मुई इमेज का भी लफडा ससुरा बड़ा अजीब है .अपने हिन्दुस्तानी और खासकर हिन्दी पट्टी वाले भाई इमेज बचाने के चक्कर में अक्सर बेइज्जत भी होते देखे गए हैं:-) दरअसल यह एक सनातनी समस्या है या कहिये संस्कार है ..यहाँ लोकोपवाद से लोग बाग़ बहुत डरते भये हैं ....मर्यादा पुरुषोत्तम राम तक डर गए अपने इमेज के चक्कर में .....लोगों ने कहा कि ये कैसे हो सकता है सीता दशक दिनों रावण के छत्रछाया में रहीं और उसकी अंकशायिनी न बनी हों .....राम ने बस सीता को वनवास दे दिया....कहीं इमेज का फालूदा न हो जाय ..कहा कि राजा जैसा करता है प्रजा वैसा ही अनुसरण करती है ....हम अगर उदाहरण नहीं प्रस्तुत करेगें अपनी स्वच्छ साफ़ सुथरी छवि का तो आगे की कौमे भी वैसा ही करेगीं ..यद्यता आचरति श्रेष्ठः तद्देवो इतरो जनः ......वाल्मीकि रामायण से ही एक और संस्कृत का श्लोक है -न भीतो मरणादस्मि केवलम दूषितं यशः मैं मरने से नहीं डरता बस कलंक से डरता हूँ -एक आम भारतीय का संस्कार ही ऐसा है ..वह इमेज को लेकर हमेशा थरथराता है पीपल के पत्ते जैसा .... और यही हुआ मेरी पिछली पोस्ट पर ..पढ़े तो सैकड़ों जन मगर टिप्पणी किये बिना पतली गली से सटक लिए ...काहें? अब इतनी अच्छी इमेज बनी है ब्लागजगत में -सभ्य ,सुसंस्कृत ,उच्च पद ,प्रतिष्ठा ,पंच आदि आदि तो फिर काहें विवादों में फंसे ..भगवान् राम के पक्के अनुयायी ..पक्के सनातनी ... :-)
हमारे इक मित्र हुआ करते थे बल्कि हैं भी मगर दूरी है इन दिनों ... बल्कि इमेज की ही ...जब भारत की सर्वोच्च सेवा के शुरुआती जवानी के दिन थे एक बार बहुत पीड़ित होकर बोले थे मिश्रा जी ये साली इमेज भी बड़ी टुच्ची चीज है ..कई मामलों में मन मसोस कर रह जाना पड़ता है ..मैंने आग्रह किया कि सर जी दिल खोल कर बयाँ कर दिया जाय तो चूंकि उर्दू के वे अच्छे जानकार हिन्दू हैं तो बेसाख्ता बोल पड़े थे- ये बंदा परवर क्या क्या सूरते बनायी हैं तूने हर सूरत को चूमने का दिल चाहता है ..मैंने सलाह दी सर किसी एक से अभिव्यक्त हो जाईये और शादी विवाह रचा डालिए ....मगर कह पड़े यही तो चक्कर है इमेज आड़े हाथों आ रही है ....बहरहाल गैर शादी शुदा रह गए ....अभिव्यक्त ही नहीं हो पाए बिचारे इमेज के चक्कर में .....मन में तो कितना कुछ उमड़ता रहता है मगर हम अभिव्यक्त नहीं हो पाते ...पता नहीं लोग क्या कह दें -सर जी आप भी? जैसे सर जी किसी दूसरे सांचे से ढल के आये हों :-)
दरअसल हिन्दी पट्टी के नुमायिन्दों की एक कमजोर नस यह है कि वे अपना एक गुडी गुडी इमेज बनाए रखना चाहते हैं जबकि होते वैसे नहीं ..अनूप शुक्ल जी फोन पर ही कमेन्ट दे डाले मगर यहाँ नहीं खुले ....सार्वजनिक होने में इमेज जाने का खतरा रहता है भाई! लोग बाग बिचारे इसी डर से अधमरे बने रहते हैं कि कोई उन्हें कभी कुछ कह न दे! इसलिए वाद विवाद में भी नहीं फसना चाहते -आँख नीची किये खिसक लेते हैं ..
