जगज्जनिनी माँ सीता के सौन्दर्य के बारे में तुलसी कहते हैं -सब उपमा कवि रहे जुठारी केहिं पट तरों बिदेह कुमारी ..मतलब अनिर्वचनीय सौन्दर्य है माँ सीता का ...मगर राम का सौन्दर्य भी तो कुछ कमतर नहीं हैं ...वनगमन के समय जो उन्हें देखने से रह गया ऐसे नगर ,ग्राम्यवासी अपने भाग्य को कोसते हैं.....मगर एक मजे की बात है कि आदि कवि वाल्मीकि जहाँ सीता के सौन्दर्य वर्णन को लेकर मुखर नहीं हैं वहीं वे राम के सौन्दर्य का बखान करने में मगन हो रहते हैं ...जहां सीता के सौन्दर्य की बात हुयी भी है उसे आदि कवि ने सीता जी के मुंह से ही कहलवाया है ..खुद मुखर नहीं हैं!मात्र युद्ध काण्ड के ४८ वें सर्ग में दुःख संतप्त सीता अपने रूप का खुद वर्णन करती हैं .......मगर उनके दैन्य दारुण प्रसंग में सौन्दर्यबोध तिरोहित सा हो उठ्ता है ...जबकि नारी सौन्दर्य के सभी उत्कृष्ट प्रतिमान सीता द्वारा स्वयं के रूप वर्णन में सहज ही आ जाते हैं ..लेकिन आज यह प्रसंग नहीं ..आज तो रूप राशि पुरुषोत्तम राम का ही सौन्दर्य वर्णन ...
राम के सौन्दर्य वर्णन में वाल्मीकि बहुत मुखर हैं -वे उनके शारीरिक सौष्ठव का वर्णन करते अघाते नहीं ....बालकाण्ड में उनकी दैहिक विशेषता के लिए -महाहनु ,आजानबाहु ,पीनवीक्षा जैसे विशेषण देते हैं और सुन्दर काण्ड के ३५ वें सर्ग में राम की रूपराशि का वे दूत हनुमान के माध्यम से विस्तृत वर्णन करते हैं(श्लोक संख्या ८ से २२ तक ) ...
त्रिस्थिरस्त्रिप्रलम्बश्च त्रिसमस्त्रिपु चोन्नतः
त्रिताम्रस्त्रिपु च स्निग्धो गंभीरस्त्रिषु नित्यशः
त्रिवली मांस्त्रयंवतः ......................सुन्दरकाण्ड ३५/१७-१८
इस श्लोक में पुरुषोत्तम राम के तीन अंगों के कई जोड़ों (त्रिगात्र ) -उरु ,मणिबंध, मुष्टि ;पुनःभौह ,अंडकोष तथा बाहु ,नाभि ,कुक्षि तथा छाती और फिर केश ,जबड़े के साथ ही आँख का कोना ,हाथ और पैर के तलवे ,पादरेखा,केश तथा लिंगमणि की विशेषताएं इंगित करते हैं .....अनन्तर उनके उदर और गले में तीन वलियाँ थीं ...स्तनचूचुक निम्न थे ..आदि आदि ..उनका शरीर सुन्दरता ,सुडौलपन और बनावट में अप्रतिम था ....इस अलौकिक सौन्दर्य सुषमा के दर्शन सुख से लाभान्वित कोई भी उनके ओझल हो जाने पर भी अपने मन को उस चुम्बकीय आकर्षण से मुक्त नहीं कर पाता था ..जिसने राम को न देखा और जिसे राम ने न देखा हो वह लोकनिंदा का पात्र होता था ...यश्यम रामं न पश्येतु यं च रामो न पश्यति ,निन्दितः सर्वलोकेषु स्वात्माप्येनं विगर्हते.. (वाल्मीकि रामायण ,२/१७/१३-१४ )
माना जाता है की राम की दैहिक संपदा और शील lके वाल्मीकि - वर्णन से ही साहित्य जगत में नायक के गुणों का बोध हो सका ...नाटयशास्त्र ज्ञानी भरत द्वारा वर्णित नायक के श्रेष्ठ आठ गुण -शोभा,विलास ,माधुर्य, गाम्भीर्य ,स्थैर्य ,तेज .ललित तथा औदार्य का निरूपण राम के गुणों के ही विश्लेषण से ही रूपायित हो पाए हैं . ठीक वैसे ही जैसे वाल्मीकि रामायण के विश्लेषण से संस्कृत साहित्य में महाकाव्य की अवधारणा विकसित हुई लगती है.... राम के शील -व्यक्तित्व के निरूपण पर तो सैकड़ों ग्रन्थ उपलब्ध हैं ....किमाधिकम?
रामनवमी पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं !
