रविवार, 15 नवंबर 2009

विज्ञान कथा कांफ्रेंस चालू आहे !

यहाँ औरंगाबाद में ग्यारहवां राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मलेन चल रहा है जिसमें कई क्षेत्रीय भाषाओं के लोगों का जमघट है -मराठी मानुषों का पूरा जमावाडा है -दक्षिण भारत से भी काफी प्रतिभागी आये हुए हैं . हिन्दी से जाकिर अली रजनीश के साथ हम कुल चार जने हैं जो हिन्दी का भी झंडा बुलंद किये हुए हैं अन्यथा यहाँ हिन्दी की कोई पूंछ नहीं है -मराठी का साईंस फिक्शन साहित्य कहीं हिन्दी से भी ज्यादा समृद्ध है !

यहाँ बेड टी वगैरह समय से मिल रही है -खाने में दक्षिण भारत के खाने की प्रधानता है -हाँ मीनू बहुत सुरुचिपूर्ण अभिरुचि वाले व्यक्ति द्बारा फाईनल किया जा रहा है-पूडी के साथ रोटी भी मिल रही है और सूप भी सर्व हो रहा है -लंच और डिनर दोनों समय ,आज मांचो सूप सर्व हुआ -
ज्यादा डिटेल और तकनीकी परसों बनारस लौट कर !

23 टिप्‍पणियां:

  1. Afsos ki vigyan ka shodharthi hokar maine aaj tak koi rashtriya congress nahin join kar paayi...
    par padh kar achchha laga...

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  2. अच्छा लगा ये जानकर.
    विस्तृत जानकारी का इंतज़ार रहेगा.

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  3. झंडा बुलंद किये रहेव , भैया !
    ''भूधर ज्यों ध्यानमग्न , केवल जलती मशाल | ''

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  4. वाह. अच्छा लगा जानकर कि हिन्दी वाले भी घुसपैठ किए हुए हैं.

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  5. बढ़िया है। झंडा और बुलंद करिए।
    घुघूती बासूती

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  6. हिन्दी का झण्डा बुलन्द रखने के लिए आप लोग साधुवाद के पात्र हैं।

    मैं आप को विशेष धन्यवाद दूँगा कि आप ने अन्य राष्ट्रीय भाषाओं (मुझे इस मामले में क्षेत्रीय प्रयोग से असहमति है) की समृद्धि का संकेत दिया। वास्तव में कई क्षेत्रों में बंगला, तमिल, मराठी भाषाभासी काम करके इन भाषाओं को बहुत आगे पहुँचा चुके हैं। हम हिन्दी वालों को उनसे सीखने की आवश्यकता है।

    पूर्ण रिपोर्ट की प्रतीक्षा रहेगी।

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  7. बहुत खुब जी,हिन्दी का भी झंडा बुलंद किये हुए हैं मजे दार,धन्यवाद

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  8. वाह जी ! औरंगाबाद में हैं तो अजन्ता-एल्लोरा भी देख आइये. वीकएंड शुरू होने के पहले बताया होता तो हम आपसे मिलने आ गए होते.

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  9. यह विज्ञान के केंद्र में भाषावाद कहां से टपक पडा? :)

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  10. वहाँ की विषयवस्तु के बारे में भी बताएँ। अगली पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी।

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  11. मच्छर का जिक्र तक नहीं किया!एक वैज्ञानिक के पर्यवेक्षण प्रक्रिया की जानकारी मिल रही है। वैज्ञानिक सबसे पहले बेड टी देखता है, सुरुचिपूर्ण भोजन देखता है , सूप देखता है। मच्चर भूल जाता है। इसके बाद विज्ञानवार्ता तो होती ही रहेगी। और वो वाला एजेंडा फ़ालो हो रहा है कि नहीं मिसिरजी जो आपको स्वामीजी ने बताया था और जिसे आपने मेरी पोस्ट पर लगाया था।

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  12. सच में...मच्छर की चिंता लगी है!! काटा तो नहीं??? हा हा!!

    ऐसी ही क्राफेंस होना चाहिये कि प्रतिभागी खुश रहें!!

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  13. आप उधर औरंगाबाद में हैं ?

