पांच राज्यों में चुनावी रणभेरी बज चुकी है ...उत्तरप्रदेश, पंजाब,गोआ,मणिपुर और उत्तराखंड ऐसे राज्य हैं जहां विधानसभा के चुनावों की घोषणा होने के बाद चुनावी प्रक्रिया अपने विभिन्न चरणों में है ..इस बार भारत निर्वाचन आयोग ने धनबल और बहुबल के जरिये चुनाव जीतने वालों की अच्छी खबर ली है ....ऐसी व्यापक और कारगर रणनीति बनी है कि कालेधन की आवाजाही और बाहुबल के प्रदर्शन से मत हासिल करना अब टेढ़ी खीर है ...इस बारे में भारत निर्वाचन की तैयारियों का एक जायजा आप भी लीजिये ...
इस बार एक सुगठित निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण का कार्यक्रम बनाया गया है जिसमें कालेधन,अवैध शराब की आवाजाही पर पाबंदी लगाने और आदर्श आचार संहिता के अनुपलान के लिए कई टीमें गठित हुयी हैं ...
फ्लाईंग स्क्वायड मतलब उड़न दस्ते जिनमें प्रत्येक विधानसभाओं में एक मजिस्ट्रेट ,एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और कई पुलिस कर्मी शामिल हैं और एक वीडियो ग्राफर भी है ...यह दिन रात अपने क्षेत्रों में चक्रमण पर हैं और आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों जैसे दीवारों पर पोस्टर बैनर, वाल रायटिंग,बिना अनुमति के सभा जुलूस ,वाहनों के अनुचित काफिलों आदि पर नज़र रखे हुए हैं वहीं बिना स्रोत की नगदी ,शराब, साड़ी या मतदाताओं को रिझाने के दूसरे साजोसामान पर भी उनकी कड़ी निगाह हैं ...
वीडियो टीमें निगरानी टीमें सभी विधानसभाओं में इनकी भी कवायद जारी है जहाँ भी आचार संहिता के उल्लंघन के मामले हैं या फिर प्रत्याशियों ने अनुचित तरीके से या बिना अनुमति के पोस्टर बैनर आदि लगायें हैं तो उनकी वीडियों क्लिपिंग बनाने , कार्यकर्ताओं/ मतदाताओं के आमोद प्रमोद पर हो रहे अनुचित व्ययों को कैमरे में कैद करने के काम में ये भी जुटी हुयी हैं ...
वीडियो अवलोकन टीमें विधानसभावार गठित इन टीमों को वीडियो क्लिपिंग, सीडी का सजगता से अवलोकन कर प्रत्याशीवार अनुचित व्ययों का विवरण तैयार करना है जिसे विधानसभावार ही गठित लेखा टीमों को प्रत्याशीचार खर्च का आकलन कर उसके खाते में डाल देने का काम सौंपा गया है ...
विधानसभावार लेखा टीमें ...इन्हें सभी स्रोतों से मिल रही जानकारियों की पुष्टि के बाद किस प्रत्याशी का कितना खर्चा हो रहा है उसे उसके निमित्त खाते में डालने का जिम्मा सौंपा गया है जिससे यदि वे अपनी निर्धारित चुनावी व्यय सीमा जो राज्यों में अलग अलग है को लांघें तो उनपर कार्यवाही की जा सके ....यह व्यय सीमा उत्तर प्रदेश में १६ लाख है .
स्टैटिक निगरानी टीमें सभी थानों में कम से कम प्रत्येक चेकपोस्ट पर मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस कर्मी के नेतृत्व में यह टीम अवैध/ बिना स्रोत के धन की आवाजाही और शराब आदि की बड़ी छोटी खेपों पर कहर बनकर टूटी है ..उत्तर प्रदेश में पाऊच व्यवस्था तो पहले ही ख़त्म हो चुकी है ....
आशय साफ़ है अपनी सकारात्मक छवि और जनसेवा के जरिये अगर चुन कर आना है तो ठीक नहीं तो आपका पत्ता साफ़ ....धन बल और बाहुबल की बातें बीते दिनों की बात हो चली है ..अपराधी ,कालेधन के कारोबारी अब विधानसभाओं और लोकसभाओं के मुंह न देख पायें ऐसी मुकम्मल व्यवस्था की आस जग चुकी है -अंततः हर बूथ पर केन्द्रीय बल की तैनाती अनुचित तरीके से मतदान करने वालों हौसलाबुलन्दो के अरमानों पर अंतिम कील है ...अगर आपकी नीयत में खोट है तो दूर रहिये मतदान स्थल के आस पास भी मत फटकिये नहीं तो जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है ..क्योकि वे किसी की नहीं सुनते ....
यह तो एक विहगावलोकन भर है इस बार के चुनावी इंतजामिया का .....अब बारी है मतदाता की अगुवाई की और उसके बेख़ौफ़ मतदान करने की ..सारी काली संपत्ति अब लोकतंत्र के इस महायज्ञ में स्वाहा हो रही है ...उत्तर प्रदेश में ही अभी तक ६ करोड़ रूपये और कई किलो सोना चांदी चंद दिनों में ही जब्त की जा चुकी हैं आयकर टीम भी मुस्तैदी से काम कर रही है ....यातायात अधिकारी वेहकिल एक्ट का सख्ती से पालन करने में जुट गए हैं ..आप अगर सही काम और इरादों के भी दो ढायी लाख से ऊपर की नगदी लेकर इन प्रदेशों में आ जा रहे हों उनका स्रोत और वाजिब अभिलेख साथ में जरुर रखें ....
आगे भी कोशिश रहेगी की फुर्सत मिलते ही हम इस बार के भारत निर्वाचन के नए अभियानों की जानकारी देते रहें ....
