बलात्कार भारत में नहीं इण्डिया में होते हैं भागवत के इस बयान ने एक बार फिर इंडिया दैट इज भारत के निहितार्थों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया . यहाँ मैं बलात्कार कहाँ होते हैं इस विषय का विवेचन करने नहीं जा रहा हूँ बल्कि कुछ बातें आपसे इस विषय पर साझा करना चाहता हूँ कि यह भारत बनाम इण्डिया का मामला है क्या?बात भारत और इण्डिया की ही नहीं हिन्दुस्तान की भी है . मतलब देश एक नाम तीन तीन .गोली एक आदमी तीन की तर्ज पर . मगर निशाना कहाँ है? एक देश के तीन तीन नाम क्यों हैं . क्या ऐसा विश्व के किसी और देश के बारे में भी है -फिर भारत ही के साथ ऐसी विडंबना क्यों?
हमारे संविधान निर्माण करने वाले महानुभावों ने भी इस बिंदु पर विचार न किया हो ऐसा कैसे कहा जा सकता है? आखिर वे विद्वान ,अच्छे खासे पढ़े लोग थे. बहरहाल यह सामान्य सी बात तो हम सभी को पता ही है कि भारतीय सभ्यता मूलतः सिन्धु नदी की सभ्यता है जिसकी कभी सात सहायक नदियाँ हुआ करती थीं और नाम था सप्तसिन्धु -यहीं सिन्धु घाटी की प्राचीनतम सभ्यता पनपी मगर दुर्भाग्य से कुछ पुरात्तात्विक अवशेषों के अलावा इस सभ्यता के बारे में हमारी जानकारी बहुत सीमित है। जैसे कौन थे सैन्धव? क्या वे द्रविण-भारत के मूल वासी थे? अनार्य थे ? आदि आदि .यह पूरी की पूरी सभ्यता का नामों निशाँ तक मिट गया और आर्य भारत में स्थापित हो गए . मगर वे भी सिन्धु के आँचल में ही आबाद हुए.पारसियों और आर्यों के चोली दामन के साथ के तमाम अंतर्साक्ष्य मौजूद हैं -इरानी आदि ग्रन्थ अवेस्ता और आर्यों के ऋग्वेद में अद्भुत साम्य है। अब इरानी जुबान में 'स' का उच्चारण 'ह; है तो आर्यों के समय से ही सिन्धु नदी के किनारे बसने वाले हिन्दू कहलाये और इसी आधार पर यह देश हिन्दुस्तान कहलाया . पहले यह एक भौगोलिक नामकरण था -कालांतर में आर्यों के विस्तार से यह सांस्कृतिक भी बना -हम हिन्दुस्तान के वासी हुए आज भी चाहे हमारा धर्म ,पूजा पद्धतियाँ कुछ भी हों -हिन्दू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई, पारसी सभी हिन्दुस्तानी हुए या कुछ और छूट ले लें तो ये सभी भौगोलिक लिहाज से हिन्दू हैं !
यूनानियों ने सिंधु / हिन्दु (Hindu) से एच हटाया और नदी का नया नामकरण दे दिया इंडोस (indos) -लैटिन में इंडोस बन गया इंडस (Indus) और यूरोपीय लोगों ने इस नदीय सभ्यता के लोगों के देश का नया नामकरण कर डाला -इंडिया! और यह शेष दुनिया में ऐसा चल पडा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने भी इसी नाम को प्राथमिकता दे दी . मगर सबसे बड़ी पहेली -भारत की पहेली तो आज भी बरकरार ही है? इस देश का नाम भारत क्यों पड़ा?आज के ज्यादातर बच्चे हो सकता है इसका जवाब न दे सकें मगर हमारी पीढी के लोग दन से कहेगें कि शकुंतला -दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत/भारतवर्ष पड़ा . मगर यह सही नहीं है .
