आप सोच रहें होंगे कि कहीं मेरा माथा तो सनक नहीं गया है अलाय बलाय लिख मारा है ..आप सच सोच रहे हैं ...मगर पहले बी पी आई के बारे में बता दूं ...बी पी आई बोले तो ब्लॉग पापुलैरिटी इंडेक्स ...अब इसकी कौन जरुरत आन पडी? हुआ दरअसल यह कि विज्ञान पर लिखने वाले अपने दर्शन लाल जी मेरे साथ एक अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मलेन में पर्चा पढने के लिए आमंत्रित हुए हैं मगर पर्चा मूल्यांकन कमेटी ने पर्चे का सारांश स्वीकार करने के बाद भी यह नुक्स निकाल दिया कि पेपर में कोई सांख्यिकीय मूल्यांकन नहीं है....पेपर विज्ञान के ब्लागों द्वारा वैज्ञानिक मनोवृत्ति के संचार पर आधारित है ....वैज्ञानिक शोध पत्रों में सांख्यिकीय गणनाएं और तदनुसार निष्कर्ष एक तरह से अनिवार्य होने प्रचलन है ....अब हम मुसीबत में थे....तीस नवम्बर तक पूरा पर्चा भेजना था ...अब कौन सी सांख्यिकी भिड़ाई जाय ....मुझे गणित और सांख्यिकी कभी भी पल्ले नहीं पडी और उन लोगों को पूज्य समझता हूँ जिनकी इस विधा में अच्छी गति रहती है .....सवाल यह था कैसे यह मान लें कि अमुक ब्लॉग फला ब्लॉग से ज्यादा पापुलर है ....मतलब अगर हम सीधे सीधे यह कहें कि समीर लाल जी ,ज्ञानदत्त जी से ज्यादा पापुलर हैं तो वे कहेंगें कि हम ऐसे ही थोड़े ही मान लेगें -आपके इस निष्कर्ष का आधार क्या है ..हम लाख कहें कि हिन्दी का सारा ब्लॉग जगत यही बात डंके की चोट पर कह रहा है तो पर्चा कमेटी कहती है माई फुट ..हमें तो इस बात का सांख्यिकीय आधार चाहिए.
...लो कर लो बात, जो बात जग ज़ाहिर है अब उसके लिए भी सांख्यिकीय प्रमाण? ..सूरज पूर्व में उगता है भला इसके लिए भी सांख्यिकीय प्रमाण चाहिए ... ? मगर वे तो ऐसे ही सनकी हैं ..बात जब बहस पर जा पहुंची तो पर्चा कमेटी ने आख़िरी हथियार उठा लिया -कोई सांख्यिकीय आधार दीजिये वरना ये पर्चा हम अस्वीकृत कर देगें ..मरता क्या न करता ..अब हमें तो यह हुनर आता नहीं मैंने अनुज गिरिजेश भैया को एस ओ एस किया मगर उन्होंने भी टका सा जवाब दे दिया, कहा अभिषेक ओझा जी की शरण में जाईये वही कल्याण करेगें ..अभिषेक जी भी अपुन के पुराने पहचानी हैं ,उनसे मदद की गुहार करते तो वे मदद करते भी मुला वक्त निहायत कम था ....अब क्या हो? दर्शन जी ने कहा ई सब लफड़ा आप ही झेलिये हम बच्चों की पढाई में व्यस्त हैं ...
सांख्यिकी: बाप रे :)
अपुन को तो ये विद्या कुछ आती जाती नहीं ..इसलिए मैंने एक ले मैन स्टैटिस्टिक्स का ईजाद किया और फार्मूला बनाया ....अध्ययन में लिए गए पोस्टों में से प्रत्येक के १२ पोस्ट बटे उन सभी बारहों पोस्टों पर आई कुल टिप्पणियों की संख्या गुणे सौ और परिणाम को नाम दिया ब्लॉग पापुलैरिटी इंडेक्स ....इस तरह कुल चुने गए ब्लॉगों का तुलनात्मक अध्ययन के लिए हमारे पास कुछ सांख्यिकीय संख्याएं मिल गयी थीं और हमने अपना पेपर फाईनल कर भेज दिया और फिर से पर्चा अनुश्रवण कमेटी के निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं .जी धुकधुका रहा है कि नामालूम यह तीर तुक्का स्वीकार भी होगा या नहीं?
