मुझे बकलमखुद हिन्दी चिट्ठाजगत का तार सप्तक सा लगता है ! आज तारसप्तक की इस प्रथम तारिका (Debutante) से आप से रूबरू कराने का नेक इरादा है .वैसे तो आप ख़ुद भी बकलमखुद पर जाकर इनका तआरूफ प्राप्त कर सकते हैं मगर फिर चिट्ठाकार- चर्चाकार के नजरिये से इस शख्सियत से आप थोड़े ही मिल पायेंगे ! लिहाजा यह मेरा सौभाग्य कि आपको अनिता कुमार से मिलवाने का मौका मुझे मिल रहा है . बकौल अजित वडनेरकर के इनका एक खिलंदड़ा चिट्ठा भी है--कुछ हम कहें !
अब खिलंदड़ा का शाब्दिक और भाववाचक अर्थ क्या है यह आप अजित वडनेरकर जी से पूंछ लें या तो आप
ख़ुद कुछ हम कहें पर जा एक नजर डाल लें -आप में से कई बन्धु बांधवियों नें उस ब्लॉग का साक्षात्कार तो किया ही है . यह बात दीगर है कि आपको उस ब्लॉग पर खिलन्दड़ा सा कुछ भी ना लगे ! आप इस बारे में डिटेल्ड तहकीकात भी अजित जी से ही कर सकते हैं -वे शब्द पारखी जो हैं ! अब हिन्दी की गोबर पट्टी वालों को यह तो नागवार लगता ही है कि अजीत को अजित लिखा जाय और अनीता को अनिता और संयोग ऐसा कि यह अतिथि और आतिथेय दोनों के नामों के साथ घटित है .अनिता जी के नामके साथ तो एक और अनकुस लगने वाली बात है वह है उनके नाम के आगे कुमार जुडा होना - अब ठेंठ हिन्दी के पुर्बई लोग कुमार का मतलब पुरूष वाचक संज्ञां से लगाते हैं ,मगर अभी तक तो आप जान ही गएँ होंगे अनिता कुमार जी बकलमख़ुद की प्रथम तारिका , एक विदुषी हैं !
अनिता जी से मेरा परिचय यही कोई साल सवा साल पुराना है .जब नारी नख शिख वर्णन का जुनूनी दौर चल रहा था कई सहिष्णु महिला ब्लागरों ने उस ब्लॉग के अंतर्वस्तु के वैज्ञानिक विवेचन के पहलू को सराहा था उसमें अनिता जी भी थीं .मैं उनकी उस हौसला आफजाई का शुक्रगुजार हूँ .उन्हें तब यह आश्चर्य हुआ था कि वैसी अंतर्वस्तु की सामग्री अंगरेजी में तो है मगर हिन्दी में अभाव है .अब कोई आपकी प्रशंसा करे तो जाहिर है आप के मन में उसके प्रति अच्छा भाव जागृत तो होगा ही -लिहाजा मैं अनिता जी का सम्मान करने लगा .अनिता जी मोहमयी नगरी की महिला हैं -आधुनिक विचारों की हैं .पेशे से शिक्षिका हैं .कंप्यूटर की जानकारी में भी निष्णात हैं .बहुत प्रखर बुद्धि की हैं -मुझ जैसे गवईं परिवेश के बेसऊर लोगों को चुटकी बजा के डील कर लेती हैं .की बोर्ड पर तो उनकी उंगलियाँ इतनी तेज चलती हैं कि शायद अदनान सामी की उंगलियाँ भी पियानो पर उतनी तेज न थिरक सकें ! मुझे उन्होंने चैटिंग के मैराथन में कई बार परास्त किया है -मैंने उनका लोहा मान लिया .अंगरेजी पर उनका कमांड है -हिन्दी भी अच्छी है मगर कुछ आंचलिक से शब्दों को जाहिर है वे समझ नहीं पातीं .मगर जानने की उनकी इच्छा तीव्र है .अब जैसे उन्होंने मुझसे एक बार पूंछा कि भदेस माने क्या होता है .मुम्बई शहर में रहकर भी हिन्दी के प्रति उनकी यह प्रतिबद्धता काबिले तारीफ़ है .वे फुरसतिया की फैन हैं -उनके ब्लॉग जगत के अवदानों से खासी चमत्कृत ! .मुझे तो बल्कि उनका फुरसतिया शौर्य वर्णन चुभ सा गया ! मगर भई जो सच है वह है ! हाँ कोई यह न पूंछ ले कि आख़िर यह फुरसतिया है कौन -भई पहचान कौन !
