गुरुवार, 1 जुलाई 2010

"आखिर बिआह शादी क कोई उम्र होत है!"

बुढऊ लगातार बड़बड़ाये जा रहे थे,"आखिर बिआह शादी  क कोई उम्र होत है ,  लड़का जब रुढा जाएगा तब शादी करके का होगा? " लौकी नेनुआ सरीखी तरकारियों का रुढ़ाना तो अक्सर सुनने को मिल जाता है मगर किसी लड़के का रुढाते जाना ?अपने एक परिजन के यहाँ इन दिनों यही कलह मचा हुआ है .दादा जी पोते की जल्दी शादी करने पर तुले हैं और बाप अपनी इस बात पर अडा है कि जब तक बेटा अपने पैर पर पूरी तरह न खडा हो जाय उसकी शादी करना ठीक नहीं है .इस मुद्दे पर मेरे विचार स्थिर नहीं हैं ...समाज में दोनों तरह के उदाहरण हैं ...बहुत से सफल लोगों की अर्ली मैरेज हुई और उन्होंने जीवन में ऊंचा  मुकाम हासिल किया ...मेरे खुद एक साले साहब हैं हाईस्कूल में वियाह दिए गए फिर इंग्लैण्ड गए ,पी एच डी पूरी किये फिर पत्नी को बुलाया और पिछले २५ वर्षों से अमेरिका में हैं ...बहुत लेट व्याह करने वालों में भी सफलता असफलता की कहानियां है ..

तो फिर व्याह की आदर्श उम्र क्या हो ? मुझे लगता है या तो वह बहुत अर्ली यानि २१ वर्ष होते ही हो जाय या फिर निश्चित तौर पर लड़के के सेटल होने पर हो -मझधार  में हम जैसे संसारियों का व्याह करना एक तरह से दम्पत्ति पर अत्याचार है .क्योंकि शादी के ठीक बाद से ही परिवार और समाज का रुख नव दम्पत्ति के प्रति प्रायः  असहयोग का हो जाता है -उन पर यह बोझ बढ़ने लगता है कि वे जल्दी ही अपने दाल रोटी  टिकुली तेल की जिम्मेदारी खुद संभाले -लड़के और लडकी दोनों के बाप किनारा करने लगते हैं ..इस लिहाज से तो लड़के या लडकी दोनों में से कम से कम एक का तो विवाह के समय नौकरी या किसी उद्यम में होना जरूरी है .

कभी कभी यह भी लगता है कि अपने  समाज में व्याह शादी को लेकर इतनी आपा धापी मची ही क्यूं रहती है -बच्चों को अच्छी शिक्षा दीजिये अपनी शादी वे खुद कर लेगें ..आखिर बदले ज़माने में अपने जीवन संगी के चयन का अधिकार अगर खुद लड़के लडकी का हो तो इसमें दोष ही क्या है ? और अगर किसी किसी को मनपसंद जीवन साथी न मिला तो फिर बिना शादी के ही पूरा जीवन बिना समझौतों के जीने का  आनंद क्यों न उठाया जाय ? कितने अकेलों का जीवन /इतिहास भी कम गौरवपूर्ण नहीं रहा है....उन्होंने समाज सेवा की मिसाले कायम की हैं ..इसलिए भी फ़िक्र किस बात की ..एकला  चलो रे  ! 

मगर मुझे एक अंगरेजी का उद्धरण याद आ रहा है कि एक लडकी जितनी जल्दी हो परिणय सूत्र में बंध ले और लड़का जितना वह कर सके इस अवसर को टरकाता रहे ....और यह कहावत भी कि शादी वह गुड है जो न खाए वह तो पछताए ही और जो खा ले वह भी पछताए ..नए फार्मूले सामने आ रहे हैं ..लिव इन रिलेशन के और लिव इन मूमेंट के भी ....
अब मैं आपके विचार सुनने को इच्छुक हूँ !

