यह तो आप जानते ही हैं और न जानते हों तो जान लीजिये, लखनऊ में भारतीय भाषाओं में विज्ञान लेखन पर एक राष्ट्रीय कार्यशिविर अभी अभी आयोजित हुआ जिसमें इस बन्दे की भी भागीदारी हुई ....रुकिए रुकिए मैं यहाँ विज्ञान पर आपका माथा नहीं चाटने जा रहा ...बल्कि लोकार्पण समारोह से जुड़े चंद जज्बात साझा कर लेना चाहता हूँ ...अंगरेजी के पुस्तक 'रिलीज ' या 'अनवीलिंग' सेरेमनी को हिन्दी जगत में विमोचन /लोकार्पण कहने का प्रचलन है ....नेशनल बुक ट्रस्ट (एन बी टी ) दिल्ली ने मुझे 'इसरो की कहानी' पुस्तक के लोकार्पण सत्र में पुस्तक पर एक आलेख वाचन के दायित्व के साथ आमंत्रित किया था ..पुस्तक जाने माने प्रक्षेपक /प्रक्षेपास्त्र विज्ञानी वसंत गोवारीकर द्वारा मराठी में लिखी गयी है जिसका हिन्दी अनुवाद एन बी टी ने अभी अभी प्रकाशित किया है ..
साईंस फिक्शन इन इण्डिया का लोकार्पण : बाएं से मैं ,मुख्य अतिथि अनिल मेनन ,वरिष्ठ साहित्यकार हेमंत कुमार ,डॉ चन्द्र मोहन नौटियाल और सुप्रसिद्ध विज्ञान कथाकार देवेन्द्र मेवाड़ी
इसके साथ ही दो और पुस्तकें लोकार्पित होनी थी -जीनोम यात्रा -लेखिका विनीता सिंघल और विज्ञान और आप -लेखक डॉ. पी जे लवकरे....इस तरह तीन किताबें दुल्हनों की तरह सज धज के समारोह में लाईं गयीं थीं ..एन बी टी के सहायक सम्पादक पंकज चतुर्वेदी ने बच्चों को मंच पर बुलाकर पुस्तकों का विमोचन- घूंघट उठवाया और पुस्तकों का आमुख देखकर बच्चे दीवाने हो चले ..और दीवानगी का आलम यह कि प्रकाशक से बिना एक एक पुस्तकों का उपहार लिए वे मंच से नहीं उतरे ...
मगर एक दो पुस्तकें और भी थी जिसे विश्वप्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक अनिल मेनन ने लोकार्पित किया ...एक तो साईंस फिक्शन इन इंडिया जिसका सम्पादन खुद मैंने और मित्रों ने किया है तथा दूसरी हास्य विज्ञान उपन्यासिका बुड्ढा फ्यूचर जिसे जीशान हैदर ज़ैदी ने लिखा है .....विज्ञान कथा की कार्यशाला में इन पुस्तकों के विमोचन की धूम मची रही ...बाकी एक से एक दिग्गज विज्ञान कथाकार इस आयोजन में जुटे जिसकी रिपोर्ट जाकिर अली 'रजनीश ने तस्लीम पर डाल दी है सो दुहराव की जरुरत नहीं है ....
एन बी टी की पुस्तकों को बच्चों ने खुद लोकार्पित और आत्मार्पित किया: मंच पर बच्चों के साथ पुनः मैं ,लेखिका विनीता सिंघल और देवेन्द्र मेवाड़ी
इस आयोजन में बहुत आनंन्द आया ..एक नागवार बात भी गुजरी ..जहाँ हम रुके थे ..सप्रू मार्ग पर, सरकारी देखरेख के होटल गोमती में ,वहां अतिथियों के कमरों में अंगरेजी अखबार देने का ही रिवाज है ..मैं जब रिसेप्शन पर गया और हिन्दी अखबार की मांग की तो मुझे अजीब नज़रों से देखा गया ..बताया गया यहाँ हिन्दी अख़बार नहीं दिए जाते ...यह हाल हिन्दी प्रदेशों के ह्रदय स्थली की है ....बेहद आपत्तिजनक और अफसोसनाक ....कोई सुन रहा है जो इस मामले में हस्तक्षेप करने की कूवत रखता हो? हाय बेचारी हिन्दी अपने ही लोगों के बीच बेगानी हो गयी है ...!
