मैं ब्लागजगत में असहमतियों के मुद्दों को यही सार्वजनिक मंच पर निपटा लिया जाना उचित समझता हूँ . मुझे धमकाया जा रहा है कि मैं अपने वकील /विधि परामर्शी से मिल कर एक मामले में मुतमईन हो लूं -सो मामला यहाँ महा पंचायत में रख रहा हूँ-
बजा कहे जिसे आलम उसे बजा समझो ,ज़बाने ख़ल्क़ को नक़्क़ारा ए ख़ुदा समझो!
नारी ब्लॉग पर विगत दिनों किसी अन्य स्रोत से एक आलेख अंगरेजी में पोस्ट किया गया . चूंकि ब्लॉग एक नारी सक्रियक का है अतः मैंने यह टिप्पणी की -
"जब आप इतना समर्पित हैं नारी आन्दोलन के लिए तो इसका अनुवाद नहीं कर सकतीं ? बस बिना कुछ किये धरे मुक्ति का बाट जोह रही हैं ?"
-जवाब दिया गया -
Dr Arvind Mishra
Your comment comes under sexual harassment and if I want I can take you to court . if you don't believe me you can talk to any lawyer . Also let me tell you that your latest post where you have insulted woman bloggers by calling them blograa is also has undertones of sexual harassment again you can be sued for the same . Kindly check with some competent lawyer before you start posting remarks that are insulting for a woman writer
regds
rachna
http://mishraarvind.blogspot.com/2009/12/blog-post_23.html
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2009/12/blog-post_26.html
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2009/12/blog-post_29.html
इतनी समझ और विवेक मुझे है कि देश का क़ानून जाने अनजाने भी कहीं अतिक्रमित न हो जाय -इस दलील से भी पूरी तरह वाकिफ हूँ कि क़ानून के मामले में अनभिज्ञता बचाव की दलील नहीं है . मगर मैं तो हतप्रभ हूँ और खुद को ही धमकाया जाना सा महसूस कर रहा हूँ यहाँ तो. अब आप सभी फैसला करें कि मैंने क्या लेश मात्र भी नारी का अपमान किया है जो मेरी काबिल दोस्त सुश्री रचना सिंह जी मुझे धमका रही हैं. मैं बताता चलूँ कि शुरू शुरू में जब मैंने ब्लागिंग में कदम ही रखा था तो इन्होने उस समय मुझे ऐसे ही बिना बात के धमका लिया था -बात आई गयी हो गयी . मगर इस बार यह मामला आपके सामने रखे बिना चैन नहीं मिल रहा. सोचता हूँ यह इसी वर्ष निपट जाय तो ठीक . और हाँ मैं अगर देश के किसी भी क़ानून का उल्लंघन करने का दोषी पाया जाता हूँ तो निर्धारित दंड को सहज ही स्वीकार करूंगा -मैं भी आम हिन्दुस्तानी की तरह एक विधि भीरु इंसान हूँ !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
-
Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
अरे पंडितजी, आप भी ना फ़ालतू में परेशान हो रहे हैं। वहाँ तो हम भी कमेण्ट कर आये हैं कुछ कुछ आप ही के जैसा। हम आपके साथ हमेशा थे और हमेशा हैं। आर्टिकल १४ और १९ पकड़ कर अपन चढ़ दौड़ेंगे कोर्ट है ना। जय हिंद।
जवाब देंहटाएंभाई आप नाहक परेशान हो रहे है . बबाल भैय्या सही कह रहे है . ब्लागर शब्द महिला और पुरुष दोनों के लिए संबोधित किया जा सकता है . जैसे डाक्टर महिला या पुरुष भी हो सकता है .....
जवाब देंहटाएंदिनेश राय जी के साथ-साथ रचना जी की राय भी यहां पढने को मिल जाए तो हम अवध जाने की सोचें, ऐसी बातों पर हम पहले ही बिना अवध गये मशवरा ले चुके इस बारे में हमें हमार बुद्घि से मशवरा मिला था कि तुम अवधिया कहलाओ चाहे वहां तुम कभी न गए
जवाब देंहटाएंअवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया
मिश्रा जी मुझे पूरी बात का तो पता नहीं मगर रचना जी को गलत फहमी हुयी होगी। या फिर हम रूढीवादी महिल हैं और चाहती हैं कि इस बात को अधिक तूल न दिया जाये। हम सब भाई बहिन की तरह हैं और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का सम्मान करें ीऔर एक दूसरे को गलत ठहराने की बजाये अपनी अपनी बात कहें। ब्लागर्ज़ को नारी पुरुष दो पाटों मे मत बाँटें ये मेरी अपनी राय रचना जी के लिये भी है। वो चाहे गलत कहें या सही हम सब एक परिवार हैं परिवार की गरिमा को बनाये रखना हमारा फर्ज़ है। डराने धमकाने की बजाये ब्लाग पर बहस रखी जा सकती है। धन्यवाद नये साल की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंएक छोटी सी सरल बात को इतना बड़ा तूल क्यों दे दिया जाता है यहाँ ..?यह बात समझ नहीं आई ..सब लिखने पढने वाले हैं और जिस से बात करो वह सब मिल कर रहना चाहते हैं इन ब्लॉग जगत में ...पर फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है ...निर्मला जी ने सही कहा .....ब्लॉगर शब्द पर ही ब्लॉगर का मनमुटाव ..नए साल में सब मंगलमय हो इस दुआ केसाथ
जवाब देंहटाएंबवाल भाई, अच्छे वकील हैं, उन की राय उत्तम है। दो पोस्टों पर तो मेरी भी टिप्पणी अंकित है।
जवाब देंहटाएंब्लागरा शब्द प्रचलन में आने के पहले ही ऐतिहासिक होने जा रहा लगता है।
इधर ब्लाग बाईलिंगुअल हो गया है, अब अंग्रेजी पढ़ने के लिए पहले ही बहुत हैं। मैंने सुना है ब्लागवाणी भी मल्टीलिंगुअल होने की तैयारी में है।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअन्ततः साबित क्या हो जाएगा....?
जवाब देंहटाएंअरविंद जी , बिल्कुल भी ना चिंता करिये...!
जाने कैसे लोग कहते हैं..कि between the lines पढ़ना चाहिए..यहाँ तो लोग शब्दों का शब्दों का मनचाहा अर्थ ले लेते हैं...कोई मंतव्य नही समझना चाहता..अब तो परिवार मे विनोद भी नही कर सकते....आँगन मे वकील बुलाना होगा....!!!
@मुझे लोगों की समझ पर दया आती है
जवाब देंहटाएंनिःशब्द हूँ ,कुछ नहीं कहूँगा
यह मंच कहेगा अब !
पूरी बात का तो हमे पता नही लेकिन जो टिप्पणी आप ने की है उस मे ऐसी कोई बात हमे तो नजर नही आती....कि किसी को कोई ठेस पहुँचाती हो.....
जवाब देंहटाएंअर्विंद मिश्रा जी अजी आप चेन से सोये ओर मजे से रहे, बवाल ओर दिनेश जी से सहमत है, बाकी आप ने ऎसा कुछ् नही लिखा, ओर हम भी टिपिया आये थे, फ़िर तो सब को उम्र केद हो जायेगी :)लेकिन डरिये नही बेनामी टिपण्णियो का भी तो हिसाब हो ही जायेगा, हम आप के संग है, हर हालात मै.
जवाब देंहटाएंआगरा में एक मेरे दोस्त है पागलो के , सोच रहा रचना जी का वहाँ ईलाज हो सकता है , सस्ते में, मेरा परिचय जो है । सच बातऊं इनके पास कुछ भी अब रह नहीं गया है लिखने को , तो अब पुरुष और नारी के बिच भेद को खत्म करने बैठ गयीं हैं । यहाँ बोलने सबको आता है और अनाब सनाब लिखने भी , परन्तु इन्होने तो हर सिमा लांघ दी है। हर रोज साला जब भी ब्लोगवाणी खोलता हूँ तो देखता इनका बकवास और फालतु के लेख चलते रहते हैं । समझ नहीं आता कि ये क्या सिद्ध करना चाहती हैं , । अरविन्द जी मैं तो चाहूगा की आप तैयार रहिए इनके केस का सामना करने के लिए , देखते है हम भी क्या ऊखाड़ लेती हैं ।
जवाब देंहटाएंमाफी चाहूंगा मेरे दोस्त पागलो के डाक्टर हैं , बताना भुल गया , उपर वाले टिप्पणी में
जवाब देंहटाएंमस्त रहें जी।
जवाब देंहटाएंनेट ख़राब है बार -बार टिप्पणी करने पर भी नही हो पा रही ..और पिछली वाली गलती से मिट गई ..यह थी ..