दुष्यंत शकुंतला का काल ऋग्वेद के बहुत बाद का है। और ऋग्वेद में 'भरतों' का बहुत बार उल्लेख है! दरअसल मनु के वंश में एक प्रतापी राजा भरत हुआ है -मत्स्य पुराण में उल्लेख है -'मनुर्भरत उच्यते' -मनु को ही भरत की संज्ञा दी गयी है . यह कहा गया -'वर्ष तत भारतं स्मृतं' अर्थात मनु से ही भारत नाम आया है . दरअसल ऋग्वेद में जो 'भरताः' नाम आया है वह मनु के वंशज का है न कि दुष्यंत के बेटे भरत का . आर्यों की दो शाखाएं हैं सूर्यवंशी आर्य और चन्द्र वंशी आर्य .वे भरत जिनके नाम पर इस देश का नामकरण हुआ उनका सम्बन्ध सूर्यवंशी आर्यों से है न कि चंद्रवंशी आर्यों से ...दुष्यंत चंद्रवंशी आर्य हैं .मजे की बात यह भी है कि राम के भाई भरत भी हैं मगर उनके नाम पर भारत का नाम पड़ा यह भी कहीं उल्लिखित नहीं है। आशा है यह पहेली अब कुछ सुलझी होगी या और उलझ गयी ? :-)
...प्रश्न बहुत सटीक है पर उत्तर किसके पास है ?
जवाब देंहटाएंहै तो विडंबना ही | यहाँ तो स्कूल में भी सिखाते हैं ..हमारे देश का हिंदी में नाम है भारत है और अंग्रेजी में इंडिया .....विश्व में किसी और देश का नाम यूँ भाषा बदलने से नहीं बदलता है .....
जवाब देंहटाएंइंडिया,भारत,हिन्दुस्तान,आज यही बच्चो को पढाया जाता है,आज की पीढी यही जानती है,परन्तु सच क्या है ,,,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
जी-
जवाब देंहटाएंयह बात एक बार फिर सामने आई-
भारत नामकरण शकुन्तला के भरत नहीं अपितु
मनु वंशीय भरत जो दुष्यंत से कई पीढ़ी पहले हुवे हैं उनके नाम पर है-
बहुत बढ़िया आदरणीय-
बहुत अच्छा जी आपको फेसबुक फ्रेँड रिकुवेस्ट किस नाम पर भेजु पता दे सकते हैँ For facebook friendshiping
जवाब देंहटाएं...but don't tag anyone !
हटाएंकिसके नाम पर पड़ा यह कहना कठिन है पर भारत नाम प्रचलन में था। हिन्दुस्तान और इंडिया, दोनों ही सिन्धु से प्रेरित थे और सिन्धु के इस पार के क्षेत्र को ही इंगित करते थे। क्या लेना है और क्या नहीं लेना है, यह निश्चित कर लिया जाये पर एक ही नाम रखा जाये। कई नाम होने पर संदर्भ ढूँढ़ने में कठिनाई होने लगती है।
जवाब देंहटाएंयह समझ आया कि भारत नाम सबसे पुराना है , और इण्डिया सबसे नया।
जवाब देंहटाएंलेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि हिंदुस्तान नाम मुग़लों के ज़माने में पड़ा हो।
apan to abhi-tak 'ramayan wale bharatji' ko hi asla samajh rahe the....
जवाब देंहटाएंpranam.
मुझे तो इतना ही समझ आया कि सनातन संस्कृति वाला भारत है, माॕॕडर्न चाल चलन वाला इंडिया है और इन दोंनों के बीच फंसा आदमी हिन्दुस्तानी है....