अभिषेक भैया आप क्या कहते हैं तनिक फरियायिये न ....अब अपनी ही तरह के गणित में कमजोर ब्लॉगर साथियों को हम उदाहरण देने के वास्ते समय बर्बादी का एक ठो काम किये हैं ..हिन्दी के कुछ नामचीन ब्लागरों को भी इसी फार्मूले पर तौल दिया है ..यह मेरा दुस्साहस ही कहा जाएगा कि जो ब्लॉग जगत की अतुलनीय शख्सियतें हैं उन्हें भी मैंने तौलने की हिमाकत कर डाली -वे मुझे क्षमा करेगें इसलिए डरते डरते विशाल ह्रदय /हृदया ब्लागरों को केवल इस अध्ययन का उदाहरण देने के लिए चुना है ..कोई और छुपी बात नहीं है ....वे इसे हलके फुल्के में लेगें और बाकी लोग भी यह देखेगें कि सांख्यकीय परिणाम कितने हास्यास्पद हो सकते हैं ....भला इस आधार पर ब्लागों की गुणवत्ता कैसे व्यक्त हो सकती है?
बहरहाल यह बताता चलूँ कि यहाँ जो परिणाम आगे दिए जा रहे हैं उनमें जिनका मान कम है वे ज्यादा पापुलर ब्लॉग हैं ....अर्थात ज्यादा मान वाले अपेक्षाकृत कम पापुलर ....अब इत्ती से बात कहने के लिए बी पी आई जैसी कवायद की क्या जरुरत है ?:) इन नामचीन हिन्दी ब्लागरों के मौजूदा वर्ष के १२ ब्लाग पोस्टें रैंडम आधार पर चुनी गयीं और आरोही क्रम में उनकी बी पी आई (यहाँ ब्लागरों के नाम दिए जा रहे हैं जो अपने किसी एक ब्लाग के कारण प्रमुखता से जाने जाते हैं ) यह रही .....डॉ. मोनिका शर्मा जी को १.१ ,समीरलाल जी उर्फ़ उड़नतश्तरी को १.३५,प्रवीण पाण्डेय जी को १.४७, शिखा वार्ष्णेय जी को १.५, अनूप शुक्ल जी फुरसतिया को २.८३, ज्ञानदत्त जी को ३.१२ का बी पी आई मान मिला है ....अब इनके निहितार्थों पर चर्चा की जा सकती है ....डॉ. मोनिका शर्मा जी को लगे हाथ बधाई दे दूं ..औपचारिकता है भाई !
इस अध्ययन विधि और परिणाम पर चर्चा आमंत्रित की जाती है .... :)
हम भी कह दें बहुत बढ़िया! औपचारिकता है भाई! :)
जवाब देंहटाएं@ अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंसैम्पल्स पर ध्यान गया संभवतः ब्राला अनुपात में त्रुटि हुई है :)
मुकेश और रौशन की जुगलबंदी याद आ रही है :)
ओह रे ताल मिले
नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौन जल में
कोई जाने ना :)
बहरहाल झील और सागर में कोई फ़र्क ना कीजियेगा :)
कल्पनाजगत में सापेक्षता का सिद्धान्त लागू करा दीजिये, तब सूरज पृथ्वी की चारों ओर घूमे या पृथ्वी सूरज के चारों ओर, गति तो बनी रहेगी।
जवाब देंहटाएंYe khoob rahee!
जवाब देंहटाएंभाई लोगों को मुबारकबाद आपकी मेहनत को सलाम भाई जी !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बीमारी के बहाने लिए अवकाश का सही इस्तेमाल हो रहा है भाई जी ।
जवाब देंहटाएंजो इंडेक्स बनाने की विधि अपनाई गई उसे देख कर ब्लॉग पॉपुलैरिटी (BPI) इंडैक्स की बजाय 'कमेंट पॉपुलेशन इंडेक्स'(CPI) कहना ज्यादा ठीक रहेगा :)
जवाब देंहटाएंBTW, कमेंट आवक जावक पर इतना कुछ लिखा जा चुका है कि उस पर और कुछ लिखना अब मजा नहीं देता। एक तरह का दोहराव सा लगता है मसलन नेटवर्किंग पर निर्भर है, पुन्ना नयके पर निर्भर है, टिप्पणी लेन देन संख्या पर निर्भर है, विवाद प्रेमी, अटेंशन सिकिंग सब्जेक्ट पर निर्भर है......bla bla bla :)
वैसे आपके इस इंडेक्स को देख मुझे लगता है अपने साढ़े तीन साल के ब्लॉगिंग अनुभव में बहाव के साथ 'तीरे-तीरे' ही चलता रहा हूँ...जान ही न पाया कि कौन कहां क्या ।
इस पोस्ट से मुझे जिज्ञासा हुई कि डॉ. मोनिका शर्मा जी कौन हैं जो इतनी ज्यादा पॉपुलर हैं, अभी गूगल पर सर्च किया तो प्रोफाइल दिखा ....सरसरी निगाह से पोस्टें देखा और टिप्पणियों की संख्या देख हैरान हूँ 89....100...106...