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी आप और रचना जी दोनों ही मेरे अच्छे ब्लॉग मित्रों की श्रेणी में आते हैं. मैं अथवा कोई और ब्लोगर मित्र ऐसा नही चाहेगा की आप दोनों प्रतिपक्षी की तरह अदालत में विवाद का निपटारा करें और हम (अन्य ब्लोगर ) गवाही बने ..इसलिए टिप्पणी कर रही हूँ (मुद्दा गंभीर जान कर ). आपके द्वारा महिला ब्लोगरों में ब्लोगारा या कोई अन्य उपमा देना मुझे भी पसंद नही आया ..परन्तु किन्ही ने आपसे इस विषय पर जनमत संग्रह करवाने का आग्रह किया था इसलिए आपकी उस पोस्ट से जो भी रिजल्ट निकला हो उस उपमा को आप उन ब्लोगर विशेष के लिए इस्तेमाल करें जिन्हें इससे कोई आपति नही है ..और इसके लिए आप सार्वजनिक रूप से उनसे अनुमति ले लें..जिनसे न ली हो उन्हें कृपया ऐसी कोई बात अथवा संज्ञा से न नवाजें जो उन्हें नागवार गुजरे मेरे हिसाब से यही शिष्टता का तकाजा है.
आगे आपकी और रचना जी की मर्जी.
मुझे बस यही कहना था.
अरविन्द जी.... मैं अभी आ रहा हूँ... बोम्ब (Bomb) फोड़ने....इन ब्रैकेट lovely जी से सहमत हूँ... १०० % ... Regards to her.... लेकिन मेरा कुछ कहना भी ज़रूरी है.... बम्ब तैयार कर रहा हूँ... सिर्फ detonator लगाना बाकी रह गया है.... सब कान ज़रूर बंद कर लीजियेगा.... बहुत तेज़ धमाका करेगा.....
जवाब देंहटाएंमुझे आश्चर्य होता है कि जरा-जरा सी बात को आजकल बहस का रूप देने के लिये सबको वक्त कैसे मिल पाता है। मुझे डर भी है कि हम हिंदी को बढ़ावा देने के लिये जो कदम उठा रहे हैं एक दिन यहीं थम जायेगा। क्योंकि आज बहस हमारी आपसी गलतफ़हमी से पैदा हो जाती है। जब घर की दीवारों को दीमक लग जायेगी तो भला छत कब तक ठहर पायेगी? किसी दिन ब्लॉग की सुविधा ही बंद हो गई तो न तुम याद किये जाओगे न याद ही आओगे। वक्त है ही कितना। सब कुछ तो अनिश्चित है फ़िर यह तककार क्यूँकर? नव वर्ष में सभी से निवेदन है की एक दूसरे की समस्या को समझें और व्यवहार करें। ज्यादा ही किसी को परेशानी है तो अंग्रेजी शब्द को छोड़ कर चिट्ठाकार व चिट्ठाकारा शब्द इस्तेमाल कर लें। मगर झगड़ा कतई अच्छा नही है, ब्लॉगर शब्द तो है ही अंग्रेजी का जिसमें शी इज़ ब्लॉगर और ही इज़ ब्लॉगर कहा जा सकता है। आप सभी से निवेदन हैं, जब तक मिल रही है ब्लॉगिंग की मुफ़्त की सुविधा का फ़ायदा उठाये और हिंदी को आगे बढ़ायें।
जवाब देंहटाएंमौज का खतरा समझ रहे हैं ? मत लिया करिये -स्किल्ड नहीं हैं आप !
जवाब देंहटाएंयह सही है कि आपकी प्रविष्टि किसी भी तरह यौनिक शोषण/उत्पीड़न नहीं करती ! आपकी टिप्पणी ने जरूर थोड़ी मुश्किल कर दी होगी! रही बात शब्दों के लिंग-संकेत की तो अंग्रेजी शब्दों को मुक्त कर दें इससे ।
मिथिलेश जी की इस टिप्पणी को भी वक्र-दृष्टि मिलनी है । क्या जरूरी थी यह टिप्पणी ! क्या मिथिलेश जी के साथ हैं आप ? भाषा और संवेदना के चलते इस टिप्पणी पर मेरा विरोध है । इस तरह के समर्थन मिलेंगे तो शायद ही खत्म होगा एकाध और साल तक आपका यह विवाद !
@हिमांशु ,
जवाब देंहटाएंमाडरेशन खुला है तथापि मिथिलेश की टिप्पणी उतनी पीड़ा दायक नहीं जितना किसी पर
अनुचित और नाहक यौनिक उत्पीडन जैसा घृणित आरोप लगा दिया जाय ,
अब इतना सौहार्द भी किस कामका कि कोई खड़े बाजार आपकी इज्जत नीलाम कर दे और और आप
गांधी जी बने रहें !
तो आपको भी गीदड भभकी मिल गयि
जवाब देंहटाएंयह औरत निश्चित तौर पर विक्षिप्तावस्था में जा चुकी हे। मिथिलेश का कहना ठीक है।इनका इलाज अब हो जाना चाहिये।
जिस लुगाई का परिवार नहीं वह यहां परिवार की भाषा क्या जाने
इस अबला ने जितना जहर उगला है अपने दर्जनों प्रोफ़ाईल के सहारे-वह सामने आये तो कहीं मुंह वगैअरह दिखाने लायक न बचे।बेनामी बन कितनों की असी तैसी की है-वह भी कम नहीं है।
इस मादा में कितना खोखला माद्दा है यह इनके खैरक्वाह भी जानते हैं
जिस स्त्री के बारे मेइं जे सी फिलिप जी ने लिखे था कि इसके नाम से कईयों को मूत्र शंका होने लगती है-उसके लिये कुश लोग बेमतलब आ डटे थे
जिस जनाना ने यह नहीं जाना कि दूसरि महिलायों की भावनायें क्या होती है-वह चलि है कोर्ट में?शायद वहां इनके चक्कर जादा लगे हैं
अगर यह अनोखी रचना यहां आ कर चैलेंज दे तो इसकी सारी करतूतें जाहिर कर दी जायें
है हिममत इनमें और इनके झूटे समर्थकों में
इनके अपने ब्लOउग की साथी महिलायें क्या कहती लिख्तीं है इनक बारे में पता चले तो दुबारा कभी यहां पैर न धरे
कटखन्नी बिल्ली है यह-कमरा बंद है रास्ता है नहीम-जो सामने दिखता है झप्पटा मार देती है
आज अर्विन्द जी आ गये सामने :-)
अभी तक तो यह ब्लॉगरा हिन्दी ब्लोगों पर इंगलिश में टिप्पणी करती थी,अब हिंदी ब्लोग पर इंगलिश की पोस्ट भी डालने लग गई
अनुवाद करने को कह देने पर यौन उत्पीडन??????????????
बेचारा जज भी भाग जायेगा-आप क्या चीज हो अर्विन्द जी
सेक्सुअल हरासमेंट?????????? मतलब नमक है अभी भी!!!!!!!!!!!!!!!!!
बिंदास रहिये-दिया अपना तेल खतम होने पर फडफडा रहा है
इस रचना ने कितने प्रोफाईल बना रखें हैं आप कहें तो बताऊँ
जैसा इनके बाकी प्रोफाईलों की जानकारी दी थी मैंने अपने ब्लोग पर
हिंमांशु कुछा भी कहें लेकिन मिथिलेश ने बिल्कुल ठीक कहा है मैं भी सहमत हू कि जब भी ब्लोगवाणी खोलता हूँ तो देखता इनका बकवास और फालतु के लेख चलते रहते हैं । समझ नहीं आता कि ये क्या सिद्ध करना चाहती हैं , । अरविन्द जी मैं तो चाहूगा की आप तैयार रहिए इनके केस का सामना करने के लिए , देखते है हम भी क्या ऊखाड़ लेती हैं ।
(यह टिPअणी मेरी है, लिखने में मेहनत लगी है-आप भले ही सहमत नहों मेरी भाषा-भावनायों से लेकिन इसे प्रकाशित जरूर करें
आखिर जहर उगलने में इस रचना का कोई मोनोपली है क्या}
हिमांशु ने लिखा है कि
जवाब देंहटाएं(मिथिलेश जैसे)समर्थन मिलेंगे तो शायद ही खत्म होगा एकाध और साल तक आपका यह विवाद!
मेरा पूछना है कि अर्विन्द जी को किस तरह के लोगों का समर्थन मिले कि यह विवाद खतम हो जायें या फिर इससे पहले बाकि लोगों को कैसे समर्थन मिले थे जो विवाद खतम हो गया
धूम धड़ाम फटाक फट्ट सूँ ssssss बम्म
जवाब देंहटाएंजाते हुए साल को अच्छी विदाई.
मैंने इस पर अपने ब्लॉग पर लिखा है. आज हिन्दी में किसी एक चीज की आवश्यकता है तो जिम्मेदार ब्लॉगरी की. यह विवाद फालतू है. आवश्यक है कि ऐसी बातों को तूल न दिया जाय. डाक्टर अरविन्द आप निश्चित रहें. बवाल छद्मनामी ने सही कही है. आप से निवेदन है कि सार्थक लेखन में लगे रहें.
हास्य बोध के मामले में भारतीय बदनाम हैं लेकिन विदेशी दर्शन के प्रभाव में आने पर भी इतनी संकीर्णता तो हद्द है.
