आम भारतीय रसोईघरों में एल पी जी गैस कनेक्शन के बाद तेजी से एक नया निर्धूम चूल्हा जगहं घेरने लगा है -यह है इन्डक्शन चूल्हा. खाना पकाने का एक और नया सुभीतेवाला 'कूल' तरीका। यह ज्यादा पर्यावरण फ्रेंडली है और उन घरों में जहाँ जगह कम है, रसोईघर के अलावा भी कहीं भी रखा जा सकता है...बस एक प्लग पॉइंट की दरकार है. लपटें नहीं धुंआ नहीं...कई मामलों में तो यह माइक्रोकूकर अवन से भी बढ़कर है...और चूल्हे की लागत अन्य खाना पकाने के उपकरणों से बेहद कम.बस डेढ़ हजार से दो हजार के बीच...हां कई कम्पनियां इसकी लोकप्रियता के चलते अपने ब्रांड थोड़ा महंगे दामों में भी बाजारों में उतार चुकी हैं, मगर सस्ते इन्डकशन चूल्हों की भी बाजारों में भरमार है. कोई भी चुन लें!
यह चूल्हा चुम्बकीय फील्ड क्रियेट करती है और खाना उसी में पकता है. दरअसल यह चूल्हा भौतिकी के उस प्रदर्शन पर आधारित है जिसमें किसी क्वायल में बिजली के करंट के प्रवाह से आस पास एक चुम्बकीय क्षेत्र तैयार हो जाता है. अब ऐसी ही एक जुगत इस इन्डक्शन टाप/स्टोप/हाब (इसके कई नाम हैं) के भीतर है और उसके ऊपर एक न गरम होने वाली प्लेट लगी है.
जहां खाना बनाने के बर्तन-भगौना, कुकर, फ्राईंग पैन, तवा, कड़ाही को रखा जाता है - चुम्बकीय क्षेत्र उससे आकर टकराता है और बर्तन की पेंदी के प्रतिरोध (रेजिस्टेंस) के चलते वह गरम होने लगता है...कोई हल्का फुल्का ताप नहीं, काफी ज्यादा ताप, जिसमें खाना मिनटों में बन कर तैयार हो जाता है. आश्चर्य की बात यह खाने का बर्तन गरम होता है मगर स्टोव नहीं ...बिना आग के भी खाना पक सकता है. यह है वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी का कमाल. मगर कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं - इन्डक्शन स्टोव पर केवल लोहे और स्टील के बर्तन ही इस्तेमाल में लाए जाते हैं, ऐल्म्यूनियम के नहीं - ऐल्म्यूनियम के बर्तन पिघल सकते हैं. इसलिए अब बाजारों में इन्डक्शन कूकिंग वेयर की भी बहुतायत हो चली है - हर खाना पकाने के काम आने वाले बरतन का इन्डक्शन रेंज अलग है, जिसमें उनकी पेंदी को इस लिहाज से सुधारा गया है.
अगर आपको एलपी गैस मिलने में समस्या है या एक ही एलपीजी गैस सिलिंडर होने से उसके रिफिलिंग के दौरान खाना बनाने की समस्या है तो इस इन्डक्शन स्टोव को आजमा सकते हैं - बिजली की खपत भी काफी कम है.
तो आप भी चाहें तो इन्डक्शन स्टोव लेकर लेटेस्ट तकनीक प्रियता की धाक लोगों पर जमा सकती/सकते हैं! साथ ही ईंधन बचत के प्रबंध में भी एक कदम आगे ले जा सकती/सकते है...तो इन्डक्शन कूकिंग के लिए अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं. जो लोग इसका पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं वे अपने अनुभव भी साझा करें तो दूसरों का हित होगा.
यहाँ यह ओप्शन बहुत पहले से है परन्तु हमारी भारतीय रसोई के लिए इतना सुविधाजनक नहीं. क्योंकि गैस वाली आग की तरह हीट एकदम से कम और ज्यादा नहीं होती. और इसमें फुल्के आदि बनाने में भी बहुत परेशानी होती है.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंपर शिखा जी की भुगती परेशानियों पर गौर करना जरूरी है
@शिखा जी ,
जवाब देंहटाएंआज हर और विविधता का बोलबाला है -एल पी जी के साथ यह काम्बो भी भारतीय रसोईं के लिए ठीक है .
यहाँ तो प्रेस्टिस और हाकिंस जैसी मशहूर कुकिंग कम्पनियां एल पी जी चूल्हे के नए डिजाईन में इसे भी इनकार्पोरेट कर चुकी हैं @वर्मा जी ,
आप बेख़ौफ़ खरीदिये और विविध व्यंजनों का लुत्फ़ उठाईये!