अब हम वापस तो आ गए है बनारस मगर विधान सभा सामान्य निर्वाचन का कार्यक्रम घोषित हो चुका है और अब अगले दो ढाई माहों के लिए मुझे सांस लेने की भी फुर्सत नहीं है ...इसे आप अर्ध टंक्यारोहण भी कहना चाहें तो सहर्ष कह सकते हैं ..जो लोग इस ब्लॉग लिंगो से परिचित नहीं हैं वे ब्लॉग निघंटु के ज्ञाता किसी भी टिप्पणीकार से पूछ सकते हैं .....ऐसे कुछ ब्लॉग भाषा शास्त्री यहाँ टिपियाने तो आयेगें ही ......
वैसे तो प्रतिक्रिया ठहर कर देने की सोची थी पर कुछ सवाल परेशान कर रहे हैं सो ...
जवाब देंहटाएंहोटल का नाम गोमती है फिर वहां का सारा स्टाफ भी हिन्दी नामों वाला रहा होगा ! मेरे ख्याल से सरकार भी हिन्दी ही है जिसकी देखरख में यह होटल सांसें ले रहा है !
किसको गरियाऊं मैं ?
( विमोचन संपादन आदि आदि के लिए शुभकामनायें )
वर्ष 2012 में प्रवेश से पहले 2011 ने आपको यादों के सुंदर गुच्छ थमा दिये हैं। इतनी व्यस्तताओं की बीच इन सुनहरे पलों का आस्वादन कर पाने के लिए आपको बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ ,आपकी पुस्तक और आपके द्वारा विमोचित पुस्तकों के लिए !
जवाब देंहटाएंअच्छी विज्ञान-पुस्तकों का प्रकाशन सराहनीय है.
होटल वाले संभ्रांत मानसिकता से ग्रस्त हैं.हो सकता है ,हिंदी के अखबार रखने से उनके स्टारपने(चार-पांच जो भी हों)में कमी आ जाती !
हिंदी बेल्ट में,राजभाषा होते हुए,बतौर सरकारी उपक्रम ,हिंदी की हेठी चिंताजनक है !
आप दो माह व्यस्त रहेंगे तो हम सब यहाँ कैसे मस्त रहेंगे ? हमारे भोजन में चत्खारापन तो आप ही डालते हैं !
@अली सा ,सचमुच बहुत खेदजनक है यह मगर ऐसा होता क्यों है ?
जवाब देंहटाएं@देवेन्द्र जी ,आप अपनी छोडिये मेरी बेचैनी तो देख जाईये किसी दिन ...
@संतोष जी ,क्या करें मजबूरी का नाम महात्मा गांधी है सो आप जानते हैं ...
अन्ना या अन्नू भाई से कुछ ताल्लुक बढाईये !
आप तो स्थापित सेलिब्रिटी हैं, फिर भी बधाई तो बनती ही है। (मुझे लगता है कि शुभकामनायें भविष्य के आयोजन के लिये दी जाती हैं। वर्तनी स्क्वैड छुटी पर है, शब्दार्थ स्क्वैड की सेवा का आवश्यकता है।)
जवाब देंहटाएंगोमती के प्रबन्धन और लखनऊ के स्थानीय समाचार पत्रों को इस बाबत पत्र/ईमेल अवश्य लिखे जाने चाहिये।
@अन्ना या अन्नू भाई से कुछ ताल्लुक बढाईये !
जवाब देंहटाएंमहाराज,क्षमा करें,अन्ना जी वैसे ही राजनेताओं से,अपनी बीमारी से दुखी हैं ऐसे में वह आपकी क्या मदद कर सकते हैं ?
रही बात अन्नू की,जहाँ तक मैं समझता हूँ कि यदि आपका इशारा आदरणीय अनूप जी की तरफ है तो वे आपको इस हाल पर देखकर मजे लेंगे,कुछ करेंगे नहीं !
आप तो सेलिब्रिटी हैं! ग्रेट!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं एवं बधाई, जरा सांस लेने की जुगत भी लगा लीजिएगा।
जवाब देंहटाएंतीरवेदी जी को गोमती होटल चार -पाँच सितारा होटल लगा. जबकि वो तो दो सितारा लायक भी नहीं है . दूर से देखा होगा . शुकर है की जाड़ा चल रहा है . गर्मी में तो वहा के १५ साल पुराने वातानुकूलन संयंत्र जबाब दे जाते है . लोकार्पण-विमोचन के लिए बधाई और नव वर्ष की शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंविज्ञान जगत और ब्लॉगजगत के सेलेब्रेटी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं . जिनको जानना और पढ़ना अपने-आप में गौरव की बात है .