पूरा प्रकरण पढ़ा...कुछ समझ में नहीं आया कि क्या कहूँ। आपकी टिप्पणियाँ जरुर कहीं-कहीं उद्वेलित करती हैं लोगों को लेकिन हालात ऐसे तो नहीं दिखे कि इन कठोर शब्दों का इस्तेमाल हो।
जवाब देंहटाएंवहीं दूसरी ओर मिथिलेश जी और ज्ञान जी की टिप्पणियाँ आपत्तिजनक हैं- खास तौर पर इसलिये कि ये एक सार्वजनिक मंच है। व्यक्तिगत विवादों को सुलझाने के लिये परस्पर मंच का इस्तेमाल हो ना कि अन्य का।
गौतम जी यहाँ आपको फौजी के बदले ब्लॉगर मान कर पूछा जा रहा है कि यदि अर्विन्द जी की टिप्पणियाँ जरुर कहीं-कहीं उद्वेलित करती हैं तो रचना की टिpपणियां पढ़ी हैं ना आपने!? यह औरत टिप्पणी लिखती है भड़ास निकालती है फिर चुपके से कुछ दिन बाद अपनी टीप्पणी हटा लेती है।इस चcक्कर में बाकी उठापटक जो चुकी रहती है इअनके कारण वह आने वालों के लिये aहसी का पात्र हो जtाआ aहि
जवाब देंहटाएंयदि इनकी लिखी टिप्पणियां आप्को पडने को दी जायें तो आप अपनी आंखे ही बंद का लें
औअर आपका कथन-
ये एक सार्वजनिक मंच है।
व्यक्तिगत विवादों को सुलझाने के लिये परस्पर मंच का इस्तेमाल हो
ना कि अन्य का।
यह सब बौखलाई रचना के लिये भी कहा गया है कि सिर्फ अर्विन्द जी के लिये है?
अभी-अभी मुझे मेरी एक महिला मित्र ने एक एस.एम.एस. भेजा, जो कुछ ऐसा था -
जवाब देंहटाएं2010 is coming
Wish you a very
Happy New Year
&
valentine day
Basant Panchami
15 Aug
26 Jan
Happy friendship
Mother's
Father's
Dadi
Nani
dada
nana
Teacher's
&
Children's day,
Happy b'day..
365 gud mrng gud afternoon & gud night,
Sala roz ka drama hi khatm. ab pure saal mat kahna ki wish nahi kiya..
मुझे बस यह जानना है कि क्या मैं भी उस पर यौन जनित "साला" शब्द प्रयोग करने पर केस कर सकता हूं? :-o
ये क्या हुआ - हँसी हँसी में बात फँसी । गम्भीर हो गई है इसलिए शुरू करते हैं:
जवाब देंहटाएंकई पक्ष हैं:
(1) ब्लॉगर शब्द का लैंगीकरण
(2) अरविन्द जी द्वारा लेख के हिन्दी अनुवाद की माँग (ताकि हिन्दी ब्लॉगर पढ़ सकें समझ सकें, आखिर वह
ब्लॉग तो हिन्दी मंच ही है।)
(3) 'बिना कुछ किए धरे मुक्ति की बाट जोहना' - एक लाक्षणिक प्रयोग जिसमें व्यञ्जना भी समाहित है।
(4) लाक्षणिक प्रयोग को समझे बिना प्रतिक्रिया
(5) प्रतिक्रिया में बिन्दु सं (1) को बेवजह ले आना
(6) एक ब्लॉगर पर उपर की पाँच बातों के लिए/के कारण/या चाहे जो हो - sexual harassment का आरोप
लगाना। मतलब कि मानहानि ।
बिन्द सं 6 पर कोर्ट केस करने का ठोस मामला बनता है। प्रतिक्रिया में होश खोने और फिर ऐसा लिखने का
जिससे एक सम्मानित व्यक्ति को ठेस और हानि पहुंचती हो। यह बस एक दृष्टि है। लड़ने वाले सोच समझ लें ।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार है। यदि धमकी देकर कोई इससे आप को वंचित करता है या करने की कोशिश करता है तो आप सर्वोच्च न्यायालय में सीधे अर्जी लगा सकते हैं - शायद Art 39 है।
हाँ, ब्लॉगरा जैसे शब्द को खींच कर कोई नारी उत्पीड़न बना देता है और कोर्ट में जाता है तो थुक्का फजीहत तय है। कोर्ट का समय बरबाद करना भी एक दण्डनीय अपराध है। ऐब्सट्रैक्ट सी बात में आप का इरादा देखा जाएगा जो कत्तई नारी उत्पीड़न का नहीं था। (जारी)
This is really too much now. She urgently needs to get help.
जवाब देंहटाएंगौतम जी आपकी बात तो बिल्कुल सही है , किन्तु जरा आप ज्ञान जी की बातो पर भी ध्यांन दें , मसला आप समझ जायेंगे कि क्या गलत है और क्या सही , साथ ही कौन सा मंच सही होगा ऐसे लोगो के लिए ।
जवाब देंहटाएंPD को मिले एसएमएस की तरह कहना चाहता हू कि Sala roz ka drama hi khatm करो अब
जवाब देंहटाएंनारी के एक ब्लॉग पर एक यह पोस्ट भी दिखी नारी को लक्षित
जवाब देंहटाएंhttp://mahilanyaydheesh.blogspot.com/2009/12/blog-post.html
जो एक व्यक्ति घोषित रूप से अतार्किक बातें करने और ऊल-जलूल टिप्पणियाँ छद्मनाम से करने के लिए पूरी तरह पहचाना जा चुका है और अब कोई भी जिसे गम्भीरता से नहीं लेता उसको लेकर इतना वितण्डा खड़ा करने से टीआरपी भले ही बढ़ जाय लेकिन किसी सम्मानित और प्रतिष्ठित ब्लॉगर का कद और ऊँचा नहीं होने वाला। बड़प्पन का तकाजा होता है कि व्यक्ति क्षुद्रमति के आगे चुप लगा जाय। उसे ही अपने छद्म विजय की पताका फहराने दे।
जवाब देंहटाएंमैंने वहां आपकी प्रतिक्रिया पढ़ी, उसमें विवाद वाली तो कोई बात न थी। बस कारण ये था कि आपने उसको एक नसीहत दे दी कि इसका हिन्दी वर्सन पेश करो। अगर कह देते बहुत अच्छा है तो वो खुशी खुशी एक शानदार टिप्पणी देकर चली जाती। अगर को पुलिंग या स्त्रीलिंग शब्द पैदा होता है इसमें बुराई ही क्या है। स्वयंवर है, और उसके विपरीत कोई शब्द नहीं, अगर वहां पर स्वयंवधु हो जाए तो क्या बुरा है। सीता ने रचाया था, स्वयंवर, मतलब खुद के लिए वर चुनना, जब लड़का कोई वधु चुने तो उस का नाम भी स्वयंवधु होना चाहिए।
जवाब देंहटाएं@सिद्धार्थ जी ,बात छोटे बड़े होने की नहीं है -एक महिला ब्लॉगर द्वारा सरे आम एक ब्लॉगर पर यौनिक उत्पीडन का शर्मनाक और घृणित आधारहीन आरोप लगाकर धमकाया जा रहा है -यह एक गंभीर मुद्दा है ! इसे कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है ?
जवाब देंहटाएंबहुत सी 'एलीट' ज्ञानवर्धक पत्रिकायों में एक शब्द का इस्तेमाल खूब होता है- फैंटासी
जवाब देंहटाएंलगता है मतिभ्रम में aय्ह ब्लॉगरा भी उसी का शिकार हो गई
अरविंद जी मैं कहता हूँ कि आखिर कब तक आप चुप बैंठेंगे , यहाँ कोई किसी की खैरात तो खा नहीं रहा कि चुप बैठ सके । और चुप न रहने और कुछ न बोलने की भी सिमा होती है , आप बोले जायें बोले और हम चुप रहें जरा मुश्किल है । आप बिल्कुल पिछे मत हटीयेगा , हम आपके साथ हैं , इसी बहाने ये भी देख लिया जायेगा , कि बोलने वाले कितना कर पाते हैं ।
जवाब देंहटाएंदादा,दादी,चाचा,चाची,भाई,बहिनी,छोटका,छोटकी !
जवाब देंहटाएंArt 39 अगर कुछ और हो तो ठीक कर लीजिएगा। अभी 'लापतागंज' सीरियल देख रहा था। हर उस ब्लॉगर को जिसका हास्यबोध (courtesy बेनामी, नए नए आए हैं लेकिन कूदने से नहीं घबराए हैं;) विकसित नहीं है, इसे देखना चाहिए(कसम से मुझे कुछ नहीं मिला है इस रिकमेंडेसन के लिए) । आज के प्रकरण में यह भी था। एक महिला 'गुरू गोविन्द दो ऊ खड़े काके लागों पाय बलिहारी ....' का ऐसा कुछ अर्थ समझा रही थी कि गुरु और गोविन्द खड़े थे लेकिन उन्हें देखने के बजाय बलिहारी को देखना चाहिए। पार्श्व में भैंस के रँभाने की आवाज आ रही थी। औरत को मानसिक रूप से इतना गिरा दिखाया ! और वह भैंस की आवाज !! सोचता हूँ कि सीरियल पर केस कर दूँ - लैंगिक पूर्वग्रहों के प्रसारण द्वारा जनता को गुमराह करने के लिए। नारी उप्तीड़न के बीज करोड़ो मस्तिष्कों में ऐसे सीरियल बो रहे हैं [ (;) सीरियस हो गए ? भाई/बहिनी मैं मजाक कर रहा हूँ)स्पष्टीकरण आवश्यक है, नहीं तो मेरे उपर भी सीरियलवा वाला केस कर देगा ] ।
दिमाग खोलिए सभी लोग !
