परसों यानि १६ नवम्बर की बात है जब शाम को नेट पर एक बहुत जरुरी (ब्लागिंग नहीं!) काम कर रहा था और अचानक एक पाप अप खिड़की खुली और सन्देश मिला कि मेरा जी मेल अकाउंट डिसेबल कर दिया गया है ..मैंने इसे एक स्पैम माना और मेसेज डिलीट कर दिया ...काम पूरा करके जो दरअसल यहाँ के लिए एक संक्षिप्ति (सारांश ) थी ...जैसे ही भेजना चाहा अपने अकाउंट में लागिन नहीं कर पाया और वही सन्देश फिर आया कि आपका जी मेल अकाउंट डिसेबल कर दिया गया है ...एक अनहोनी का अहसास कंपकपी सा दे गया ...तो यह समस्या वास्तविक थी .....जी हाँ सौ फीसदी वास्तविक और मेरे पैरों तले जमीन खिसक चुकी थी ..मैं घबराहट के मोड में आ चुका था ....आनन फानन ब्लॉगों का हालचाल लेने गया और वहां प्रमुखता से जो सन्देश उभरा उसने मेरा रहा सहा धैर्य भी किनारे कर दिया -'आपके ब्लाग को रिमूव कर दिया गया है' सन्देश ने मेरी सिट्टी पिट्टी गुम कर दी...ब्लॉग क्या, पूरा ब्लॉगर डैश बोर्ड ही गायब था ....मैंने इधर उधर कुछ प्रयास किये मगर मामला गंभीर होने का अहसास मुझे हो गया -कोई बड़ी अनहोनी हो चुकी थी ...
अब हम आपको क्या बताएं क्या क्या न हो गया चंद पलों में ...लगा यह संसार नश्वर है ..लगा कि आभासी दुनियाँ में से मैं चल बसा ...कहीं इस सदमे से वास्तविक दुनियाँ से भी नाता न छूट जाय इसलिए अपनी उन तमाम जीवनीय शक्तियों का आह्वान किया जो अब तक के बहुत बुरे वक्त में मेरे काम आयी हैं और अपने को संभाला ...लेकिन ऐसा जरूर आभास हो गया कि मेरी एक टेम्पररी मौत हो चुकी है और अगर अब और देर पी सी पर रहा तो बड़ी घटना घट सकती है इसलिए उसे तुरंत आफ कर दिया -इस वक्त भी उन क्षणों को याद कर सारे शरीर में एक झुरझुरी सी फ़ैल जा रही है ....मुझे सबसे बड़ी चिंता ईमेल अकाउंट की हो रही थी जिस पर कितने ही लेबल ,डाक्यूमेंट ,बुकमार्क सेव थे और मैं अब पूरी दुनियाँ से कट चुका था -मेरा पूरा प्रोफाईल गायब था ,पिछले तीन -चार सालों की मेहनत मिट्टी में मिल चुकी थी ....सभी ब्लॉग -साईंस फिक्शन इन इंडिया ,साईब्लाग और क्वचिदन्यतोपि गायब थे....फिर दिल और दिमाग का खुद को तसल्ली देने का सिलसिला शुरू हुआ -"क्या है तुम्हारे लिए लेखन ....यह तो हाथ का मैल रहा है ...लिखा जैसे हथेली को रगड़ा और मैल को फेक दिया ..अपने लिए तो था नहीं लेखन(इदं न मम) दूसरों के लिए था गया सो गया उसके लिए क्या सोच! आदि आदि " अब केवल समस्या मेल अकाउंट की थी जो भीषण लग रही थी ... घबराहटें गतिविधियों की एक चेन प्रतिक्रिया शुरू करा देती हैं ..मैंने उससे सायास बचने की कोशिश तो की मगर पूरी तरह सफल नहीं हुआ ..
