बुधवार, 20 जून 2012

पगड़ी वाले के सलाम का सबब


पगड़ी वाले मतलब अपने वही ब्लॉगर शिरोमणि पाबला साहब .परोपकारी और सेवाभावी हर दिल अजीज  सरदार जिनकी मदद की दरकार हममें से बहुतों को रही है और गाहे बगाहे उनसे मदद लेकर हम धन्य होते रहे हैं .वे एक ख़ास अर्थ में सलाम भी करते हैं .जब किसी ब्लॉगर भाई बंधु बांधवी की कोई पोस्ट मुद्रण माध्यमों में छपती है तो उनका फ़ौरन सलाम उस ब्लॉगर तक आ पहुंचता है .मुझे उनके ऐसे कई सलामों का सौभाग्य प्राप्त है . फिर उनका सलाम आ पहुंचा .मगर सलाम के साथ एक गुजारिश थी कि मेरे इस ब्लॉग शीर्षक का मतलब क्या है? 

यह वह अहसज करता सवाल है जिससे मुझे अक्सर दो चार होना पड़ता है .मैंने इस पर पहले भी दो पोस्टें झोंक रखी हैं-यह और यह .  मगर फिर भी प्रायः यह सवाल मेरे मित्र सुधीजन पाठक करते ही रहते हैं .और मैं हैरान होता रहता हूँ कि इत्ती सी बात आखिर इतनी बार क्यों पूछी जाती है? . इस बार भी मुझे हैरानी हुयी कि अरे पाबला साहब भी इतनी मासूमियत के साथ और इतनी देर से यह सवाल कर रहे हैं! बड़ी देर कर दी मेहरबां आते आते :)..... हैरत के साथ मैंने पाबला साहब को फोन पर ही बताना शुरू किया ....क्वचित माने कुछ ,अन्यतो माने अन्य या अन्यत्र और अपि माने भी ....मतलब क्वचिदन्यतोपि ....कुछ अन्यत्र से भी ...मगर यह अन्यत्र से होने की बात उठी ही क्यों ....? 

मैं अंतर्जाल पर सक्रिय यही कोई 2007 से ही हुआ और अपनी हाबी के मुताबिक़ ऐसे प्लेटफार्म ढूँढने लगा जहां से विज्ञान से जुडी बातों का आम लोगों, मतलब वे जिनसे विज्ञान का साबका अमूनन नहीं रहता तक पहुंचा सकूं .उन दिनों समूहों का जमाना था ..याहू पर कई समूह चौड़े से चल रहे थे मैंने भी अपना एक समूह विज्ञान कथाओं को लेकर बनाया  जो आज भी धड़ल्ले से चल रहा है .मगर जो आनंद ,जो संतुष्टि अपनी मातृभाषा में काम  करने की होती हैं वह अनिर्वचनीय है . और तभी ब्लागर पर मैंने साईब्लाग बनाया जो विज्ञान संचार  का  नियमित हिन्दी का ब्लॉग बना ..एक द्विभाषी ब्लाग साईंस फिक्शन इन इण्डिया भी बनाया ....ये दोनों ब्लॉग प्रचलित हिन्दी ब्लागों में अपनी कुछ जगहं बनाने में कामयाब हुए . 

मुझे फिर भी लगता रहा कि ऐसा बहुत कुछ है जो इन दोनों ब्लागों के फलक से छूट रहा है .विज्ञान की अपनी सीमाए हैं, अपना अनुशासन है और उसे तोडा नहीं जा सकता ..हाँ साहित्य तो सीमाहीन है ....और मुझे विज्ञान के इतर भी बहुत कुछ कहने की तलब महसूस होती और तभी मेरे मन में नाम सूझा -क्वचिदन्यतोपि! 
रामचरित मानस जो मेरे सर्वप्रिय पठन साहित्य में से हैं में संतकवि तुलसी प्रस्तावना में ही लिखते हैं -

नाना पुराण निगमागम सम्मतम यद् रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोपि, स्वान्तः सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा भाषा निबंधमति मंजुल मातनोति...अर्थात मानस की रचना के लिए नाना पुराण, निगम यानि वेद और आगम मतलब तंत्र साहित्य और आदिकवि वाल्मीकि रचित रामायण तथा कुछ अन्यत्र से भी (क्वचिदन्यतोपि) संदर्भ सामग्री  इस्तेमाल हुई है .बस यहीं से उस संतकवि का  मन ही मन आभार   के  साथ  मैंने यह शब्द ले लिया -इस नए भावबोध के साथ कि विज्ञान से इतर विषयों की चर्चा यहाँ करूँगा .अब हुआ यह कि पब्लिक यहाँ ज्यादा आने लगी तो  मैंने अब विज्ञान की हलकी चाशनी यहाँ भी देनी शुरू कर दी है ..आदमी अपनी फितरत से कब बाज आता है . :)


इतनी बातें पाबला साहब से मैंने फोन पर ही बतिया डाली ..वे भी अजब फंसे कहाँ सलाम के लिए फोन मिलाया था मगर पूरी मुसीबत ही पगड़ी पर आ गिरी ..सारी सर ..और मित्रगण आपसे भी मुआफ़ी इस पुराने पिटे विषय पर आपका समय एक बार फिर जाया करने के लिए ....


