चिकित्सक तो इसका प्रयोग पहले से ही करते रहे हैं मगर अब यह सर्वसुलभ हो चला है और बड़े काम की चीज है .इधर अनेक संक्रामक बीमारियों का दौर दौरा है जिसमें छुआछूत से और हाथों में संक्रमण से महामारियों के फैलने का भी अंदेशा बढ़ता गया है . सुअरा (स्वायिन फ़्लू ) का संक्रमण जब था तो हाथों को कई बार साफ़ रखने की हिदायत दी जा रही थी -डायरिया जैसी बीमारियाँ भी हांथों की गंदगी -जीवाणुओं के सम्पर्क से फैलने की संभावना रहती है क्योकि हाथों का सम्पर्क मुंह और नाक से होता ही रहता है ...अब हाथों को विषाणु मुक्त रखने के के लिए बाजार में कई बहुराष्ट्रीय और देशी कम्पनियों ने हैण्ड सैनिटायिज़र उतार दिया है जिसमें अमूमन एथेनाल अल्कोहल होता है जिसका गुण है कि यह ९९.९९९ प्रतिशत तक जीवाणुओं का सफाया कर देता है ...एक मिनट के भीतर ....बशर्ते आप जिस हैण्ड सैनिटायिज़र का इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें एथेनाल की सांद्रता ६० फीसदी के ऊपर हो ...
यह अमेरिकी ब्रैंड मेरे उपयोग में है मगर यहाँ उपलब्ध नहीं है
इन दिनों सैनिटायिज़र का प्रयोग साबुन से हाथ धोने के विकल्प में प्रचलन में है ..मैंने अभी गोदरेज और लायिफबाय द्वारा लांच किये इस प्रोडक्ट को खरीदा है ...जिसकी कीमत ६० रूपये के आस पास है और इस्तेमाल के समय बस चन्द बूंदे हथेली पर लेकर पूरे हथेली के आगे पीछे मल लेना होता है ..साबुन पानी से फुरसत ...ये छोटी शीशियों में हैं अतः आवश्यकतानुसार साथ में बाहर रहने के समय भी रखी जा सकती हैं -अगर आप किसी बीमार को अस्पताल देखने जा रहे हों और उसकी तीमारदारी में लगे हों तो यह काम की चीज है ....अल्कोहल युक्त सैनीटायिज़र ज्यादातर जीवाणु (बैक्टेरिया ) ,फफूंद और कुछ विषाणुओं (वाईरस ) का सफाया कर देने में सक्षम हैं ..हाँ अगर हाथ बहुत गंदे हों तो साबुन पानी का इस्तेमाल जरूरी है और फिर सैनीटायिज़र का इस्तेमाल भी कर सकते हैं .इस्तेमाल के विस्तृत तरीके को यहाँ से देख सकते हैं जिसमें नाखूनों ,उँगलियों के पोरों तक इसे ठीक तरह से मलने की सिफारिश की गयी है -यह वास्तव में बहुत सहज और आसान है.
एक सवाल यह भी है कि मुसलमान भाई सेहत के इस नायाब नुस्खे का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं क्योंकि इसका मुख्य घटक ही अल्कोहल है जो इस्लाम में हराम -वर्जित है.मगर इस बिंदु पर इस्लामी विद्वानों का मानना है कि एक दवा के रूप में यह वस्तुतः हलाल है मतलब इसका इस्तेमाल कर सकते हैं .मुस्लिम काउन्सिल आफ ब्रिटेन का भी यही कहना है .वैसे अध्ययन भी यही बताते हैं कि हाथों में प्रयोग के बाद इसका अधिकाँश भाग अवशोषित नहीं होता बल्कि हवा में उड़ जाता है और इसका असर शरीर के अंदरूनी हिस्से तक नहीं होता ....और नशा उत्पन्न करने की कोई समस्या तो है ही नहीं ...