उसी समय उम्मतें वाले अली भाई का फोन आया तो उन्होंने बी एस पाबला जी से फ़ौरन सलाह लेने की बात की ..मैंने उन्हें फोन मिलाकर समस्या बताई तो उन्होंने पहले तो बड़ी खरी खोटी सुनायी कि उनके बार बार सलाह के बाद मैंने बैक अप क्यों नहीं लिए थे-मगर अब इन बातों का कोई फायदा नहीं था ...यह वे भी समझ गए और बात को आखिरी मुकाम पर लाते हुए मुझसे ई मेल आई डी और पासवर्ड माँगा ...वक्त की नजाकत और पाबला जी की इंटिग्रिटी को देख मैंने उनके सलाह के मुताबिक़ उन्हें सौप दी ....अब जो होगा देखा जाएगा की राह पर आ गया था ....एक मजे की बात है कि आकस्मिक अवसाद के क्षणों में मुझे नींद आने लगती है -यह एक विचित्र व्यवहार है मगर मेरे लिए सदैव जीवनदाई रहा है..शायद मेरे मस्तिष्क ने खुद को ऐसा प्रोग्राम्ड कर रखा है ..मैं सो गया ....पत्नी का कहना था कि उनके वैवाहिक जीवन का वह पहला मौका था जब मैंने रात का खाना नहीं खाया था -ये मुई ब्लागिंग जो न करा दे ....उन्हें इस मौके की बेसब्री से तलाश थी कि कोई रात तो मैं उन्हें महिला श्रम से मुक्त कर दूं -और यह सुनहरा मौका उनके जीवन में आन पहुंचा था ....सुबह तीन बजे ही नींद खुल गयी ..कम्यूटर की ओर देखने का भी मन नहीं हो रहा था ..उजड़ी दुनियाँ को भी कोई मुड़ कर देखना चाहता है भला! बेमन बिस्तर पर पड़े करवटें बदलता रहा -गूगल की गुंडागर्दी पर कुढ़ता रहा ...मन मार कर उठा,कंप्यूटर आन कर सीधे फेसबुक पर गया ..सोचा चलो यहाँ तो अपुन का वजूद है ..अपने हादसे को वहीं लिख मारा ....सुबह मेरी प्यारी रोजाना की सुबह -सुबहे बनारस आ पहुँची थी -तय किया अब वर्डप्रेस में जाकर नया ब्लॉग बनायेगें -सुबहे बनारस .....फिर सोचा नहीं नहीं अब ब्लागिंग से बिना टंकी पर चढ़ने के आरोपण के कुछ राहत तो मिलेगी -यह सब तो छुपा हुआ वरदान -अंगरेजी में बोलें तो 'ब्लेसिंग इन डिज्गायिज ' है -इस मौके का मुझे लाभ उठाना चाहिए ...ऐसे न जाने कितने ही विचारों की रेल पूरी ताकत से दिमाग में दौड़ रही थी ....
इस बीच मित्रों के फोन आने शुरू हो गए थे ..संतोष त्रिवेदी जी इसमें आगे रहे और मास्टर ब्लास्टर ब्लॉगर प्रवीण त्रिवेदी जी ..अनुराग जी का फोन पिट्सबर्ग से आया ...गिरिजेश जी दिल्ली प्रवास पर होने के बाद भी फोनियाये और हम लोग काफी देर तक आभासी जीवन की निस्सारता पर विचार मग्न रहे ...अनूप शुक्ल जी ने एस एम् एस भेजकर मुझे एक लिंक के सहारे मेरे ब्लागों की हूबहू आर्काईव ही सौंप दी ...कल शाम उनका भी फोन आया ....फेसबुक पर अल्पना वर्मा जी ,आराधना चतुर्वेदी जी ,रैंडम स्क्रिबलिंग वाली ज्योति मिश्र ने, अपने उन्मुक्त जी ने ,राजेन्द्र स्वर्णकार जी ,रायकृष्ण तुषार,पंकज मिश्र, .. और भी कई सुहृदों ने ऐसे नाजुक मौके पर मेरा हौसला बनाये रखा और कुछ और भी मित्राणियों ने नामोल्लेख न करने की रिक्वेस्ट के साथ अपने सुझाव और हौसले दिए(वे ऐसी गोपनीयता क्यों बरतती हैं :( ) ....शिव मिश्रा जी ने फेसबुक पर मेसेज भेजकर हालात का जायजा लिया .....अमरेन्द्र जी ने अनुभवों को आपसे बाँटने को प्रेरित किया ...बेटे कौस्तुभ ने अपनी बड़ी व्यस्तता के बावजूद भी बंगलौर से फोन पर जरुरी टिप्स दिए ..बेटी प्रियेषा ने दो टूक कहा कि पापा इस मौके का फायदा उठा आप व्यायाम को प्राथमिकता देकर पहले अपना मोटापा दूर कीजिये ....हाँ उसे भी मेरे ब्लाग्स के गायब होने का बड़ा मलाल था ....पत्नी ने कल शाम को बताया कि मुझे बुखार भी हो आया है ....बहरहाल अब किस्सा कोताह यह कि मित्रों की मदद और शुभकामनाओं के चलते २४ घंटों के भीतर मेरा मेल अकाउंट बहाल हो गया है और सुबह सुबह ब्रह्म बेला में जयकृष्ण तुषार जी ने फोन करके अति प्रिय सूचना दी की मेरे ब्लागों की वापसी हो चुकी है ....लगा जैसे जन्नत की वापसी हो गयी हो ...उनकी मिठाई ड्यू हो गयी है ..हाँ अब यह मुद्दा मेरे और सभी के लिए बहुत मौजू बना है कि अंतर्जालीय वजूद में रहने के लिए हमारी सावधानियां और तरीके बड़े पुख्ता किस्म के होनी चाहिए .....बाकी कुछ और विवेचन टिप्पणियों में होंगे ही ...