अब आइए 'ब्लॉगरा' शब्द पर। लेकिन पहले नायिका भेद। चुनौती दे रहा हूँ कि कोई इस पर इतने सुघड़ तरीके से और इतनी गरिमा के साथ प्रस्तुति करे - ब्लॉगिंग में, किताब में नहीं। आप लोग वहाँ नारी ब्लॉगरों का योगदान देखिए (जी चाहता है उन्हें ब्लॉगरा कह दूँ ;) सब पुराना प्रतिक्रियावादी ही नहीं होता ! जो व्यक्ति ऐसी चुनौती लेकर निभा सकता है वह नारी उत्पीड़न की सोचेगा ? इतनी गिरी मानसिकता होती तो कहीं तो स्खलन होता ! छि: लानत है ऐसी मानसिकता पर जो बस एक शब्द पर कैरेक्टर सर्टिफिकेट बाँटती फिरती है। सारे साहित्यकार इस कसौटी पर लैंगिक भ्रष्टाचारी कहलाएँगे ।
कोई भी शब्द जब दूसरी भाषा से आता है तो उसका संस्कार होता है। द्विज बनता है वह ! (कह लो मुझे ब्राह्मणवादी)। संस्कृत का 'आत्मा' जो पुलिंग था, हिन्दी में आकर स्त्रीलिंग हो गया । अंग्रेजी का child हिन्दी का बच्चा जो नपुंसक लिंग का था, कब बच्ची हो गया, पता चला? पुरुषों का अपमान है यह ! सुना आप ने ? इस भाषिक लैंगिक उपद्रव के लिए किस कोर्ट में किस के उपर मैं केस करूँ? अनगिनत उदाहरण हैं। आप एक साहित्यकार से उसकी भाषिक स्वतंत्रता छीनना चाहते हैं( ती शामिल समझें) सिर्फ एक निहायत ही प्रतिक्रियावादी,पतनोन्मुखी, ह्रासमयी सोच की हवाई बातों के लिए ? नहीं, यह ठीक नहीं है।
उस शब्द में बस एक बात थी - उसने एक हास्यप्रेमी के सृजनात्मक मन की राह पकड़ी जिसने उसे सबसे त्वरित माध्यम पर सवार करा दिया और बात कहाँ से कहाँ चली गई !
अरे भाषा गृह में इन विदेशी अतिथियों को कोई तो सम्मानसूचक साफा बाँधेगा !
क्या जरूरी है कि शब्दों के साहित्यिक संस्कार आप की बेहूदी और छुई मुई मान्यताओं पर खरे उतरें ? नारीवाद यदि इतना घोंघा है तो भई सही और अलमस्त चलने वाले इसके लिए तो नहीं सिकुड़ेंगे। हमें चाहिए अपाला, घोषा, ... हाँ किरण बेदी, कल्पना चावला भी.. इनमें से कोई इतनी छुई मुई नहीं कि एक शब्द पर उत्पात करती फिरी हो या एक शब्द पर अपने पुरुष सहचरों को तौलती, कोसती और उनको चरित्र का प्रमाणपत्र बाँटती फिरती रही हो। ... हम पुरुष ऐसियों की राह प्रशस्त करेंगे। हम नए जमाने के पुरुष हैं। हमें किसी वाद के लिए नपुंसक नहीं होना है क्यों कि हमारा पौरुष ऐसी हर नारी को सम्बल देगा, उसे आगे बढ़ाएगा जो व्यक्ति होने की राह चलेगी। उसे हमारे पौरुष की जरूरत होगी। उसे हमारे हास्यबोध को भी स्वीकारना होगा - ब्लॉगरा, ठीक वैसे ही जैसे हम उनकी चुहुल को स्वीकारते हैं। ये सब इसलिए कह रहा हूँ कि कहीं यह फाँस चुभी हुई है जिसके कारण ही ऐसी बातें सामने आती हैं।
... बेनामी जी! सचमुच हद्द है।
जरूरत है सभी लोग हद्द में रहें। मुफ्त की सेवा है यह, हिन्दी की सेवा कीजिए। फालतू की बहसों में समय जाया न कीजिए। इससे बेहतर है कि बच्चे को(बच्ची को भी शामिल समझें) हिन्दी की कोई कहानी ही सुनाइए लेकिन कृपा करके ऐसे अनर्थकारी प्रकरणों में न पड़िए।
एक नारी ने इस रचना के लिए कहा:
जवाब देंहटाएंरचना, तुमने मुझे निराश किया ....में पुरुषों और समाज के प्रति नफरत की भावना है...
तुमने उसे, उसके माता-पिता को गालियाँ दे डालीं ...
मेरी जैसी नारियां इस संगर्ष में आप लोगों के साथ नहीं
http://blog.chokherbali.in/2008/08/blog-post_4824.html
हो न हो जरूर निकट भविषय में "हिन्दी ब्लागिंग" शब्द ही विवाद,झगडा,जूतमपैजार इत्यादि के समानार्थी शब्द के रूप में प्रयुक्त होने लगेगा!
जवाब देंहटाएंsabsey badii baat kyaa bhasha pae samayam rakhae yae shaeli yahan naa istaemaal karey kyuki aap yaahe aaye haen hamene bulaaya nahin haen . aap ke paas aap ka blog hae us par likheay aur apni bhasha jaesi chaahey rakhey . dubaara kament tabhie dae jab bhaasha par control rakh sakey .
जवाब देंहटाएंhttp://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2008/09/blog-post_18.html
आप खुद लिख रही है कि यह महिलाओ का ब्लोग हे इस पर केवल महिलाये लिखेंगी. क्या ऐसा कोई ब्लोग बता सकती है जो केवल पुरुषो के लिये हो. आप किस आजादी की बात कर रही है, केवल अपने पूर्वाग्रहो मे कैद होना आजादी नही होती.
जवाब देंहटाएंhttp://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2009/05/blog-post_27.html
रचना को मिली एक सलाह:
जवाब देंहटाएंआपको हर बात का जल्द बुरा नही मानना चाहिये। आप समझदार हैं , अपने मूल्यवान कमेंट भी देने चाहिये । केवल किसी के मर्म पर चोट करने से बचना चहिये ।
http://blog.chokherbali.in/2008/03/blog-post_30.html
महफूज अली का निम्न कमेन्ट ई मेल से प्राप्त हुआ है-
जवाब देंहटाएंसेक्सुअल हरासमेंट कि परिभाषा संविधान में निम्नलिखित है:---
१. रेप करने का प्रयास
२. कोई सेक्सुअल फेवर
३. बुरी नियत से छूना
४. अश्लील फोन, मेसेज या फिर कोई अश्लील किताब दिखाना
५. सेक्सुअल लुक देना .
६. अपने शरीर कोई विशेष अंग दिखाना ?
७. डेट पे जाने के लिए जोर देना.
८. सीटी मारना
९. सेक्सुअल कमेन्ट .
८. सेक्स टोपिक डिस्कस करना ?
९. सेक्सुअल फंतासी शेयर करना ?
१०. शरीर के प्राइवेट अंग के बारे में कोई ज़बरदस्ती .
११. फोन सेक्स करने कि कोशिश
१२. neck massage देने कि कोशिश
१३. कोई पर्सनल गिफ्ट जैसे sanitary napkins, tampons, bra, या फिर कोई अन्य अश्लील गिफ्ट देने कि कोशिश
१४. चूमना , हग करने कि कोशिश
१५. किसी अंग को सहलाने या छूने कि कोशिश
१६. कोई flying किस
१७. अपने शरीर का विशेष अंग दिखाने कि कोशिश
१८. कोई सेक्सुअल कहानी सुनाना
१९. pornography दिखाना
२०. कोई अफवाह उड़ाना ?
अगर उपरोक्त में से आपने कुछ भी नहीं किया है तो कोई सेक्सुअल हरासमेंट का केस नहीं बनता है. उल्टा आप मानहानि का दावा कर सकते हैं. अगर article 21. महिला के लिए है तो वही पुरुष के लिए भी है और सेक्सुअल हरासमेंट का केस महिला-पुरुष दोनों पर सामान रूप से लागू होता है... यानी कि महिला भी सेक्सुअल हरासमेंट कर सकती है....
ब्लोगरा जैसा शब्द तो सिर्फ मज़ाक है... अब इसे seriously ले लिया तो क्या किया जाए? . (जारी....)
रचना ने कहा:
जवाब देंहटाएंअपने कहे हो कभी भी "clarify " मत करे क्योकि clarification कि ज़रूरत तब होती है जब हम ग़लत हो
http://neelima-mujhekuchkehnahai.blogspot.com/2008/04/blog-post.html
हर मुद्दे पर संविधान की बात करने वाली रचना को संविधान पढ़ना चाहिये
जवाब देंहटाएंमहफ़ूज़ का कहना बिल्कुल ठीक है
आप तो नोटिस भिजबा ही दो अर्विन्द जी
तमाम हेकड़ी निकल जायेगी ब्लॉगरा की
रचना जी की जिज्ञासा क्या यह संकेत नहीं करती की नारी अभी स्वयम देह चर्चा से ऊपर नहीं उठ सकी है । हे इश्वर इन्हे इनके सपनों में वो सब मत दिखाना जो ये जागृत अवस्था में दिमाग में सोचतें रहतें है |
जवाब देंहटाएंhttp://indianscifiarvind.blogspot.com/2008/08/blog-post_04.html
खुद रचना ने कहा:
जवाब देंहटाएंकुछ लोग आदत से मजबूर होते हैं . उनके लिये दूसरे पर टिका टिप्पणी करना केवल और केवल sadistic pleasure हैं .