यह कंज्यूमर स्टोरों पर उपलब्ध है
एक अच्छी बात और है कि यह एन्टीबायोटिक औषधियों के प्रति असहिष्णु (रेजिस्टेंट ) हो चुके जीवाणुओं और टी बी के जीवाणुओं पर भी समान रूप से कारगर है -मतलब इनका सफाया करके न रहेगा बांस न बसेगी बासुरी जैसी उपयोगिता भी इसने ऐसे जीवाणुओं के मामले में साबित किया है .फ़्लू ,कामन कोल्ड ,एच आई वी के जीवाणुओं पर तो कारगर है ही .यद्यपि इनमें से कई विषाणु जब तक फेफड़े में नहीं पहुँचते रोगकारक नहीं होते .....हाँ रैबीज विषाणुओं पर यह उतना कारगर नहीं है .
यह तो अभी अभी खरीदा है ..
इसके इस्तेमाल में सावधानी यह होनी चाहिए कि आग का स्रोत निकट न हो ..और इसके उड़ जाने के बाद ही माचिस की तीली आदि जलाई जाय ..यह बहुत ही ज्वलनशील है और समीपस्थ आग की लौ इसे ज्वलनशील कर सकती है ...बच्चों की पहुँच से इसे दूर होना चाहिए.. यह केवल बाह्य उपयोग के लिए है ....जख्म जले कटे पर इस्तेमाल वर्जित है ..मुंह से गरारे के लिए भी वर्जित है ...बच्चे इसका इस्तेमाल बड़ों की देखरेख में करें .. अमेरिका में अकेले २००६ में ही जब इसका प्रचलन बढ़ा था तो १२००० लोग इसे पीने की गलती कर गए जिसमें बच्चों की बड़ी तादाद थी ....यह बच्चों के लिए विषाक्त है .बाजार में अब सहजता से उपलब्ध होने के कारण यह दवाओं की ओवर द काउंटर (ओ टी सी ) श्रेणी में है .
आप के लिए सिफारिश करता हूँ ...
बहुत बढिया जानकारी…………आभार्।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया इस जानकारी के लिये , मेरे दादा जी कहा करते थे बेटा , शेव के लिए टोपाज ब्लेड और नहाने के लिए लाइफ़्बौय , बस ! आज तक उन्ही के बताये पदचिन्हों पर चल रहा हूँ ! :) वैसे अगर यह अमेरिकी प्रोडक्ट आसाने से उपलब्ध न हो तो वास बेसिन पर डिटोल लिक्विड भी उत्तम है हाथों के लिए !
जवाब देंहटाएंउपयोग किया है पर बिना पानी के वह बात नहीं आती है।
जवाब देंहटाएंहां इसका उपयोग अस्पतालों के ICU में किसी परिचित रोगी के पास मिलने के पहले करना अनिवार्य होता है. खासकर किसी बडी बायपास सर्जरी इत्यादि के मरीज के पास इसके उपयोग के बाद ही जाने दिया जाता है.
जवाब देंहटाएंआज के समय में जितनी सावधानी वापरो वही अच्छा है वर्ना कब कौन सूअरा मिल जाये क्या पता?
रामराम.
बहुत समय से लगभग एक जरुरी इस्तेमाल की चीज बनी हुई है मेरे लिए.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंक्या इसे नहाते समय पानी मे मिला कर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ?... चंद बूंदों मे काम हो जाये
जानकारी का धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअच्छी चीज़ है .यहाँ तो आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है.बच्चे अपने साथ स्कूल भी ले जाते हैं.
जवाब देंहटाएंहमने तो ये पढ़ लिया था?
जवाब देंहटाएंhttp://www.nydailynews.com/lifestyle/health/2010/10/21/2010-10-21_the_germwhacking_benefits_of_hand_sanitizers_only_last_for_two_minutes_research_.html
@गोदियाल जी ,
जवाब देंहटाएंअब तो यहाँ यह उपलब्ध है ,मेरी पहली शीशी अमेरिका से गिफ्ट थी !
