आज अल्लसुबह उन्होंने फोन किया और अपने कैशोर्य उत्साह से भरे स्वरों में उद्घोषणा की कि मुझे जल्दी ही एक बरात करने का सुअवसर मिलेगा ..मैं सुनकर सहसा स्तब्ध रह गया -१९ -२० वर्ष भी क्या शादी की कोई उम्र होती है? अभी तो खेलने खाने का दिन है ,समाज के तजुर्बे बटोरने का दिन है ...वैसे भी उन्नीस बीस साल के लड़के अमूमन होते बकलोल ही हैं; हाँ इत्ती उम्र की लडकियां शादी की बात करें तो ठीक भी है -वे इस उम्र में भी भावनात्मक रूप से परिपक्व और विवेकपूर्ण निर्णयों को लेने में थोडा बेहतर हो चुकी रहती हैं -ज्यादा परिपक्व होती हैं ...शादी व्याह का मामला बड़ा नाजुक होता है कई सामाजिक पारिवारिक पहलू इससे जुड़े रहते हैं -और इन विषयों में कोई फाईनल बात कर पाना हमेशा दुरूह होता है -मैंने पहले भी इस मामले में कुछ कहा है ..
अब उन्होंने मुझे बरात में चलने को आमत्रित किया है और यह भी कहा कि फलाने तो यह सुन कर झूम गए हैं और व्यग्रता के साथ उस मुहूर्त का इंतजार भी कर रहे हैं ...मैं अब कैसे बताऊँ कि समाजिकता के गहरे तकाजे के बावजूद भी मुझे शादी बिआह में शरीक होने का शौक नहीं है और अगर बड़े बुजुर्गों का दबाव न रहा होता तो शायद खुद की भी शादी में भी न गया होता ...मुझे शादी व्याह के अवसर का दिखावापन ,व्यर्थ की फिजूलखर्ची और झूठी शान शौकत से सख्त चिढ है -लोग बाग़ अपने जीवन की गाढ़ी कमाई व्यर्थ के आडम्बरों में फूक देते हैं कई बार तो कर्ज लेकर भी ....उत्सवों को सुरुचिपूर्ण तरीकों से मनाये जाने का भी सऊर लोगों को सीखना चाहिए -कई बार लडकी वाला बिचारा बेबस हो हाथ जोड़े वर पक्ष की उल जलूल हरकतों को मानता और जी हुजूरी में जुटा रहता है ...और कभी कभार धूर्त लडकी वाले भी वर पक्ष को झान्से में रखकर ,सब्जबाग दिखाकर अपनी बेटी का जीवन ही दांव पर लगा देते हैं -उनका सिद्धांत रहता है-'भयल बिआह मोर करब का ? ' मतलब एक बार शादी किसी तरह निपट जाय ,फिर क्या होना है ? मुझे लगता है कि कई बार ऐसी धोखाधड़ी और झूठ की बुनियाद बहुत गहरे दुष्परिणाम लेकर आते हैं ...दहेज़ हत्याएं भी! झेलना बिचारी लडकी को पड़ता है -ऐसे अनुभवों ने मुझमें शादी व्याह के पारम्परिक आयोजनों के प्रति एक चिढ सी उत्पन्न कर दी है ...बहरहाल ..
बात शादी की उम्र और औचित्य को लेकर हो रही थी ....सभी को शादी की अनिवार्यता हो ही यह कोई जरुरी नहीं -मगर वो कहते हैं कि यह एक वह गुड़ है जो खाए वह पछताए और जो न खाये वह भी पछताये -कम उम्र की तयशुदा शादियों के कई सामाजिक कारण हो सकते हैं मगर इसमें निश्चय ही भावी वर वधु के विवेकपूर्ण निर्णय का पहलू गौड़ रहता है ....उनकी उम्र ही शायद विवेकपूर्ण निर्णय लेने की नहीं रहती तभी वे व्याह दिए जाते हैं -लड़कियों को एक सपनीले संसार का राजकुमार अपनी सम्मोहक दुनिया में आने का आमंत्रण देता हुआ लगता है तो ज्यादातर कमतर युवाओं को यौन फंतासियां लुभाती हुई लगती हैं और वह चुप रहकर भी अपनी सहमति दे देता है ....और यह सपनीला संसार जीवन के पथरीले यथार्थों से जल्द ही टकरा कर बिखरने लगता है -मैंने कितनी ही सुन्दर रूपवती लड़कियों को देखा है जो कम उम्र में व्याह दिए जाने के कारण ,जीवन के ठोस यथार्थों से मुठभेड़ के कारण एक दो वर्ष में ही कांतिहीन हो जाती हैं ...इसलिए भी मैंने मित्र ब्लॉगर को अभी शादी न करने की सलाह दी -वे खुद ही नहीं एक और जिन्दगी को भी तबाह करने के मुहाने तक आ गए हैं!
