जी हाँ ,इश्क दुखता है और तब तो और भी जब इश्क में कोई चोट खाए हुए हो!और कुछ ऐसा भी जैसे किसी ने एक करारा घूँसा ही जड़ दिया हो ...आईये हम दिल खोल कर सुनाते हैं और आप कान खोल कर सुन लीजिये.... ...यह रिपोर्ट है टाईम पत्रिका के ताजातरीन अंक (अप्रैल ११ ,२०११)में .हैरत की बात यह है कि शारीरिक और भावनात्मक चोट की अनुभूति मस्तिष्क का एक ही स्थान करता है ....अगर किसी के रोमांस में आप रिजेक्ट हो गए तो उसका दुःख भी मस्तिष्क का वही केंद्र करता है जो शरीर में कहीं भी चोट आ जाने पर संवेदित होता है .
इस तरह दिमाग इमोशनल दर्द की इन्तिहाँ और चोट लग जाने के बाद के शारीरिक दर्द में कोई ख़ास फर्क नहीं कर पाता ....महबूब /महबूबा की बेरुखी ,उसका रिजेक्शन मस्तिष्क के भौतिक कष्ट वाले क्षेत्र को ही उद्दीपित करता है .एलिस पार्क अपनी इस रिपोर्ट में लिखती हैं कि शारीरिक और इमोशनल दर्द के लिए चूंकि एक ही तंत्रीय प्रक्रिया क्रियाशील होती है इसलिए किसी प्रेमी /प्रेमिका द्वारा रिजेक्ट किये जाने की अनुभूति वास्तविक सी होती है ....
एलिस पार्क -सीनियर रिपोर्टर, टाईम
इस नए अध्ययन में ४० असफल प्रेमियों को लिया गया जो हाल ही में इश्क में ठुकराए हुए थे-इनके मस्तिष्क के अंदरुनी हिस्सों की एम आर आई (मैग्नेटिक रेसोनेंस इमजिरी) की गयी तो पाया गया कि इश्क में चोटिल हुए इन लोगों/लुगाईयों को जब उनके पूर्व पार्टनरों की फोटो दिखायी गयी तो उनके मस्तिष्क का वही हिस्सा प्रदीप्त हो उठा जो शरीर में कहीं भी चोट लगने पर सक्रिय होता है .इस विषय पर अनुसन्धान करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि इमोशनल पीड़ा मस्तिष्क के उसी दर्द की अनुभूति वाले हिस्से को सक्रिय कर देती है जो भौतिक रूप से चोट खाने पर उत्तेजित होता है ...
तो क्या जिस तरह शारीरिक चोट का निवारण दर्द की दवाओं के इस्तेमाल से होता है इस दर्द की भी कोई दवा हो सकती है ? गालिब साहब ने तो यह सवाल काफी पहले ही कर दिया था -दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है आखिर इस दर्द की दवा क्या है ? मगर अफ़सोस यह कि आम दर्द निवारक जैसे एस्प्रिन आदि का असर प्रेम के चोट खाये हुए पर कारगर नहीं है -पुरानी यादें किसी भी चित्र या सुगंध से तरोताजा हो दुखदायी हो उठती हैं जिसका सम्बन्ध पूर्व प्रेमी /प्रेमिका से होता है .शायद इश्क में हारे हुए के लिये गुजरता वक्त ही राहत दे पाता है .उर्दू शायरी बेवफाई से उभरे दर्द की अकथ दास्ताँ नाहक ही नहीं समेटे हुए हैं ....
ददरे दिल :)
जवाब देंहटाएंएलिस पार्क जल्दी ही शायर बन जाएगी ऐसा लगता है . अब तो शारीरिक चोट लगने पर लोग ऍम आर आई करवाने में डरेंगे , कही ऐसा ना हो की दूसरी चोट के बारे में हर कोई जान जाए .
जवाब देंहटाएंभूलता हूँ किसी की याद को लेकिन मेरे दिल में
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसे ज़ख्म भी हैं, जो मिटाने से उभरते हैं !
11 अप्रैल 2011...?
जवाब देंहटाएंगालिब ने एक बात और बढ़िया कही है....
जवाब देंहटाएंइशरते कतरा है दरिया में फना हो जाना
दर्द का हद से गुज़र जाना है दवा हो जाना
(जैसे हर बूंद की अभिलाषा होती है कि वह समुंदर में मिल जाय वैसे ही दर्द जब हद से बढ़ता है तो दवा हो जाता है।)
एण्टी-वेवफाई गोली,
जवाब देंहटाएंवो ऐसा क्यों बोली?
अच्छी जानकारी ...चलो मैं तो बच गयी इस दर्द से :):)
जवाब देंहटाएंकमाल है! बड़ा कंजूस है हमारा शरीर इन दोनों के लिए दिमाग में जलाने दो अलग अलग बत्तियाँ भी नहीं लगा सकता।
जवाब देंहटाएंसमय पुराने जख्म भर देता है....और वही समय पुराने दर्द जगा भी देता है.....पोस्ट रोचक है.....हमेशा की तरह...
जवाब देंहटाएंमाने ब ठंडी हवा चलती है तो दर्द पता नहीं चोट वाला होता है या इश्क वाला :)
जवाब देंहटाएंदिल जलता है तो जलने दे ...
जवाब देंहटाएंयानि एक ही दर्द है जमाने में.
जवाब देंहटाएंआह !
जवाब देंहटाएंतब तो पिटने वाले मजनू की पीड़ा दोहरी हो गई.
प्यार करने वाले ही ये दर्द जान सकते हैं और यह सर्वविदित है। :)
जवाब देंहटाएंऐसा कोई दर्द भी होता है!
