राष्ट्रीय शोक से कुछ उबरा हूँ तो आज सुध आयी एक ब्लॉगर के वैवाहिक समारोह की जिसमें केवल एक ब्लॉगर ही सभी ब्लागरों की नुमाईंदगी करता दिखा ...अब अपने मिथिलेश जी कोई ऐसे वैसे ऐरे गैरे ब्लॉगर भी नहीं हैं ..सबसे युवा ब्लागर का ख़िताब उन्हें मिल चुका है और अब २१ वर्ष होते ही उन्हें सामाजिक बंधन में बाँध दिया गया है ..इतनी कम उम्र में विवाह का मैं पक्षधर नहीं था मगर काफी किचाहिन(देशज भदेस शब्द) और किच किच के बाद होनी होकर ही रही -और जब मां बाप राजी तो अगले की क्या बिसात! मिथिलेश ब्लॉगर के अलावा एक आज्ञाकारी पुत्र भी हैं -संस्कारों और पारिवारिक ,पारम्परिक प्रतिबद्धताओं से जुड़े! मेरा उनसे वादा था मैं उनकी शादी में जरूर सम्मिलित होउंगा ..और मैंने वायदा तो निभाया ...उनके निमत्रण कार्ड में एक बाल आकांक्षा भी उद्धृत थी -मेले चाचा की छादी में जलूल जलूल से आना ...निधी, नैनशी.... लिहाजा जैसे भी पहुंचा तो, गिरते पड़ते कैसे भी ....जबकि उस दिन यानि २१ मई को जबरदस्त लगन थी ..एक साथ तीन बारातों में शामिल होने की हैट्रिक पूरी करते जब मिथिलेश की बरात में पहुंचा तो सुबह हो गयी थी ..
वर वधू और पार्श्व में सालियां .
हैरत यह रही मैंने खुद को वहां ब्लागरों की जमात से अकेला पाया ..मिथिलेश मेरे बेटे कौस्तुभ से भी कम उम्र के हैं ....और मैं उम्र के उत्तरार्ध को अग्रसर एक ब्लॉगर ..क्या ही अच्छा होता कि वहां खुशी के पलों में मिथिलेश के समवयी ब्लॉगर मित्र दिखते ..कम से कम मुझे तो कंपनी मिलती ..अब मिथिलेश तो सामाजिक दबावों के बोझ से वैसे ही दबे थे,जिस समय मैं वहां पहुंचा सुबह हो चुकी थी और ये महाशय कोहबर की शर्तों के बीच के परी देश में थे...मगर मेरे आने की खबर मिलते ही भागे भागे आये .....और यह मुझे कहाँ भाया? बच्चों के परी देश की सपनीली दुनिया में मेरे पहुँचने से विघ्न! बहरहाल आगत स्वागत हुआ ....मिथिलेश की लगभग सभी उँगलियों में सोने की सद्य आरोहित अंगूठियाँ सुशोभित हो रही थीं .निश्चित ही एक सास की तरफ से ....एक सरहज की ओर से और एक ....मेरी नजर अपनी अंगूठियों पर से न हटते देख मिथिलेश जी ने हाथों को हठात छुपा लिया ..न जाने क्यों? अरे मैं दे नहीं पाया तो क्या मांग लेता कोई एक ? मगर बच्चों के मन का क्या कहिये ..अपना खिलौना भी वे बड़े ट्रस्ट वाले को ही देते हैं ....
मैंने विवाह कार्ड में ही देख लिया था मिथिलेश के भाग्यशाली परिवार में अभी उनके प्रपितामह भी हैं -श्रीधर दूबे जी और पितामह श्री विनयधर दूबे तथा पिता जी श्री सरोजधर दुबे ..सभी बरात में मौजूद ..एक साथ चार पीढियां!यह एक सुखद /प्रशान्तिदायक अनुभव था .... बारात पारम्परिक जोश खरोश के साथ मिर्जापुर जिले के बीदापुर गाँव के प्रतिष्ठित पाण्डेय परिवार को गौरवान्वित कर रही थी....
चलते चलते एक फोटो सेशन ...बाएं से श्री सरोजधर दुबे (मिथिलेश के पिता जी ) ,दुल्हे राजा और मैं.