उनका कहना है कि दरअसल यह उनका प्रेम विवाह कम अरेंज मैरेज है ...जबकि जनाब खुद अभी ठोस आर्थिक धरातल नहीं पा सके हैं -मैंने पूछा शादी की इतनी जल्दी भी क्या है ? तो उनका कहना है की लडकी वाले नहीं मान रहे हैं...कहते हैं शादी अभी करिए विदाई साल दो साल बाद हो जायेगी ..लडकी वालों की व्यग्रता समझी जा सकती है और वे भी लडकी को शुभस्य शीघ्रम की आड़ में जल्दी निपटाना चाहते हैं बिना यह देखे कि ब्लॉगर लड़के की आर्थिक स्थिति अभी मजबूत नहीं है ....मैंने मित्र ब्लॉगर को काफी उंच नीच समझाया भी मगर वे तो कृत संकल्पित हो रहे हैं -मैंने उनका ध्यान विकर्षित करने के लिए वह बात भी बतायी जो कभी हमारे एक प्रोफ़ेसर ने समझायी थी -मगर जीवन भर का मलाल यह कि शादी के बाद समझायी -वह मूल मन्त्र था "जब फुटकर दूध सहज ही सुलभ हो तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना " प्रोफ़ेसर साहब आजीवन ब्रह्मचारी हैं और आज भी खुद गायों का दूध लेने दूर तक जाते हैं -जीवन के ७८ वे बसंत का सामना इस वर्ष करेगें. हेल हार्टी हैं ,चेहरे पर कान्ति है और अपनी क्षेत्र के मानेजाने विद्वान् भी ...कितने कुंवारों ने भारतीय मनीषा को समृद्ध किया है -एक अपने हर दिल अजीज सदाबहार अटल जी ही हैं जिन्होंने अगर शादी की होती तो राष्ट्र की ,आम जन की इतनी सेवा नहीं कर पाते ,इतनी सुन्दर कवितायें न रच पाते!
पता नहीं कितने लोग मेरी इस बात से इत्तिफाक रखेगें कि शादी मनुष्य की बौद्धिक संभावनाओं पर निश्चय ही विराम लगाती है -तुलसी रत्नावली से विरत होकर ही तुलसी हुए ....कितने महापुरुष हुए हैं जो आजीवन ब्रह्मचारी रहे ....या तलाकशुदा /परित्यक्ता ...जिन्होंने जीवन का लगभग सभी अभीष्ट पूरा किया -पुरुषार्थों की प्राप्ति की ....जो वे शादी शुदा रहकर निश्चय ही नहीं कर पाते ....अब पता नहीं मेरा यह प्रवचन मेरे मित्र को रास आया कि नहीं -अब इसके बाद भी मुझे उनके विवाह में जाना पड़ा तो बताईये मुझे कैसा लगेगा ?
नोट:इस पोस्ट में कुछ बातें महज निर्मल हास्य के लिए भी हैं!
Use samjhana aapne farz samajha!Ab aage uskee wo jane! Aap kya kar sakte hain?
जवाब देंहटाएंशादी के बाद ही जीवन का यथार्थ समझ आता है..... शायद इसीलिए कोई समझाइश काम नहीं कर पाती ..... वैवाहिक जीवन के कई पक्षों का उत्कृष्ट विवेचन कर दिया आपने इस बहाने ...... अच्छा लगा पढ़कर
जवाब देंहटाएंजरूर जाइए, आशीर्वाद दीजिए, आपके आशीर्वचन फलीभूत हों.
जवाब देंहटाएं(शादियां तो अरेंज्ड ही होती है- पैरेन्ट्स अरेंज या सेल्फ अरेंज.)