जवाब देंहटाएंइस उम्र तक भी असर होता है !
मुझको यकीन कम होता है !
मेरे हम-नफ़स, मेरे हम-नवा, मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे
जवाब देंहटाएंमैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँवलब, मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे
(शकील बँदायूनी )
regards
aaj hi hamne badle hai kapde aur aaj hi ham nahaye huye hai......
जवाब देंहटाएंjai baba banaras.....
sidhi baat....bhoutik roop se agar koi chot nahi dikh rahi.....aur dard
जवाब देंहटाएंho raha ho.....to o ishq hai....
pranam.
इश्क में ठुकराए हुए बन्दों की कौन कहता है दवाई नहीं है.....
जवाब देंहटाएंसामने रोड पर गिरे शराबी से तो पूछो....
दीपक बाबा जी की सुनो भाई!
जवाब देंहटाएंपोस्ट की प्रतिक्रियाएं इतनी काव्यात्मक हैं कि एक एक पर मन लहालोट हुआ जा रहा है -
जवाब देंहटाएंफुरसत मिले तो सबका अलग अलग जवाब दूं ,अभी तो लाजवाब भी हूँ!
.
जवाब देंहटाएंयह पोस्ट पढ़ने पिच्छू हम बैठ कर रोने जा रैऎं !
चचा ग़ालिब यह नुस्ख़ा थमा गया कि
"रोने से अउर इश्क में बेबाक होय गये
धोये गये हम ऐसे कि बस पाक हो गये"
गज़ब
जवाब देंहटाएंअपनी ही कविता 'लौटते हुए' का एक अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ... (पूरी कविता http://aruncroy.blogspot.com/2010/12/blog-post_27.html )
जवाब देंहटाएं.... लौटते हुए
मेरे साथ था
हारे हुए का इतिहास
चीत्कार से भरा
युद्ध का मैदान था
लहुलुहान मेरे भीतर ,
छोड़ आया था जीत
तुम्हारे देहरी
लौटते हुए
ज्ञात हो रहा था
क्षितिज
आभासी है कितना
पृथ्वी और व्योम का
सम्ममिलन सत्य नहीं
स्वप्न भर है
लौटते हुए
पूरी हो रही थी
जिद्द किसी की
अधूरी रह गई थी
किसी की प्रार्थना.....
देवेन्द्र जी की बात दोहराना चाहूँगी...
जवाब देंहटाएं" दर्द का हद से गुज़र जाना है दवा हो जाना"
दर्दे दिल से महफूज होना ही कौन चाहता है ..
जवाब देंहटाएंबेदर्द से मिले दर्द की दवा भी दर्द ही है
@ बात है वर्मा जी !
जवाब देंहटाएंअजब तासीर है इस दर्द की भी -
नहीं होता जब बेदर्द साथ होता है
होता तब है जब बेदर्द दूर होता है !
आखिर इस दर्द की दवा क्या है ?
जवाब देंहटाएंपूर्व प्रेमी /प्रेमिका की फोटो देखकर दिल खुश भी तो हो सकता है । फिर कैसे कह सकते हैं कि एक दर्द ही उठा है। कुछ तो लोचा है बॉस !
जवाब देंहटाएंजब रोग की शिनाख्त हो गई है तो एंटी दिल दर्दयोटिक भी आ जायेगी.
जवाब देंहटाएंवैसे देवेन्द्र पाण्डे की बात से हम भी इत्तेफाक रखते हैं ।
जवाब देंहटाएंशारीरिक कष्ट से मानसिक कष्ट तो होगा ही, अब ये मानसिक कष्ट दिलजले रोगी का है या किसी योगी का....चुभन तो भेजे में ही होगी ना :)
जवाब देंहटाएंये तो वही जाने जिन्होंने यह रोग पाला है।
जवाब देंहटाएंहमें तो यह गाना बहुत अच्छा लगता है ... प्यार का दर्द है, मीठा-मीठा प्यारा-प्यारा!
पोस्ट और टिप्पणियाँ दोनों रोचक...
जवाब देंहटाएंशायद इसीलिये सर्द हवा चलने पर दोनों दर्द बराबर टीस देते हैं..
जवाब देंहटाएंदिलकी चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया!
कुछ तो इलाज होना ही चाहिए....इतने मरीज़ हैं इस रोग के.... :)
जवाब देंहटाएं@बहुत सी सम्भावनाओं को उजागर करती पोस्ट। आभार सर!
जवाब देंहटाएंलव, क्राइम और पनिशमेंट पर एक साइंस फिक्शन थ्रिलर लिखा जा सकता है इस थीम पर। चौंचक होगी किताब। खूब बिकेगी।
काश! आलसी फुल टाइम लेखक होता! हाथ जरूर आजमाता।
सादर,
गिरिजेश
यहां भी सिंगल विंडो सिस्टम!
जवाब देंहटाएंIshk ke diye dard ki dava bhi ishkiya hi hogi, chahe kisi aur rup mein hi sahi.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर पोस्ट लगी बड़े भाई अरविन्द जी बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर पोस्ट लगी बड़े भाई अरविन्द जी बधाई
जवाब देंहटाएंक्या इस प्रविष्टि से किसी मित्र का कोई सम्बन्ध भी है ?
जवाब देंहटाएंab to dusara dil bhi taiyar ho gaya hai .dard lene me koi khatara nahi hai ..
जवाब देंहटाएंउफ़...
जवाब देंहटाएंये 'उफ़' पोस्ट के लिए नहीं.. कमेंट्स के लिए है.. :D