जवाब देंहटाएंएक उदहारण जर्मनी का है जिसे "डचलैंड" भी कहा जाता है | बाकी भागवत साहब के बयान से मैं इत्तेफाक बिलकुल नहीं रखता | क्राइम नाम, जात, धर्म, देश को पूछकर नहीं होता | क्राइम-क्राइम होता है |
जवाब देंहटाएंऔर वैसे भी अपने देश को और ना जाने कितने नामों से पुकारा जाता है : आर्यावर्त, जम्बुद्वीप | नाम का कोई लफड़ा-लोचा है ही नहीं|
भाषा के अनुसार नाम में थोडा बहुत परिवर्तन संभव है जैसे रूस - रशिया / चीन - चाइना परन्तु २ अलग नाम भारत - इंडिया वाकई उलझाते हैं.नाम एक ही होना चाहिए.
जवाब देंहटाएंपहेली तो कुछ सुलझी लग रही है पर उलझा हुआ तो एक देश है जिसका सबकुछ दांव पर है.
जवाब देंहटाएंकुछ भी हो लेकिन भारत है,था और रहेगा।
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट "एक जानकारी गौरेया के बारे में" को भी अवश्य पढ़े। धन्यवाद।
ब्लॉग पता है :- गौरेया : gaureya.blogspot.com
अरविन्द भाई साहब प्रणाम आपने बड़ी पहेली सुलझा दी
जवाब देंहटाएंबढ़िया विश्लेषण ...
जवाब देंहटाएंउलझी या सुलझी ??
पता नहीं ....
;)
हमारी औकात क्या? वेद-ग्रन्थों के रचयिता अपनी बौद्धिकता से हम लोगों से अत्यधिक श्रेष्ठ थे, उनके कहे पर वि
जवाब देंहटाएंश्वास करना ही श्रेष्ठतम है। इंडिया, हिन्दुस्तान जैसे नाम फर्जीवाड़ा हैं। वास्तविक नाम भारत है। मीडियावाले जो लिखें, उस पर विश्वास करना ठीक नहीं है। वे तो भाषाई स्तर को मुगलकालीन बनाए हुए हैं।
आभार - बहुत जानकारीपूर्ण पोस्ट :)
जवाब देंहटाएंवे जो भरत जी थे - उनके बारे में और भी कथाएँ हैं ।
एक तो यही की वे जब सन्यासी हुए, तब वे अपने सम्पूर्ण राज्य को तो मन से त्याग आये, किन्तु शिकार होने से बचने के प्रयास में एक गर्भिणी हिरनी नदी के पार छलांग लगाते हुए मृत्यु को प्राप्त हुई, तो उसका जो छौना हुआ, उसे उन्होंने पाला , और उसके मोह में आ गए । एक दिन जाकर वह लौटा नहीं और वे उसे भूल न सके । मृत्यु के समय भी उनके मन में वही था - जिससे अगले जन्म में वे मृग हुए - किन्तु पूर्व कर्मों से उन्हें स्मृति बनी रही । फिर वे "जड़ भारत" के रूप में जन्मे, जब वे पागल सा व्यवहार करते जिससे लोग उनसे मोह न करें, और वे फिर से मोह्बंधन में न पड़ें :)
राजा की सवारी में पालकी उठाने का भी एक किस्सा है - किसी दिन आपके यहाँ पढने मिलेगा शायद ? :)
माफ़ कीजियेगा, आपकी पोस्ट पर इतना लिख रही हूँ - पर resist नहीं कर पाई - मेरी रिक्वेस्ट रहेगी अब इस कहानी को किसी दिन पढने की यहाँ :) कोई जल्दी नहीं है - जब आपको समय मिले ..
शिल्पा जी,
हटाएंमुझसे ज्यादा आप जानती हैं कृपया विस्तार से लिखें अपने ब्लॉग पर !
:)
हटाएंसर, यह कथा जानती तो हूँ, लेकिन यहाँ पढ़ना चाहूंगी । आपका कथा सुनाने का तरीका बड़ा रोचक होता है :)
मेरे पाकिस्तानी दोस्तों ने मुझसे यह प्रश्न किया था कि आपके मुल्क का नाम अलग अलग क्यों है?? उन्हें तो इतने विस्तार से उत्तर नहीं दे पाया.. बस इतना ही कह पाया कि हमारे यहाँ कई जुबान बोलने वाले लोग रहते हैं और सबकी कद्र करते हुए हमने उर्दू में हिन्दुस्तान, हिन्दी में भारत और अंगरेजी में इंडिया कहना शुरू कर दिया..