बहुत ही सुंदर वर्णन है..... मर्यादा पुरुषोत्तम राम के सौन्दर्य का बहुत सुंदर चित्रण...
जवाब देंहटाएंआपको भी रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें....
ramnavmi par 'sri ramji' ke nam ye post........bare manbhavan lage...
जवाब देंहटाएंpranam.
अलौकिक , अद्वितीय सौन्दर्य दर्शन ।
जवाब देंहटाएंरामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
त्रिभुवन जननायक मर्यादा पुरुषोतम अखिल ब्रह्मांड चूडामणि श्री राघवेन्द्र सरकार
जवाब देंहटाएंके जन्मदिन की हार्दिक बधाई हो !!
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जवाब देंहटाएंसुंदर सौंदर्य वर्णन की झांकी दिखाई आपने। आनंदम।
जवाब देंहटाएंमर्यादा पुरूषोत्तम श्री रामचंद्र जी के जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ..
आज तो...
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनियाँ....सुनने में खूब आनंद आ रहा है।
महाकवि बाल्मीकि श्रीराम का सौन्दर्य वर्णन पढ़कर मन अह्वलादित हुआ . रामनवमी की शुभकामनाये .
जवाब देंहटाएंअच्छा वर्णन किया है.
जवाब देंहटाएंआपको भी रामनवमी कि शुभकामनाये.
राम की मर्यादा और पीड़ा सहने की शक्ति से अलग हटकर उनके सौन्दर्य का वर्णन कर आपने रामनवमी को नया आकार दे दिया।
जवाब देंहटाएंठुमकते राम ने दशरथ और उनकी माताओं को हर्षाया , वही शूर्पनखा उनके सौन्दर्य पर मोहित हुई ...
जवाब देंहटाएंरामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें ...
मुझे तो यह चित्र देखकर एकदम से ब्याह शादी के न्यौते की याद आ गई....ज्यादातर न्योतों पर राम-सीता की यही तस्वीर बनी रहती थी, बहुत अलग हुआ तो शंकर-पार्वती और गणेश की तस्वीर। अब पता नहीं किसकी तस्वीरों का प्रचलन ज्यादा है।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक पोस्ट है। आपको भी रामनवमी की शुभकामनाएं।
आचरण और मर्यादा के पुरुषोत्तम राम का सुंदर रूप-विन्यास.
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया। आपको रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जय हो ! रामनवमी की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंगुरुवर आप बड़ी सहजता से तीनों लोकों में विचरण करते हैं. राम नवमी की बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंSri Ram ke shastriya swarup par mahttvapurn jaankari di hai aapne. Dhanyavad.
जवाब देंहटाएंLokmanas aur lokgeeton mein base Ram-Sita ki chavi ko samne lane ka pryas maine bhi kiya hai Dharohar par.
बहुत सुंदर चित्रण|
जवाब देंहटाएंआपको भी रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें|
सुन्दर वर्णन..रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंआज तो आपने ब्लॉग जगत को राम मय कर दिया ! रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें गुरुवर !!
जवाब देंहटाएंमगर एक मजे की बात है कि आदि कवि वाल्मीकि जहाँ सीता के सौन्दर्य वर्णन को लेकर मुखर नहीं हैं वहीं वे राम के सौन्दर्य का बखान करने में मगन हो रहते हैं ...जहां सीता के सौन्दर्य की बात हुयी भी है उसे आदि कवि ने सीता जी के मुंह से ही कहलवाया है ..खुद मुखर नहीं हैं!
जवाब देंहटाएंइसका कारण शायद यह रहा होगा कि वाल्मीकि जी में सीताजी के प्रति अभिभावक भाव प्रबल रहा होगा। सीताजी उनके लिये नायिका नहीं थीं -पुत्रीवत थीं। उसी के अनुरूप मर्यादा की सीमा में रहकर उन्होंने सीता जी के बारे में लिखा होगा।
निरालाजी ने भी सरोज स्मृति में अपनी पुत्री का सौंन्दर्यवर्णन करते हुये लिखा-
नत नयनों से आलोक उतर
कांपा अधरों पर थर-थर-थर।
उपरोक्त वर्णनों में कवि के सामने मर्यादा की सीमायें रही होंगी इसीलिये उन्होंने बहुत उदारता से उनका सौंन्दर्य वर्णन नहीं किया होगा! :)
अनूप जी,
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही आदि कवि की कोई दुविधा तो रही होगी -मगर मैं समझता हूँ कि
उन मनीषीयों के लिए काव्य प्रसंगों में भी भावात्मकता के बजे वस्तुनिष्ठता ज्यादा वरेण्य थी!
