों और स्थलों की जानकारी देकर अग्र केलि के रहस्यों को समझाए -वह बुडबक तो बस ठेठ ही तरीका अपनाता है बार बार ,कोई परिष्कृत कार्य विधि नहीं है उसके पास -बुडबक कुछ समझता ही नहीं है नारी मन को ....आखिर कशमकश और खीझ इन शब्दों में फूट ही पड़ती है -तरसै जियरा मोर बालम , मोर गदेलवा!
मगर सावधान ये विचार भी तो किसी रंगीले पुरुष के ही हैं जो वह नायिका के जरिये कह रहा है -मतलब यह एक तरह से /प्रकारांतर से वह उन तमाम काम कला प्रवीण मर्दों को खुला आमंत्रण दे रहा है -अरे भाई लोगों ,इस नायिका की पीड़ा तुममे से ही कोई दूर कर दो न -मेरी भव बाधा हरो राधा नागर सोय की ही तर्ज पर कोई तो आगे बढ़ो -और अर्ह मर्दों की टोली कल्पनाओं में उड़ने लग जाती है -मस्त बहारे होली की मानों उन कल्पनाओं में पंख लगा देती हैं -और उद्दीपित और उद्वेलित कथित नायिका के संग संग उनकी भव बाधाओं को पार करने में लग जाता है मर्दों का सदल बल .जैसे इस फाग को सुन सुनाकर भैया चचा लोग मदमस्त होने लग गए हैं और ब्लॉग होली शुरू हो चुकी है -फलाने फलानी के संग और फलानी फलाने के संग होली खेलने लग भी गए हैं -यहाँ बुडबक बालम हो तो तनिक भी फिक्र न करें - ब्लाग नायिकाओं ! अगर तुम्हारा मन अभी भी किसी से नहीं बिंध पाया है तो सलाहकार सेवा यहाँ उपलब्ध है -जो कोई यह कहे कि उसे होली अच्छी न लागे है तो समझिये उसके मन माफिक का गबरू गैर गदेला नायक अभी नहीं मिल पाया है उसे ......आप अपनी अर्जी दे सकते हैं मगर आपको गदेला न होने का सार्टीफिकेट मिल गया हो तभी -यह ताऊ साब बाँट रहे हैं तुरंत अप्लाई कर ही दीजिये -महफूज भाई आप तो इस बार लाईन में लग कर ले ही लो -मुझे बालवुड की कुछ तारिकाओं ने बताया है कि आप अभी गदेलवा की श्रेणी में ही है भाई! नाम मैं उजागर कर दूंगा!
और हाँ कुछ जोड़े भूमिगत भी हो गए हैं उनका पता आप यहाँ से लगा सकते हैं .नायिका ने तड से भांप लिया कि अमुक ब्लॉगर तो दिखता गदेलवा है मगर हैं नहीं तो इसका परीक्षण करने दोनों जने यानि जोडियाँ भूमिगत हो चुकी हैं -और कुबरी संग जूझें रामलला का मंजर साकार होने लग गए हैं - यहाँ नहीं भाई असली संसार में -इसलिए ज़रा आस पास चौकन्ना होकर देखिये कौन कौन गायब है ?
आप सभी को होली की रंगारंग शुभकामनाएं!
इस बार दोनों मिसिर जी गजब ढा रहे हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएँ।
किसे मिला संवाद समूह का 'हास्य व्यंग्य' सम्मान?
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हटाएंएड्ल्ट पोस्ट लिख कर और उसकी घोषणा कर आपने बडा कल्याण कर दिया वैसे आप को इसे एड्ल्ट की श्रेणी मे नही रखना चाहिये था ख्वाम्ख़ाह कुछ बच्चे ब्लागर इतनी अच्छी पोस्ट से वन्चित रह जायेन्गे
जवाब देंहटाएंहोली के अवसर पर गदेलो के निमित्त और भी पोस्टे आयेन्गी इसी शुभकामनाओ के साथ
कभी कभी इसी तरह से एड्ल्ट पोस्ट की घोषणा करना भला लगा
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जवाब देंहटाएंछोटा बच्चा जान के हमको ...ना टकराना रे....ढुपी.. ढुपी... ढप...ढप....
