बुधवार, 20 अप्रैल 2011

अन्ना का बनारस आगमन


आज बनारस के अखबारों में यह खबर सुर्खियों में थी कि अन्ना हजारे साहब बनारस आ रहे हैं -मुझे भी खबर पढ़ते ही बड़ी प्रसन्नता हुयी -मन प्रफुल्लित हो उठा इस महान व्यक्तिव की एक झलक पाने की आशा मात्र से ही! ..मगर अगले ही क्षण कई तरह की आशंकाएं मन में घिर आयी है -उत्तर प्रदेश में अन्ना साहब की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का आगाज बनारस से ही क्यों ? क्या यह प्राचीन शहर भ्रष्टचारियों का गढ़ है? यहाँ भ्रष्टाचार के विरुद्ध बिगुल फूंकने की ज्यादा जरुरत है?और यहाँ  जनता जनार्दन भ्रष्टाचार से इतना पीड़ित है कि अन्ना को सर माथे लगाने के लिए विह्वल है ?  या फिर यहाँ सदाचारियों का बोलबाला है और यहाँ अन्ना साहब को पूर्ण समर्थन मिलने की ज्यादा संभावना है? 

जब अन्ना हजारे साहब जंतर मंतर पर अनशन कर रहे थे तो बनारस में काफी सुगबुगाहट थी ...यहाँ कई दिन कैंडिल मार्च भी हुआ! और यह तो पूरा मीडिया इवेंट  था ही -मीडिया का भरपूर समर्थन अन्ना साहब को यहाँ भी मिला ...और यह सर्वथा उचित भी था -आज मीडिया सक्रियता का युग है और मेनस्ट्रीम मीडिया ने अन्ना के प्रबल समर्थन में यहाँ  भी  आक्रामक  रणनीति बनाकर एक सार्थक सामजिक भूमिका निभाई, भले ही इसके निहितार्थों पर भी प्रबुद्धजनों ने उंगलियाँ उठायीं हैं  .

आज किसी भी देश के लिए ,खासतौर पर भारत जैसे भ्रष्ट देश के लिए अन्ना जैसा शिखर व्यक्तित्व   हजारों लाखों लोगों के लिए आशा और विश्वास का प्रेरणा स्रोत बन गया है .यह नाम हारे को हरिनाम बनता गया  है -लोग उन्हें देवता का दर्जा दे चुके हैं ...बहुतों  की आस के लिए वे आख़िरी सांस की डोर बन गए हैं! वे भारत की करोड़ों जनता के मनोभावों की नुमायन्दगी कर रहे हैं ...बनारस के लोग भी पलक पावडे  बिछाए उनकी  आगवानी को उतावले हो रहे हैं ..मैं भी उन्हें प्रत्यक्ष देखने सुनने जाने का मन बना लिया है ...मगर सोचता हूँ मो सम कौन कुटिल खलकामी? मगर फिर यह भी हो सकता है कि उनके दर्शन मात्र से मेरे कलुष मिट जाएँ! इसलिए मैं तो जरुर जाऊँगा ..


 और मुझे बल मिला है उनके स्वागतोत्सुक लोगों के बारे में जान सुन कर -मैं ही नहीं जितने नाम अभी तक स्वागत मंडली में  सम्मिलिति उभरे हैं वे  मेरी ही कोटि के कुटिल खल कामी ही हैं  -मुझे अपनी जमात में जगह मिलने में देर भी नहीं लगेगी ...और अन्ना  साहब के सानिध्य में रहने पर वैसे ही ईमानदारी का सार्टिफिकेट मिल जायेगा ...बहती गंगा में हाथ धोने से भला बनारसी कब चूकने वाले हैं ....मैं देख रहा था कि अन्ना की आगवानी के लिए वही रानी के डंडे(क्वींस बैटन) वाली टीम ही ज्यादा मुखर है और वही अपनी महिमा विस्तारित करने में जुट गयी है ..मुझे लगता है इसी टीम ने उन्हें निमंत्रित भी किया है ..
..