मित्रों बहुत आभार आपका
@ इस मौके का फायदा उठा आप व्यायाम को प्राथमिकता देकर पहले अपना मोटापा दूर कीजिये
जवाब देंहटाएंपूरी पोस्ट में यह एक पंक्ति काम की लगी। अब व्यायाम/प्राणायाम का श्रीगणेश कर ही डालिये।
यह दिखाता है की हम प्रौद्योगिकी पर कितना निर्भर होते जा रहे है|
जवाब देंहटाएंअच्छा है की सब कुछ वापस मिल गया, अंत भला तो सब भला|
आपका ब्लॉग क्या उड़ा,हमें लगा हमारी ही दुनिया उजड़ गई ! आप लगातार हम सबके मार्गदर्शक बने हुए हैं!आपको जो मानसिक आघात लगा वह समझ सकता हूँ.सबसे बड़ी समस्या ईमेल अकाउंट की थी !चलिए,आप को इस बवाल से जल्द निजात मिल गई.अनूप शुक्ल जी के प्रयास की सराहना करनी होगी.
जवाब देंहटाएंगूगल बाबा के 'आक्रमण' के बारे में क्या कहें? यह तो वही बात हुई कि जब पहरेदार ही खेत को खा जाए !एहतियातन आप एक अकाउंट और जोड़ लें अपने ब्लॉग में और बाद में वर्डप्रेस से एक डोमेन ले लें !
पुनर्जन्म की बधाई :-)
सही बात है जितना हो सके सावधान तो रहना ही चाहिए...... कुछ समस्या आज मेरे ब्लॉग पर भी थी .....
जवाब देंहटाएंआयु.प्रियेषा का सुझाव अब भी माना जा सकता है कुछ मिनट की ही तो बात है :)
जवाब देंहटाएंबधाई!
जवाब देंहटाएंपरसों यानि १६ सितम्बर की बात है
सितम्बर नहीं बाबा नवम्बर!
किसी ने मानस की चौपाई नहीं सुनाई :)- धीरज, धर्म, मित्र अरू नारी!
आपत काल परखिये चारी!
भयाक्रांत मन की पीड़ा को बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने। यह बैकअप कैसे बनाते हैं..? आप भी बनाइये हमे भी सिखा दीजिए। हम तो सीधे ब्लगवे में कविता लिख रहे हैं आजकल..! डायरी में उतारते हैं.. छुट्टी में।
जवाब देंहटाएंवैसे बिटिया की सलाह पर अमल कीजिए।
इतना तो हुआ ऐ दिल, इक शख्स के जाने से,
जवाब देंहटाएंबिछड़े हुए मिलते हैं कुछ दोस्त पुराने से!
इसी बहाने पंडित जी, आपने उन सभी ब्रह्म्-ज्ञान का रिवीज़न कर लिया... क्वचिदन्यतोsपि की आत्मा ने तो "सुबहे बनारस" का शरीर भी खोज लिया था स्वयं के लिए.. मगर पंडित जी ने अभी उसे मुक्ति नहीं दी... बधाई हो, पंडित जी! पता नहीं किसके प्रयास से क्या हुआ, मगर जो हुआ वो अच्छा हुआ... जयंत नारलीकर साहब की एक कहानी याद आ गयी!