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं और बधाई बहुत बहुत ....
जवाब देंहटाएंपुस्तक विमोचित करने की बधाई ... अच्छी रिपोर्ट .
जवाब देंहटाएंबधाई ...
जवाब देंहटाएंऔर जहां तक हिंदी अखबार का सवाल है ... मैंने तो भारत के कई राष्टीय और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों से यात्रा की है कहीं पर भी हिंदी की अखबार, मेगजीन और पुस्तकें नहीं मिलती ... इक्का दुक्का मिलती भी हैं तो वो अंग्रेजी पब्लिकाशन की हिंदी पुस्तकें होती हैं ... जबकि ७०-८०% भार्तुय ही होते अहिं यात्रा करने वाले ...
आने वाले वन वर्ष २०१२ की बहुत बहुत मंगल कामनाएं ..
बहुत बहुत बधाई !!
जवाब देंहटाएंढेर सारी बधाईयाँ. मुझे लगता है वह होटल कोई सरकारी उपक्रम होगा. शिकायत दर्ज करना चाहिए.
जवाब देंहटाएंएनबीटी के सहायक सम्पादक पंकज चतुर्वेदी जी से तो मेरा भी परिचय है...
जवाब देंहटाएंपुस्तक विमोचन वाला खेला मिलजुलकर ही चला करता है... आप किसी पुस्तक का आलेख वाचन करें... विमोचन करें... अथवा समीक्षा....
बदले में आपको भी यही सब मिलेगा...
इससे ही बनता है लेखकों के बीच पारस्परिक सौहार्द...
________
हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं के प्रति होटल मानसिकता अभी नहीं बदली है...
संबंधों को महत्व देने वाले लोग आज भी हिन्दी पत्र-पत्रिकाएं ही तलाशते देखे जाते हैं.
शुभकामनाएं और बधाई बहुत बहुत ....सारी
जवाब देंहटाएंप्रमुख हिंदी भाषी क्षेत्र में यह आलम है तो अन्य राज्यों में शिकायत करने का कोई कारण ही नहीं बनता ...
जवाब देंहटाएंपुस्तक के लेखन/संपादन और विमोचन की बहुत बधाई !
पुस्तक विमोचन, संपादन की बधाई और यहाँ चर्चा करने का आभार :)
जवाब देंहटाएंNaya saal bahut,bahut mubarak ho!
जवाब देंहटाएंजो लोग इस ब्लॉग लिंगो से परिचित नहीं हैं वे ब्लॉग निघंटु के ज्ञाता किसी भी टिप्पणीकार से पूछ सकते हैं ....
जवाब देंहटाएंये लो , अब ब्लॉग निघंटु के बारे में ही नहीं पता तो ज्ञाता टिप्पणीकार को कैसे पहचानेंगे !
अब हम कान्ग्रेचुलेसंस बोलेंगे तो का महत्त्व कम हो जायेगा । :)
ध्यान से उस अतिथि गृह के समस्त परिचारक/ परिचारिकाओं के नाम-पट्ट पढ़ने की चेष्टा की थी क्या आपने.. उनके नाम किंशुक, तन्वी, मानव, स्मृति, प्रांजल आदि ही रहा होगा.. अब पंडित जी, हिन्दी के ह्रदय में इतने सारे हिन्दी प्रेमियों के बीच एक क्षुद्र समाचार पत्र के लिए.. आपको शोभा नहीं देता!क्षमा करें विप्रवर!! उन मूढ़ प्राणियों की ओर से मैं क्षमा-प्रार्थी हूँ!
जवाब देंहटाएंबधाई.
जवाब देंहटाएंबड़े लोग हिंदी अखबार पढ़ते कहाँ हैं जी ? नहीं भी समझ में आये तो अंग्रेजी ही उठाते हैं :)
@@@मित्रों आप सभी का ह्रदय से आभार बधाईयों के लिए ....
जवाब देंहटाएं@हाँ प्रतुल वशिष्ट जी आप किस खेले की ओर इशारा कर रहे हैं समझ में नहीं आयी बात...
मेरी पुस्तक एन बी टी ने नहीं छापी है इसलिए कोई मिल जुल जैसी संधि नहीं है .....