युद्धकाण्ड में सीता के मुंह से ही उन्होंने जिस नारी सौन्दर्य का नख शिख वर्णन किया है वह मैंने जन बूझ कर स्थगित कर दिया -हम शायद उसे उतनी परिपक्वता से न ले पायें जैसा कि अदि कवि का वर्णन है .. सीता वाल्मीकि की पुत्री तुल्य ही थीं और उन्होंने उनके सौन्दर्य को समीप से देखा था ....
ऋषि प्रज्ञा तःथ्यों के विवेचन में अनावाशय्क भाव विह्वलता को तरजीह नहीं देती ! निराला भी एक ऐसे ही ऋषि तुल्य प्रज्ञा के धनी रहे -यद्यपि लोक आग्रहों के चलते उन्हें कुछ समझौते करने पड़े हैं! अब इसी प्रसंग में ही वाल्मिकी प्रसंग की जरुरत के हिसाब से सीता को संतुष्ट करने के लिए कि हनुमान कोई मायावी राक्षस तो नहीं ,हनुमान के मुंह से राम के गुप्त अंगों की भी पहचानों को उजागर कराया है जिसे केवल एक स्त्री ही जान सकती है! अब यह सवाल जरुर है कि उन गुप्त गूढ़ शारीरिक विशेषताओं की जानकारी हनुमान को कैसे हुयी ? बस यहीं तो काशी के व्यासों की चान्दी हो रहती है !
उन गुप्त गूढ़ शारीरिक विशेषताओं की जानकारी हनुमान को कैसे हुयी ?
जवाब देंहटाएंअरे भाई हनुमान जी का रामचन्द्रजी के यहां फ़ुल कन्ट्रोल था:-
राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसारे!
बाकी प्रभु माया। उनके लिये क्या गोपन!
sundar varnan ,aapko ramnavmi ki badhai .
जवाब देंहटाएंपंडित जी!अद्भुत द्रष्टान्त.. सुन्दर उद्धरण..
जवाब देंहटाएंवैसे अनूप अरविन्द संवाद भी पसंद आया!!
bahut sunder varnan hai.......
जवाब देंहटाएंaapko bhee shubhkamnae...
मन अह्वलादित हुआ राम के सौन्दर्य वर्णन पढ़कर
जवाब देंहटाएंरामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत अच्छी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसंस्कृत के ज्ञान भंडार को हिंदी में लाना चाहिए॥ कालिदार, व्यास, वाल्मीकि जैसे रचनाकारों ने सौंदर्य के वर्णन की सीमा छू ली है जिसे शायद ही कोई अब पार कर सके॥
जवाब देंहटाएं@ हनुमान जी ,
जवाब देंहटाएंप्रश्न ये है कि हनुमान जी को इतनी विस्तृत और गोपन जानकारी कैसे हुई ? जिसका आपने सम्यक समाधान किया है किन्तु मैं इस समाधान (उत्तर) में एक छोटा सा तर्क /तथ्य और जोड़ना चाहूंगा ...
देखिये वे एक दूत के रूप में वैदेही को खोजने निकले थे ! तो किसी अपरिचित दूत पर वैदेही को विश्वास क्यों कर होगा ? कैसे होगा ? अनुमानित तथ्य यह कि पत्नी की शंका निवारण योग्य चिन्हों की जानकारी के साथ ही दूत को खोज पर रवाना किया गया होगा !
@ प्रविष्टि ,
किंचित सकुचाती हुई किन्तु नयनाभिराम प्रविष्टि !
अस्तु बाल्मीकि कृत रामायण के हवाले से आप इसे और विस्तार दें !
बहुत बढ़िया....राम के सम्पूर्ण सौंदर्य का वर्णन तो तुलसी ने किया ही है....वो भी बालक काल्स इ युवा होने तक....लेकिन वाल्मीकि ने भी किया ये आज जाना.....
जवाब देंहटाएंवैसे मैं वाल्मीकि रामायण अभी पढ़ रहा हूँ....अगर कुछ असहजता हुई तो जल्द ही आपसे कुछ प्रश्न पूछने योग्य हो पाऊंगा....
रामनवमी की शुभकामना....
प्रणाम.
@अली भाई आपका मत अधिक बुद्धिगम्य लगता है!
जवाब देंहटाएं@राजेश कुमार 'नचिकेता; जी ,
आपके साथ रामायण विमर्श में मुझे भी आनंद आएगा और नए विचार स्फुलिंग अंकुरित होंगे !
बहुत ही सुंदर वर्णन ....
जवाब देंहटाएंराम जी के सौंदर्य के वर्णन से सदा ही मन तृप्त हो जाता है , पता नहीं क्यों....... ग्रामीण परवेश में ये एक विचारनीय विषय है ...
नवमी तिथि मधुमास पुनिता;
जवाब देंहटाएंशुक्ला पक्ष अभिजीत नव प्रीता;
मध्य दिवस अति शीत ना गामा;
पवन काल लोक विश्रामा।
राम नवमी की शुभ कामनायें!