आपके वजूद से हम सभी गहराई से जुड़ गए हैं . बहुत ख़ुशी है कि आपका ( आभासी ) वजूद सकुशल मिल गया .
जवाब देंहटाएंबधाई..
जवाब देंहटाएंऔर अन्य जागरूक ब्लोगरों के लिए भी एक सबक कि वे अपने ब्लोगों का बेक अप ले लें!
-ऐसे में गणेश जी को अब 'डिज़ाईनर लड्डुओं 'का प्रसाद चढ़ाना बनता ही है !
कल देर शाम से समस्या मेरे साथ भी थी... सुबह तो ब्लॉग भी block has been removed दिखा रहा था...
जवाब देंहटाएंएक बार तो पैरों तले जमीन ही खिसक गयी...
पर अंत भला तो सब भला..
अभी लेते हैं जी बेकउप भी
@अनूप जी,
जवाब देंहटाएंबिना आपके कौन याद दिलाये ..कुछ मित्र ऐसे अवसरों को सम्बन्धों के बीच के आईस ब्रेकिंग-शीतोष्मन का अच्छा मौका भी मानते हैं :) स्वागत है !
अरविन्द जी , आप कहाँ कहाँ से गुजर गए और हमें पता भी नहीं चला .
जवाब देंहटाएंचलिए इसी बहाने एक ही रात में कुछ तो वज़न कम हुआ होगा .
अंत भला सो सब भला .
वैसे देवेन्द्र जी की तरह हम भी अनभिग्य हैं की बैकप कैसे लिए जाए .
ऐसा ही एक बार (पिछले महीने, पिछला महीना अक्तूबर ही था ना?) मेरे साथ भी हुआ था। इसके कुछ ही दिनों पहले पाबला जी का लेख पढा था। उनके बताए अनुसार गूगल बाबा को मेल किया और उन्होंने मेरे मोबाइल पर एक कोड भेजा, बस फिर हम पुनः सक्रिय हो गए।
जवाब देंहटाएंमैंने कुछ महीने पहले अपने ब्लॉग का बैकअप ले लिया था, लेकिन कल आपका समाचार सुनकर फिर से ले लिया. आज आपसे फोन करके पूछने वाली थी कि फेसबुक पर स्टेटस पढ़कर खुशखबरी पता चली. बधाई.
जवाब देंहटाएंमैं भी अवसाद में सोना पसंद करती हूँ. इससे दिमाग को आराम मिलता है और वो और झटकों के लिए तैयार हो जाता है.
आपकी 'गुप्त मित्राणियों' की बात सुनकर चेहरे पर मुस्कान तिर गयी.
ये सब तो ठीक पर इस पर ध्यान ज़रूर दें---".बेटी प्रियेषा ने दो टूक कहा कि पापा इस मौके का फायदा उठा आप व्यायाम को प्राथमिकता देकर पहले अपना मोटापा दूर कीजिये " :)
पिछले हफ्ते ही कुछ इसी तरह के हादसे से दो चार हुआ था जब कम्प्यूटर पर ड्राईव फार्मेटेड का मैसेज आया। एक घंटे के लिये आंख उज्जर हो गई थी, तमाम जरूर सॉफ्टवेयर एक झटके में उड़ गये थे। डेटा बेस...सब कुछ।
जवाब देंहटाएंएक घंटे बाद सब सामान्य हो गया। एक सीडी के चलते ऐसी नौबत आन पड़ी थी जिसने वार्निंग देकर छोड़ दिया कि बैकअप ले लो यार।
और हां, उस शाम हमने सेलिब्रेट किया था....पार्टी शार्टी हुई थी :)
बधाई ...बैक अप ले लेते हैं हम भी ....