कई बार यह लग रहा है की कहीं एक सच्चे सच्चरित्र सीधे साधे  व्यक्ति के इर्द गिर्द ऐसे लोगों की तो भीड़ नहीं जुट रही है जो जनता के सामने अपनी सफ़ेद पोशाकों को दिखाकर मानो यह प्रमाणित करना चाहते हों कि देख लो दुनिया वालों हम तो अन्ना के खासम ख़ास हैं और ईमानदारी की लड़ाई अन्ना हमारे बलबूते ही लड़ रहे हैं -वे प्रकारांतर से  नागरिक इकाईयों या फिर शासन प्रशासन  पर रोब भी जताना चाहते हैं जिनसे अपने कारोबार के सिलसिले में उनका साबका  पड़ता रहता है - यहाँ यह कहावत भी चरितार्थ होती लगती है कि नौ सौ चूहे  खाय बिल्ली  हज को चली   -कहना नहीं है ऐसे बगुला भगतों से अन्ना को सावधान हो जाना चाहिए !

ईमानदारी की मुहिम बड़ी कंटकाकीर्ण है -अन्ना साहब को फूँक फूँक कर कदम रखना है -उन्हें ऐसी मदद और सहायता  प्रस्तावों को ठुकराना होगा जिनकी स्थति बहुत स्पष्ट न हो ....उन्हें गांधी जी की तरह चौकस रहना होगा ..अपने पैसे से ट्रेन से सफ़र करना होगा और सभास्थल तक भी अपने किराए की वाहन की व्यवस्था करनी होगी -और यह सब मुखर होकर बताना भी होगा  -नहीं तो मौका परस्त लोग इस शख्सियत  को भी अपने हितों के लिए साध लेंगें और हमारी सारी उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा ...देखना है अन्ना का बनारसी दौरा क्या रंग लाता है ? 

35 टिप्‍पणियां:

  1. अन्ना में जो अच्छी बातें हैं उन्हें ग्रहण करना चाहिए। आलोचक तो भगवान राम को भी मिल गये थे।

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  2. अन्ना साहब की मुहीम अच्छी है.....प्रभु उनका साथ दें या ना दें....सच्ची जनता जरूर देगी....

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  3. सही है भाई जी ,
    उनके स्वागत में सबसे अधिक भीड़ हम जैसे ही लगा रहे हैं सो स्वागत कमेटी में एक अच्छी पोस्ट पाने में देर नहीं लगनी चाहिए ! हम भी अन्ना के खासमखास कहलायेंगे !

    शुभकामनायें ...आपके चरण कहाँ हैं प्रभो !
    हम भी बनारस आ रहे हैं कुछ जुगाड़ हमारा भी ...
    सादर !

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  4. बाल्जाक साहब फर्मा गए हैं कि behind every great fortune, there is a crime... अन्ना इतने fortunate कहाँ.. दुश्वारियां तो होंगी ही!

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  5. आप अपनी पोस्ट का प्रिंट आउट अन्ना जी को दे आइये। वे सावधान रहें। :)

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  6. @अनूप जी ,
    क्या अन्ना अंतर्जाल प्रेमी नहीं ?

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  7. आपकी चिंता जायज है ..सलाह भी सही है ...
    अन्ना के कानों तक बिना उनके सिपहसालारों के पहुँच जाए तो ..!
    कोई भी मुहीम अकेले प्रारंभ नही की जा सकती ...कुछ मजबूत लोगों की जरुरत होती है , अन्ना की टीम में ईमानदार लोग बने रहें ...
    वर्ना ईमानदार मुख्यमंत्री वाले हमारे राज्य और ईमानदार प्रधानमंत्री वाले हमारे देश में भ्रष्टाचार की कहानी बच्चे- बच्चे सुना सकते हैं !

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  8. लेकिन शांतिभूषण जी और उनके छोटे पुत्र जयंत भूषण को नोएडा में दस-दस हज़ार मीटर के फॉर्महाउस अन्ना के सानिध्य में आने से पहले ही मायावती सरकार की ओर से बिना ड्रॉ के मिल चुके हैं...देखिए बनारस वालों को अन्ना
    के संपर्क में आने के बावजूद भी माया सरकार से कुछ मिलता है या नहीं...