Good.
आपने यह फॉर्मूला बिना किसी विशेषज्ञ के एप्रूवल के चलायमान कर दिया। धन्य हैं प्रभो...।
जवाब देंहटाएंमुझे ‘पर्चा जाँच समिति’ वालों पर दया आ रही है कि कोई उन्हें उल्टे छूरे से मूड़ने वाला है :)
यह जानकर मैं बड़ा खुश हो रहा था कि कहीं इसमें हमारा भी 'लम्बर' होगा...पर धत्त तेरे की ,इत्ता लिखने और जुगाड़ने के बाद में भी आपके सांख्यिकीय आंकड़े में फिट नहीं बैठे.
जवाब देंहटाएंवैसे इस बात का ज़रूर मलाल रहेगा कि ज्ञान जी जैसे बड़का-ब्लॉगर इसमें इत्ता पिछड़ कैसे गए ?
खुशी की बात यह रही कि अपने फुरसतियाजी इसमें 'लिस्टिया' गए हैं. हमसे पूछो तो वे लिखने में नंबर एक हैं,लेकिन आपका पैमाना तो गणनाओं पर आधारित है न....!
क्या गिनती गुणवत्ता से ऊपर है ? हमको तनिक भी नहीं लगता ! यहाँ टीपों की गिनती आपसी लेन-देन पर आधारित है.
इस गणना में अगर यह भी ध्यान दिया जाता कि कितनी टीपों के विरुद्ध कितनी टीपें मिली हैं तो मामला ज़्यादा साफ़ हो जाता !
न न कहते भारी गणितगिरी हो गई यह तो.
जवाब देंहटाएंमेरा तो सीधा-सीधा फंडा है....जिससे अपना विचार मिले..जिसको पढ़कर आनंद आये.. वही अच्छा ब्लॉगर। अब मैं, पसंद करने वाला कैसा हूँ यह दूसरे जाने।
जवाब देंहटाएंकमेंट से गुणा-गणित का फार्मूला तो अच्छे कमेंट वाले ब्लॉगों की सूची तैयार कर सकता है। इसी तरह फॉलोवर की संख्या से कोई फार्मूला बनाया जाय तो वह अधिक फालोवर वाले ब्लॉगों की सूची तय कर सकता है।
मेरे विचार से अच्छे का चयन किसी फार्मूले से नहीं हो सकता। यह तो अपनी-अपनी पसंद है। देखें और साथी क्या कहते हैं।
लेखन और गणितीय ज्ञान दोनों में समानता मुश्किल है ....आपने खूब खोजा है नया इंडेक्स.... प्रवीणजी की बात टिपण्णी गहरी बात कहती है...बस वही सोचना मेरा भी......
जवाब देंहटाएंये तो पुरानी समस्या है :) एक बार कॉलेज में सोसिओलोजी के एक प्रोफ़ेसर हमारे डाटा माइनिंग के प्रोफ़ेसर के पास आये ये कहते हुए कि 'ये लो मेरा पेपर और एक मॉडल सजेस्ट करो जो इसे जस्टिफाई करे'. वैसे इस पर पहले की लिखी एक रेडीमेट पोस्ट. उस पर आई टिपण्णी भी पढियेगा.
जवाब देंहटाएंhttp://baatein.aojha.in/2008/07/vi.html
ऊ सब तो ठीक है पर हमरे ब्लड प्रेसर (इहै तो बी०पी० है ) इंडेक्स का मान भी बताया जाए........नहीं तो हम चले ...जय राम जी की !!
जवाब देंहटाएंसांख्यिकी से दूर दूर का नाता नहीं ..जो भी जुगत लगाई सही लग रही है ..
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंब्लोगर मित्रों को बधाई. ब्लॉग जगत को ऐसे ही समृद्ध करते रहें.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंहमारी उपलब्धियों पर किसी का ध्यान ही नहीं ?