33 टिप्‍पणियां:

  1. 25 पर यदि नौकरी निश्चित हो, नहीं तो नौकरी के तुरन्त बाद ।
    ज्ञान बाँट दिये, हमारी तो हो चुकी है ।

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  2. मेरी समझ से शादी तभी होनी चाहिए, जब लड़का-लड़की राजी हों, इसमें उम्र का कोई बंधन नहीं होना चाहिए।
    ---------
    किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?

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  3. एक औरत अपने फुल्ली सेटल्ड बचवा को चिट्ठी में एक कन्या का विवरण लिखा और कहा कि उससे बिआह करने के लिए हाँ कर दे और जल्दी घर आ जाए. बचवा को जब चिट्ठी मिली तो उसमें माँ की पूरी बात के नीचे, जल्दी में एक नोट लिखा था, “तेरी माँ बगल के कमरे में टिकट लाने गई है, बच के रहियो इस बिआह सादी के चक्कर से. तुम्हारा बापू.”
    रही बात अपने मन से शादी करने की, तो पंडित जी, एक और अंगरेज़ी कहावत है कि इंसान को उससे शादी नहींकरनी चाहिए जिसे वो पसंद करता है, बल्कि उससे करनी चाहिए जो उसे पसंद करता हो. बाकी तो आपकी सलाह भला कौन टाल सकता है.

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  4. हा होती है ना , जब शादी की उम्र हो जाये तो शादी कर लेनी चाहिए. नहीं तो रुढ़ा जायेंगे .हा हा

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  5. भाई जब लडका कमाने लग जाये तो उस की शादी कर देनी चाहिये, ओर लडकी की शादी २१ के बाद, अगर वो पढना चाहती है तो बाद मै पढ ले, यह है हमारे विचार,वेसे करने वाले तो आज कल ४० की उम्र मै भी करते है, लेकिन इस स्थिति मै पडोस के नोजवान ज्यादा खुश रहते है, उन्हे ज्यदा खुशी होती है:)

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  6. @अरविन्द जी
    पंडिज्जी आपकी पोस्ट के आखिरी पैरे के दोनों लिव इन...पर फैसला आने वाले समय को करना है इसलिये उसपर असमय जुबानदराजी नहीं करेंगे!

    अब बात पोस्ट की मूल चिंताओं की...मित्रवर विवाह और रोजी रोटी के मसले पर दादा और पिता दोनों 'अपनी' 'अपनी' जगह सही हैं किन्तु बेहतर होता जो दोनों एक ही जगह पर सही हो पाते,यानि कि पैरों पर खड़े होने और शादी की उम्र का एक साथ सही होना बेहतर है ! मसला ये है कि जिस्मानी और समाजी जरुरत के तौर पर शादी की सही उम्र आप तय करिये और देश के नागरिकों को भूखों ना मरने की गारंटी सरकार दे ! पैरों पर असमय खड़े होना शादी को बाधित क्यों करे ?

    फिर इन दोनों घटनाओं में विलम्ब से जो दीगर समस्यायें पैदा होती हैं उनका क्या ?

    हमारा सुझाव ये है कि सरकार का फ़र्ज़ है ,सुयोग्यता के आधार पर पेट की "मिनिमम चिंता" के अवसर अनिवार्यतः उपलब्ध कराना और इसके नीचे की चिंतायें परिजन या दूल्हे मियां अपनी औकात के अनुसार खुद तय कर लें :)

    हमें चाहिये नागरिकों के प्रति जबाबदेह / उत्तरदाई लोकतंत्र और उस लोकतंत्र के प्रति जबाबदेह और उत्तरदाई नागरिक , वर्ना सवाल आपका लंबी उम्र लेकर आया है !

    आइये मिल कर गायें ...वो सुबह कभी तो आएगी...