जवाब देंहटाएंपहिले ने हमने पोस्टवा पढ़ी ही नहीं थी.... सिर्फ शीर्षक देख कर ही पूछे थे....
जवाब देंहटाएंजय हो मिश्रजी की! इस गदेलवा पोस्ट के लिये मुबारकबाद.
जवाब देंहटाएंआपनें तो गीत के मूल -भाव को, बुरा न मानो होली है का नाम लेकर व्याख्यायित कर ही दिया, अर्थ और भाव को लेकर अब तो स्थिति स्पष्ट हो जायेगी ही .मेरी इतनी सशक्त लेखनी होती तो उसी दिन व्याख्यायित कर दिया होता,देर आयद-दुरुस्तआयद.
जवाब देंहटाएंमनोज मिश्र को सुनाने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएं'निरा बुद्धू ,बकलोल ,निपट अनाडी -ससुरा कुछ समुझतै नहीं है' ... ये असली बात है !
जवाब देंहटाएंव्याख्या दमदार असरदार है..
जवाब देंहटाएंआपने समझा कि व्याख्या करना जरूरी है
क्या अप यह कहना चाहते हैं कि
ब्लागर मोर ....हाँ हाँ.
सबसे पहले आप ये जो adult पोस्ट नाम देकर ..लोगों को भ्रमित कर रहे हैं.... क्यूँ..??
जवाब देंहटाएंई नाम देख कर ही लोग भाग जायेगे....बिना बात के सन-सनी फैलाना तो कोई आप से सीखे...हाँ नहीं तो...!!
और हाँ हमको जोड़ों के ॰गायब होने की कोई खबर नहीं है....हाँ हमारी दोस्त नहीं आएगी कुछ दिनों तक इतना हमको मालूम है...
ई सब ग़लत है....कोई 'जोड़ा' ॰गायब नहीं है...हम तो ई भी नहीं जानते की कोई जोड़ा भी है....आप भी ना अरविन्द जी ...अफवाह फैलानेवाले देश के दुश्मन हैं...और ब्लॉग के भी...
हाँ ...ब्लॉग जगत में आपको छोड़ कर सभी गदेलवा ही हैं......आपही हैं एक महा चरपट ....हा हा हा हा
हम तो सोचे थे अब का टिपण्णी करें लेकिन मेरा नाम बिना बात के आप लिए हैं तो बोलना तो पड़ेगा ही...
Bura na maano holi hai...
दोनों मिसिर जी आज तो मूड में है,सब मौसम का असर है....
जवाब देंहटाएंto holi ka maahol jamane laga hai .....!!
जवाब देंहटाएंहे प्रभु, नितंब कांड के बात कोई और कांड करवाने का इरादा है क्या.
जवाब देंहटाएंजो उस वैज्ञानिक आलेख को समझ न पाये, वे इस होली के माहोल को भी शायद समझ न पायें!!
होली मुबारक!!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
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बात = बाद
जवाब देंहटाएंवैसे तो इस ब्लॉग पर अच्छा ख़ासा ट्रैफिक रहता है. लेकिन इस बार उस ट्रैफिक को कई गुना बढाने के लिए अरविन्द जी ने नयी ट्रिक निकाली है अपनी पोस्ट को 'एडल्ट' नाम देकर.
जवाब देंहटाएंHoli Hai!!!