@पद्म सिंह जी ,
नहीं इसे सीधे हथेली पर लेकर मॉल लिया जाता है!
@अभिषेक जी ,
हाँ यह तात्कालिक जर्म रोधी उपाय ही है जैसे किसी रोगी या उसके वस्त्र इत्यादि छूना है तो इस्रेमाल कर लें और उसके बाद भी ताकि जर्म्स ख़त्म हो जायं -यह दीर्घकालीन सुरक्षा कवच नहीं देता ....विस्तृत तो मेरे विकीपेडिया लिंक में दिया ही है -यहाँ यह प्रोडक्ट सामान्य जानकारी के लिए ही है क्योकि यहाँ के सुपर स्टोरों में अब यह दिखने लगा है ...
अच्छी जानकारी किन्तु प्रवीण जी की बात में भी दम है.हाथ धो कर इसे इस्तेमाल किया जाए तो फूल प्रूफ व्यवस्था हों सकती है.
जवाब देंहटाएंहम भी बहुधा यही उपयोग करते हैं, सुरक्षित होने के साथ ही, पानी की बचत भी होती है।
जवाब देंहटाएंहाथ धो कर पीछे पड़ने का क्या होगा.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया जानकारी है.
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएं
शुरू करते हैं इसे ...काम की जानकारी दी आपने !
जवाब देंहटाएंपंडित जी!
जवाब देंहटाएंएकदम जर्म फ्री पोस्ट है! सिर्फ इस कम्बख़्त केमिस्ट्री वाले दिमाग़ में एथानॉल अल्कोहॉल अटक गया. इथाइल एल्कोहॉल को ही एथानॉल कहते हैं न??
बहुत सुंदर जी, हमारे यहां अस्पतालो के हर कमरे मे यह भरपुर मात्रा मे होता हे ड्रा० नर्से, ओर मिलने आने वालो को सब से पहले इसी से हाथ साफ़ करने होते हे, ओर हम भी, ओर इस को हाथ पर मलने का तरीका भी समझाया जाता हे, ओर घरो मे बाथ रुम वगेरा मे भी अब इसे रखा जाता हे
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
पहले से उपयोग तो कर रहे हैं पर इतने विस्तार से जानकारी नहीं थी थी..... अब ज़्यादा सजग रहेंगें ...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंएथनोल का उपयोग तो होता ही है इस काम के लिए..मै९ने भी अपने घर पे कहा है इसका इस्तेमाल करने के लिए.....मुझे दर है की कम्पनियां इसे ज्यादा कमाने के चक्कर में या कोई सस्ती कंपनी इसमें मेथ्नोल न मिलावट कर दे......इसलिए खरीदने से पहले इसमें इनकी मात्रा जरूर देख लें.
जवाब देंहटाएं\अच्छी जानकारी....
प्रणाम.
@सलिल भाई,
जवाब देंहटाएंआप केमेस्ट्री के मैं बायलाजी का ..
इतना तो नजरअंदाज किया करिए न :)
एथेनाल कहिये वही काफी है मैंने अल्कोहल
जनता जनार्दन के लिए और जोड़ दिया ..
हाँ एथिल अल्कोहल सही है -शुक्रिया !
<>इसका मुख्य घटक ही अल्कोहल है जो इस्लाम में हराम -वर्जित है.मगर इस बिंदु पर इस्लामी विद्वानों का मानना है कि एक दवा के रूप में यह वस्तुतः हलाल है
जवाब देंहटाएंबडा कठिन प्रश्न उठाया है आपने। इस सवाल ने उलझन में डाल दिया। याद आया कि इस्लामिक रिपब्लिक(?) ऑफ पाकिस्तान की सरकारी हवाई सेवा की अंतर्राष्ट्रीय उडानों में शराब सर्व की जाती है - अल्कोहल पीना हराम है मगर बनाना, खरीदना, बेचाना, पिलाना आदि नहीं है क्या? इस तरीके से तो बहुत से कुफ्र रिडिफाइन किये जा सकते हैं?