जवाब देंहटाएंकौन कहता है यह बात आभासी है,
जवाब देंहटाएंहृदय विदारती है, प्रचुरतम प्यासी है,
ब्लॉग को समझ न पाओ तो देखो,
व्यक्त मूल है, अब व्यक्ति प्रवासी है।
अंत भला तो सब भला :-)
जवाब देंहटाएंआज सुबह, कुछ मिनटों के लिए
पूरी की पूरी फेसबुक वेबसाईट ही गायब हो गई थी
यह पंक्ति भी जोड़ देते
साथियों को कुछ सन्निपात तो होता
:-D
अरे मेरी टिप्पणी कहाँ गयी? प्रकाशित तो हो गयी थी. ये गूगल छुपाछुपी का खेल खेल रहा है या आपने डिलीट कर दी? :(
जवाब देंहटाएंचिट्ठा वापस पाने की बधाई।
जवाब देंहटाएंकुछ इस विषय पर भी प्रकाश डालें कि यह क्यों गायब हो गया था और किस प्रकार से वापस मिला।
@मुक्ति ,
जवाब देंहटाएंजी हाँ आपकी टिप्पणी मेरे मेल बाक्स में तो अभी भी दिख रही है -कुछ झाम जरुर है ..अब यह मेरे प्रिय जनों से विछोह कराने पर उतारू है ..गूगल क्या क्या करना चाहता है !
आपकी ये टिप्पणी थी -
मैंने कुछ महीने पहले अपने ब्लॉग का बैकअप ले लिया था, लेकिन कल आपका समाचार सुनकर फिर से ले लिया. आज आपसे फोन करके पूछने वाली थी कि फेसबुक पर स्टेटस पढ़कर खुशखबरी पता चली. बधाई.
मैं भी अवसाद में सोना पसंद करती हूँ. इससे दिमाग को आराम मिलता है और वो और झटकों के लिए तैयार हो जाता है.
आपकी 'गुप्त मित्राणियों' की बात सुनकर चेहरे पर मुस्कान तिर गयी.
ये सब तो ठीक पर इस पर ध्यान ज़रूर दें---".बेटी प्रियेषा ने दो टूक कहा कि पापा इस मौके का फायदा उठा आप व्यायाम को प्राथमिकता देकर पहले अपना मोटापा दूर कीजिये " :)
@उन्मुक्त जी घटना के दूसरे दिन गूगल के अकाउंट रिकवरी आप्शन की शरण से अकाउंट वापस आया -इसके कई चरण है -मुख्य तो यह कि यह एक सवाल रखता है जिसका उत्तर आप पहले से ही वहां फीड किये रहते हैं ...जैसे आपके प्यारे कुत्ती का नाम ,जिले का नाम आदि ,फिर यह मोबाईल नंबर पूछता है जिसे भी आप पहले ही फीड किये होते हैं फिर वह कोई कोड (संख्या ) भेजता है जिसे डालकर अकाउंट को हासिल किया सकता है -मुझे याद नहीं है मगर मैंने यह दुहरे स्तर वाले सुरक्षा की तैयारी पहले कभी कर ली थी ....सभी इस सुरक्षा व्यवस्था को देख लें ....मगर पहले दिन यह आप्शन कम नहीं कर रहा था ..बार बार यही मेसेज आ रहा था कि अकाउंट डिसेबल कर दिया गया है .....
जवाब देंहटाएंदूसरे ब्लॉग वाले मामले को मैंने पाबला जी को हैंडिल करने कहा था उन्होंने कुछ किया होगा या फिर जैसा लोग कह रहे हैं यह गूगल ने वापस कर दिया होगा
एक विचार यह है कि परसिस्टेंट शिकायत पर गूगल ने अकाउंट और ब्लॉग को हटाकर इसे चेक किया और फिर वापस कर दिया ! जो भी हो ..मैं भी अनिर्णय की स्थति में हूँ ! बहरहाल आम फिर खाने को मिल गए हैं गुठलियों की चिंता क्या करना :)
बहुत बधाई जी अकाउण्ट वापस होने की!
जवाब देंहटाएंब्लॉग अकाउण्ट की ज्यादा फिक्र नहीं अब मुझे। हाथ का मैल अब वर्डप्रेस पर है! पर जी मेल अकाउण्ट गूगल गोल कर देगा तब परेशानी होगी!
अरविंद जी,
जवाब देंहटाएंमुक्ती जी की टिप्पणी आपके डेशबोर्ड के कमेंट सेक्शन में स्पैम के रूप में स्टोर हो गई होगी। डेशबोर्ड चेक किजिए। परसों आपका कमेंट, अनुराग शर्मा जी, संजय अनेजा जी के कमेंट मेरे डैशबोर्ड के स्पैम कमेंट वाले सेक्शन में स्टोर थे।
हम भी कुछ ऐसे ही दौर से गुजरे कल. ब्लॉग का बेकअप तो ले रखा था असली चिंता ई मेल की ही थी.