अब सुबह के ९ बजने जा रहे थे..बरात की विदाई की तैयारियां चल रही थी -इसका संकेत भी अक्षत देने की रस्म से हो गया था ..दुल्हन की विदाई होनी नहीं थी ..क्योकि वहां गौने की परम्परा थी ...मतलब बिना दुल्हन के ही बरात को बैरंग लौटना था(समझे ललित भाई!) ....मैं भी रात्रि जागरण से हुयी थकान से भरा था ...सभी को यथायोग्य सम्मान ,शुभकामनाएं और बधाई देकर लौटने को उद्यत हुआ तो मिथिलेश जी के पिता जी ने मुझे विदाई के रस्म बतौर वधू पक्ष से एक बड़ी मान राशि दिलाई -विदाई! .. अकिंचन ,किंकर्तव्यविमूढ़ ,अप्रस्तुत मेरे सामने उसे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा भी नहीं था ....परम्पराओं के सामने और शुभ अवसर पर ..ज्यादा ना नुकर बुरा माना जाता है ...मेरा सारथी भी लाभान्वित किया गया ....
चिरंजीवी मिथिलेश जी और परिणीता सौभाग्यवती सुमन को बहुत बधाई और आशीष!
एक जोशीले आज्ञाकारी युवा ब्लॉगर के विवाह में हम सब ब्लॉगरों की तरफ से एक आप ही आमंत्रित थे सो उम्मीद है कि सबकी ओर से आशीर्वाद भी आप दे ही आये होंगे। (वैसे आपका अन्दाज़ भी गज़ब ही है। जज़्बा बनाये रखिये।)
जवाब देंहटाएंआशिर्वादियों की लम्बी लाइन लगी दिख रही है इसलिये हम तो इहाँ से निकल्ते हैं अभी हाल ...
जवाब देंहटाएंबहुत कसावदार चीज़ लातें हैं आप भाई साहब !बेगानी (इसे ब्लोगर पढ़ें )शादी में अब्दुल्ला दीवाना ,ऐसे मन मोजी को मुश्किल है समझाना .आपके वर्तमान से (शारीरिक कद काठी से साक्षात्कार हुआ ).आप बहुत ही सोशियेबिल जान पडतें हैं वरना अब लोगों में वह गर्म जोशी रही कहाँ है और ये नै चलन के बच्चे -
जवाब देंहटाएंएक वृत्तांत समझाएगा इसे -
बाप ने कहा जा बेटा तू शादी अटेंड कर आ मेरी तबियत ठीक नहीं है और देख ये लिफाफा कन्यादान का पकड़ा आना .कोई एक समूह कापी -पेन लिए बैठा होगा ।उन्हें दे देना .
बेटा गया ,पहले छककेखाया बाद में पूछने लगा ये भाई साहब पेमेंट कहाँ करना है .
मार्मिक प्रसंग आपको सम्मान स्वरूप कन्या पक्ष से मानद राशि दिलवाना .न खाते बने न निगलते .हमारे साथ भी ऐसा हो चुका एक गाँव में गए थे .भाई साहब का सम्मान हुआ तो उनके दोस्त का भी .यानी हमारा भी ।
बाँध देते हैं आप समां.मुबारक भाई साहब !अरविन्द जी .
और हुज़ूर आप अकेले कहाँ थे मिथिलेश के विवाह में आप तो एक ब्लोगर -प्रतिष्ठान थे ,हम सबके प्रतिनिधिक चिठ्ठाकार ,अकेले ही सौ के बराबर थे .शुक्रिया !और बधाई मिथिलेश्वा को भी हमारी ओर से भी ,तमाम ब्लोगियों की ओर से भी .चिठ्ठाकारी में शादी के बाद और निखार और तसव्वुर आये ,नूर आये .यही आशीष है मिथिलेश जी के लिए .बहु के लिए .
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सबसे पहले तो नवयुगल को सफल वैवाहिक जीवन की अनंत शुभकामनायें !
@ शुभकामनाएं और बधाई देकर लौटने को उद्यत हुआ तो मिथिलेश जी के पिता जी ने मुझे विदाई के रस्म बतौर वधू पक्ष से एक बड़ी मान राशि दिलाई -विदाई! .. अकिंचन ,किंकर्तव्यविमूढ़ ,अप्रस्तुत मेरे सामने उसे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा भी नहीं था ....परम्पराओं के सामने और शुभ अवसर पर ..ज्यादा ना नुकर बुरा माना जाता है ...
देव,
यहीं पर तो अड़ना चाहिये था आपको, अपनी बताऊँ तो ऐसे अवसर पर मैं प्रथा का मान रखने के लिये केवल एक रूपया स्वीकार करता हूँ... यदि वर पक्ष ने आमंत्रित किया हो तो आयोजन में सम्मिलित तो होता हूँ पर कोई उपहार या शगुन नहीं देता... आखिर हमी तो बदलेंगे न इन सबको ...