What is
जवाब देंहटाएंSexual
Harassment in Indian context?
------------------------------
What?
The EEOC has defined sexual harassment in its guidelines as:
Unwelcome sexual advances, requests for sexual favors, and other verbal or physical
conduct of a sexual nature when:
· Submission to such conduct is made either explicitly or implicitly a term or
condition of an individual's employment, or
· Submission to or rejection of such conduct by an individual is used as a basis
for employment decisions affecting such individual, or
· Such conduct has the purpose or effect of unreasonably interfering with an
individual's work performance or creating an intimidating, hostile, or
offensive working environment.
Unwelcome Behavior is the critical word. Unwelcome does not mean "involuntary."
A victim may consent or agree to certain conduct and actively participate in it even
though it is offensive and objectionable. Therefore, sexual conduct is unwelcome
whenever the person subjected to it considers it unwelcome. Whether the person in
fact welcomed a request for a date, sex-oriented comment, or joke depends on all the
circumstances.
Source: Preventing Sexual Harassment (BNA Communications, Inc.) SDC IP .73
1992 manual
Sexual harassment includes many things...
· Actual or attempted rape or sexual assault.
· Unwanted pressure for sexual favors.
· Unwanted deliberate touching, leaning over, cornering, or pinching.
· Unwanted sexual looks or gestures.
· Unwanted letters, telephone calls, or materials of a sexual nature.
- { PAGE } -
· Unwanted pressure for dates.
· Unwanted sexual teasing, jokes, remarks, or questions.
· Referring to an adult as a girl, hunk, doll, babe, or honey.
· Whistling at someone.
· Cat calls.
· Sexual comments.
· Turning work discussions to sexual topics.
· Sexual innuendos or stories.
· Asking about sexual fantasies, preferences, or history.
· Personal questions about social or sexual life.
· Sexual comments about a person's clothing, anatomy, or looks.
· Kissing sounds, howling, and smacking lips.
· Telling lies or spreading rumors about a person's personal sex life.
· Neck massage.
· Touching an employee's clothing, hair, or body.
· Giving personal gifts.
· Hanging around a person.
· Hugging, kissing, patting, or stroking.
· Touching or rubbing oneself sexually around another person.
· Standing close or brushing up against a person.
· Looking a person up and down (elevator eyes).
· Staring at someone.
· Sexually suggestive signals.
· Facial expressions, winking, throwing kisses, or licking lips.
· Making sexual gestures with hands or through body movements.
- { PAGE } -
{PRIVATE}Examples
VERBAL
· Referring to an adult as a girl, hunk, doll, babe, or honey
· Whistling at someone, cat calls
· Making sexual comments about a person's body
· Making sexual comments or innuendos
· Turning work discussions to sexual topics
· Telling sexual jokes or stories
· Asking about sexual fantasies, preferences, or history
· Asking personal questions about social or sexual life
· Making kissing sounds, howling, and smacking lips
· Making sexual comments about a person's clothing, anatomy, or looks
· Repeatedly asking out a person who is not interested
· Telling lies or spreading rumors about a person's personal sex life
NON-VERBAL
· Looking a person up and down (Elevator eyes)
· Staring at someone
· Blocking a person's path
· Following the person
· Giving personal gifts
· Displaying sexually suggestive visuals
· Making sexual gestures with hands or through body movements
· Making facial expressions such as winking, throwing kisses, or licking lips
PHYSICAL
· Giving a massage around the neck or shoulders
- { PAGE } -
· Touching the person's clothing, hair, or body
· Hugging, kissing, patting, or stroking
· Touching or rubbing oneself sexually around another person
· Standing close or brushing up against another person
रचनाजी, चीजों को देखने-समझने का दायरा आपका बहुत छोटा है। ...सोच को बड़ा करें। ...लगता है आप हिंदी की कथित साहित्यिक पत्रिकाएं नहीं पढ़ती-देखतीं। ...जरा मुझे यह बताइए नारी ब्लॉग को चलाकर अब तक आप कितनी और कहां तक क्रांति कर और करवा पाई हैं?
जवाब देंहटाएंhttp://anshurastogii.blogspot.com/2009/03/blog-post_11.html
सेक्सुअल हरासमेंट कि परिभाषा संविधान में निम्नलिखित है:---
जवाब देंहटाएं१. रेप करने का प्रयास
२. कोई सेक्सुअल फेवर
३. बुरी नियत से छूना
४. अश्लील फोन, मेसेज या फिर कोई अश्लील किताब दिखाना
५. सेक्सुअल लुक देना .
६. अपने शरीर कोई विशेष अंग दिखाना ?
७. डेट पे जाने के लिए जोर देना.
८. सीटी मारना
९. सेक्सुअल कमेन्ट .
८. सेक्स टोपिक डिस्कस करना ?
९. सेक्सुअल फंतासी शेयर करना ?
१०. शरीर के प्राइवेट अंग के बारे में कोई ज़बरदस्ती .
११. फोन सेक्स करने कि कोशिश
१२. neck massage देने कि कोशिश
१३. कोई पर्सनल गिफ्ट जैसे sanitary napkins, tampons, bra, या फिर कोई अन्य अश्लील गिफ्ट देने कि कोशिश
१४. चूमना , हग करने कि कोशिश
१५. किसी अंग को सहलाने या छूने कि कोशिश
१६. कोई flying किस
१७. अपने शरीर का विशेष अंग दिखाने कि कोशिश
१८. कोई सेक्सुअल कहानी सुनाना
१९. pornography दिखाना
२०. कोई अफवाह उड़ाना ?
अगर उपरोक्त में से आपने कुछ भी नहीं किया है तो कोई सेक्सुअल हरासमेंट का केस नहीं बनता है. उल्टा आप मानहानि का दावा कर सकते हैं. अगर article 21. महिला के लिए है तो वही पुरुष के लिए भी है और सेक्सुअल हरासमेंट का केस महिला-पुरुष दोनों पर सामान रूप से लागू होता है... यानी कि महिला भी सेक्सुअल हरासमेंट कर सकती है....
ब्लोगरा जैसा शब्द तो सिर्फ मज़ाक है... अब इसे seriously ले लिया तो क्या किया जाए? . (जारी....)
खुद रचना का कहना है:
जवाब देंहटाएंब्लोग मे ही ये सुविधा है की अपना लिखा किसी से पसंद नहीं करवाना होता है ...मन के उदगार व्यक्त भी होगये और किसी से कुछ कहना भी नहीं पडा , यही है ब्लोग का असली मतलब ... जो समझ लेते हैं वह इसे ऎन्जॉय करते है किसी ने आप को जब तक ईमेल से लिंक नहीं बेह्जा है तबतक उसका ब्लोग अगर आप पढ़ रहें तो आप उसकी “निज ” का अवलोकन कर रहें है । किसी के निज पर उंगली उठाना गलत है उसे कुडा कहना गलत है ।
http://nuktachini.debashish.com/290
नारी ब्लॉग से जुड़े कुछ एक लोगों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ कहीं गयी बातों को सार्वजनिक तौर पर न ही पढ़ा जा सकता है न ही ऐसी बातें करने वालों को प्रश्रय दिया जाना चाहिए ,
जवाब देंहटाएंhttp://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
Rachna ji ne kah dia to baat khatm..... aap gunahgaar
जवाब देंहटाएंआदरणीय रचना सिंह जी हम किसको क्या मानें यह तो हम खुद ही निर्णय लेंगे ... यहाँ किसी का नाम तो लिखा नहीं...न ये लिखा कि सभी ब्लॉगर हमारे भाई हैं या भाभियाँ हैं...
जवाब देंहटाएंगलतियाँ निकालने का काम तो हमारा है नहीं ...आपको यह पसंद है
http://chitthacharcha.blogspot.com/2008/11/blog-post_1844.html
भैया.... Anonymous.... मुसीबत में आ जाओगे.... बेनामी टिप्पणी करने पर..... मैं IP Address पकड़ने में माहिर हूँ.... ऐसे ही तरन्नुम को पकड़ा था.... जो कि तुम्हारी ही जानने वाली थी .... जिसकी तरफदारी कर रहे हो.... मैं वहां तक दौड़ा दौड़ा तक मारूंगा ... जहाँ तक दौड़ने में फट जाएगी..... अब यह मत पूछना कि क्या फटेगा?
जवाब देंहटाएंवाकई ब्लागरा शब्द इतिहास रच रहा है।
जवाब देंहटाएं@ अनुरोध है की कृपया गंभीर टू द पाईंट टिप्पणी करें -और आवेश में कुछ न लिखें
जवाब देंहटाएंयह एक गंभीर प्रकरण है इसे उसी जिम्मेदारी से लें -मैं ६२ टिप्पणियाँ (क्षमा याचना सहित )
डिलीट कर चुका हूँ -अतः पुनरावृत्ति भी न करें ! आप सभी का आक्रोश समझा जा सकता है जो यहाँ
सहज ही प्रवाह बन उमड़ा आ रहा है -कोई कब तक टालरेट करे ? मगर फिर भी हमें सयंम और श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों का
ध्यान रखना ही चाहिए !