उन्हें संगीत पसंद है और उनकी पसंद सचमुच उच्च कोटि की है,बोले तो रिफायिंड टेस्ट ! -उन्होंने मुझे कुछ अपनी पसंद के गीत सुनवा कर उपकृत भी किया है .पुस्तकों की तो ख़ास तौर पर कायल हैं .मुझसे कह कह कर बनारस के पुस्तक विक्रेताओं के कैटलाग उन्होंने मंगवाए हैं -कोई किताब भी लिख रही हैं इन दिनों -शायद मनोविज्ञान पर कोई पाठ्य पुस्तक .इसलिए चिट्ठाकारिता की फ्रीक्वेंसी कफी कम हो गयी हैं -वे इस बात की पक्षधर हैं कि ब्लॉग जगत पर एक सीमा तक ही समय जाया करना चाहिए .बाकी और भी तो काम है -मैं मूरख उनकी सीख नही मान सका और दो पुस्तकों का पेड़ प्रस्ताव ठुकरा चुका हूँ -निगोड़ी इन ब्लागिंग के चक्कर में मुझे इन दिनों कुछ सूझता ही नहीं ! मुझे होश है कि मैं बेहोश हूँ और निरंतर कोई गुमाह किए जा रहा हूँ ! सारी अनिता जी आपकी सीख अभी तक शिरोधार्य न कर पाने के लिए !
चिट्ठाजगत के तार सप्तक की यह प्रथम नायिका इतनी तीव्र मष्तिस्क की स्वामिनी हैं कि कोई महिला जान थोड़ी स्वच्छन्दता न ले ले और मर्यादित रहे इसलिए उसे पहले ही यह कह कर औकात में ला देती हैं कि वे ख़ुद एक मष्तिष्क भर हैं -उन्हें जेंडर के चश्में से न देखा जाय ! मतलब वे न स्त्रीलिंग हैं और न ही पुलिंग और जाहिर हैं हिन्दी की नपुंसक लिंग भी नही ही हैं -वे महज मस्तिष्क हैं - द ब्रेन ! मैं उनसे हेलो ब्रेन से ही संबोधन शुरू करता हूँ ! अभी उसी दिन ही तो मैंने ब्रेन से बसंत की बात की , जाते हुए ठण्ड की चर्चा की और उन्होंने मुझसे डार्विन की द्विशती को जोरदार तरीके से मनाने का आह्वान भी किया ! उनके सामान्य ज्ञान और बौद्धिक समझ की सानी चिट्ठाजगत में कम ही है । आप ख़ुद उनके ब्लॉग पर जाकर यह जान समझ सकते हैं ,उन्हें चैट पर चाहें तो निमंत्रित कर थाह पा सकते हैं पर यह मान लें कि चैट में चित आपको ही होना है !
मैं बकलम ख़ुद की इस प्रथम तारिका के मंगलमय भविष्य की कामना करता हूँ !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
आमीन्।
जवाब देंहटाएंसच्ची बात है जी !! अब रेगुलर उनको पढने की कोशिश करूंगा!!
जवाब देंहटाएंइस परिचय के लिए साधुवाद.
जवाब देंहटाएंअनिता जी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा. Thanks!