गोया रंगपर्व के बहाने पुरुष अपनी अपूरित कामनाओं को स्त्रियों के मुख से अभिव्यक्त होते देखना चाहता है ...कुछ कुछ ऐसा कि जैसे मर्दुआ यौन सामर्थ्य का श्रेणीकरण नायिका की ओट से किया गया हो...वर्ष भर की यौन वर्जनाओं और मर्यादाओं के सीमा लंघन / अतिक्रमण सा अहसास देते शब्द ! सच कहूं तो इस कौतुक में स्त्रियां है ही नहीं और अगर है भी तो केवल उनका रूमानी अहसास ...एक आभासी देह जो पुरुषों के मनोसंसार से बाहर आकार लेती और संवाद करती है जिसके रूप लावण्य से अभिभूत नरसमूह वर्ष भर की कुंठाओं से एक झटके में मुक्त हो जाता है ! मेरे लिए मिश्र द्वय के गदेलवा ऐसे पुरुषों की बाटम लाइन है जिसका नायिका से अस्वीकृत होना तय है तथा जिसके कारण गदेलवा इतर पुरुषों में नारी की स्वीकार्यता की सुखद संभावनाओं की अभिवृद्धि सम्मिलित है ! सच कहूं तो होली की हुडदंगई के नाम पर लिखी गई इस प्रविष्टि से स्त्रियों के प्रति पुरुषों के स्थायी आकर्षण तथा पुरुष मन के विश्लेषण के द्वार खुलते हैं ! एक सीरियस पोस्ट ! अच्छी पोस्ट !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहंसना मत
जवाब देंहटाएंजो कहूं
समझना सच
व्यंग्य नहीं
है हकीकत
।
जिस पोस्ट को कोई 60 साला एडल्ट लिखे क्या वो एडल्ट पोस्ट नहीं हुई। हर एंगल से, प्रत्येक जिंगल से, नेक सिंगल से ... एडल्ट ही होगी।
अर्विंद जी हम ने तो शर्माते शर्माते ओर आंखे मीच कर आप की सारी पोस्ट पढी, नायिका बेचारी भोली भाली है अगर उस का बालम गदेलवा है तो, एक साफ़ सुधरी फ़िल्म देखी थी कई साल पहले जिस मै नायिका का पति यानि बालम गदेलवा ही होता है, लेकिन नायिका ..... अजी छोडो आप खुद ही देख ले फ़िल्म का नाम है ईशवर, एक साफ़ सुधरी ओर परिवारिक फ़िल्म
जवाब देंहटाएंबाकी आप का लेख बहुत अच्छा ओर मजेदार लगा
यह होली का परताप है, जब तक जल न जाएगी यह सब चलैगा।
जवाब देंहटाएंबड़के भैया से जे ही उम्मीद थी।
जवाब देंहटाएं@ ali
बौद्धिक लोग बाज नहीं आते। कुछ न कुछ ढकेल ही जाते हैं।
मिश्र बन्धुओं का होली गायन सुहावन मनभावन है। आनन्द लीजिए। बाकी मीमांसा के लिए साल पड़ा है।
सबको रंग भरी शुभकामनाएँ। मैं गाँव चला।
जाकी रही भावना जैसी ...प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी .....
जवाब देंहटाएंसावन के अंधे को हरा ही हरा दिखता है ....!!
@बाऊ,लुक्की लगा के चल दिए ! ऐसयीच था तो लगाये काहें !
जवाब देंहटाएंएडल्ट हो या जो भी..हम तो उहर ही चिपके हैं...जय हो!! होली मुबारक!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मज़ेदार पोस्ट.होली की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंअरविंद जी दु लाईन 36 गढी हमारी भी,
जवाब देंहटाएंआपकी नजर करते हैं।
तोला ससुरे जाए के बड़ा डर भारी,
मईके मे मजा मारे हो बाई मजा मारे हो बाई।
होली की शुभकामनाएं।
पता नहीं क्यूँ लोगों को ये मुगालता है कि 'एडल्ट पोस्ट ' लिखने से सब भाग जायेंगे....पूरे ब्लॉग जगत ने पढ़ लिया होगा,अब तक...हाँ कमेन्ट देने से कतरा गए होंगे कई....
जवाब देंहटाएंहोली का ये रंग बस होली तक ही चढ़ा रहें आप पर :)....होली की ढेरों शुभकामनाएं
आप तो बस आप ही हैं. लेकिन दो टिप्पणियाँ आपके पोस्ट में चार चाँद लगा रही हैं. एक अदा जी की और दूसरी अली जी की टिप्पणी. बाद में पढ़ने का ये सबसे बड़ा लाभ है.
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