यूँ लगा जैसे बनारस के किसी पान की दुकान पर बैठे हैं और किसी गंभीर मुद्दे पर जोरदार चर्चा हो रही है-
जवाब देंहटाएंचर्चा में सभी शामिल हैं विद्वान, साहित्यकार से लेकर अध्यापक, छात्र, नेता,पहलवान.. आदि. इससे पहले कि बात हाथापाई तक पहुंचे यहाँ से खिसक लेने में ही भलाई है।
वैसे ही जैसे ऐसी असहज परिस्थितियों में बुद्धिजीवी करता है।
अर्विंद जी आज तो टिपण्णियां पढने मै ही मजा आ रहा है,इस साल की हिंट पोस्ट, हिट ब्लांगरा, ओर हिट टिपण्णियां
जवाब देंहटाएंसुना था आज देख भी लिया...........
जवाब देंहटाएंएक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है
मज़े की बात ये है कि कहावत में मछली ही कहा गया है किसी मछ्ले को इतना गन्दा नहीं बताया गया ....हा हा हा हा ...........ठोंक दो केस कोर्ट में....
स्तब्ध हूं !
जवाब देंहटाएंप्रोटेक्शन आफ वीमेन एगेंस्ट सेक्सुअल हरासमेंट ऐट ब्लागपैलेस- 2009 बिल का यह ऐतिहासिक मसौदा समझा जाय और इसे दोनो सदनो मे पेश किया जाय. अब तो एंटी सेक्सुअल हरासमेंट कमेटी इन ब्लाग का गठन भी होगा.
जवाब देंहटाएंऔर शब्दो का अधिवक्ताछाप अर्थांन्वयन भी होगा कोरट मे निपटेगे. जी चिंता की कौनो बात नही है. :)
मिश्रा जी नोटिस तो भिजवाय दो.
ओह सर , मैं बहुत देर से पोस्ट को पढ रहा था और सभी टिप्पणियों को , कुछ कहता कि इससे पहले ये सब निकला आप देखिए :-
जवाब देंहटाएंखिसयानी बिल्ली खंबा नोचे
एक सडी हुई मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है
चाल, चरित्र और बिवाई ..कभी नहीं छिपते और बदलते ....
अधजल गगरी छलकत जाय....
परजीवी हमेशा दूसरों पर पलते हैं ..फ़िर चाहे वो खून हो या पोस्ट ....
और भी कई हैं इस तरह के अब सारे के सारे क्या लिखूं सर .....मगर मेरी समझ में ये नहीं आया कि आपकी पोस्ट पढ के ये विचार यकायक कैसे आ गए .....कुछ तारतम्य है क्या ....इस सबसे । रही बात कोर्ट कचहरी की तो हमें भी एक बार डायरेक्ट फ़ोनिया के यही सब कहा गया था ....हमने आग्रह किया कि हमारा प्रोफ़ाईल थोडा सा बडा कर के देखा जाए ...तब जा के बात समझ में आई ..यहां भी आ जाएगी ...आप बेफ़िक्र रहें ...एकदम टनाटन ...और हां चलते चलते अन्य मित्रों से ये आग्रह कि जाने अनजाने ....किसी को कष्ट पहुंचा के ....कुछ करने का मौका न दें ...और जो जानबूझ कर रास्ता काटे ....उसे पूरी तरह उस रास्ते से उतार दें ।
देर से आने की माफी चाहता हूँ. मैंने क़ानून नहीं पढ़ा है. किसी और को क़ानून का कितना ज्ञान है इस बारे में भी मैं कुछ नहीं कह सकता मगर इतना ज़रूर कहूंगा कि हिन्दी (even bilingual) के सार्वजनिक ब्लॉग पर अंग्रेज़ी में लिखे लेख के हिन्दी अनुवाद का निवेदन किसी भी भाषा में उत्पीड़न नहीं कहा सकता है इसका मुझे पूर्ण विश्वास है. अगर यह एक गंभीर धमकी है तो ऐसी धमकी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के प्रावधान उपलब्ध हैं - आप अपने वकील से सलाह लीजिये और यथोचित कीजिये ताकि अभी या भविष्य में कोई और आपको या अन्य ब्लोगरों, पत्रकारों, लेखकों आदि को इस तरह की धमकियों से मानसिक तौर पर प्रताड़ित न कर सके.
जवाब देंहटाएंमेरा मानना है कि ब्लॉगिंग एक मंच है जहां पर सभी लोग आ आकर अपनी बात रखते हैं। कुछ पर वाह वाही होती है, कुछ पर जूतमपैजार होती है तो किसी पर सार्थक बहस तो कहीं थू थक्कड।
जवाब देंहटाएंमैं रचना जी को व्यक्तिगत तौर पर तो नहीं जानता पर जहां तक मैंने उनके लेखों और टिप्पणियों को ध्यान से पढा है उनमें ब्लॉगिंग कम और ब्लॉग मंच की कमियां ही ज्यादा गिनाई गई हैं कि फलां ने ये नहीं कहना चाहिये, फलां ये फलां वो....एक तरह से मंच का उपयोग करने की बजाय मंच की कमियां निकालने में ज्यादा तत्परता दिखाई गई है कि मंच पर लगे बैनर का पिन निकल गया है, उधर मकडी का जाला लगा है, मंच कुछ उबड खाबड सा है, मंच का टेबल का पाया एक ओर से कुछ छोटा सा है इसलिये टेबल स्थिर नहीं है आदि आदि :)
अरे भई मंच पर आने के बाद ब्लॉगिंग किजिये न, ब्लॉगिंग पर भी बोलिये लेकिन इतना नहीं कि ब्लॉगिंग पर बोलने में इतना खो जांय कि ब्लॉगिंग करना ही भूल जांय :)
सो मेरा तो रचना जी से विनम्र अनुरोध है कि ब्लॉगिंग की मूल भावनाओं का ख्याल रखिये सभी की बात सुनिये....सभी को अपनी बात सुनाईये.... और हो सके तो केवल एक ही एंगल (नारीवाद) से किसी बात को देखने की प्रवृत्ति तज दिजिये।
न जाने कितने विवाद होते आये हैं इस ब्लॉगिंग में...न जाने अभी और कितने विवाद होंगे....लेकिन मजा तब है जब विवाद सार्थक और उचित मुद्दे पर हो.....इस तरह की बातों पर विवाद न होता तो अच्छा था लेकिन धमकी चमकी वाली टिप्पणी के कारण ही अरविंद जी को शायद बहुत मजबूर होकर अपनी बात को इस सार्वजनिक मंच पर रखना पडा है।
अरविंद जी, आप भी बात को आई गई मान रह जाईये। इस तरह केस वेस और फिजूल की बातों में वक्त क्यों जाया किया जाय। जहां तक मैं समझता हूँ इस तरह की बातें करने के पीछे वह वाली मानसिकता काम करती है कि मैंने तूझे कोरट कचहरी में बरबाद न किया तो मेरा नाम बदल देना, तूने मुझे समझा क्या है :)
बाबा कोरटानंद कह गये हैं कि जब कोरट कचहरी जाने का मन होता है तो मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार का हारमोन बनता है जो हारमोनियम बजाते कहता है कि बेटा पास में बहुत समय हो, बहुत पैसा हो तो ही आना वरना यहां पान की दुकान के पास खडे होने का भी हर्जाना लगता है कि जाने कौन वकील पूछ बैठे...............एफिडेविट बनवाना है का :)
कुछ बातें संजीदा होकर लिखी हैं, कुछ बातें मजाक के तौर पर....आप लोगों को जो ठीक लगे बटोर लिजिये औऱ जो बच जाय उसे व्योम में जाने दिजिये :)
नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित ....
- सतीश पंचम
स्थान - वही, जिसे कभी दहेज में दे दिया गया था :)
समय - वही, जब सब टीवी पर चंदा कानून नाम का सीरियल चल रहा हो और एक ब्लॉगर कटघरे में खडा हो कह रहा हो - मैं जो कहूगा पोस्ट के जरिये कहूंगा.....या फिर टिप्पणियों के जरिये कहूँगा....बशर्ते जज साहब मेरी टिप्पणियां मॉडरेट न कर दें :)
अच्छा घमासान छिड़ा हुआ है।
जवाब देंहटाएं@ज्ञान जी और मिथिलेश जी,
मैं शायद अपना मंतव्य स्पष्ट नहीं रख पाया। पहली बात तो मैं नारी ब्लौग पढ़ता ही नहीं क्योंकि वहाँ की बातें अन्य पुरुषों की तरह मुझे भी नहीं पचती। मैं अरविंद मिश्र जी की लेखनी का जबरदस्त फैन हूँ। पूरे प्रकरण के मध्य में वो हैं, उन्हें लक्ष्य करके मेल लिखा गया था लेकिन फिर भी उनकी पोस्ट में उनकी लेखनी संयमित और एक मर्यादा में है। मैंने आपत्ति जतायी थी आपदोनों के टिप्पणी पर, जो कि मिश्र जी के पोस्ट से हटकर कुछ दूसरे ही ढ़ंग से व्यक्तिगत हो गयी हैं।खैर...देखते हैं एक और ब्लौगाविवाद अब किस करवट बैठता है।
यह सम्पूर्ण प्रसंग अत्यधिक दुःखद और कष्टदायक है... ...और यहाँ पर की गयी टिप्पणियाँ बहुत निराशाजनक हैं.