जवाब देंहटाएंखैर अंत भला तो सब भला.आपको आपका सम्पूर्ण खजाना मिलने की बधाई.
हाँ ये मुक्ति ने जो समस्या बताई है वह भी काफी देखने में आ रही है.इसका क्या उपाय है? ..पाबला जी ! ध्यान दें :):)
जवाब देंहटाएं@पंचम जी आपका कहना सही है मुक्ति ही नहीं कई और सुधी जनों की आज ही नहीं पुराने पोस्टों पर की गयी अच्छी टिप्पणी भी गूगल ने स्पैंम में दाल दिया था - सभी को रिलीज कर दिया ...धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंलीजिए!
जवाब देंहटाएंअब विवेक रस्तोगी जी का गूगल खाता चल बसा
मुझे लगता है जब से गूगल बाबा ने साईट बनवाने का धंधा शुरू किया है तब से ऐसे झटके ज़्यादा हो गए हैं
जवाब देंहटाएंया फिर कान घुमा कर पकड़ने की तरह धमका रहा हो कि अब पैसे दे कर ब्लोगिंग करो तो अच्छा है
जी-मेल का एक्स्ट्रा स्टोरेज तो भुगतान वाला कर ही रखा है बाबा ने
आदरणीय अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंइधर आपके ब्लाग पर आना मेरी दिनचर्या का जरूरी हिस्सा बन गया है। कल जब ब्लाग को खोला तो संदेश मिला कि यह ब्लाग उपलब्ध नहीं है मैने सोचा अंतरजाल की कोई तकनीकी दिक्कत होगी सो कुछ समय बाद फिर कोशिस की परन्तु पुनः वही संदेश । कुछ अनहोनी की सी आशंका हुयी तो आपके प्रोफाइल पर गया । यहाँ जाकर तो जैसे ठगा ही रह गया था आपके ब्लागों में इसका नाम ही नहीं था । साइन्स ब्लाग तथा सर्प संसार की भी सैर कर डाली । सोचा शायद कोई अचंभित करने वाली सूचना आपने इन ब्लागो पर छोडी हो परन्तु यहाँ भी कुछ न मिला सका। अब पुनः आपके प्रोफइल पर जाने पर आपके द्वारा अनुसरण किये जाने वाले ब्लागो में यह प्रदर्शित हो रहा था। अब मैं सुनिश्चित हो चुका था कि शायद आपने अपने चहेतों ब्लागरों (?) को अचंभित करने के लिये मिस्टर इन्डिया वाला रूप रख लिया है।
मैं सोच रहा था कि मिस्टर इन्डिया को देखने की शक्ति पाने की जुगुत लगायी जाय तब तक आपकी आज की पोस्ट मिल गयी । आभार इन्टरनेट के तकनीकी चिकित्सकों का जिनकी सहायता से हमारा यह चहेता 24 घंटे की आकस्मिक इमरजेन्सी से सुरक्षित लौट आया।
निश्चित अन्तराल पर बैकअप ले लेती हूँ . इमरजेंसी के लिए वर्डप्रेस पर ब्लॉग बना रखा है, नाहक ही मूर्ख समझती रही खुद को !
जवाब देंहटाएंहर घर में बेटी का होना बहुत ज़रूरी है , अच्छी सलाह देती हैं !
ब्लॉग वापस मिलने की बहुत बधाई!
@ अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंआप किन किन गुप्त मित्राणियों को कब तक गुप्त बनाये रखने की मशक्कत करते रहियेगा ! इससे बेहतर है कि क्षत्राणियों से खुल्लम खुल्ला आशीर्वाद प्राप्त कर लीजिए !
.
जवाब देंहटाएं.
.
येल्लो, एक जीमेल एकाउंट डिसेबल क्या हुआ, क्या वाकई इतना टेंशनिया गये आप ?
काहे को इतना सीरियसली लेते हैं इन सब चीजों को और खुद को भी... यह सीरियसली लेना ही जड़ है बहुत से कष्टों, फसाद व बीमारियों की...
इस निरर्थक माया-मोह से उबरिये देव... यह चीजें स्थायी नहीं हैं... स्थायी कुछ भी नहीं है, न हमारे विचार, न हमारा दिमाग और न हम ही...
अरे रे, खुद को भी दो लात जमाने का मन कर रहा है... क्यों इतना सीरियसली ले रहा है गधे, तू (मैं) भी इस वाकये को ?