29 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लागरी में आपके साथ में जो घटनायें घटती रहती हैं उसके हिसाब से यह नाम ज्यादा मुफीद नहीं दिखता , ...अगर हो सके तो इनमे से एक का तर्जुमा संस्कृत में करके एक नया ब्लाग बनाइये :)

    "कहीं से भी किसी को भी...जिसे चढ़ाया उसने उतार दिया"

    "अपने अपने भस्मासुर"

    "हमने बोया उसने काटा"

    "हमें उनकी पहचान नहीं कि वे आदमी हैं भी ?"

    "वो कल क्या हो जायेंगे हमें आज पता नहीं था"

    "पहले पहल वो सब ऐसे तो ना थे"


    और भी बहुत सूझ रहे हैं पर दूसरों के सुझावों के लिए भी जगह छोडनी है :)

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  2. :-)समय जाया तो इसलिये किया कि- कुछ नया अर्थ निकल के आया क्या ? ...

    एक बार अली भाई से भी पूछा था उनके ब्लॉग के नाम का अर्थ ....समझ ही नहीं आया था क्या करें

    अब यहाँ उनकी सलाह पढ़ी--
    अगर हो सके तो इनमे से एक का तर्जुमा संस्कृत में करके एक नया ब्लाग बनाइये :)

    तो अब इनका संस्कृत क्या होगा ?
    देखना तो पड़ेगा ही ..........

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  3. अली साहब के शीर्षक में से हमने बोया उसने काटा ज्यादा मुफ़ीद होगा। वैसे कुछ और नाम सुझाये जा सकते हैं:
    1. वैज्ञानिक चेतना संपन्न व्यक्ति का देसज चिट्ठा
    2. हम नहीं सुधरेंगे
    3. कोई क्या उखाड़ लेगा
    4. हम तो जबरिया लिखबे यार
    5. आजा तनि पढ़ ले रऊआ

    आपने लिखा-तभी ब्लागर पर मैंने साईब्लाग बनाया जो विज्ञान संचार का पहला नियमित हिन्दी का ब्लॉग बना
    विज्ञान से संबंधित बातें आप नियमित भले करते रहे होंगे लेकिन विज्ञान संबंधित जानकारी देने के लिये ज्ञान-विज्ञान ब्लॉग आपके आने के दो साल पहले से चल रहा है। इसे आई.आई.टी. कानपुर के तत्कालीन असिस्टेंट प्रोफ़ेसर आशीष गर्ग ने शुरु किया था। ये सबसे पहला होने का होने की ललक बड़ा बवाल है।

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  4. अली साहब जरा सम्हलकर, इत्ते भारी सुझाव? अरविन्द जी के पगडी नहीं है ः)
    लगे हाथ एक सुझाव हमारा भी....
    ओले, कुछ भी कहीं से भी.

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  5. कई बार शीर्षक हमें भी दिक्कत पेश करते हैं.अब अली साहब का 'उम्मतें' ही मेरे पल्ले नहिं पड़ता,जबकि दो-तीन बार इसका मतलब उनसे पूछ चुका हूँ.उनसे हमने गुज़ारिश भी की थी कि इस नाम के नीचे ही इसका मतलब भी लिख दें,पर अभी तक प्रतीक्षित है.

    पाबला जी भले आदमी हैं.जल्दी फ़ोन-लाइन में आते नहिं हैं.हमसे बातें तो अच्छी करते हैं पर जां छुडाने की जल्दी में भी रहते हैं.मुझे लगता है कि उनसे मीठी-मीठी बातें की जांय पर वे मोबाइल और लैंड लाइन दोनों पर व्यस्त हो जाते हैं.

    ...आपने तो शीर्षक को उसके नीचे परिभाषित भी किया हुआ है.

    अली साब की सलाह पर ध्यान मत देना,अनूप जी को रस मिल रहा है !

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  6. यही मस्ती भरा और सानंद माहौल छाया रहे..

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  7. ब्लॉग सरदार और अरविन्द मिश्र...
    यह पोस्ट जबरदस्त रहेगी ...

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  8. पाबला जी को साधुवाद...

    उनके बहाने सही, आज आपके ब्लॉग नाम का अर्थ मालूम हुआ.