जवाब देंहटाएंआदरणीय, बहुत प्रेरणादायी परिचय कराया आपने मोहतरमा अनिताकुमार जी का। उनके जीवन की बहुत सी बातें सीखने के क़ाबिल हैं। चैटिंग का मैराथन और फ़ुरसतिया साहब की बातें रोचकता को बढ़ा रही हैं लेख में। आपका बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंअनीता जी की मैं भी बहुत बड़ी फेन हूँ .उनका लिखा हुआ पढने में जितना पसंद आता है उनसे बात करते हुए भी उतना ही आनंद आता है ..बहुत सही और बढ़िया लिखा आपने अनीता जी के बारे में ...
जवाब देंहटाएंभई अनीता जी तो अपने आप में कमाल हैं ही । लेकिन जब उनकी विनोद जी से जुगलबंदी होती है तो वो और भी कमाल हो जाती है । विविध भारती के एक कार्यक्रम में दोनों शामिल हुए थे । वो हमारे कुछ यादगार दिनों में से एक है । और हां उनके बनाए खाने को भला कोई भूल सकता है । बढिया खाना बनाना और बढिया कार चलाना । और हां बातें तो बस कमाल की । चैटिंग धमाल की ।
जवाब देंहटाएंये अलग बात है कि वो मुंबई के उस दूर वाले छोर पर हैं । और हम छलांग मारकर भी वहां पहुंच नहीं पाते ।
अनीता जी का मै भी कायल हूँ . बढ़िया प्रस्तुति के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंआपकी उपमा ही हमें भा गई...आगे क्या कहें...अनिताजी की जितनी तारीफ की जाए कम हैं...आप तो ब्लाग के संदर्भ में खिलंदड़ा शब्द लिए बैठे हैं हमें तो अनिताजी का समूचा व्यक्तित्व खिलंदड़ा लगता है। हास्यबोध, उत्साह, सहजता, बेबाकी, गरिमा और भी बहुत सी सकारात्मक बातें हैं अनितादी में जो उन्हें और उनके ब्लाग को खिलंदड़ा साबित करती हैं( वैसे लिखने के लिए यह शब्द हम लिख गए हैं क्योंकि हमारे भावों को व्यक्त करने के लिए यही शब्द सहजता से उंगलियों ने लिखा, अर्थ और व्याख्या के लिए क्षमा करे :))
जवाब देंहटाएंअनितादी को शुभकामनाएं....आपको बहुत बहुत शुक्रिया...
अरविंद जी मुझे जरा भी इल्म नहीं था कि आज आप के ब्लोग पर मेरी हौसलाअफ़जाई होने वाली है। मैं कभी पोस्ट को और कभी खुद को देख रही हूँ कि क्या सच में इतना अच्छा मेरे लिए कहा जा रहा है। वैसे सुना तो यही है कि आउट ओफ़ साइट आउट ओफ़ माइंड होता है लेकिन मेरे अपने ब्लोग पर सक्रिय न होने पर भी आप ने मुझे याद रखा मैं शुक्रगुजार हूँ।
जवाब देंहटाएंमेरे नाम के साथ कुमार क्युं है ये लंबी कहानी है फ़िर कभी। आप ने सच कहा मैं गपोड़ी हूँ और चैट ई-अड्डा है गपबाजी करने का आसान सा जरिया…:)द मोर द मैरियर्।
मुझे याद रखने के लिए और अपने ब्लोग पर स्थान देने के लिए तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ आप की और कमैंटस में जो दोस्त हौसला अफ़जाई कर रहे हैं उनकी भी। धन्यवाद
अरविंद जी सच कहूँ तो आप ने तो मुझे यहां चारों खाने चित्त कर दिया॥एक गीत याद आ रहा है
जवाब देंहटाएं'साला मैं तो साब बन गया'
:) :)
लेकिन मेरे अपने ब्लोग पर सक्रिय न होने पर भी आप ने मुझे याद रखा मैं शुक्रगुजार हूँ।
जवाब देंहटाएंthis is not good enough anita mam
by saying thank you it will not do
you need to write more regularly
regds
rachna
aaj aap ke zareeye Anita Kumar ji se mulaqat hui..mujhey un ke baare mein bilkul bhi maluum nahin tha.