जल्दी शादी के तो हम भी खिलाफ हैं पर ये बंधु सब कुछ सोच समझ कर ही यह निर्णय ले रहे होंगे इसलिए आप भी सारी शंकाएँ दिमाग से निकालिए और वर वधू को आशीर्वाद देकर अनुगृहित कीजिए।
जवाब देंहटाएंप्रणाम
वैवाहिक जीवन की जटिल और दुर्गम राहों पर चलने के लिए २० साल की कच्ची उम्र तो ना ही शारीरिक रूप से ना ही वैधानिक रूप से सही है . उम्मीद है आपके मित्र आपकी बातों को सही परिप्रेक्ष्य में लेंगे फिर भी उनको मेरी शुभकामनाये . . शादी भले ना हो लेकिन muse वाली बात तो थी ना कही ना कही आपके द्वारा बताये गए विभूतियों के जीवन में .
जवाब देंहटाएं@ "जब किराए पर दूध सहज ही सुलभ है तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना " प्रोफ़ेसर साहब आजीवन ब्रह्मचारी हैं और आज भी खुद गायों का दूध लेने दूर तक जाते हैं
जवाब देंहटाएंलेकिन जिन गायों का दूध वह लेते होंगे खरीद कर ही सही.... वो तो कहीं न कहीं बांधी जाती होंगी :)
@ शादी मनुष्य की बौद्धिक संभावनाओं पर निश्चय ही विराम लगाती है -
मैं इससे सहमत नहीं हूं :)
सुना है वह लोग ज्यादा बौद्धिक और महान माने जाते हैं जिनकी दो चार बीवीयां हों :)
आप इतिहास उठा कर देख लिजिए...रामायण - महाभारत काल देख लिजिए या फिर लेखन - फिल्म काल देख लिजिए...जावेद अख़्तर,धर्मवीर भारती, उदित नारायण, राजनीति में भूतपूर्व झारखण्ड के मुख्यमंत्री मि. कोडा .....शशि थरूर..... ऐसे तमाम गिनते चले जाइये :)
@ सभी को शादी की अनिवार्यता हो ही यह कोई जरुरी नहीं
मैं इसे नहीं मानता....मेरे हिसाब से शादी बहुत जरूरी है।
बकौल गिरिजेश राव ( 4-5 month old Chat discussion ) - वह बहुत बड़ा नारीवादी होगा जिसने कि विवाह संस्था की स्थापना की होगी ।
और हां...पोस्ट का विषय एकदम मस्त है....विमर्श के ढेरों मुद्दे हैं इस पोस्ट में।
"जब किराए पर दूध सहज ही सुलभ है तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना "
जवाब देंहटाएंवाह !बड़ी लम्बी छोड़ दी सर आपने तो ! काफी देर लगी नाक को सूंघकर समझने में :)
bakloli hee lag rahi hai!
जवाब देंहटाएंजाईये ओर उस छोरे को आशिर्वाद देते समय यह उपदेश भी जरुर देवे की बाबली बुच..."जब किराए पर दूध सहज ही सुलभ है तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना "
जवाब देंहटाएंधन्य हे जी :)
उस शादी का एक फायदा यह भी तो है कि आपकी इतनी झकास पोस्ट तैयार हो गयी।:)
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
@ "जब किराए पर दूध सहज ही सुलभ है तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना "
जवाब देंहटाएंप्रागैतिहासिक काल में गाय/भैस निर्खूंट ही होती थी।
यह खूँट (कु)प्रथा बाद में कभी उत्पन्न हुई। गाय को हस्तांतरित करते समय रस्सी पकडाने का टोटका, मालिक-प्रधानता की उपज है। खूँट प्रथा को समूल नष्ट किया जाना चाहिए, यह कुप्रथा प्रकृतिक नहीं है। जगत की सारी रस्सीयों को जला देना चाहिए। और खूँटे बने ऐसे पेडों को उगने से रोक देना चाहिए।(व्यंग्य)
@satish ji ,
जवाब देंहटाएंआपके सभी रोल माडल सहज वैवाहिकता के उदाहरण नहीं हैं -इन सभी में वैवाहिक अपरुप्तायें हैं -स्थापित सामाजिकता से कुछ पृथक -बहुविवाह भी मनुष्य की अजस्र ऊर्जिता को उद्दीपित कर सकता है -है या नहीं ?
यही तो जीवन है......
जवाब देंहटाएंअब वो मानने वाला नहीं है ...