:(
अरे भाई ! हर कहीं अस्तित्व को नकारते मेरे शहर के ख़ुन्नस बांधे बैठे कुंठित साहित्यकारों की लॉबियां ही सक्रिय हैं क्या ??
:)))
ब्लागों की टीआरपी ! बहुत बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग ब्लॉगर से जो न करवाये कम है, नई खोज आपका नाम तो अब स्वर्ण अक्षरों में लिख गया है :)
जवाब देंहटाएं@अली भाई आप तो हमसे भी बड़े लाल बुझक्कड़ निकल गए ...ई ब्राला अनुआपट क्या है ? तनिक विस्तारिये न !
जवाब देंहटाएं@सतीश पंचम जी ,
बी पी आयी या सी पी आयी -सवाल गणितीय निष्कर्षों का है ..
अब आप ही देखिये डॉ मोनिका शर्मा जी यहाँ बाजी मार ले गयीं हैं..
और यह नतीजा ऐसे ही अध्ययन से ही तो आया है ....
@@सिद्धार्थ जी,
किसी और की हजामत की चिंता के बजाय खुद अपनी चिंता कीजिये जो खुद भी असहाय हो उठे हैं
इस विधि को लेकर .....आपके गुरुभाई मित्र का तो बी पी आई इतना घट गया है कि लाज लगी मुझे पोस्ट करने में ....
आपकी तो देखी नहीं ....
आपका सर्वे पूर्वाग्रहग्रस्त है।
जवाब देंहटाएंअपने जानपहचान वालों को वी.आई.पी.बताकर उनका बी.आई.पी.ईंडेक्स निकाल दिया।
न जाने कित्ते ब्लागर होंगे जिनका ये वाला इंडेक्स अनूप शुक्ल के इंडेक्स से ज्यादा होगा।
@संतोष जी ,
जवाब देंहटाएंमकसद केवल इस विधि की वैधता और अनुमोदन है ..कुछ ब्लागरों को ऐसे ही ले लिया गया है ...
ठण्ड रखें .....
@देवेन्द्र जी,
ये फालोवर वाले फार्मूले की सूझ अच्छी है तब वह ब्लागर का लोकप्रयता मान होगा :)
@डॉ.मोनिका शर्मा,
प्रवीण जी की टिप्पणी मैं समझ न पाया ..आप समझा दीजिये न प्लीज ...बाकी तो शुक्रिया !
@राजेन्द्र स्वर्णकार जी ,
जवाब देंहटाएंआप काहें मायूस हो रहे हैं सर जी ,हम तो इस विधि की वैधता की जांच के लिए बेचैन हैं केवल ..
ब्लॉगर की लोकप्रियता का को मापदंड नहीं तैयार किया है ....
@अनूप जी ,
जवाब देंहटाएंआपको शामिल कर मैंने अपनी निष्पक्षता साबित करनी चाही है ..फिर भी आप अध्ययन पर पूर्व आग्रह का आरोप लगा रहे हैं ?
इस पर तनिक पश्च चिंतन करें !
अली साब ने ताल को नदी और फिर नदी को सागर में मिलने की बात उठाई है पर झील कब सागर बन जाती है .....वह तो गतिमान भी नहीं होती !
जवाब देंहटाएंइस पर भी तनिक गौर कीजियेगा !
वैसे नदी से ज़्यादा टीआरपी झील की होती है. लोग कश्मीर जाकर डल झील में खूब तैरते हैं !
प्रवीण पाण्डेय जी ने अबकी टीप की लम्बाई बढ़ा दी है सो सर के ऊपर से गुजर रही है.मोनिकाजी सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर हैं इसलिए वे समझ गई हैं !
मेरा मतलब यह कि बहुत से ब्लॉग हैं जिनके ब्लॉग अनूप शुक्ल के ब्लॉग से ज्यादा पापुलर हैं। उनके साथ अन्याय किया आपने। :)
जवाब देंहटाएंहमारी गिनती की पोस्टें हैं जिनमें हमें सौ टिप्पणियां मिलीं। यहां ब्लाग जगत में ऐसे न जाने कितने ब्लाग हैं जिनकी किसी-किसी पोस्ट पर ही सौ से कम टिप्पणियां मिलीं होंगी। उन ज्यादा टिप्पणियों वाले ब्लाग का उल्लेख न करके आपने अनूप शुक्ल के ब्लाग का उल्लेख किया यह उन पापुलर ब्लागरों के साथ पक्षपात ही तो है जी। :)
इंदु पुरी जी का मत
जवाब देंहटाएंबनारस वाले सर जी !