जवाब देंहटाएंमगर उनके अगले सवाल ने चुप करा दिया कि भाई जान प्रॉपर नाउन के भी तर्जुमा होते हैं क्या!! मैं बात को टाल गया.. आपकी व्याख्या तो हरबार की तरह नयी ही लगती है!! संतुलित!!
salil ji - you can answer him in "yes"
हटाएंcompletely opposite to the relatively "newly" established religions, who name their generations in the name of the characters of their respective mythologies without really going into the meaning of their names, we - the sanatan dharmis - for us names are NOT proper nouns and fixed, our names MEAN things.
GOD is a name, while paramaatma is not... it MEANS param+atma,
KRISHNA means all attractive(aakarshan) + dark,
raama means jisme sab ram jaayein,
partha means pritha's son, and so on. .....
and in our culture - one person does have MANY MANY names depending on his qualities and gunas - arjuna is dhananjay / parth / gudakesh etc, we have vishnu sahatra naama, lalita sahastr naama etc...
BHARAT , INDIA , HINDUSTAN etc also are not translations of each other - they are descriptive names signifying a history behind them....
please convey this to our friend on my behalf...
our = your - typing error
हटाएंsorry - no hindi transliteration available at the moment
मनु के वंशज के नाम से भारत नाम पड़ा यह बात किताबों में पढ़ाई जा सकती है..वैसे भी इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में ढेरों बदलाव की आवश्यकता है.
जवाब देंहटाएंपाकिस्तानी टी वी की खबरें --हमारे देश को भारत ही कहती हैं.यहाँ लोग अरबी में देश का नाम 'हिंद' कहते हैं ...सामान्य बोलचाल में यहाँ भारतीय भी अपने देश को 'इंडिया' ही कहते हैं.
यह एक गंभीर मुद्दा है इस पर विचार और एक राय लेकर भारत का नाम हर जगह भारत ही लिखा जाए तो बेहतर...जिस तरह मुम्बई और कोलकता.. ..अब एक ही नाम से बोले जाते हैं .अंग्रजी वाक्यों में भी ...बोम्बे /केलकटा नहीं...भारत का भी एक ही नाम होना ज़रुरी है.
पहले यह एक भौगोलिक नामकरण था -कालांतर में आर्यों के विस्तार से यह सांस्कृतिक भी बना -हम हिन्दुस्तान के वासी हुए आज भी चाहे हमारा धर्म ,पूजा पद्धतियाँ कुछ भी हों -हिन्दू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई, पारसी सभी हिन्दुस्तानी हुए या कुछ और छूट ले लें तो ये सभी भौगोलिक लिहाज से हिन्दू हैं !
जवाब देंहटाएंन बाबा न .ऐसा न कहना सेकुलर हाथ धौ के पीछे पड़ जायेगें .
सुन्दर विवेचना .तार्किक एवं इतिहासिक समर्थन लिए .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .आपकी टिपण्णी का सदैव इंतज़ार रहता है नेताओं के मज़हबी वोट की तरह
हिंदी ,हिन्दू ,हिन्दुस्तान .जो हिंदी है वह हिन्द का वासिन्दा हिन्दुस्तानी है .हिंदी शब्द का व्यापक अर्थ है देवनागरी लिपि हिंदी भाषा भर नहीं है .
जवाब देंहटाएंनाम तो भारत की राजधानी के भी कई कई हैं -दिल्ली ,देहली ,नै -दिल्ली ,इंद्रप्रस्थ .