...
मिथिलेश दुबे को बधाई! 21 का होते ही शादी? कोई बड़ी बात नहीं हम 36 साल पहले इसी मई के महिने में 20 के होने से पहले ही पकड़े गए थे। अपनी ही शादी का विरोध भी किया था। पर मन ही मन लड्डू भी फूट रहे थे। आप ने दुबे जी के मन का उल्लेख नहीं किया। थके हुए थे न, शायद न पढ़ पाए हों।
जवाब देंहटाएंवरवधू को सस्नेह शुभकामनायें ......
जवाब देंहटाएंचश्में में आप खूब गज़ब ढा रहे हो ! बधाई !
चिरंजीवी मिथिलेश जी और परिणीता सौभाग्यवती सुमन को बहुत बधाई और शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंअरे वाह बधाई. चार पीढीयाँ जल्दी ही पाँच गिनी जाएँ इसकी शुभकामना.
जवाब देंहटाएंमिथिलेश के साथ आपकी फोटो देखकर हंसी छूट गयी. दो मिनट का मौन रखे थे क्या? हा हा हा!
जवाब देंहटाएंयह तो शादी करने की कोई उम्र न थी! खैर, मिथिलेश को बधाई.
क्या ही अच्छा होता कि वहां खुशी के पलों में मिथिलेश के समवयी ब्लॉगर मित्र दिखते ..कम से कम मुझे तो कंपनी मिलती ...!
जवाब देंहटाएं...इसके लिए तो आप ही दोषी हैं। अरे मुझे ही आदेश दिया होता...यह मौका तो मैं छोड़ता नहीं। निमंत्रण क्या है व्यस्तता में भूल गये होंगे। चूक गये आप।
नवयुगल को सफल वैवाहिक जीवन की अनंत शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआपने ब्लॉगर धर्म निभाया, हम सबका सीना चौड़ा हो गया।
जवाब देंहटाएंनवदंपत्ति को हार्दिक शुभकामनायें ...बधाई.....
जवाब देंहटाएंब्लॉगर की शादी में हम भले न पहुँच पायें हों पर आपने अपनी पोस्ट के माध्यम से ज़रूर पहुँचा दिए हैं !
जवाब देंहटाएंहम जैसे कई ब्लॉगर्स की शुभकामनायें मिथिलेश भाई को !
shaadi mubaarak ho...
जवाब देंहटाएंमेले चाचा की छादी में जलूल जलूल से आना ...निधी, नैनशी , ये दोनों मेरे भईया की बेटियां हैं । इसमे बड़ी बेटी निधी शादी मे मौजूद थी यानी कुल मिलाकर वहां पॉंच पीढियां मौजूद थी ।
जवाब देंहटाएंआशीर्वाद के लिए सभी का बहुत-बहुत आभार ।
मिथिलेश और उनकी नव-वधू को हमारी शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएं********************
कभी 'यदुकुल' की यात्रा पर भी आयें !!
नवयुगल को सफल वैवाहिक जीवन की अनंत शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंप्रवीण शाह जी से सहमत। और अगर ऎसी कोई बहुत मजबूरी हो ही जाए तो दन्न से बहू को उससे ज्यादा आशीर्वाद स्वरूप देकर उरिण होना भी भारतीय परंपरा है। चलिये सुधार कीजिये। द्विवेदी जी मई/जेठ की सर्दी का अहसास कर रहे हैं उन्हे भी बधाई और नवदम्पति को आशीष।
जवाब देंहटाएंमिथिलेश और नववधू को बहुत बहुत आशीर्वाद और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंपढ़कर बहुत अच्छा लगा ... मिथिलेश जी की शादी का बढ़िया विवरण दिया है .... मेरी और से भी मिथिलेश जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंनवदंपत्ति को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंपँडित जी शायद आपको भान नहीं है कि आप एक अकेले कितनों पर भारी पड़ते हैं ।
जवाब देंहटाएंआप हो आये... समझिये हम भी हो आये । हाँ आपका इमानदारी से स्वीकार करना अच्छा लगा कि ’ बगैर दक्षिणा लिये आप टरे नहीं !
इसमें मेरा, यानि कि नाऊ का हिस्सा ?
मिथिलेश जी को शादी का लड्डू मुबारक. ये जान कर अच्छा लगा की उनकी पञ्च पीढियां इस विवाह में उपस्थित थीं. सच में मिथिलेश जी और उनकी नववधु बहुत खुशकिस्मत हैं. ऐसा भरा पूरा कुटुंब बहुत ही कम लोगों के भाग्य में होता है. दोनों को एक बात फिर से बधाई.