मगर इन्हें कौन समझाए कि इज्जत बचाने में अक्सर इज्जतें चली भी जाती हैं ..सो बिंदास रहो .....अपने को खुलकर अभिव्यक्त करो ..मन में हो जो कह डालो ....मित्रों कोई बात नहीं आप उस पोस्ट पर नहीं आये ..हमें भी इसका कोई उज्र नहीं रहता आयें या न आयें वह तो आपका विशेषाधिकार है मगर आपका नाम तो इमेजधारी लोगों में आ ही जाता है और यह भी उचित ही है आप भगवान राम की परम्परा का ही अनुसरण कर रहे हैं .....और मैं भी उनका पक्का अनुयायी ....सो बोलती बंद है!
nice presentation....
जवाब देंहटाएंAabhar!
Mere blog pr padhare.
अब ज्यादा तो क्या कहूँ पर इस गुडी-गुडी के चक्कर में दिमागी पेट में गुडगुडी जरूर होने लगती है !!!
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ गर सभी जन पत्रिका समूह के प्रमुख गुलाब कोठारी जी के विचार "नर-नारी" विषयक चिंतन को पढकर समझकर विचार करे तो काफी हद तक मामला सुलझ सकता है .
मुझे किन्ही ने कहा था की मैं पुरे सन्दर्भ देखकर ही आपके ब्लॉग पर टिपण्णी किया करूँ ............... तो आपकी सारी पोस्टें पढ़ डाली ............. मामला यह है की आप पौरुष भाव से अत्यधिक प्रेरित हैं जो आपको अपने अंदर मौजूद स्त्रैण भाव को प्रकट नहीं होने देता, जिसके कारण आप नमनीयता से दूर प्रतीत होते लगते है ........ परन्तव आपपर जिस विधि से नारी भाव विरोधी होने का आक्षेपन होता है, मनीषी चिंतन के अनुसार वह विधि स्वयं पौरुष भाव से ही पूरित है ..............
आगे क्या बोलूँगा समय बोलेगा की शरीर में स्त्री-पुरुष भावों का सम्यक संयोजन ही उचित है अन्यथा तो एक दूसरे को जीत लेने की प्रक्रिया यावत् जीवन चलती ही रहेगी................... और हाँ पिछली पोस्ट पर मैंने कहा था आपकी हालत संघ सरीखी हो रही है जैसे उसके सामाजिक सरोकार दबे रहते है और चस्पा मुस्लिम विरोधी छवि ही ज्यादा उजागर होती है वैसे ही आपके अन्य रंग तो सामने आते नहीं महिला विरोधी रूप में आपकी पहचान ज्यादा है . हकीकत संघ की संघ को पता और आपकी आपको :)
अमित शर्मा जी ने एक शब्द 'संघ' में आप को परिभाषित कर दिया साथ ही आप के स्वभाव का विश्लेषण भी बखूबी कर दिया है.
जवाब देंहटाएंसही कहा है किसी ने कि किसी के बारे में समझना हो तो उसका ब्लॉग खंगाल लीजीये.
बाकी इमेज का चक्कर ही ऐसा है शायद इसीलिए गूगल ने अनामी/ बेनामी आप्शन बनाया है.ताकि लबादा ओढ़े /मुखोटे पहनकर लोग अपने दिल की बात कह सकें .