जवाब देंहटाएंजिसको प्रभु दारुण दुख दीना
वाकी मति पहले हरि लीन्हा
:)
विवाह में तो चले ही जाओ ...हर परिवार और व्यक्ति की अपनी सोंच है क्या कर पायेंगे ! लड्डू खाइए और आशीर्वाद दीजिये देव !
जवाब देंहटाएं:-))
जहां तक मुझे स्मरण है मैं उन्हें शुभकामनायें दे चुका हूं :)
जवाब देंहटाएंबन्दा बालिग है और फिर प्रेम के साथ अरेंज विवाह का मतलब है कि उभयपक्ष के अभिभावकगण भी सम्बन्ध के 'आगा पीछा' से सहमत होंगे , इन हालात में आप दिल दुखाऊ पोस्ट डालने के बजाये आशीष दे डालते तो बेहतर होता :)
यदि लड़का 21 वर्ष से कम उम्र का है तो यह विवाह अवैध होगा। इसे कोई भी पुलिस को अदालत को शिकायत कर रुकवा सकता है।
जवाब देंहटाएंहा हा.
जवाब देंहटाएंहमें तो लगा कि आपने ब्लोगरों की शादी तय कराने का काम चालु कर दिया :)
वकील साहब ने नोटिस जारी कर दी। अच्छा है आपने टीनेजर ब्लॉगर का नाम नहीं लिखा। सही पूछिए तो शादी की यही उम्र सही होती है। एक तो प्रेम विवाह ऊपर से माता-पिता का आशीर्वाद भी प्राप्त हो तो क्या पूछना ! सोने में सुहागा।
जवाब देंहटाएं"जब फुटकर दूध सहज ही सुलभ हो तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना ....शादी के मौके पर यह द्विअर्थी संवाद बड़े काम का है। ब्रह्मचारी और कहे भी तो क्या कहे! मगर नीजी गाय के दूध का मजा ही कुछ और है।
....चलिए ब्लॉगर का नाम न सही यह तो बता दीजिए कि आपको शादी में जाना कहाँ है ? हमारा शुभ आशीष भी आपके साथ-साथ पहुँचे।
@देवेन्द्र जी ,आपको भी पकड़ के ले चलेगें -ऐसा पीछा नहीं छूटेगा
जवाब देंहटाएंमिश्र जी,
जवाब देंहटाएंजब मेरा विवाह हुआ था तो एक अनुभवी मित्र ने सलाह दी थी की बेटा, बाप बनाने की जल्दी मत करना. कम से कम एक दो वर्ष तो वैवाहिक सुख भोगना और उसके बाद ही गृहस्थी के चक्कर में उलझना . तब मुझे विवाह और गृहस्थी का अंतर नहीं समझ आया था. परन्तु जब विवाह के एक वर्ष के भीतर ही बाप बन गया और वैवाहिक सुख जाता रहा तो अनुभवी मित्र की सलाह समझ आयी. आप भी यही सलाह विवाह बंधन में बंधने जा रहे युवा ब्लॉगर दें, बाकि भली करेंगे राम.
"जब फुटकर दूध सहज ही सुलभ हो तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना " is विषय में कहना चाहूँगा की ख़रीदा गया दूध शुद्ध नहीं होता. गुजरों के गावं में रहता हूँ. ये लोग भैंस के दूध में पानी मिलकर उसे गाय का दूध बना देते हैं.
नोट : मेरे उपरोक्त विचार आपके लेख को पढ़ कर ही उत्पन्न हुए हैं जिन्हें मैं "तेरा तुझको अर्पण" वाली तर्ज पर यहाँ टिपण्णी रूप में दर्ज कर रहा हूँ. इस टिपण्णी के पीछे कोई अन्य छिपा हुआ मंतव्य नहीं है. आप इसे उधार में दी गयी टिपण्णी समझ कर प्रतिउत्तर में मेरे ब्लॉग पर टिपण्णी करने के लिए बाध्य नहीं हैं.
सतीश पंचम जी से मैं सहमत नहीं हूँ. सिर्फ उदाहरण पर्याप्त नहीं होते किसी भी इतने व्यापक निष्कर्ष के लिए.
जवाब देंहटाएंशादी तो वैसे भी गैर-कानूनी है २१ साल से पहले....ये बात भी समझा दीजिये...