    सुना है एक इलाहाबादी मच्छर बनारस में पूछता घूम रहा है कि अरविंद मिश्र कहाँ रहते हैं ? उनसे माफी माँगनी है, गलती से काट लिया था, पता ही न था कि इतने बड़े साइंटिस्ट हैं । आयोजकों ने बताया ही न था ।

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  14. तो आप वहाँ हैं ! अन्य भाषाओं के विज्ञान-कथा साहित्य के समानान्तर हिन्दी के विज्ञान-कथा लेखन का मूल्यांकन आपस अपेक्षित होगा । उत्सुक हूँ ।

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  15. पूरी रिपोर्ट का इन्तजार रहेगा ..शुक्रिया

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  16. मराठी मे न केवल कलाओं की प्रस्तुति बल्कि सामान्य जन का कला व विज्ञान के प्रति इतना रुझान है कि हिन्दी वाले इसकी कल्पना नहीं कर सकते । सोलापुर के मराठी साहित्य सम्मेलन मे जब मैने 10000 से ज़्यादा लोगों के सामने अपनी कविता सुनाई तो यह समझ मे आ गया ।

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  17. औरंगाबाद से लौटकर बहुत थकान महसूस हो रही है, पर साथ में वहाँ के माहौल की खुश्गवार खुश्बू, एलोरा की गुफाओं का सम्मोहन और शरीफों की महक अभी भी साथ में है। सम्मेलन के बारे में बहुत कुछ कहना चाहता था, पर अरविंद जी ने चूंकि इसपर लिखने का वादा किया है, इसलिए मैं सिर्फ एक फार्मल रिपोर्ट ही आने वाले दिनों में पेश करूंगा।

    अभिषेक जी, आपका फोन मिश्रा जी के फोन पर आया था। उस समय उनकी कॉकटेल पार्टी चल रही थी। वैसे आपसे मुलाकात हो सकती थी, इसका ध्यान ही नहीं रहा, अन्यथा आपको जरूर कष्ट दिया जाता।

    अनूप शुक्ल जी, पता नहीं आप यकीन करेंगे अथवा नहीं, वहाँ एक भी मच्छर ने नहीं काटा, बिना किसी मार्टिन के। ऐसा कैसे हुआ, यह मैं स्वयं नहीं समझ पाया हूँ। शायद विवेक जी इस पर कोई रोशनी डाल सकें।

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  18. @अभिषेक जी ,यह तो कुछ ऐसी ही बात है की हम लोग जुमले के तौर पर कहते फिरते हैं -अरे/काश हमें पहले मालूम होता तो ! ........
    बहरहाल अब मुझे पछतावा हो रहा है की क्यूंकर मैं आपसे बता नही पाया !
    @अनूप जी ,राहत थी वहां, महज मादा मच्छरें ही थीं .
    @श्रीयुत विवेक,हाँ एक जोरदार मादा मच्छर ने जरूर कर्ण सगीत का सौभाग्य अता किया था ,पता था उसे की एक बनारसी वैज्ञानिक पधार रहा है !

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  19. एक दिनी नोट्स के बहाने भी आपने बडी गूढ बात कहीं. सबसे खास तो ये कि अन्य भाषायें जो साइंस फिक्सन में अग्रणी हैं उनके संपर्क से हिन्दी को समृद्ध किया जा सकता है.

    कहने को तो हमारे देश में साइंस फिक्सन जैसी चीज लिखने की पुरानी परंपरा है. महाभारत में कौरव लगभग परखनली जैसी विधि से पैदा होटल हैं और अर्जुन के अस्त्र बृहस्पति से आते हैं. पर ये परंपरा वर्तमान में बहुत आगे नहीं बढी.

    आशा है अगली पोस्ट में चांद के पानी का सूप पीने को मिलेगा.

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  20. हिंदी कथा लेखक में आपने जो हिंदी कि विज्ञान कथा के बारे जो लिखा है उससे में पूरी तरह से सहमत हूँ और एक बात में आपसे कहूँगा कि आपने इस ब्लॉग में विज्ञान कथा कि पारीभाषा के बारे में भी विचार भी रखा करे इसी आशा सह आभार .....
    आपने अच्छा ब्लॉग चुना है आपका
    धन्यवाद ....

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