बधाई हो गुरुदेव!!!!
जवाब देंहटाएंपुस्तक प्रकाशन और लोकार्पण की बधाई!
जवाब देंहटाएं1.एक तो साईंस फिक्शन इन इंडिया जिसका सम्पादन खुद मैंने और मित्रों ने किया है
जवाब देंहटाएंअरविंद मिश्र
2.यहाँ लेखक होने का मुगालता न पालिए ...यहाँ ब्लॉगर बने रहिये तो ठीक नहीं तो अपना कोई नया ठीहा तलाश कर लीजिये...
अरविंद मिश्र
विज्ञान शिविर की जानकारी का धन्यवाद. हिंदी प्रदेश में हिंदी की उपेक्षा वाकई स्तब्ध करती है. विधानसभा चुनावों के सफल कार्यान्वयन की शुभकामनाएं. आशा है यथासंभव ब्लौगिंग के लिए भी समय निकालते रहेंगे.
जवाब देंहटाएंआपको बधाई ।
जवाब देंहटाएंकोई लिंक बताईये जहाँ हम विज्ञान कहानियाँ पढ़ सकें। हमें पता नहीं कि विज्ञान कहानियाँ कैसी होती हैं :(
हिन्दी अखबार की यह हालत लगभग एक जैसी है, किसी भी एयरलाईन यार राजधानी में भी उपलब्ध नहीं होता है।
@विवेक जी,फिलहाल आप यहाँ चले जाईये-
जवाब देंहटाएंHindi Science Fiction
hindisciencefiction.blogspot.com/
@शुकुल महराज
जवाब देंहटाएंक्या मेरे दोनों वक्तव्यों में कोई अन्तर्विरोध या विसंगति लग रही है ?
मुझे तो लेखक होने/कहलाने का कतई भी कोई मोह नहीं है -हाँ विज्ञान कथा के लिए कुछ भी ...
हाँ ब्लागर होने पर गर्व है !
बधाई ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं और बधाई बहुत बहुत ....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंहिंदी की दुर्दशा कोई नयी बात नहीं है .. चिंता जायज़ है
आदरणीय अरविन्द जी,
जवाब देंहटाएंआपको बधाई देना भूल गया... जिसे मन से पढ़ता हूँ... उसपर प्रतिक्रिया कुछ और कहकर देता हूँ... यह मेरा दोष है... यह भी कह सकते हैं कि चर्चा करने का मुझे बहाना मिल जाता है...
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'खेले' से मेरा तात्पर्य एक सामान्य रीति की ओर इशारा करना था.... न कि आपपर टिप्पणी करना.
साहित्यिक सेमीनार, चर्चाओं और विमोचन-समारोहों में लेखकों के बीच इस बात का बहुत ध्यान रखा जाता है कि
उनके विरोधी विचार वाले कहीं चर्चा में शामिल तो नहीं होने जा रहे... इसलिये 'भगवाविचार वाले' 'लाल विचार वाले' और 'दलित विचार वाले' सभी के समारोहों में किसी न किसी रूप में शामिल हुआ.. और एक श्रोता के रूप में इसी निष्कर्ष पर पहुँचा कि सभी खेमेबाजी से ही रहते हैं... शायद कार्यक्रम को सफलता भी इसी तरह मिलती है...
फिर सोचता हूँ... सही भी है, एक विचार वाले ही साथ-साथ चल पाते हैं....
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एक बार मैंने 'बंधुआ मजदूरी' पर कविता लिखी... और 'जनवादी लेखक संघ' में एक प्रतियोगिता में भेजी.... उन्होंने मुझे 'समविचार' का जान अपने बड़े कार्यक्रमों में निमंत्रित किया.. साथ ही 'जन नाट्य मंच' में आना-जाना बढ़ा.
एक बार 'मुस्लिम आतंकवाद' पर एक ओजमयी कविता लिखी तो मुझे 'समविचार' का जानकर हिंदूवादी संगठनों और आर्यसमाज के मंचों पर कवितापाठ के अवसर मिले.... साथ ही मैं ऐसे अवसरों की खुद भी तलाश करता हूँ.