पता नहीं....शादी ना करके ज्यादा सफल होते हैं लोग...मालूम नहीं....कहने वाले तो ये भी कहते हैं....की सफल इंसान के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है....."ना जाने उन हाथों ने ऐसा क्या किया होता है कि वो सफल हो जाता है....वैसे ये हाथ जरूरी नहीं की पत्नी या महिला मित्र के ही हों."
वैसे आइन्स्टीन का वैवाहिक जीवन भी बहुत खराब था...
जवाब देंहटाएंसुनहरा सूत्र तो यही सुना था कि,
देर से शादी समय से बच्चा
लेकिन आपके लिखे अनुसार लगता है
जल्दबाजी में शादी को बिरझा है बच्चा
अल्लाह जाने क्या होगा आगे
बकिया सतीश पँचम जी की टिप्पणी के हर बिन्दु से मेरी भी सहमति समझियेगा !
जब 18 में नेता चुन सकता है तो दुल्हन क्यों नहीं।
जवाब देंहटाएंअब जाने से पहले दिनेश राय द्विवेदी जी की टिप्पणी को दुबारा पढ़ लेना ! शुभकामनायें!!
जवाब देंहटाएंपंडित जी!
जवाब देंहटाएंएक बेटे को माँ का ख़त मिला, जिसमें माँ ने किसी लड़की के रूप, गुण का बखान कर अंत में उससे शादी तय किये जाने की बात लिखी थी और जल्दी घर आने का आदेश दिया था... महत्वपूर्ण था वो फुट्नोट जो ख़त के अंत में बहुत जल्दबाज़ी में लिखा गया था... तेरी अम्मा बगल के कमरे में लिफ़ाफा चिपकाने के लिये गोंद लाने गई हैं, मेरी मान तो बचने का उपाय कर ले...तुम्हारा बापू!!
आपने भी इसी बापू की भूमिका इस पोस्ट द्वारा निभा दी.. मगर जब बकरा ख़ुद क़ुर्बानी के लिये तैयार बैठा है तो भोज की तैयारी करिये!! (अली सा ने स्पष्ट कर दिया है कि बकरा.. सॉरी ब्लॉगर बालिग है, लिहाजा उम्र का कंफ्युज़न दूर माना जाए)..
मैं तो निमंत्रण का इंतजार कर रहा हूं। शुभकामनाएं सीधे ही दूंगा। आपने तो बहाने से एक पोस्ट तैयार कर ली। लगे हाथ सलाह का प्रसाद भी बांट दिया।
जवाब देंहटाएंकुछ निर्मल हास्य है और बाकी जीवन की कड़वी सच्चाईयां। संपूर्ण रस भी दे देते तो अच्छा था। हम तो टिप्पणी देकर ही काम चलायेंगे। नाम का जिक्र भी कर देते तो उस बालिग ब्लॉगर को अच्छा लगता।
अरविंद जी,
जवाब देंहटाएंबहुविवाह जहां भी होंगे (at least in modern era) अपने साथ कुछ न कुछ अपरूपताओं को नत्थी किये ही रहेंगे , इसमें अपवाद भी हो सकते हैं, (मसलन पति या पत्नी की दुर्घटना या किसी और वजह से हमेशा के लिये बिछड़ना आदि)
यहां जो नाम मैने गिनाये हैं वो तुरंता नाम हैं जो जेहन में आते गये लिखते गया...लेकिन इस एंगल से भी मैंने कभी सोचा था कि क्या कारण है जो कि ढेर सारे लेखकों की, कलाकारों की किसी न किसी वजह से दूसरी शादी हुई है, वो क्या परिस्थितियां रही होंगी जो उन्हें ऐसा करने के लिये मजबूर करती होंगी।
यह बहुविवाह वाला विषय बहुत गहन है और विस्तृत बहस चाहता है और ऐसी बहसों में पड़ने से मैं हमेशा किनारा करता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि फिलहाल ब्लॉगिंग में लिख भर लेने का समय निकाल ले जाउं वही मेरे लिये बहुत है :)
@ढेर सारे लेखकों की, कलाकारों की किसी न किसी वजह से दूसरी शादी हुई है, वो क्या परिस्थितियां रही होंगी जो उन्हें ऐसा करने के लिये मजबूर करती होंगी।
जवाब देंहटाएंसतीश भाई इसमें वैज्ञानिकों की जमात को भी जोड़ लीजिये -मेरे करीब आधे दर्जन वैज्ञानिक दोस्त हैं जिन्होंने दो शादियाँ की है और उनकी किस्मत से रश्क होता है :)
कभी कभी सहानुभूति भी !