जवाब देंहटाएंI prefer gender neutral word blogger , the idea of divining male vs. female blogger is not very intelligent and is not going to achieve anything sooner or later.
जवाब देंहटाएंGive value to the good writing and thoughtful exchange of ideas in this platform. It does not matter if the writer is male or female. We all share common space and common humanity, though may have different perspective. Its a great opportunity that we can learn from people who are different than us in terms of social-economic, religious background or even in terms of gender. Variety can bring enrichment, even if we do not categorize people into strict identities.
मोहतरमा ब्लागरा रचना जी को हमेशा हिन्दी ब्लाग की दुनिया मे याद रखा जायेगा। मेरे सहित पचास से अधिक ऐसे ब्लागर है जो इस तरह के गन्दे माहौल के कारण अब ब्लागिंग बन्द कर चुके है। समीर लाल जी ब्लागिंग को जिन्दा रखना चाहते है। वे पुराने ब्लागरो को बुलाना चाहते है। वे इन ब्लागरा महोदया को रचना दीदी कहते है। उनके बहुत से बलागो मे सहयोगी है। समीर जी आप बीच मे आये और इस आतंकवाद को बन्द करे। अब घुटन होती है यहाँ पर। अरविन्द जी जैसे ख्यातिलब्ध व्यक्ति पर अंगुली उठाने वालो को दस बार अपने को भी आँक लेना चाहिये। कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली (बाई).
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी के साथ हुयी घटना के विरोध मे हमारा समूह 50 सक्रिय हिन्दी ब्लागो को बन्द कर रहा है। हम कोशिश करेंगे कि जब तक यहाँ का माहौल नही सुधरेगा हम किसी नये को इस कीचड मे नही ढकेलेंगे।
अरविन्द जी आपने अपने दिव्य ज्ञान से हमे जो लाभानिवित किया है उसके लिये हम आपके आभारी है। हम रचना की ओर से क्षमा माँगते है। और हमे घिन आती है कि हम ब्लागर है क्योकि रचना जैसे लोग भी ब्लागर है। आज से हम इस शब्द से दूर रहेंगे।
डॉक्टर अरविंद जी पर लगे इस आरोप पर यही कहना है की इस तरह का आरोप एक सम्मानित व्यक्ति पर लगाना उनकी मान हानि करना है.
जवाब देंहटाएंमुझे याद नहीं कभी भी अरविंद जी ने किसी महिला के प्रति कोई भी अपशब्द कहे हों या किसी की गरिमा को ठेस पहुँचाई है..उन्होने तो अपनी इस पोस्ट में भी धमकी देने वाले का नाम 'जी 'के साथ सम्मान सहित लिखा है..
यह उनकी विनम्रता है जिसका समय समय पर कुछ लोगों द्वरा ग़लत लाभ उठाया जाता है.
इसे इंग्लीश में कहते हैं -- Soft and easy target hona...
रचना जी अपने नाम को पूरी तरह चरितार्थ करती हैं...
जवाब देंहटाएंअपने नाम से, काम से और अपनी रचनाओं से...
बहुत दुर्भाग्यपूर्ण .....!!
जवाब देंहटाएंएक मित्र ने लिंक भेजी आपके पोस्ट की और अवकाश पर होने के बावज़ूद टिप्पणी का आग्रह किया
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो आप ही को धमकाया जाए कि भुजंग में लेखन तक तो बात ठीक है, आपको बांबी में हाथ डालने की क्या ज़रूरत थी? फिर भी जब डाल ही दिया हाथ तो बांबी के भीतर हाथ हिला कर दोस्ती की कवायद ही क्यों की? :-)
खैर, हास-परिहास की बात छोड़ दें तो टिप्पणियों में ही कानून के दशकों से जानकार साथियों ने जो कुछ कहा उसी की बात करूँ तो आप सीधे-सीधे इन महिला ब्लॉग लेखिका, रचना सिंह पर मान-हानि का दावा कर सकते हैं। सबूत इसी ब्लॉग जगत में बहुतेरे मिल जायेंगे, आप भी जानते हैं।
अब भी आपने ना-नुकर की तो फिर तैयार रहिये ऐसे ही किसी और तनाव देने वाले समय के लिये। आखिर किसी ना किसी को तो पहला कदम उठाना ही होगा।
आप को कह सकता हूँ इसलिये कह रहा कि 'मत चूको चौहान'
@ज्ञान ,
जवाब देंहटाएंबस अब और नहीं बन्धु,आपका मंतव्य स्पष्ट हो गया है !
@मुझे फिर से २३ टिप्पणियाँ डिलीट करनी पडी है ,कृपया भाषा और भावनाओं पर संयम रखें,यद्यपि कि गंभीर मुद्दा है तथापि !
@पर्याप्त कानूनी परामर्श भी मिल गया है यहाँ भी और निजी मेल से भी ...विचारणीय हैं .
@ बाबा तुलसी बेहद याद आये हैं -धीरज धरम मित्र अरु नारी ,विपदा काल परखिये चारी
और दिनकर भी -
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा वाह वाह क्या माहोल है क्या बवाल मचा है , कौन कहेगा की ब्लोगिंग आदरणीय और सम्मानीय लोगो का ऐसा मंच है जहां अपने विचार बाटें जाते हैं......यहाँ तो बस आरोप और प्रत्यारोप के लिए ब्लॉग का इस्तेमाल हो रहा है....अब तो शर्म आने लगी है रोज ए दिन कोई न कोई तमाशा दखने को मिल जाता है......
जवाब देंहटाएं" इस प्रकरण को पढ़ कर मन बेहद आहात है.......दुखद है" इतने बड़े समाज और दुनिया को छोड़ कर हम मुट्ठी भर ब्लोगर्स आपस में लिंग भेद को लेकर हिसाब मांगने निकल पड़ते हैं......ये भूल जाते हैं की यही ब्लोगर्स एक छोटा सा परिवार जैसा है जहाँ दुःख सुख में सब एक दुसरे के काम आते हैं.....फिर ये कैसा घ्रणित आरोप है अरविन्द जी पर?????????? मुझे खेद है एक सम्मानित व्यक्ति पर ऐसे आरोप पर
आरोप प्रत्यारोप से मै कोसो दूर रहती हूँ.....और ऐसे किसी भी विवाद पर मै टिप्पणी नहीं करती मगर आज का ये प्रकरण पढ़ कर सिर्फ इतना कहूंगी....."
"TO HELL WITH BLOGGING YA"
REGARDS
गुणीजनों के इतने सार्थक विचार आ चुके हैं कि अब अपना कुछ कहना और विवादित हो जाएगा. फिलहाल इतना कहना काफी है कि यह सब ठीक नहीं हुआ.
जवाब देंहटाएंआपका आहत होना समझ आता है.
श्रीमती रचना की फितरत नहीं बदलने वाली, बस इतना समझ लीजे.
बी एस पाबला
मेरे तेईस बम फुस्स हो गए.....
जवाब देंहटाएंपर...
