अभी कल ही देखी यह फिल्म .बच्चों के साथ इसे देखने ना जाय ! नहीं तो आँखें परदे के बजाय जमीन पर गड़ी रह जायेंगी ! फिल्म के निर्देशक हैं अनुराग कश्यप और उन्होंने डैनी बोयेल को विशेष धन्यवाद दिया है -वही स्लम / दाग वाले डैनी बोयल ! कहानी बिल्कुल वही पुरानी देवदास वाली ही है -चरित्र भी वही हैं पर पृष्ठभूमि समकालीन है -अंतर्जाल और पोर्नो साहित्य ,दिल्ली की सोशल सेक्स वर्कर्स का दुश्चक्र और विकृत सेक्स का खुला खेल मन को क्लांत करता है -फ़िल्म के कई दृश्य वस्तुतः बेहद अश्लील हैं लेकिन यह फिल्म एडल्ट है यह प्रत्यक्षतः घोषित नहीं है !
मैं तो टाईम्स आफ इंडिया के समीक्षक द्वारा पाँच स्टार में पाँचों दिए जाने के झांसे में फिल्म देखने चल पडा ! अभी उधेड़बुन में हूँ कि इसे कितने स्टार वास्तव में मेरे हिसाब से दिए जाने चाहिए -मगर पाँच तो कदापि नहीं ! फिल्म ने गांधीगीरी की ही तर्ज पर एक नही भाव शब्दावली लांच की है जो चल निकलेगी -इमोशनल अत्याचार !
अब इमोशनल अत्याचार क्या है इसे समझने बूझने के लिए आप इस फिल्म को देख सकते हैं !
कहानी तो अंतर्जाल पर मिल ही जायेगी !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
" कल अचानक इस फ़िल्म को देखने जाते जाते रह गये.....पाँच स्टार मिले है तो सोचा देखने लायक होगी,...अच्छा ही हुआ नही गये...आभर इस फिल्म के बारे मे आपने विचारों से कराने के लिए .."
जवाब देंहटाएंRegards
यहाँ 'आबू -धाबी' क्षेत्र में फ़िल्म-' फैशन 'भी खूब कांट छाँट कर भी 'PG-१५' श्रेणी में ही दिखायी गई थी.
जवाब देंहटाएंइस लिए कोई भी फ़िल्म[जनरल श्रेणी की] सपरिवार देखने अगर जायें तो इस बात का डर नहीं रहता की उस के सीन 'कैसे' होंगे. क्योंकि उस में भी कांट छाँट हो चुकी होती है.
इस फ़िल्म के review देख कर वैसे भी इच्छा नहीं थी इस फ़िल्म को देखने की.आप ने बता दिया तो अब ध्यान रखेंगे की yah film C D में भी घर में न आए.धन्यवाद.
इसके बारे में जानकारी देने के लिए शुक्रिया बच गए इसको देखने से :)
जवाब देंहटाएंपहले तो इसकी जानकारी ही नहीं थी अब आपने बता दिया तो उत्सुकता सी है...चलिए कभी टी.वी. पर
जवाब देंहटाएंआई तो देख लेगें...!
रेटिंग तो यहाँ भी टाईम्स ने ५ स्टार की दी है । वैसे हमने मन बनाया तो है देखने का ।
जवाब देंहटाएंफ़िल्म देखी नहीं, देखूंगा भी नहीं.
जवाब देंहटाएंपुराने देवदास, पारो, चन्दा जेहन में बने हैं, बचे हैं - वो गुम हो गये तो कैसे ढूंढ़ पाउंगा उन्हें.
शुक्रिया...........संभल कर जायेंगे देखने, अगर गए तो
जवाब देंहटाएंअरे वाह सर.. आपने भी रिव्यू लिखा है... हमारा तो आप पढ़ ही चुके है.. पर आपसे सहमत हू.. फिल्म दो किरदार लिए हुए है..
जवाब देंहटाएंअरविंद जी, थिएटर गए महिने हो चुके हैं। लेकिन फिल्में देख लेता हूँ। पर कीचड़ परोसने की तो सारे मीडिया की आदत सी हो गई है।
जवाब देंहटाएंसर जी ...यह आदत हमको ५-६ साल पहले ही लगी थी ...... पर जल्दी ही गलती का एहसास हो गया , इसलिए अब कम ही जाते हैं , समझिये न के बराबर !!!
जवाब देंहटाएंआप लोगों के रिव्यू पढ़ कर ही चर्चा करने की कोशिश करते हैं
हमें तो समझ ही न आया सन्दर्भ! आउट ऑफ रीच!
जवाब देंहटाएंइसलिए रुके हुए है की अकेले देखने जायेगे .फिलहाल किसी दोस्त को ढूंढ रहे है....
जवाब देंहटाएंHaan ek bat to kehna bhul gayi....humm...k liye shukriya..!!
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद जानकारी के लिये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अर्विन्द जी आज कल कोन सी फ़िल्म है जो बच्चो के संग देखी जाये???? कोई एक बता दो, नही हम ने तो कई साल से फ़िम देखना ही बन्द कर दिया, घर पर ४,५ सॊ डी वी डी पडी है, लेकिन सभी फ़िल्मे पुरानी है, कुछ नयी है, जो हम खुद नही देख सकते तो बच्चो को क्या दिखाये.
जवाब देंहटाएंआप का धन्यवद, गन्दगी देखने से बचा लिया, शायद यह पांच सितारे देख कर कही पंगा ले बेठते.
देव डी, यानी ब्लॉग जगत का इस सप्ताह का सबसे चर्चित विषय।
जवाब देंहटाएंअब लगता है इसे देखना ही पडेगा।