उच्च वर्णों से त्रस्त रहे एक वर्ग विशेष पर जब मैंने काव्यमयी विचार रखे... तो दलित भाइयों ने मुझे अपना समझा... लेकिन उनके सामाजिक दुराव-छिपाव पर जब व्यंग्य किये तो उन्होंने मुझे किनारा किया.... ..... //// मतलब एक नाई ने हमारे पडौस में 'गुप्ता' बनकर मकान लिया... और उसी का लड़का नोयडा में फ्लेट लेकर शर्मा हो गया... यह सामाजिक विकास है.... [मतलब, सेल्फ प्रमोशन]... इस सच को कविता में सुनकर दलित भाई स्वीकार नहीं पाते.////
आप आगामी विधान सभा चुनावों में व्यस्त होने जा रहे हैं.... हमारी शुभकामना... इस बार सत्ता में बदलाव आपके योगदान के बिना नहीं आयेगा... :)
घनश्याम जी पाण्डेय को हर बात पर कष्ट क्यों होता है !
जवाब देंहटाएंbalak ka bhi badhaiyan aur subh:kamnaye swikar karen...........
जवाब देंहटाएंpranam.
सही है... हिंदी प्रदेश में तो सभी हिंदी जानते हैं तो हिंदी पेपर की क्या आवश्यकता है :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंlakh lakh vadhaaiyaan
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत बधाईयाँ.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंसाहित्य हो या कोई और क्षेत्र, हर जगह खेमेबाजी तो चलती ही रहती है, Even देवतागण भी खेमों के बिना नहीं रह पाते थे।
संभवत: भोलेनाथ इस खेमेबाजी से तंग आकर कैलाश पर्वत पर जा पहुँचे और पता चला देवतागण वहां भी उन्हें ढूँढते-ढूँढते 'पुस्तक विमोचन' करवाने पहुँच गये :)
बहुत बढ़िया ....नववर्ष आगमन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंडॉ जाकिर अली रजनीश द्वारा प्रस्तुत पूरा वृत्तांत पढ़ लिया था .रीझ तो पहले ही चुके थे आप पर औपचारिक तौर पर ब्लॉग -शिरोमणि को बधाई .नव वर्ष की शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंसार्थक दिशा में बढ़ता साहित्य। हिन्दी अखबार माँगते रहने ले ही वे रखना प्रारम्भ करेंगे।
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी ने बेहतरीन टिप लिखा , एक बात् और बच्चेइन्दी का लेखक अपने पैसे से किताब छपवा कर बांटने के लोभ से मुक्त हो जायेगा कोई को कहीं भी "खेला" नहीं दिखेगा अब इन पुस्तकों कि समीक्षा लिखेंगे और एक ब्लॉग बना कर उस पर डालेंगे. भैया प्रतुल किताबों का लोकार्पण करने वाले बच्चों के शायद नाम भी नहीं याद होंगे हमें ---- क्या खेला ? एक बात् और जो इस रास्ते से ऊपर आते हें उन्हें नीचे आने में वक़्त नहीं लगता -- आखिर में लेखक कि रचना ही बोलती हे . जिस दिन ह
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की मंगलकामनाएं।
पुस्तक विमोचित करने की बधाई ... अच्छी रिपोर्ट .
जवाब देंहटाएंनए साल में भी आप ऐसे ही छाये रहें साल की हर सुबह मुबारक हर शाम मुबारक .
जवाब देंहटाएंबधाई और शुक्रिया भाई साहब आपकी ब्लॉग दस्तक के लिए . .मुबारक नया साल .
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंक्या बात है. बड़ी शानदार-जानदार विदाई हुई गये साल की :) बधाई.बढिया है.
जवाब देंहटाएंनववर्ष मंगलमय हो.
बहुत बधाई आपको !! and happy new year too :)
जवाब देंहटाएंजब सब कुछ आपने किया तो पुस्तक आपकी ही है,
जवाब देंहटाएंहमने कब कहा कि आपकी है,.
बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर अभिव्यक्ति ......
WELCOME to--जिन्दगीं--
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जवाब देंहटाएंबड़े होटलों में हिन्दी अखबारों के न मिलने की वजह शायद यही है कि हिन्दी को आम आदमी (जिसे आम की तरह कोई भी निचोड़ सकता हो) की भाषा माना जाता है और अंग्रेजी को बड़े लोगों (जो आम आदमी को निचोड़ने में सक्षम हों) की। अब आम आदमी चूंकि मंहगे होटलों में जा नहीं सकता, इसीलिए वहां पर सिर्फ अंग्रेजी अखबार ही उपलब्ध कराए जाते हैं। :)
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