    जय हिंद...

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  9. @खुशदीप भाई ,
    संत लोग बिना किसी लाभ के थोड़े ही साथ अन्ना के साथ है!

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  10. मै कुटिल भी महामना अन्ना के दर्शन का आकांक्षी हूँ लेकिन मुझे अचानक सोना की खेती करने का ज्ञान रखने वाले चोर की याद आ गयी . फिर अपने गिरेबान में पहले झांक लू तो चलूँ

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  11. .
    .
    .
    "मैं देख रहा था कि अन्ना की आगवानी के लिए वही रानी के डंडे(क्वींस बैटन) वाली टीम ही ज्यादा मुखर है और वही अपनी महिमा विस्तारित करने में जुट गयी है ..मुझे लगता है इसी टीम ने उन्हें निमंत्रित भी किया है ....
    कई बार यह लग रहा है की कहीं एक सच्चे सच्चरित्र सीधे साधे व्यक्ति के इर्द गिर्द ऐसे लोगों की तो भीड़ नहीं जुट रही है जो जनता के सामने अपनी सफ़ेद पोशाकों को दिखाकर मानो यह प्रमाणित करना चाहते हों कि देख लो दुनिया वालों हम तो अन्ना के खासम ख़ास हैं और ईमानदारी की लड़ाई अन्ना हमारे बलबूते ही लड़ रहे हैं -वे प्रकारांतर से नागरिक इकाईयों या फिर शासन प्रशासन पर रोब भी जताना चाहते हैं जिनसे अपने कारोबार के सिलसिले में उनका साबका पड़ता रहता है - यहाँ यह कहावत भी चरितार्थ होती लगती है कि नौ सौ चूहे खाय बिल्ली हज को चली "



    हा हा हा हा,

    देव,

    आप के ऊपर सत्य बहुत शीघ्र उद्घाटित हो गया, बधाई !!!

    एक किस्सा याद आ गया... राजा ने एक चोर को मौत की सजा सुनाई... चोर दिमाग वाला था, बोला " मैं बहुत पापी हूँ, मुझे पत्थरों से मार-मार कर मौत के घाट उतारा जाये, पर पत्थर वही चलाये जिसने जीवन में कभी चोरी न की हो (यह कसम हाथ में गंगाजल लेकर खानी थी)... पूरे राज्य में से कोई शख्स पत्थर चलाने आगे नहीं आया... आखिर राजा को चोर को ससम्मान रिहा करना पड़ा...

    अन्ना, रामदेव, किरन बेदी, केजरीवाल, भूषण द्वय, अग्निवेश आदि आदि के भी छिपे हुऐ एजंडे हैं... व इनमें से कई तो स्वयं को ईमानदार कहलाने लायक भी नहीं...

    हमें इनमें से कोई मसीहा नहीं मिलेगा, और यह हकीकत बहुत जल्द ही जाहिर हो जायेगी सबके सामने...

    यदि वाकई में समस्या के मूल पर चोट करनी है तो सार्वजनिक रूप से Confession Sessions आयोजित हों, लोग अपने पापों को मानें पाप की कमाई देश को लौटायें फिर भ्रष्टाचार मुक्ति की ओर आगे बढ़े... यह भी याद रहे कि भ्रष्टता केवल आर्थिक ही नहीं, बौद्धिक, वैचारिक व नैतिक भी होती है!




    ...

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  12. बनारस में अन्ना से ज्यादा भीड़ के चेहरे देखने की उत्सुकती रहेगी। प्रवीण शाह जी की यह बात ध्यान देने योग्य है...
    याद रहे कि भ्रष्टता केवल आर्थिक ही नहीं, बौद्धिक, वैचारिक व नैतिक भी होती है!

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  13. aapne to pooi darshan-shastra rakh di.....baten wahi hai.....samjhne ka najariya badalta hai.....