(NB:--भई.... आपने देखा होगा कि खेतों में....एक पुतला गाडा जाता है .... जिसका सर मटके का होता है... उस पर आँखें और मूंह बना होता है.... और दो हाथ फूस का..... वो इसलिए खेतों में होता है.... कि फसल जब पक जाती है ..... तो कोई जानवर-परिंदा डर के मारे न आये...... मैं शायद वही पुतला हूँ.... )
यह मामला वाकई निराशाजनक है। हालाँकि मैं मेल करके भी रचना जी से विरोध कर चुका था, फिरभी यहाँ पर अपनी बात रख्नना जरूरी समझता हूँ।
जवाब देंहटाएंरचना जी 'नारीवाद' की समर्थक हैं, यह अच्छी बात है, जैसा कि मैंने 'तस्लीम' पर अपनी पुरानी पोस्ट में भी कहा था कि नारीवाद एक आदर्श सोच है, पर इसके साथ दिक्कत यह है कि इसके समर्थक उन तमाम बातों से मुंह फेर लेते हैं, जो इसके विरोध में जाती है, फिर चाहे वे कितनी ही तार्किक क्यों न हो
( 1, 2 ) । यह कमी रचना जी में भी है। और इस बार मामला वाकई उनके हाथ से निकल चुका है। उन्होंने वह काम कर दिया, जो किसी भी समझदार और जिम्मेदार व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। आगे क्या होगा, यह तो मैं नहीं जानता, पर क्रिया के बाद प्रतिक्रिया के नियम के तहत उन्हें किसी न किसी रूप में इसका परिणाम तो भुगतना ही होगा।
अमूमन ब्लॉग जगत में चल रहे किसी भी विवाद में मैं टिप्पणी न करूं ऐसा नहीं होता… क्योंकि मैं "तटस्थ" रहकर तमाशा देखने वालों (और मौका लगने पर घासलेट डालने वाले) जैसा नहीं हूं। इस कथित "महान विवाद" में भी मैं पहले एकाध जगह टिप्पणी कर चुका हूं कि मुझे तो यह विवाद "शुरु से फ़ालतू किस्म का लग रहा है"। फ़िर भी इतनी सारी टिप्पणियों को पढ़ने के बाद मुझे गिरजेश राव तथा सतीश पंचम जी की बात से सहमति जताने को जी चाहता है। स्वास्थ्य कारणों और व्यवसाय की व्यस्तता की वजह से पहले टिपिया नहीं सका, लेकिन फ़िर से कहता हूं कि "दोनों पक्षों" को थोड़ा संयम दिखाना चाहिये। कुल मिलाकर यही कि "ब्लॉगर-ब्लॉगरा" की बहस के नाम पर श्रम और ऊर्जा का अपव्यय हो रहा है… अरविन्द जी इस मामले को खत्म कीजिये, रचना जी से भी यही अनुरोध है, लिखने के लिये और भी बहुत से मुद्दे हैं…।
जवाब देंहटाएंचलते-चलते : एक बात बेनामियों और नकली प्रोफ़ाइल वालों से… कि "मर्द" बनो।
प्रिय अरविन्द जी
जवाब देंहटाएंजो कुछ हुआ वह वास्तव मे बहुत ही दुखद है (मै अपमान के इस दर्द को समझ सकता हू), और बहुत जल्द ही इस प्रकार की घटनाये ब्लाग जगत मे आम हो जायेंगी , आज जो आप के साथ हुआ वह बार बार दोहराया जायेगा , अलग , अलग लोगो के साथ , यह तो अभी शुरुआत है कहिये कल को वो सारी बुराइया आ जायेंगी जो सौहार्द को खराब करेंगी , अर्थ का अनर्थ करेंगी , आवश्यकता है आज एकीकृत ब्लोग म्ंच बनाने की ,ब्लाग संगठन बनाने की ,जिसके सद्स्य की पोस्ट और टिप्पणी ही प्रकाश मे आये , अनानिमस का कोइ अस्तित्व ना हो । संगठन के सदस्यो द्वारा यदि कोइ अनैतिक या अनुचित कार्य किया जाता है तो उसके खिलाफ निन्दा प्रस्ताव लाया जा सके और जिसमे सभी सदस्य मत दे सके तथा पारित कर सके ,ब्लाग समाज से अलग किया जा सके । जहा तक इस प्रकरण की बात है ,मेरे विचार से मामले को आगे बढाने के बजाय रचना जी से इस बारे मे स्पष्ट बात की जानी चाहिये की उन्होने ऎसा क्यु कहा ,हो सकता है कोइ गलतफहमी हो गयी हो क्युकि किसी भी विवाद मे 60% मामले तो नासमझी के होते है , रचना जी द्वारा महिलाओ के सम्मान के लिये और शोषण के खिलाफ जो आवाज उठायी जा रही है वो वाकइ काबिले तारीफ है , अरविन्द जी द्वारा जो सामाजिक योगदान दिया जा रहा है वो भी किसी प्रश्ंशा के शब्दो का मोहताज नही , येसे ब्लागर जो दोनो लोगो के नजदीक है मामले का हल वार्ता से निकाल सकते है लेकिन क्या करे हमारा इतिहास कहता है हमने हमेशा युद्ध किया है और आगे भी वही तो करेंगे ,जहा जगह मिल जायेगी इस देश, उस देश , धरती पर, चान्द पर ,ब्लाग पर । बस जगह मिल जाये । तमाशा , विवाद ,ये वाद, वो वाद यही तो मेरा जीवन है यही खत्म हो जायेगा तो जीने मे रक्खा क्या है ?कल को कोइ और नाम होगा पात्रो का ... पर होगा तो यही सब , इसीलिये तो कहते है आत्मा अजर अमर है ,हमारी यही आत्मा दूसरा नाम खोज लेती है क्योकि होता यही सब है । मै खुद को तो देखता नही बस आइना लिये घूमता हू !
देखिये कब तक सोया रहता हू ?
नववर्ष की शुभकामनाएं...!!!
जवाब देंहटाएंपूरा पढने के उपरांत सिर्फ एक पंक्ति काम की लगी :
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"TO HELL WITH BLOGGING YA"
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आखिरकार कन्या राशि के शनि ने ग्रस्त कर हि लिया आपको यार ये तो मुझे राखी व मीका वाली नूराकुश्ती सी जान पड्ती है और भी गम है जमाने मे मुहब्बत के सिवा खैर आपकी टी आर पी बढ गयी इसी बहाने
जवाब देंहटाएंब्लाग के माध्यम से लैन्गिक शोषण की बात पहली बार पढी ,पढ कर ही कुछ कुछ होने लगा क्या ऐसा सचमुच मे होता है याद कीजिये ये यही लोग है जिन्होने आप पर साफ़्ट पोर्न परोसने का आरोप पहले भी लगाया था तो मेरी यही प्रतिक्रिया थी कि साफ़्ट वही बता सकता है जो हार्ड पोर्न से वाकिफ़ हो (समझे पन्डित जी) कुछ ऐसा ही समझ लिजिये आज ग्रहण लगा हुआ है कुछ दान पुण्य कर के बला टालिये
happy ne year...
जवाब देंहटाएंaapko bhi aur rachnaa ji ko bhi ...
:)
ye sab baatein chhodiye aur kuchh nayaa likhiye naye saal mein...
nayaa a...
:)
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंडा. अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंकानूनी नैतिक सब सलाहें और व्यवहारिक भी , मिल ही चुकी हैं . बहुत सारी सदभावनाएँ भी . बहुत सारी टिप्पणियां आपने डिलीट कीं , इसी से आपकी शालीनता को समझा जा सकता है.
आपकी उस पोस्ट को मैंने कई बार पढ़ा, रचना जी की पोस्ट को पढने के बाद. फिर रचना जी की पोस्ट पर टिप्पणी भी दी. नारी विमर्श या संचेतना में ' पुरुष द्रोह ' को स्थान नहीं मिलना चाहिए ,यह भी कहा . ' नारी ' ब्लॉग के उद्देश को ,उन्हीं के कहे अनुसार ,कुछ विस्तार भी दिया. दुखद यह लगा कि आपकी पोस्ट के शालीन हास परिहास को ( उसमे तो व्यंग ,तंज जैसा भी कुछ नहीं था ) , वह शायद समझ ही नहीं पायीं. नहीं तो किसी विवाद के लिए कोई जगह ही नहीं थी , न तो कारण .
बहरहाल बात यहाँ तक पहुंचे तो दुःख तो होता ही है , माहौल ख़राब होने का . पर वहां आपकी टिप्पणियों में भी तो शालीनता ही दिखी . हो सकता है कि आपके विचारों की दृढ़ता ने उन्हें उद्वेलित किया हो और अदालत में जाने की धमकी दी हो (.और उसे भी अनावश्यक ही नहीं अनुचित मानता हूँ . )
आशा कर रहा हूँ कि वे ब्लॉग परिवार की गरिमा बनाये रखने के लिए वे ऐसा कुछ नहीं करेंगी. साथ ही आपकी व्यथा को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता . मुक्त वैचारिक मंच का यह हिन्दी ब्लॉग समाज ,समझ कर चल रहा हूँ कि ऐसा ही सोचता होगा.
फिर भी जहां तक बन पड़े ,अनदेखा करना भी ,कभी कभार , व्यावहारिक होता है. तो यही सलाह दूंगा कि आगे बढ़ें ताकि आपकी रचनात्मकता जारी रहे , बिना डेवीयेत हुए , जिसे पढना मेरे सहित बहुतों का आनंद है .
कानून ? कानून ही कुछ प्रभावी होता तो इस देश की दशा और दिशा ही कुछ और होती .फिर भी जानकार बता ही चुके हैं कि , कुछ वक्त की मानसिक प्रताड़ना छोड़ जोकि आप पा ही चुके हैं , कानून आपके ही साथ है.
तो अब ये उम्मीद करूंगा कि अगली बार , हम होमोसेपियंस के व्यवहार पर , एक वैज्ञानिक दृष्टी से आलेख आ जाये .
आपके शालीनता से लिखे ' नायिका भेद ' का तो मैं कायल हूँ , और अब ' नायक भेद ' भी हो जाये !
मेरा विश्वास है कि उसे पढ़ कर रचना जी का गुस्सा कुछ कम हो जायेगा और सभी ' नायकों ' पर समान क्रोध और द्रोह की मनस्थिति से निकल सकेंगी .
आदरणीय भाई ,
जवाब देंहटाएंआप जैसा कोई मुझसे कुछ कहे और हम माने न ये बात कैसे हो सकती है ? आपकी टिप्पणियों ने ,प्रकारांतर से आपने ही जब भी कुछ कहा है विशिष्ट कहा है सब याद है मुझे -बनारस की ठंडई आपका इंतज़ार कर रही है आतुरता से .....
हाँ आपके लिए आज यहाँ कुछ है -पढ़कर टिप्पणी भी दीजियेगा ! हम एक सा ही सोचते हैं शायद हैं भी ...http://girijeshrao.blogspot.com/2010/01/blog-post.html
और क्या कहूं ....हाँ नायक भेद तो ड्यू है ही !
आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंजाने कितने ब्लाग पढे तब कुछ कुछ समझा हू..लेकिन स्तब्ध हू..
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं॥