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  7. बेटा हो या बेटी , शादी से पहले ज़रूरी है कि पढ़ लिख कर अपने पाँव पर खड़े हो जाएँ ताकि किसी पर आश्रित न रहें ।
    इसके लिए थोडा टाइम तो चाहिए । इसलिए २५ से पहले नहीं सोचना चाहिए ।

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  8. कोशिश तो बच्चे भी और माँ बाप भी यही करते हैं मगर कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि जल्दी शादी हो जाती है तब कोई क्या करे? आगर माँ बाप कई बारे चाहें भी कि बच्चे अपने पाँव पर खडे हो जायें तब बच्चे ही अपने आप शादी कर लेते हैं\ शायद अपने समाज मे चाहने पर कुछ कम ही होता है। शुभकामनायें

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  9. आपकी बात से सहमत हूँ (पहली बार ?????) :-)

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  10. जब कोई पसंद आ जाए तब. वर्ना २५ के बाद घर वाले जीतनी जल्दी करा दें :)

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  11. आपकी बात से सहमत हूँ (पहली बार नहीं)

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  12. २१ के बाद जब भी वह आर्थिक और मानसिक रूप से विवाह का दायित्व निबाह सकने लायक हो जाये,तब विवाह कर देना/लेना चाहिए.

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  13. २५ साल की उम्र ठीक है , मगर हर एक की परिस्थितियाँ अलग अलग होने के कारण सीमा तय नहीं की जा सकती अरविन्द भाई !

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  14. @आप सबकी राय आ जाय तो एक आम राय बने और इस पोस्ट का मकसद पूरा हो ....
    मुझसे सहमति तो कोई जरूरी नहीं ? वो पहली बार हो या पहली बार नहीं :)

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  15. यह इस पर भी निर्भर करेगा की सफलता का मापदंड क्या है

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  16. पोस्ट का मकसद पूरा हुआ?????? :-)
    आप ही कहते हैं कि .... और आप ही कहते हैं कि सहमति ज़रूरी नहीं... वैसे इस मुद्दे पर आम राय नहीं बन सकती...

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  17. व्‍यापारी परिवार और नौकरी वाले परिवारों में उम्र का अन्‍तर रहता है। व्‍यापारी परिवारों में जहाँ लड़के किशोरावस्‍था से ही कमाई करने लगते है तब उनकी शादी अक्‍सर 20-21 वर्ष में कर दी जाती है लेकिन जहाँ नौकरी का प्रश्‍न है वहाँ तो कमाने के बाद ही जिम्‍मेदारी सर पर डाली जानी चाहिए। इसलिए खेतिहर, मजदूर आदियों में जल्‍दी ही विवाह हो जाते हैं।

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  18. @ समाज में व्याह शादी को लेकर इतनी आपा धापी मची ही क्यूं रहती है -बच्चों को अच्छी शिक्षा दीजिये अपनी शादी वे खुद कर लेगें ..आखिर बदले ज़माने में अपने जीवन संगी के चयन का अधिकार अगर खुद लड़के लडकी का हो तो इसमें दोष ही क्या है ? और अगर किसी किसी को मनपसंद जीवन साथी न मिला तो फिर बिना शादी के ही पूरा जीवन बिना समझौतों के जीने का आनंद क्यों न उठाया जाय ?

    ये क़ुफ्र की बाते हैं।

    जाने क्यों लगा बस ऐसे ही कि आप को मुक्तिबोध की 'अँधेरे में' पढ़नी चाहिए।

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  19. अब यह तो इस बात पर निर्भर है ना की अपने पैरों पर खड़े होने और सफल होने के पैमाने क्या है>>>>>> साहब हम तो फ़िल्मी इस्टाइल में दादाजी की बीमारी के कारण 22 में ही बियाह दिए गए थे :-))) बाकि तो सफलता के फेर में उम्र गयी अरु बुढ़ापे में बिहियाये तो क्या मतबल>>>>>. बिना बियाह के छोरा-छोरी एक साथ रहने लगे तो हो ही रहा है ना समाज का तो सित्यानाश

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  20. मुक्ति ,मानता हूँ आम राय नहीं बन सकती .....मगर बहुमत का रुख तो देखा ही जा सकता है
    बहुमत कह रहा है की २५ वर्ष तक विवाह हो जाना चाहिए ...