जवाब देंहटाएंवैसे ये जान कर अच्छा लगा की अब आप राष्ट्रीय शोक से उबर गए हैं परन्तु अपने बाबा रामदेव तो अभी तक उस सदमे से उबर नहीं पाए हैं. मैंने सुना की कल उन्होंने घोषणा की थी की वो एक अस्त्र और शास्त्र से सुसज्जित सेना का गठन करेंगे और आज इस बात का खंडन कर दिया .
आप शादी में भी हो आये और आँखों देखा हाल भी सुना दिया सबको... इससे अच्छा क्या हो सकता है!
जवाब देंहटाएंपञ्च = पांच
जवाब देंहटाएंशादी के बाद बधाई / आशीष दे चुका हूँ , युवा ब्लॉगर मिथिलेश को , आज पुनः भेज रहा हूँ , पोस्ट-टीप के रूप में ! अब विवाहोपरांत की मेच्योरिटी/खुशहाली इस युवा ब्लॉगर की लेखनी में सुगंध भर देगी ! आमीन !!
जवाब देंहटाएंडॉ अमर कुमारजी की कही (टिपण्णी )बढ़ी भली लगी -"और इसमें नाऊ का हिस्सा "बड़ी दक्षिणा लिए बिना ट्रे नहीं ।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पढके .इस प्रकार की रसिक चुटकियाँ अब कम ही पढने को मिलतीं हैं
शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएं@वीरुभाई,
जवाब देंहटाएंआजकल के शहरी छोकरे भी गजब के लंठ होते हैं -यह भी कोई बात हुयी कि 'पेमेंट कहाँ करना है ? " हा हा हा
@प्रवीण शाह जी ,
दुरुस्त फरमाया आपने ,चाहता तो मैं वही हूँ -मगर लोगों को अहंकार,दिखावा न लगे इसलिए निर्विकार होकर स्वीकार करता हूँ -मगर आगे से देखता हूँ !
@अभिषेक जी ,देखिये आपकी बात यानी बाल योगी की बात सच हो गयी -पांच पीढियां ही थी शादी में ....वृथा न जाय देव ऋषि वाणी !
@देवेन्द्र जी ,
आगे से ध्यान रखेगें !
@डॉ.अमर कुमार ,
वाह साब खूब बिना उपस्थिति के ही हिस्सा -ये आज के नाऊ भी खूब हैं !
नवदंपत्ति को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें....
जवाब देंहटाएंjai baba banaras.......
मिथिलेश की शादी के बारे में विस्तार से पढकर अच्छा लगा .. नवविवाहित युगल को मेरी ओर से बधाई और शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबधाई मिथिलेश को बाड के पार से बाडे के अन्दर की जमात में शामिल होने के लिये .
जवाब देंहटाएंअच्छा लगता है आपको पढ़ना .....सादर!
जवाब देंहटाएंसमझ गए भैया :)
जवाब देंहटाएंमिथिलेश जी को बधाई। अच्छा है छोटी उम्र में शादी हो गई तो वे भी अपने पढ्पौत्र की शादी देखना का सुंदर अवसर प्राप्त कर सकते है। जो भाई लोग लेट मैरेज की बात करते हैं वो यह भूल जाते हैं कि अपने बुढ़ती समय में छोटे-छोटे बच्चों को देख कर उनपर क्या बीतती है :)
जवाब देंहटाएंमै इस पोस्ट का इंतज़ार ही कर रही थी,मै और मेरा कंप्यूटर दोनों बीमार होने की वजह से ये खबर मै नहीं दे पाई (मै वहां नहीं थी पर खबर मिल गई थी खुद मिथिलेश से )आपका आभार ...
जवाब देंहटाएंवरवधू को सस्नेह शुभकामनायें ......
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद शादी मे घुमाने के लिए
नव वर-वधु को शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंहमसे बड़ी चूक हो गयी वहां पहुंचना ज़रूर चाहिए था हालात और कारण जो भी हों पर दोष खुद को ही दे रहे हैं :( देखें त्रुटि सुधार कैसे हो पायेगा ?
जवाब देंहटाएंचि.मिथिलेश जी और सौ.सुमन को सुखमय जीवन की अनंत शुभकामनायें ! अशेष आशीष !
श्रृंगारिक टच दे दिया है आपने..गज़ब अन्दाज़..
जवाब देंहटाएंमेरी तरफ से भी नव वर-वधू को बधाई।
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