अइसे थोड़ों न चले कि केवल सहानुभूति जताय के आप रहि जांय, जब तक ओकर अनुभव न लिहल जाय लिखे से बतिया में वजन न आए :)
जवाब देंहटाएंतनिक घर पर बात चलाइये कि आप दूसरा बियाह करने जा रहे हैं....तब देखिए मजा :)
मैने तो दूसरा विवाह करने के नाम पर एक पोस्ट भी लिख डाली थी वो तो समय रहते संभल गया वरना अब तक मैं भी इन विभूतियों में शामिल हो गया होता :)
ये रहा लिंक -
http://safedghar.blogspot.com/2010/08/blog-post_08.html
@सतीश भाई ,
जवाब देंहटाएंमैंने पढी थी यह पोस्ट -
मुला जवाब यही है -जब फुटकर में दूध ...फिर दूसरी क्यों बांधी जाय !
अगर आप बार बार एक ही गलती करते जाते हैं तो समझिये आप उसी के ही काबिल हैं !
@ अगर आप बार बार एक ही गलती करते जाते हैं तो समझिये आप उसी के ही काबिल हैं !
जवाब देंहटाएंये तो मानी हुई बात है....इसमें कोई दो राय नहीं।
वैवाहिक जीवन के कई पक्षों का उत्कृष्ट विवेचन ...Thanks .
जवाब देंहटाएं१)वैसे भी उन्नीस बीस साल के लड़के अमूमन होते बकलोल ही हैं; हाँ इत्ती उम्र की लडकियां शादी की बात करें तो ठीक भी है -वे इस उम्र में भी भावनात्मक रूप से परिपक्व और विवेकपूर्ण निर्णयों को लेने में थोडा बेहतर हो चुकी रहती हैं -ज्यादा परिपक्व होती हैं .
जवाब देंहटाएं२)शादी मनुष्य की बौद्धिक संभावनाओं पर निश्चय ही विराम लगाती है .....
कमाल का एनालेसिस है ....अलबत्ता असल जिंदगी वैसा रिफ्लेक्ट नहीं करती ...खैर
@ "जब किराए पर दूध सहज ही सुलभ है तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना "
जवाब देंहटाएंकाश! यह दिव्य ज्ञान पहले मिल जाता तो कोल्हू में नहीं पेराते। मार्केट वेल्यु बनी रहती।
एक नम्बर पोस्ट के लिए आभार
pasand to khair vyaktigat hi hota hai
जवाब देंहटाएं......lekin 'kiraye ke doodh me milavat' ka sandeh bana rahta hai....
jahan tak 'anpi bhainsh' ki baat hai
.......'doodh' bhale hee kam de.....
parantu milavat ka dar nahi hota.....
"mai to yahi kahoonga ..... bachhe ko
doodh dena agar jaroori hi hai.....to
'bhainsh' pal le.....
pranam.
Sani Singh Chandel
जवाब देंहटाएंVaah shree man ham aapki bato se puri tarah se sahmat hai bhale hi kuch logo ko aapki kuch bate pasand na aati ho.
Aapka ye kahna ki shadi me aadambar dikhana, befijuli kharcha karnaa bahut sahi hai, jo imandar aadmi kamata hai usase punchiye ki uski halat kya hoti hai lekin sabse main baat ye ki yadi kuch rupaye vyavastha ke liye kam pad jaye to jo badnami hoti hai ki punchiye mat. Ab tak jo vah vahi mil rahi the ab log ladki paksh ko kosane lagte hai.
vaise aap ke lekh vakai me bahut achche hai jinka samaj se gahra judav hota hai, bas jarurat hai use sabhi ko amal me lane ki.
Thank U
Sani singh Chandel, Allahabad.
Dr.Anurag,
जवाब देंहटाएंअगर ऐसा रिफ्लेक्ट नहीं होता तो आप सचमुच बहुत अलग है!:)
अपनी अपनी डफली अपना अपना अपना राग ...
जवाब देंहटाएंमिया बीबी राजी तो क्या करेगा क़ाज़ी !
जब किराए पर दूध सहज ही सुलभ है तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना
जवाब देंहटाएंThe above advice given to boy of your son's age and most of the bloggers apriciated this advice.
