बुधवार, 11 नवंबर 2009

कुछ यादें इक गृह विरही की ....



एक घोर गवईं मानुष हूँ मैं -जन्म -गृह त्याग नहीं हो सका मुझसे ! आज भी वहीं पहुँचता रहता  हूँ बार बार -जननी की आश्वस्ति  भरी छाँव में ...जैसे मेरो मन  अनत कहाँ सुख  पावे ....

पिछले दिनों दीपावली और एकादशी पर घर गया घरनी  के साथ ........कुछ चित्र लायें हैं ! इसलिए यहाँ चेप रहे हैं ताकि यह विस्मृतियों  के वियाबान में कहीं खो न जायं !कुछ और चित्र फिर कभी !



                  

                          जगमग दीपावली में "मेघदूत", हमारा पैतृक आवास जौनपुर 








बेटी प्रियेषा ने बनायी जगमग रंगोली 









                                                                एकादशी पर  ईख चूसने का आनन्द  










                                                                                          आखिर डेजी ही क्यों पीछे रहती ,उसने भी चूसा गन्ना 

20 टिप्‍पणियां:

  1. जहां बचपन गुजरा .. उसे भूल पाना आसान तो नहीं .. रंगोली मुझे बहुत अच्‍छी लगी .. प्रियेषा बिटिया को मेरी ओर से स्‍नेह और आशीष दें !!

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  2. बडे सौभाग्यशाली है कि जन्मभूमि के दर्शन होते रहते हैं. बिटिया की बनाई जगमग रोशनी ने तो मन प्रफ़ुल्लित कर दिया, बहुत सुंदर.

    रामराम.

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  3. यही आत्मिक जुड़ाव तो हमें मानुष बनाये रखता है सच्चा ।


    चित्र बहुत सुन्दर हैं, और रंगोली तो गजब है ।

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  4. उत्सव कि प्रस्तुति
    से मन बोल पड़ा ---

    ''उत्सव प्रियाः
    खलु मनुष्याः ''

    उत्तमम्- उत्तमम् ....

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  5. मुझे विद्यानिवास मिश्र का लिखा 'मेरा गाव मेरा देश' याद आया. कैसे भुला सकते हैं जी. और मधुर स्मृतियों को भुलाने की जरुरत ही क्या है !
    रंगोली तो बहुत अच्छी है.

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  6. बहुत सुन्दर रंगोली बहुत ही सुन्दर बनायी है बिटिया ने ...

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  7. दीपावली में जगमग घर बहुत सुंदर लग रहा है। बिटिया की बनाई रंगोली भी अनुपम है।

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  8. रंगोली बेहद सुन्दर है। परन्तु मेरा मन तो आपकी डेजी ने मोह लिया। अपनी दुलारी पॉमेरियन आज वैसे भी बहुत याद आ रही थी।
    घुघूती बासूती

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  9. आपकी बिटिया तो बहुत गुणी है पण्डिज्जी। बहुत बधाई।
    आपकी फोटो देख गन्ना चूसने का मन हो रहा है।

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  10. ओरे बाबा रे, की बोलबो.. !!!
    सुन्दर, सुन्दर, सुन्दर... खूब शुन्दोर !!
    सब कुछ ..घर, घरनी, और घर की रौशनी.....
    बिटिया की रंगोली तो बस कमाल की है...
    और पक्की बात है प्रियेषा बिटिया को यह गुण आपसे ...हरगिज नहीं मिला है....:):)
    आपकी पोस्ट ने तो आज फिर दिवाली मनवा दी...!!
    धन्यवाद....

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  11. सुंदर तस्वीरें...डेजी द्वारा ईख चूसा जाना बेजोड़ है किंतु!

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  12. सुन्दर! नयनाभिराम दृश्य।
    मेरी पत्नी गन्ना चूसने वालों को देखती रह गयीं।
    पूछ रही थीं कि रसपान हो रहा है कि प्रहार की तैयारी हो रही है।:)

    बिटिया की रंगोली बहुत अच्छी है। उसे हमारा स्नेह दीजिएगा।

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  13. बेटी प्रियेषा को बहुत बहुत प्यार, सभी चित्र बहुत सुंदर लगे खास कर बिटिया के हाथ की रंगोली. चलिये गन्ने चुस कर हमे अब ज्यादा मत ललचाये, कभी मोका मिला तो हम भी भारत मै गन्ने चुसने आयेगे.
    धन्यवाद

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  14. bahut hi khubsoorat tasweeren,rangoli ne to khaaskar man moh liya...kismat wale hain,tyohaar par ghar ja paate hain...hame bhi apne ghar ki yaad dila di,shukriya

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  15. -Bahut hi sundar tasveeren.

    -Aap ke paitrik ghar kee deep sajja bahut achchhee lagi.
    -Rangoli ki kalakari ..kya kahen!!Wah!!!

    -Daisy bahut hi cute hai.

    -Abhaar.

    [transliteration tool kam nahin kar raha]

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  16. बहुत सुन्दर रंगोली ...और आपका गृह प्रेम भी काबिल -ए - तारीफ़ है ..!!

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  17. गन्ना चूसे अरसा बीता...सुन्दर तस्वीरें.

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  18. जन्मभूमि की सोंधी माटी की खुशबू से सराबोर होना कौन नहीं चाहेगा । लग रहा है चित्र देख कर..!
    आज भी जीवन्त है यथार्थोन्मुख जीवन शैली ।
    अभिभूत हूं ।
    रंगोली ने मन मोह लिया ।
    बिटिया की रचनाधर्मिता बेहतरीन रही ।
    आभार..!

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