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  9. ब्लॉग का शीर्षक ही उसका प्रवेश द्वार होता है .इसका आकर्षक होना ही पाठक को ललचाता है और ब्लॉग खोलने को आमंत्रित करता है शीर्षक की अमुचित व्याख्या की है आपने इसे समुचित भी सिद्ध किया है . . अच्छी प्रस्तुति .कृपया यहाँ भी पधारें -


    बुधवार, 20 जून 2012
    क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
    क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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  10. @अनूप शुक्ल
    आपके लिए भी एक नया शीर्षक ब्लॉग शुरू करने का सुझाव प्राप्त हुआ है -
    1खुरपेचिया फ़ुरसतिया
    २ फुरसतिया खुरपेचिया
    मुझे भी यह मजेदार लग रहा है :)

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  11. अर्थ तो पता चल गया , अब एक दिन आपसे इसका सही उच्चारण भी सुनना है .
    अली फुरसतिया को बढ़िया काम दे दिया है . :)

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  12. इस बहाने आपके ब्लॉग के शीर्षक का अर्थ जान गए ...

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  13. अनूप जी के ब्लॉग के लिए वैसे 'खुरपेंचिया' एक सटीक विकल्प है और 'फुरसतिया' से भी मारक असर है इसमें !

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  14. बात छोटी नहीं है बहुत गहरी है। कई बार मैंने भी सोचा लेकिन पूछने का साहस नहीं कर पाया। इसलिए ही कहते हैं जो डूब गया वो पार हो गया तथा..

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  15. @ Arvind Mishra , संतोष त्रिवेदी, केवल खुरपेचिया तक सीमित रहकर आप तमाम उन साथियों की अवलेहना करेंगे जिन्होंने और भी इसी घराने के नाम दिये हैं।

    बाकी साईब्लाग को विज्ञान संचार का पहला नियमित हिन्दी का ब्लॉग बना ये जो जानकारी तो सही कर लें। जरूरी थोड़ी है कि अच्छा बताने के लिये पहला भी बना जाये। :)

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  16. * पाबला सही मायनों में संकटमोचक हैं।
    ** साइंस जगत और ब्लॉग जगत के प्रति आपका योगदान सच में सराहनीय है।
    *** नाम में क्या रखा है -- हमने तो अपना ही नाम दे दिया अपने ब्लॉग को।

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  17. :) चलिए हमारी जिज्ञासा भी दूर हुई.....

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  18. @अनूप शुक्ल,
    आपके क्लेश को देखते हुए मैंने 'पहला ' शब्द हटा लिया है .... :)
    वैसे इंगित ज्ञान विज्ञान ब्लॉग अब नियमित नहीं रह गया है ,वर्डप्रेस पर डिलीट भी हो गया है !

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  19. क्वचिदन्यतोअपि ...नाम अच्छा है और उच्चारण में भी सुविधाजनक है ! अर्थ तो आप कई बार बता चुके हैं !

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  20. @ अरविन्द जी ,
    अनूप जी के कहने से क्या होता है :)

    अपन अ़ब भी आपके ब्लाग को विज्ञान का पहला ब्लाग लिख सकते हैं ! लिखिये वर्ड प्रेस पर मृत और अनियमित 'ज्ञान विज्ञान' ब्लाग की तुलना में विज्ञान का 'पहला नियमित ब्लाग साईब्लाग है' :)

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  21. कुछ अन्यत्र से भी ,इधर उधर की सब तरफ की ,सबकी खबर ले सबको खबर दे.वाह क्या बात है अरविन्द भाई साहब आपकी शुभ कामनाएं नसीब हुईं . शुक्रिया .इस उम्र में जहां ज़रुरत होती है चल देते हैं .बेटी गत दिनों से अस्वस्थ चल रही है .दिश्क में प्रोब्लम है .एक बुजुर्ग की गुंजाइश वहां हमेशा बनी रहती है .हम थोड़ा बहुत रसोई में भी सक्रीय हो लेतें हैं .दोनों धेवते ६+और ४+हमसे खासे जुड़ें हैं .एक यूनिवर्स में दिलचस्पी रखता है .दूसरा पढने का बेहद शौक़ीन है .

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  22. मेरे पास एक किताब है जिसके लेखक संत कवि तुलसी के घोर विरोधी लगते हैं..उन्होंने उनके द्वारा लिया गया सन्दर्भ सामग्री को सिलसिलेवार रूप से व्याख्यायित किया है..जम कर उनकी आलोचना की है..आपके ब्लॉग के सही अर्थ का बार-बार उपयोग भी किया है..

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  23. इस पोस्ट पर निगाह तब पड़ी जब अगले सलाम का वक्त हो गया

    बस यूं ही स्नेह बनाए रखिएगा

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  24. ब्लॉग सरदार और विज्ञान सरकार की जय!

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  25. " असारे काव्य संसारे कविरेव प्रजापति: ।"

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