@अनुराग जी ,
जवाब देंहटाएं:) इसका जवाब तो विद्वतजन ही दे सकते हैं! मैं तो पास !
बहुत ही बढ़िया जानकारी है.
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएं
आत्मा प्रक्षालन का कोई उपाय ...?
जवाब देंहटाएंमैं भी इसे यदा कदा ही इस्तेमाल करता हूँ क्योंकि बिन पानी मुझे भी कुछ अटपटा सा लगता है।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
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आदरणीय अरविन्द जी,
अच्छा प्रोडक्ट है, पर मैं क्या करूँगा इसे इस्तेमाल करके जबकि जहाँ से मेरे ऑफिस में चाय समोसे आते हैं वह लड़का पैसे लेने के बाद भी हाथ नहीं धोता और न ही साहब की मेज पर कपड़ा मारने के बाद भी... यही हाल मेरे दूध वाले , जलेबी वाले, पकौड़ी वाले और मिठाई वाले का भी है... :(
गोदियाल जी की तरह ही मैं भी लाल लाईफबॉय का फैन हूँ... पर मुझे अभी भी उस वंडर ट्यूब का इंतजार है जिस से मैं नहा भी सकूं, दाढ़ी भी बना सकूँ और दाँत भी माँज सकूँ!
...
अमित निवेदिता,
जवाब देंहटाएंबस इसकी एक बड़ी शीशी गटक लेने पर आत्मा भी प्रक्षालित ,निर्मल ,अविमुक्त हो जायेगी ! :)
प्रोडक्ट की जानकारी अच्छी है ...
जवाब देंहटाएंआम हिन्दुस्तानी इसकी जरुरत महसूस नहीं करता है ...जब उन्हें पेट भरने की जद्दोजहद ही महँगी पड़ती है, इनका क्या करेगा ...हमारे पूर्वज राख को सबसे बड़ा सैनीटायिज़र मानते रहे हैं ..कहीं पढ़ा था कुछ वैज्ञानिको ने इसे साबित भी किया है ...
एक व्यक्तिगत मौलिक विचार ...यदि इस तरह संक्रमण फैलता तो कच्ची बस्तियां तो कब की पूरी साफ़ हो गयी होती , वहां कौन इतनी साफ़ सफाई का ध्यान रखता है ??
वाणी जी ,
जवाब देंहटाएंआपका कहना सही है और प्रवीण जी भी सही हैं ..
मगर हम लोग उतनी इम्म्यूनिटी नहीं रखते .
इसलिए इसके इस्तेमाल से उतनी अरुचि नहीं चाहिए ...
eg
जवाब देंहटाएंto me
@ http://feedproxy.google.com/~r/http/feedsfeedburnercom/kwachidanytoapi/~3/6Gjg_KgdDxk/blog-post_10.html
क्या केवल अल्कोहल से काम नहीं चल पायेगा? सस्ता का सस्ता और स्वास्थ्यकारी भी :)
@नहीं चल पायेगा!पोस्ट में दिए गए लिंक पढ़ें !
जवाब देंहटाएंअच्छा है । हम हिन्दुस्तानियों को तो जेब में रखना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंइसमें अल्कोहल भी होता है,यह पता न था...
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी दी आपने...
आभार...
भाई मेरे बचाव इलाज से बेहतर के फार्मूले पर चलो न
जवाब देंहटाएंइधर उधर की गन्दी चीजो पर हाथ ही ना फेरो केवल नजर डाल लो हैण्ड वाश जैसे भारी भरकम प्राडक्ट्स की आवश्यकता ही नहीं होगी
वैसे पोस्ट ज्ञान वर्धक है लेकिन मै तो किसी ऐरी गैरी दूसरे की उपभोग्य वस्तु को न हाथ और मुह से ही नहीं लगाता तो मुझे तो ऐसी वस्तुओ की आवश्यकता ही नहीं है
हम जर्मीक्लीन का प्रयोग करते हैं जी ॥
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी इतने विस्तार से...आभार्
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