...
very interesting!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत अच्छा लिखा है ! बधाई! आपको शुभकामनाएं !
आपका हमारे ब्लॉग http://tv100news4u.blogspot.com/ पर हार्दिक स्वागत है!
1.ओह
जवाब देंहटाएं2.अहा
3.गूगल में ज़रूर कोई चीनी कारस्तानी चल रही है :)
वास्तविक तो वास्तविक. आभासी से भी इतनी मोह-माया हो गयी है ! आपका स्टेटस मेसेज देख के हम तो यही सोच रहे थे. अपना जाए तो क्या होगा !
जवाब देंहटाएंवैसे बहुत लोगों का जा रहा है. ख़ास कर हिंदी ब्लोग्गर्स का. अभी फेसबुक पर और भी लोग दिखे.
भयानक खबर रही यह ....
जवाब देंहटाएंशुक्र है भगवान् का नहीं तो यह क्षति मामूली नहीं थी !
मगर हम " सुबहे बनारस " से वंचित रह गए :-)
सादर
ब्लॉग वापस आने की बहुत बहुत बधाई ... बाकी सबको आगाह कर दिया आपने ..
जवाब देंहटाएंघनश्याम पाण्डेय जी की टिप्पणी सारगर्भित लगी !
जवाब देंहटाएं@मुझे लगता है केवल भाई प्रवीण शाहको कुछ कहने की जरुरत है -
जवाब देंहटाएंलीला शब्द सुने हैं प्रभु! तो लीला पुरुष लीलाएं भी करते हैं -ऐसयिच कुछ जानिए बन्धु!
@अनाम भाई यहाँ तो कोई इस नाम की कोई टिप्पणी नहीं आयी ? आपको मतिभ्रम/दिवा स्वप्नोखलन क्यों हो रहा है ?
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है
मुश्किल घडी का इतना रोचक विवरण .. सचमुच लिखना आपके लिए हाथ की मैल निकालना ही है ..
जवाब देंहटाएंआभासी दुनिया आभासी नहीं .. हम ब्लोगरों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान ले चुकी है !!
ब्लॉग का बैकअप तो रख ही लीजिए .. आपको बधाई और शुभकामनाएं !!
डाक्टर साहिब जी ,
जवाब देंहटाएंमाता पिता ने उनका क्या नाम रखा ! क्यूं रखा ! मुझे ज्ञात नहीं है ! तथापि उनका व्यक्तित्व अधभूत है ! एवम चेहरे और चिंतन से घनश्याम पाण्डेय ही लगते हैं !
कहीं आपको उनकी प्रशंसा से राग द्वेष तो नहीं हो रहा है !
चलिए बधाई हो ...
जवाब देंहटाएंये अच् है की ऐसा होने पर भव व्याप्त हो जाता बाई अचानक से .. अब लगता है सीख ले ही लेनी चाहिए और बैकअप रख ही लेना चाहिए अपने ब्लॉग का ...
नेट से दूरी की वजह से मुझे कुछ पता ही नही चला.
जवाब देंहटाएंयह तो बहुत विकट समस्या आ गयी थी,चलिए सब कुछ वापस मिल गया नहीं तो आप का किया धरा सब खत्म हो जाता.
अब आप अपना ब्लॉग का बैक अप सदैव रखा कीजिये-सावधान रहने जरूरत है.
सभी को बहुत धन्यवाद जिन्होंने इस कठिन समय में आपकी सहायता की.