मतलब कूकर काम नहीं करेगा इस पर। उपयोगी तो है जब गैस नही मिलती तो हाहाकार मच ही जाता है।
जवाब देंहटाएंयह जानकारी गृहिणियों के लिए ज़्यादा लाभदायक है क्योंकि उनका ही इससे सीधा वास्ता पड़ता है.कभी हम भी थोड़ा-बहुत कुकिंग कर लेते थे पर श्रीमतीजी ने सारा काम अपने हाथ में ले लिया,मेरी योग्यताओं को नज़र-अंदाज़ करके !
जवाब देंहटाएंहम भी काफी पहले ही ले आये हैं ..... अच्छा ऑप्शन है....
जवाब देंहटाएंइंडक्शन चूल्हे बड़े उपयोगी होते हैं. मेरे कुछ दोस्तों के पास है. बस इसके लिए बर्तन अलग बेस के चाहिए होते हैं. इसलिए चूल्हे के साथ बर्तनों पर भी खर्च करना पड़ जाता है :)
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी मिली ... शिखा जी की बातों पर भी ध्यान देना ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी मिली ... शिखा जी की बात पर भी ध्यान देना ज़रूरी है ॥
जवाब देंहटाएंअच्छी तकनीक है, गैस चूल्हे के सभी काम भले न करे पर बहुत से काम कर देगी।
जवाब देंहटाएंबिजली की खपत क्या है?
@ई-पंडित बिजली की खपत बहुत ही कम है!
जवाब देंहटाएंकाम की चीज है, एक पत्नी पीड़ित को गिफ्ट करने का इरादा है !
जवाब देंहटाएंसुना है स्वास्थ्य के लिए एल.पी.जी. से ज्यादा हानिकारक है..
जवाब देंहटाएंफुल्के नहीं बन पाते - शिखा जी ठीक कह रही हैं ..... न ही कुकर और न ही अल्युमिनियम की कढाई काम आएगी
जवाब देंहटाएंbut it is good for reheating (rather than cooking - at my home the microwave oven is also restricted to reheating ...
बढ़िया जानकारी मिली ....आगे के लिए ध्यान रखेंगे ...
जवाब देंहटाएंआभार ...!!
इन्डक्शन स्टोव पर इस्तेमाल लिए गए बर्तन का फ्लेट बोटम होना ज़रूरी है . डॉ .अरविन्द भाई ! दिमेंशा के लिए हिंदी में एकाधिक शब्द प्रयोग हैं (चित्त विक्षेप ,उन्माद ,,पागलपन ,मनोभ्रंश ,यह एक ब्रोद्स्पेक्त्रम टर्म है ) है बेहतर है दिमेंशा लिखा जाना (Oxford ENGLISH-ENGLISH-HINDI Dictionary,OXFORD UNIVERSITY PRESS). स्मृति लोप तो एक लक्षण है इस व्यापक रोग का .
जवाब देंहटाएंकितनी सारी जानकारी वह भी चूल्हे के बारे में :):)
जवाब देंहटाएंयानि गैस चूल्हे के साथ अच्छा काम आ सकता है . इससे गैस की खपत भी कम हो जाएगी .
जवाब देंहटाएंये तो आपने बढ़िया जानकारी दी है . अभी बताते हैं गृह स्वामिनी को .
लाभदायक जानकारी.
जवाब देंहटाएंलेकिन यहाँ गैस परचून की दुकान पर ही फोन करने से ही तुरंत घर पहुँच जाती है..नहीं तो सीधा पेट्रोल पम्प पर चले जाएँ वहाँ भी मिल जाती है.भारत के जैसे दिक्कत नहीं है इसलिए हमारे लिए यहाँ उपयोगी नहीं दिखती.
ये तो एक अच्छी तकनीक लग रही है।
जवाब देंहटाएंbadhai ho.....
जवाब देंहटाएंbakiya, saath me bartan ke set bhi lene honge.....sochata hoon???
pranam.
आपने कहा है - बिजली की खपत भी काफी कम है.
जवाब देंहटाएंतो सामान्य हीटिंग क्वाइल वाले चूल्हे तथा इस इंडक्शन चूल्हे की तुलनात्मक अध्ययन बाबत कोई डाटा या रेकार्ड बता सकें तो उत्तम. नेट पर कोई लिंक?
और, 1 -1 किलोवाट के इन उपकरणों में दस मिनट में क्या किसी में (हीटिंग क्वाइल वाले में) 1 किलो खाना बनेगा तो दूसरे (यानी इंडक्शन वाले में) 2 किलो बनेगा?