सुबह उठते ही आर्टिकल पढ़ा.अच्छा लगा.खूब हंस भी रही थी.कोई किसी से पूछे कितने ग्राम,किलो,क्विंटल प्यार करते हो? कितने नेक काम किये औसत,प्रतिशत मे बताओ. हा हा हा हँस रही हूँ किन्तु .........विचलित कर देते हैं मुझे ऐसे प्रश्न.
किसी ब्लॉग की श्रेष्ठता का माप दंड क्या हो ??? अच्छी रचनाए??? फोलोवर्स की संख्याएँ??? प्राप्त कमेंट्स????
अच्छी रचनाओं का मापदंड ??? कोई रचना मेरी दृष्टि मे श्रेष्ठ है, आप भी सहमत हो जरूरी है?
लेनदेन के इस व्यापार मे जिसने जितने ज्यादा कमेंट्स दिए उतने पाए हा हा हा सांख्यिकी का श्रेष्ठता से क्या संबंध? विषय अच्छा पकड़ा है.
शिक्षा विभाग के डायरेक्टर साहब ने कहा- अपनी प्रोफाइल भेजिए.विभाग सम्मानित करना चाहता है'
'पंच सरपंच,नेता मुझे और मेरे काम की श्रेष्ठता को प्रमाणित करेंगे.तब सम्मान मिलेगा??? यह कैसा सम्मान ? यह कैसा इनाम?? कैसी श्रेष्ठता?? आपका यह इनाम का कोंसेप्त ही गलत है'-मैंने जवाब दिया.
क्या करूं?ऐसिच हूँ मैं तो
हाँ इसी बहाने अच्छे ब्लोग्स की जानकारी मिलेगी.ब्लॉग जगत के अथाह सागर के पैंदे से मोती ढूंढकर लाने का काम थोडा कम हो जाएगा.
@अनूप जी ,
जवाब देंहटाएंअब आपकी यही आदत नागवार गुजरती है ..
आपका नाम न लिए होते तो कहते मेरा क्यों छोड़ा ?
वैसे आपके संतोष के लिए यह बात दूं कि आपका नाम केवल इसलिए
दिया गया है कि ब्लॉगर तो सन्नाम हैं मगर ब्लॉग की पापुलैरिटी इंडेक्स डाउन है ...
आशा है अब ह्रदय संतुष्टि से आप्लावित हो गया होगा :)
आप भी उत उत पछ पछ चलते हैं -वेरी बैड! :(
ये तो ब्लड प्रेशर इन्क्रीज (बीपीआई) करने वाला गणित लग रहा है। सावधान रहना पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंघिरनीदार पोस्ट , हूँ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया ...:)
जवाब देंहटाएंआप बच गए जो आपका परचा हम नहीं तय कर रहे थे.. नहीं तो ऐसा फार्मूला देख कर ही रिजेक्ट कर देते.. :)
जवाब देंहटाएंकुछ ब्लॉग ऐसे भी हैं जो उत्कृष्ट हैं, हिट्स भी अच्छी खासी मिलती है उन्हें, मगर कमेन्ट ओप्शन बंद है.. ऐसों का क्या??
बहुत खूब ..अब औपचारिकता तो निभानी ही चाहिए :)
जवाब देंहटाएंयह ब्लागर पापुलरटी इन्डेक्स है या ब्लडी पापुलरटी इन्डेक्स यह तो हमारी अल्प बुद्धि नहीं जान पायी परन्तु इसे पढकर बरसों पहले पढा भौतिक विज्ञान का वह सिद्धांत याद आ गया कि रेडियोएक्टिव पदार्थो का परमाणु भार सामान्यतः अधिक होता है और वे तत्वों के सामान्य स्थायित्व के नियम के अनुरूप साम्यावस्था में न रहकर इसके विपरीत आचरण करते हुये लगातार रेडियोएक्टिव विकीरण का उत्सर्जन करते रहते हैं जिससे उनका परमाणु भार तथा परमाणु क्रमांक लगातार बदलता रहता है।
जवाब देंहटाएंकमेंट भी मापदंड हो सकता है यदि 10 ब्लॉगर या मन चाहे जितने ब्लॉगर, आपस में मिल कर संकल्प लें कि हर हफ्ते केवल एक ही पोस्ट करेंगे और दूसरे किसी के पोस्ट में या फेसबुक या किसी दूसरे सामाजिक नेट वर्क पर या मित्रों के सहयोग से कहीं भी अंतर्जाल पर कोई कमेंट नहीं करेंगे। इस प्रकार उनके अंतिम पोस्ट पर आये कमेंट की संख्या में यह फार्मूला लगाया जाय तो कुछ अपवाद को छोड़कर वे स्वयम् में श्रेष्ठता की दौड़ स्थापित कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंमैने सिर्फ सुझाव दिया है। इस पर अमल नहीं करूंगा। जिन्हे देखना हो वे शामिल हो सकते हैं।
दूसरा तरीका यह हो सकता है कि सभी इमरान भाई की तरह वर्ष में या माह में एक बार अपने पसंद के 10 ब्लॉगों की रैंकिंग निश्चित तिथि पर प्रकाशित करें। सभी के पसंद से कॉमन ब्लॉगों को छांटा जाय और उनमें देखा जाय कि कौन श्रेष्ठ हैं। लेकिन इसमें लोचा यह है कि सभी शेष की नाराजगी का भय त्याग, अपनी 10 श्रेष्ठ पसंद को जग जाहिर नहीं करना चाहेंगे।
जवाब देंहटाएंकुछ हम जैसे भी हैं..बी.पी एल. वाले .....