बढ़िया जानकारी...
जवाब देंहटाएंBahut badhiya jaankaaree hai.
जवाब देंहटाएंमहायज्ञाय सर्वम् स्वाहा..
जवाब देंहटाएंजानकारी उत्साहवर्धक है.चुनाव-प्रक्रिया में काफी-कुछ सुधार हुए हैं पर अभी बहुत-कुछ करने को बाकी है.ज़रुरत है केवल दृढ इच्छा-संकल्प की, बकिया काम तो अवाम कर ही देगी .
जवाब देंहटाएंचुनाव-अधिकारियों को रात में दारु और पैसे बांटने पर भी नज़र रखनी होगी !
उत्तर प्रदेश की चुनाव व्यवस्था को एक बार बहुत नज़दीक से देख चुकने के बाद आज आपसे वहां के वर्तमान चुनावों के बारे में जो पढ़ने को मिला, वह एकदम अलग है. बहुत मुश्किल लगता है उ0प्र0 जैसे उस राज्य में ये सब होते देख पाना जिसकी व्यवस्था वहीं के राजनीतिज्ञों द्वारा एकदम नाकारा, कुंद व पंगु कर दी गई हो. यहां का हाल ये रहा है कि उ0प्र0 की प्रशासन व्यवस्था में दो तरह के लोग होते हैं, एक वे जो समय की राजनीतिक व्यवस्था के साथ होते हैं व दूसरे वे जो तटस्थ होते हैं. तीसरे जो कि dynamic कहे जाते हैं वे इस राज्य में होते ही नहीं हैं.
जवाब देंहटाएंतैयारियां तो उम्मीद जगा रही हैं, अब देखते हैं प्रक्रिया और क्या रूप लेती है !
जवाब देंहटाएंबड़ी चुस्त दुरूस्त व्यवस्था है। चुनाव सुधार ही सभी सुधारों की पहली सीढ़ी है। यह सही रहा तो बाकी सभी हासिल होते देर नहीं लगेगी।..आश जगी है।
जवाब देंहटाएंआशा की जा सकती है बेहतर, सकारात्मक परिणामों की.
जवाब देंहटाएंआशा जगाती रचना ...
जवाब देंहटाएंकाश सब सुनियोजित हो
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - सचिन का सेंचुरी नहीं - सलिल का हाफ-सेंचुरी : ब्लॉग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंटीमें तो बन गयीं ...अब सुव्यवस्थ से काम भी हो तो बात बने .. अच्छी जानकारी देती अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे कदम उठाये गए हैं ।
जवाब देंहटाएंअब उम्मीद यही करते हैं कि सभी टीम्स मुस्तैदी से अपना काम भी करें ।
लेकिन अपराधियों को फॉर्म भरने से कैसे रोका जायेगा --यह साफ नहीं हुआ ।
एक नयी पहल..!! और विस्तृत विवरण दिया है आपने भी!!
जवाब देंहटाएं@ दिल से रेSSS ...
जवाब देंहटाएंचुनाव आयोग खर्चे बढ़ता जा रहा है ! वो कभी यह आत्मावलोकन भी करे कि उसकी ड्यूटी करने से अधिकारी / कर्मचारी कतराते क्यों हैं ?
@ आपकी पोस्ट,
उपाय अच्छे हैं पर...सवाल ये कि अगर किसी एक क्षेत्र से हर पार्टी ने बाहुबली को टिकट दिया है (ज्यादातर यही होता है) तो उनमें से एक तो चुना ही जाएगा :)
खड़ी फसल काटने की बजाये चुनाव आयोग बुवाई के टाइम की चिंता करे तो ज्यादा बेहतर होगा , यानि कि पार्टियों के आंतरिक स्वच्छता अभियान पर और उनके उम्मीदवार चयन पर फोकस होना चाहिए ! प्रतिबंधों /निषेधों की आवश्यकता इसी बिंदु / स्तर पर है !
आभार।
जवाब देंहटाएंचुनाव की तैयारियां निश्चित रूप से सुधार की उम्मीद दिखा रही हैं!
जवाब देंहटाएंआप के मुह में घी शक्कर. अभी भी तो यह सब "परी" कल्पना सी ही प्रतीत हो रही है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया कदम हैं ....
जवाब देंहटाएंदेखते हैं :-)
asha hi jivan hai.......
जवाब देंहटाएंimandar bihambalokan......abhar
pranam.
अच्छी जानकारी!
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी । अगर हम तय कर लें कि कुछ बेहतर हो तो जरूर होता है । इन सुधारों और प्रयासों के साथ अगर राजनीतिक पार्टियां भी संवेदनशील हो जाएँ और उनकी भी इच्छाशक्ति जागृत हो जाए तो बस कमाल ही हो जाए ।
जवाब देंहटाएंकाश !!!!!!!
जवाब देंहटाएंचुनाव यज्ञ निर्विघ्न-निष्पक्ष हो !
जवाब देंहटाएंकरोड़ों रुपए पकडे जा रहे हैं, करोडों रुपये खर्च हो रहे है, कहीं हाथी छुपाए जा रहे हैं तो कहीं माया :)
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी नमस्ते !
जवाब देंहटाएंअब देखना ये है की ये प्रयास कहा तक सफल हो पातें है...
जानकारीपरक लेख के लिए धन्यवाद ... प्रदीप
achchhi jaankaari mili, aabhar.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत करने वाले कम न होंगे ,तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे .मेहँदी हसन साहब ग़ज़ल हो जाते थे गाते गाते .सलाम उनको .अल्लाह ताला उन्हें सुकून बख्शे .
जवाब देंहटाएंअकसर दीजिए ऐसी जानकारी .हेराफेरी मास्टर सब को धता बता कुछ रास्ता निकाल लेतें हैं .