If girl of your daughter's come for advice are you going to advice her " if saand are freely available on the roads of Banaras then what's the need of spending money and getting married to only one"
मियाँ बीवी राज़ी तो क्या करेगा गाज़ी?
जवाब देंहटाएंवैसे पांडे जी की टिप्पणी पर गौर किया जाये - जब 18 साल का किशोर फौज़ में भर्ती हो सकता है, वोट दे सकता है तो शादी क्यों नहीं कर सकता भला? ऐसी बेतुकी कानूनी विसंगति इसलिये है कि कानून बनाने वाले भारत के समाज और इसकी परम्पराओं से कटे बैठे हैं। सैकडों बेतुके कानूनों में आज बदलाव की ज़रूरत है।
@Anom,
जवाब देंहटाएंquite logical,but it depends...
..but why an obsession with Benarasi bulls only? you mean they are better one ?
बहुत ही सुन्दर वैवाहिक जीवन के कई पक्षों का उत्कृष्ट विवेचन ।
जवाब देंहटाएंकभी समय मिले तोhttp://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपनी एक नज़र डालें
कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये.
अरविंद जी मै समझ गयी आप किस ब्लागर की बात कर रहे हैं अब छोडिये भी बस उसे आशीर्वाद दे डालिये झट से। आपकी पोस्ट पढ कर और दिवेदी जी का कमेन्ट पढ कर बेचारे का उत्साह आधा तो जाता ही रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
.
"जब फुटकर दूध सहज ही सुलभ हो तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना "
देव,
पोस्ट अच्छी है पर अपन तो इसी कथन पर अटक गये... यह एक mcp सोच से उपजा कमेंट है...
आप क्या इससे सहमत हैं ? क्या यह कथन अन्य सम्मानित पाठकगणों को असहज नहीं करता ?
मुझे सभी के उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी...
...
आज तो दूध की भी कई वेराइटी है तो एक ही गाय से क्यों बंधे रहें :)
जवाब देंहटाएं...समय रहते कर लेनी चाहिये.
जवाब देंहटाएंशादी का जौश-ए-जुनून किसी भी पक्ष के लिये किसी भी समझाईश से बाहर की ही बात है ।
जवाब देंहटाएं@प्रवीण शाह जी ,
जवाब देंहटाएंयह कमेन्ट आपको असहज कर गया यह तो आश्चर्य की बात है !
वैसे मैंने नोट में यह बात कह दी थी किर यहाँ कुछ निर्मल हास्य भी है ....
अब स्प्वायल स्पोर्ट तो मत किया करिए देव !
आपके ब्लॉग में कमेंट पढ़ने के लिए दुबारा जरूर आना चाहिए।
जवाब देंहटाएंदूध तो दूध नीजी गाय का गोबर भी काम भी बड़े काम का होता है।
उस शादी का एक फायदा यह भी तो है कि आपकी इतनी बढ़िया पोस्ट तैयार हो गयी|
जवाब देंहटाएंप्रोफ़ेसर साहब की सलाह से धुर स्वार्थ और बनियागीरी की बू आती है।
जवाब देंहटाएंपैसे से फुटकर दूध तो खरीदा जा सकता है लेकिन दांपत्य का सुख नहीं; क्योंकि यह रिटेल सेक्टर में नहीं आता। पूरा पैकेज लेना पड़ता है। :)
आपकी पोस्ट को निर्मल हास्य के भीतर ही पढ़ा जाय तो अच्छा है नहीं तो बातें बड़ी भयंकर अर्थ रखती हैं।
@सिद्धार्थ जी ,
जवाब देंहटाएंकह ही दिया है कुछ तो निर्मल हास्य ही है
"जब फुटकर दूध सहज ही सुलभ हो तो फिर किसी गाय /भैंस को खूंटे से क्या बाँध कर रखना " - इस महानात्मा के और प्रवचनों के श्रवण का सुअवसर काश मुझे भी प्राप्त हो पता. :-)
जवाब देंहटाएंऔर अटल जी की भी तो प्रसिद्ध उक्ति थी ही कि "वो कुंवारे हैं मगर ब्रह्मचारी नहीं हैं."
हाँ मगर निश्चित रूप से बिना परिपक्वता और आर्थिक सुदृढता के शादी तो नहीं ही की जानी चाहिए.