जवाब देंहटाएंaap ko dhnywaad ki aap ne [the brain]'द ब्रेन ' se parichay karaya.
-Main to blog jagat mein nayee hun is liye blog jagat ki naami -girami personalities se parichay aap ke zareey hona achcha hai.
un ke baare mein comments mein bhi jaankari mili...un ke blog par un sey miltey rahengey..Anita ji aap ko shubh kamnayen aur badhayee.
['taar saptak' ke baki suron se bhi milwayeeyega]
अनिताजी मनोवैज्ञानिक हैं और ग्रेट मोटीवेटर भी। कई ब्लॉगर उनसे लाभान्वित हुये हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छा बता दिया आपने. पिटने से तो बच ही गए. सुंदर परिचय के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसमय कम है सो कॉपी-पेस्ट से काम चलाना पड़ रहा है।
जवाब देंहटाएं... वे फुरसतिया की फैन हैं -उनके ब्लॉग जगत के अवदानों से खासी चमत्कृत! मुझे तो बल्कि उनका फुरसतिया शौर्य वर्णन चुभ सा गया!
... उन्हें संगीत पसंद है और उनकी पसंद सचमुच उच्च कोटि की है.
... उनके सामान्य ज्ञान और बौद्धिक समझ की सानी चिट्ठाजगत में कम ही है।
... उन्हें जेंडर के चश्में से न देखा जाय!
अनिता जी के बारे में आप ने जो कुछ लिखा उन सब का अनुमोदन करता हूँ.
जवाब देंहटाएंसस्नेह -- शास्त्री
अनीताजी से तो बात होती ही है, मिलना भी कई बार होते-होते रह गया... वो भी जल्दी ही होगा. बाकी आपने जो लिखा है किसी में दो राय नहीं.
जवाब देंहटाएंबड़े दिनों से उन्होंने कुछ लिखा नहीं अपने ब्लॉग पर?
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी, मुझे आश्चर्य तो तब हुआ,
जब हाल ही में उन्होंने इमेज़ एडिटिंग टूल्स के विषय में कुछ जानकारियाँ माँगी ।
और, मैं सीना फुला कर उनको विन्डोज़ का डिफ़ाल्ट
MS Paint तक के विषय में जानकारी दे रहा था !
आज मुझे पता लगा कि..आर्रे दईय्या रे !
अनीताजी के बारे में पढ़ना अच्छा लगा। उनके व्यक्तित्व का क्या तो आतंक छा के रख दिया आपने। मजा आ गया। अनीताजी एक संवेंदनशील इंसान हैं। हर महान व्यक्तित्व में कुछ न कुछ अखरने वाली कमी तो होती ही है वो अनीताजी में भी है कि वे वे फुरसतिया की फैन हैं
जवाब देंहटाएंलेकिन अनीताजी अब लिखतीं बहुत कम हैं ये अच्छी बात नहीं है।
अनिता जी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा, उनके विलक्ष्ण व्यक्तित्व को जानकर एक सुखद अनुभूति हुई... "
जवाब देंहटाएंRegards
प्यारी अनिता दी को कौन नही प्यार करता......! मैं अपवाद नही हूँ....! लेकिन वो अनूप जी की ही तारीफ करती हैं.....थोड़ा कष्ट हुआ...:(
जवाब देंहटाएंbahut sahi!
जवाब देंहटाएंअनिता जी बहुत कुछ हैं। वे दादी बनना चाहती हैं। वक्त और संयोग की प्रतीक्षा है।
जवाब देंहटाएंअनिता जी से एक बार बात चीत हुई है, पर आपकी पोस्ट पढकर उनके बारे मे काफी कुछ जानने को मिला, शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंअनीता जी बहुत ही प्यारी शख्सियत हैं...और सबसे ज्यादा लुभाता है...उनका sense of humour उनके साथ किसी भी dull moment से नहीं गुजरना पड़ता..
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