आर्थिक राजधानी बम्बई ,मुंबई ,बोम्बे .मद्रास ,चेन्नई (लेकिन आई आई टी ,मद्रास, के नाम से ही आज भी जाना है . चेन्नई के आई आई टी के द्वार पर लिखा भी है -भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान ,मद्रास .चेन्नई का नामोनिशान नहीं है शायद जैसा मैं ने देखा यह अकेला हिंदी पट /शिला पट हिंदी भाषा में पूरे चेन्नई में ..
जवाब देंहटाएंआदरणीय डा. अरविन्द मिश्रा जी,
जवाब देंहटाएंमज़े की बात यह है कि अरब लोग अपनी सुन्दर और प्यारी बेटियों का नाम हिंदा रखते थे . इस नाम की धातु अरबी में 'इंद' है, जो बहुत से रहस्य अनावृत करती है लेकिन अरबों के नज़रिये को किन्हीं वजहों से हमेशा नज़र अंदाज़ कर दिया जाता है.
उस रहस्य को जानने वाले इस नेट जगत में केवल हम हैं. इसीलिये हमने हमेशा कहा है कि हम भौगोलिक दृष्टि से भी हिन्दू हैं और धर्म की दृष्टि से भी. जो भारत देश से अरबों के प्यार का कारण नहीं जानता वह हमारी तरह कभी नहीं कह सकता.
आपकी पोस्ट बात को काफ़ी सुलझा रही है. महर्षि स्वंभू मनु के बारे में थोड़ा और बता देते कि उनकी पत्नी का नाम आद्या है और अथर्ववेद 11,8,7 में यह भी बताया गया है कि मन्यु और आद्या का विवाह वर्तमान पृथ्वी पर नहीं हुआ था बल्कि विगत पृथ्वी पर हुआ, तो यह गुत्थी और ज़्यादा सुलझ जाती.
पूर्वजों को पहचाने बिना उनकी महानता और अपनी प्राकृतिक एकता को पहचानना संभव ही नहीं है. आज हालत यह हो चुकी है कि अधिकतर भारतीय भरत जी को ही नहीं पहचानते . फिर उन्हें मनु का क्या पता कि कौन मनु स्वयंभू थे और कौन से मनु विवस्वत थे ?
देश का महान दुर्भाग्य है कि अपने पूर्वज भरत के बारे में लिख दिया कि वे पागलों की तरह व्यवहार करते थे.
अपने पूर्वजों को हम ढंग से आदर तक न दे पाये.
धन्यवाद.
यह Link देखिये निम्न पोस्ट पर-
http://commentsgarden.blogspot.com/2013/02/blog-post_1.html
डॉ अनवर जमाल जी ,
जवाब देंहटाएंयह एक बहुत रोचक मसला है।।अब 'इंद' की बात ले लीजिये . यह भी एक बहुत अर्थपूर्ण शब्द है। चन्द्रमा का एक पर्यायवाची इंदु है ....कुछ विद्वानों का यह मानना है कि इंदु यानी चन्द्रमा पूजकों एलियास चन्द्र वंशी आर्यों के चलते भारत का नाम इंदु से कालांतर में इण्डिया पड़ा -अरब में इंदु नामकरण रोचक है . मुसलमानों में चाँद को लेकर एक लगाव है -प्रसिद्ध त्यौहार चाँद के दीदार से होता है ....यहाँ आर्यों में सूर्यवंशी और तदन्तर चंद्र्वंशियों का बोलबाला रहा है . एक सूर्य के आराधक तो दूसरे चंद्रमा के-यहाँ तक कि ज्योतिष के सौर्य और चन्द्र वर्ष भी अलग अलग वजूद में हैं .......कहीं मुसलामानों का कोई सम्बन्ध चन्द्र पूजकों से तो नहीं रहा ? ये सब पुरा इतिहास की ऐसी गुत्थियां हैं जो जितना सुल्झायिये और भी उलझती जाती हैं -बिलकुल जिगसा पजल हैं!