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  21. शादी 25 वर्ष की उम्र के बाद ही की जानी चाहिए और वो भी आत्मनिर्भर होने के बाद !

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  22. आत्मनिर्भरता शादी की पहली शर्त होनी चाहिए .

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  23. वाणी की टिप्पणी से शब्दशः सहमत...

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  24. अपने समाज में व्याह शादी को लेकर इतनी आपा धापी मची ही क्यूं रहती है
    यह बात मुझे भी आश्चर्यचकित करती है. लगता है जैसे जीवन के केवल दो उद्देश्य हैं. एक, शादी कर के बच्चे पैदा करना और दो, बच्चों की शादी के लिए परेशान रहना.

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  25. शादी की उम्र के बारे में तो नहीं शादी के बाद के बारे में प्रसिद्ध कहानी- उपन्यास लेखक कृशनचन्दर का कथ्य देखिये-
    शादी के बाद झगड़े इसी लिए ज्यादा होते हैं कि दोनों मोटे शीशे के चश्मे लगा कर एक-दूसरे को देखने लगते हैं. थोड़ी सी दूरी रहे,हल्के से प्रेम का घुंटलका रहे तो प्रेम वर्षों सलामत रहता है. निकटता आई नहीं कि प्रेम गायब.

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  26. आश्रम व्यवस्था जिंदाबाद
    १.ब्रह्मचर्य २.गृहस्थ ३.वानप्रस्थ ४. सन्यास
    में बंटा जीवन हर उम्र में सही निर्णय करने की क्षमता देगा
    आज का युवा में फैसले लेने का आत्मविश्वास या क्षमता ( या दोनों ) कम और इच्छाएं ज्यादा देखी जाती हैं


    अगर ५ वर्ष से लेकर २५ वें वर्ष तक अनुशासन में रहे, शिक्षा ग्रहण करे तो स्वयं ही अपने पैरों पर खड़ा हो जायेगा

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  27. पंडित जी! आप न आएँ, कभी कभी आएँ, बुलाने पर आएँ..इस पर हमारा अधिकार नहीं..किंतु हमारी वर्त्तमान पोस्ट पर आपकी टिप्पणी ही नहीं विचार भी अपेक्षित हैं. इसे अनुरोध या विनती जो भी समझें, स्वीकार करें.

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  28. बेटा हो या बेटी , शादी से पहले ज़रूरी है कि पढ़ लिख कर अपने पाँव पर खड़े हो जाएँ ताकि किसी पर आश्रित न रहें ।
    इसके लिए थोडा टाइम तो चाहिए । इसलिए २५ से पहले नहीं सोचना चाहिए ।

    Dr Daral ji ki baat se sehmat hun..

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  29. इस्लाम हर इन्सान की जरूरत है, किसी आदमी को इस्लाम दुश्मनी में सख्त देखकर यह न सोचना चाहिये कि उसके muslim होने की उम्मीद नहीं।-पूर्व बजरंग दल कार्यकर्त्ता अशोक कुमार

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  30. महानगरों में तो प्रायः आदमी जब चाहे कमाई शुरु कर देता है,मगर अन्य जगहों पर,जहां उद्योग धंधे नहीं हैं,लोग कम्पीटिशन की तैयारी में ही बरसों लगे रहते हैं जिसकी अधिकतर उम्र अनारक्षित श्रेणी के मामले में प्रायः 35 वर्ष होती है। फिर उसके बाद जो शादी होती है,उसके बाद पति एकदम से गार्जियन की भूमिका में होता है,एंज्वायमेंट का दौर बहुत पहले बीत चुका होता है। ऐसा भी होता है कि कम उम्र में वैवाहिक दायित्व आ जाने पर व्यक्ति रोजगार के लिए जल्दी गंभीर औऱ सक्रिय हो जाता है।

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