जवाब देंहटाएंबी पी एल मतलब--"बीलो पॉपुलरिटी लाइन"
बीपीएल इंडेक्स भी निकाला जाना चाहिये ।
ताश के खेल में भी एक रायंड ’मुफ़लिसी’ का होता है...
चिठ्ठा लोकप्रियता सूचकांक (ब्लॉग पाप्युलारिती इंडेक्स )वही जो अरविन्द बहाई समझें .प्रवीण जी ने सिर्फ यही कहा है गति सापेक्षिक होती है .आप ट्रेन में बैठे हैं ट्रेन आपके लिए आगे जा रही है पास वाले पेड़ पीछे छूट रहें हैं .दूर वाले पेड़ आपके साथ चलते प्रतीत होतें हैं .पेड़ यह भी कह सकतें हैं ट्रेन पीछे छूट रही है असल सवाल है सापेक्षिक स्थितियों का परिवर्तन .अब यदि दो ट्रेन एक ही दिशा में समान्तर ट्रेक्स पर एक ही लयताल से गति से आगे बढ़ रहीं हों सरल रेखा में और खिड़की में से दो यात्री एक दूसरे को अपनी अपनी ट्रेन से निहार रहें हों .दोनों साथ साथ ही रहेंगे .लेकिन विपरीत दिशा में देखने पर यह बोध नहीं होगा .जब आपकी ट्रेन खड़ी होती है और बराबर वाली चुपके से चल देती है आपको आभास होता है आपकी ट्रेन चल पड़ी है दूसरी और देखने पर यह एहसास समाप्त हो जाता है वहां कोई गति नहीं है सिर्फ प्लेटफोर्म की स्थिर दूकानें हैं .सो गति का फंदा सापेक्षिक है .प्रेक्षक निष्ठ है .परम गति या निरपेक्ष गति का कोई अर्थ नहीं है .
जवाब देंहटाएंBIP के बहाने हलचल तो हुई....ऐसा लगता है की एक प्रतिस्पर्धा.....संभवता एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की संभावना बनी है. डार्विन की Survival of the fittest की समस्या तो नहीं है न...? नवीन चर्चा के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंक्या खूब!!
जवाब देंहटाएंटी.व्ही. पर टी. आर.पी. और ब्लॉग पर बी. पी.आई. बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंNumerous usefull information and facts and motivation, each of which many of us have to have, appreciate
जवाब देंहटाएंFrom Great talent
जादू-टोने, तांत्ग्रिक ओझा के पास जाएंगे तो ऐसे ही गलत परिणाम मिलेंगे...कैसे गलत? अरे, हमार नाम ही न आया ना भाई :)
जवाब देंहटाएंI hate mathematics too :(
जवाब देंहटाएंm pretty bad at it !!
Nice read as ever !!
गणिताई , भोजन , कविता ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया मिक्सचर तैयार है ब्लॉग पर
बढ़िया है,
बधाई !
वडे लोगां दिया वडियां वडियां गलां...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
@देवेन्द्र जी ,
जवाब देंहटाएंआपने बहुत उपयोगी सुझाव दिए हैं-आभार !
Bhai sab..
जवाब देंहटाएंAb agli post Anit Srivastav ji ke kahe anusaar...B.P.L par bhi ho jaye....
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. बढ़िया आविष्कार कर दिया आपने.
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