    @praveen bhaijee.....
    यदि वाकई में समस्या के मूल पर चोट करनी है तो सार्वजनिक रूप से Confession Sessions आयोजित हों, लोग अपने पापों को मानें पाप की कमाई देश को लौटायें फिर भ्रष्टाचार मुक्ति की ओर आगे बढ़े... यह भी याद रहे कि भ्रष्टता केवल आर्थिक ही नहीं, बौद्धिक, वैचारिक व नैतिक भी होती है!..........bina uprokt baton ke.....ye sab kuchh laffaji hi mani jayegi...aur vastavikta bhi yahi hai........bakiya, andhe rahne se achha kana hi mana jata hai.......

    pranam.

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  14. @praveen shah....
    भ्रष्टता केवल आर्थिक ही नहीं, बौद्धिक, वैचारिक व नैतिक भी होती है!

    सटीक बात !

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  15. अन्ना साहेब ने दिल्ली के बड़े-बड़े ठगों को देक लिया अब बनारसी ठग देखने चले!!!!!! :)

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  16. नजदीकी नज़र रखनी होगी....कुछ सार्थक परिणाम आने चाहिए.

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  17. अब देखें बनारस वासियों का क्या उद्धार होता है :)
    आपकी सलाह अच्छी है.

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  18. ईमानदारी की मुहिम बड़ी कंटकाकीर्ण है -अन्ना साहब को फूँक फूँक कर कदम रखना है
    सही है
    सही बात है ....

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  19. मै सिद्धार्थ जी की टीप से सहमत हूँ ...मगर अन्ना जी के इस अभियान से देश को एक नई दिशा और उर्जा मिली है ..आभार

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  20. आप का लेख पढ कर मुझे एक गीत बरबस याद आ गया..
    अब क्या भर लाऊ, यमुना से मट्की, बहुत कठिन हे रह पनघट की....
    तो अन्ना जी हर कदम फ़ुंक फ़ुंक कर रखे, यहां बहुरुपिये बहुत हे

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  21. लगता है अन्ना स्वंय फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं...चापलूसों से तो बचना ही पड़ेगा..अच्छी प्रस्तुति

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  22. अन्ना , समुद्र में डूबते ज़हाज़ के लिए एक तिनका है । लेकिन एक तिनके का सहारा भी कभी कभी बेड़ा पार लगा देता है । फिर भी उठती तूफानी चालक चतुर लहरों से तो बचकर ही चलना पड़ेगा ।
    बहुत कठिन है डगर पनघट की ।

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  23. अन्ना ने जब टीम गठित की उसके अगले ही पल यह आशंका बलवती हो गई थी कि पूरे मामले को डायवर्ट करने और बेनिफिट गेन की खातिर अब कीचड़ उछालू प्रक्रिया शुरू होगी और अब देखिये कि पूरा आंदोलन ही भंडुल होने के कगार पर पहुंच गया है।

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  24. सटीक ...आपकी कही बातें विचारणीय हैं और सलाह अर्थपूर्ण .....

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  25. @प्रवीण जी और अन्य सुधी जन,
    आप का कहना बिलकुल सही है भ्रष्टता के कई रूप हैं और हां उन सभी का उद्गम नैतिक भ्रष्टता रूपी कर्मनाशा ही है !

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  26. बड़े बड़े प्रचारकों ने बनारस को प्रारम्भ के रूप में चुना है।

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  27. बिलकुल सही कहा आपने। मुझे तो पानी फिरता हुया ही लग रहा है। आगे देखते हैं आभार।

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  28. अन्ना..........के साथ फोटू खिंचवा कर ब्लॉग पर लगाईयेगा.

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  29. जितने लोग तितनी तरह की प्रतिक्रियायें अण्णा हजारे पर!

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  30. achchhaa bahas mubahisaa chhedaa hai zanab arvind mishrji ne .
    shyaam rang me rangi chunariyaa ab rng dujo bhaave naa jin nainan me annaa basen hain aur doosro aave naa .
    sang kaa rng to chadhtaa hai zanaab !annaa kaise iske apvaad ho sakten hain .
    veerubhai .

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  31. व्यावहारिक सुझाव दिए हैं आपने. अन्ना हजारे से एक बार BHU में ही मिलने का मौका मिला था. इनका आत्मविश्वास ही इनकी शक्ति है.

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