परसों हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ। हमने डायरेक्ट गूगल बाबा से गुहार लगाई, उन्होंने अपना फ़ोन नं. पूछा और चट से नया पसवर्ड दे दिया। बस, तुरंत ही दिसेबल से एबल हो गया।
जवाब देंहटाएंआदरणीय अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंएक खास सी बात है जिसे अभी अभी नोटिस कर पाया हूँ और वह है वह है अपका सैकडा। गौर किया आपने कि वर्ष 2011की इस ब्लाग पर आपकी यह सौवीं पोस्ट है । मेरी कल की टिप्पणी में यह खास बात रह गयी थी सो पुनः टिप्पणी कर आपको बधाई दे रहा हूँ। आपको बधाई इस वर्ष के पोस्ट शतक की और ब्लागिंग नसिंग होम के गहन चिकित्सा कक्ष से शीध्रता से बाहर निकलने की भी। एक नया शब्द ‘ब्लाग का बैकअप’ इस पोस्ट की टिप्पणियो से सीखा है । कृपया अपनी किसी पोस्ट में इससे संबंधित लिंक अवश्य दीजियेगा। पुनः इस वर्ष के पोस्ट शतक की बधाई।
सबसे भले हैं मूढ़ जिनहि न ब्यापे जगत गति।
जवाब देंहटाएंहमारे साथ यदि ऐसा हो जाय तो चुपचाप तानकर सो जाएंगे। चलो झंझट छूटी। आपको ऐसे में जगाने आना पड़ेगा। :)
ये बैक-अप कैसे लेते हैं, यह नहीं पता चला।
मैं अपनी पोस्ट का लिंक बहुत कम छोड़ता हूँ टिप्पणी में
जवाब देंहटाएंलेकिन आज लगता है
अशोक जी, सिद्धार्थ जी के लिए
ब्लॉग वापस पाने, बैक-अप वाली पोस्ट का लिंक देना पडेगा
:-)
आपके पोस्ट पर आना बहुत अच्छा: लगा ।मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढाएं । धन्यवाद । .
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम तो बधाई स्वीकारें आर्य!
जवाब देंहटाएंभैया ने आपके साथ हुई इस दुर्घटना के बारे में बताया था .......
मैं बहुत ही दुखी था अब तक......
अनुराग जी का साधुवाद जिनकी पोस्ट से पता चला कि आपको जीवन की पुनर्प्राप्ति हो गयी है.......
ये अच्छा रहा कि आपने ब्लॉग के बगैर जीवन का आनंद भी उठा लिया ........
आशा है कि पुनः ये गंभीर दुर्घटना किसी के साथ भी न हो ...
दो-चार अन्य ब्लॉगर भी ऐसी स्थिति से रू-ब-रू हुए हैं। वैसे तो यह संतोष का विषय है कि तकनीकी ब्लॉगर मित्र उपलब्ध रहते हैं सहायता के लिए,लेकिन इस पूरे प्रकरण से इतना तो जाहिर होता ही है कि ब्लॉगिंग अतिरिक्त समय का उपयोग मात्र नहीं रही, अब वह हमारी ज़िंदगी का हिस्सा है।
जवाब देंहटाएंक्या यह आभासी मृत्यु थी? अब तो आप दोनो संसारों को देख चुके.कैसा था वाह ब्लॉग मेल रहित संसार? भयावह रहा होगा. आपसे ढेर सारी सहानुभूति .
जवाब देंहटाएंवैसे आजकल लेखन को जाने भी दें तो मेल आई डी जाने से तो बहुतेरे काम रुक जाएँगे. बैंक, शेयर मार्केट और ना जाने क्या क्या.
यह कुछ वैसा है कि केवल भुक्तभोगी ही समझ सकता है.काश, औरों को यह ना भुगतना पड़े. खैर पाबला जी जिंदाबाद वे मृतकों को भी वापिस जीवित कर देते हैं.
घुघूतीबासूती
ब्लॉग को तो वापस आना ही था! बकिया ऊ डिजाइनर लड्डुओं के भोग में अपने हिस्से के लालच में आये थे ....इधर टहलते टहलते .....:-)
जवाब देंहटाएंयह भी मालूम चला कि हाथ का मेल भी कीमती हुआ ....
ओह *मेल को मैल समझा जाए !
जवाब देंहटाएंकुछ न कुछ अजीब सी घटनाएं सभी के साथ घट रही हैं | अच्छा यही है कि आप अपने ब्लॉग का बैकअप लेते रहे | इस के साथ ही आप अपनी कोई भी पोस्ट आनलाइन न लिखें | जैसे कि मैं अपनी कोई भी पोस्ट आनलाईन नहीं लिखता | हमेशा आफलाइन लिखता हूँ व नोटपैड पर लिखता हूँ | बैकअप लेने के लिए पहले सेटिंग पर फिर एक्सपोर्ट ब्लॉग पर कलिक करें व अपने ब्लॉग का बैकअप हर दूसरे दिन लेते रहें |
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
राहत की खबर.
जवाब देंहटाएंबड़े भाई, यह तो सचमुच चिंता में डालने वाली बात है. बहरहाल, अंत भला तो सब भला.
जवाब देंहटाएं