मैं सन्नाटा हूँ मगर बोल रहा हूँ
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
एक खेल के मैदान की कल्पना करिए या फिर किसी वाद-विवाद प्रतियोगिता की, जहां सब दर्शक या श्रोता प्रतिस्पर्धा में हिस्सा ले रहे हों| Total chaos की स्थिति होगी| आपको खुश होना चाहिए कि आप सैंकड़ों के द्वारा रोज पढ़े जाते हैं और उनमें से बहुत से ऐसे खेल तमाशे देखने ही आते हैं, हिस्सा लेने नहीं|
जवाब देंहटाएंआप को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता है, विरोध करने वा.. को विरोध करने की स्वतंत्रता है तो जिन्हें अपनी इमेज की चिंता है उन्हें भी अपनी स्वतंत्रता का लुत्फ़ उठाने देना चाहिए| अगर उस पोस्ट पर दो-ढाई सौ कमेंट्स आ जाते तो क्या फर्क पड़ जाता आपको? आपकी सोच बदल जाती या दूसरी पार्टी की? मुझे तो ऐसा नहीं लगता|
बहस, विमर्श के मामले में हम सब कितने सहिष्णु हैं, शायद हम सब जानते हैं|
यद्यता आचरति श्रेष्ठः तद्देवो इतरो जनः .....ये कोई फतवा या सिर्फ निष्कर्ष नहीं है, इससे ये शिक्षा भी ले सकते हैं कि अग्रणी लोगों पर अपना आचरण शुद्ध रखने की जिम्मेदारी और भी ज्यादा है|
न भीतो मरणादस्मि केवलम दूषितं यशः... ये गलत है क्या? मेरी दृष्टि में चार्वाक या फिर 'we have got only one life to live, so let us have fun(only)'की बनिस्बत आचरण की उच्चतर स्थिति है|
शेष फिर ...
वाकई इमेज का चक्कर है जी, वर्ना आप अपने उन मित्र का नाम भी जरूर लिखते.
जवाब देंहटाएं@अल्पना जी,
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत की बहुत कम विदुषियां है या शायद आप अकेली जिनसे मैं खुद मिल चुका हूँ और मेरी हमेशा यह भावना रहती हैं कि कम से कम आप तो मुझे समुचित परिप्रेक्ष्य में लिया करें ..मगर आप भी फब्ती कसने से बाज नहीं आतीं :-( :-) (यह टिप्पणी नहीं मिटाने वाला )
@पी डी साहब,
जवाब देंहटाएंअब चूंकि एक बार किसी और के मामले में आप नाहक ही और अनाहूत मुझे हड़का चुके हैं ..हम तभी से आपसे विमुख हो लिए जबकि अपना छोटा भाई आपको मनाता रहा हूँ .....
आज आप पूछ ही लीजिये हम सिलसिलेवार आपको नाम गिनाये देते हैं -कुछ आप भी जानते हैं .....और हाँ उन अधिकारी का नाम चाहते हैं जानना तो वे इस समय भारत सरकार के एक बड़े ऊंचे पद पर हैं और नाम लिया जाना मेरे सरकारी आचार संहिता के विरुद्ध हो जाएगा ....कुछ नौकरी और बची है बाद में तो सरे नाम ,वाकये अफ़साने सब आयेगें ..अपनी आत्मकथा में ......
@संजय,मो सम ...... जी मुझे फ़िक्र नहीं उनकी बस अप सरीखे कुछ संवेदनशील और प्रबुद्ध साथ बने रहें -जीवन धन्य समझिये ....
जवाब देंहटाएं@अमित जी आपके प्रेक्षण बिलकुल सटीक हैं मगर प्लीज संघ जैसे पवित्र और सात्विक संस्था से मेरे जैसे अघी ,खल कामी की तुलना न करें !
जवाब देंहटाएंis post me aapke dwara dikhaye/sujhaye gaye baton me kuch bhi atishayokti nahi.....
जवाब देंहटाएं@ amitji evam 'namrashi bhaiji' ke comments achhe lage, and will be hope....ke aapko bhi achhe lagenge.
pranam.
हा हा ... खबर तो नहीं ले रहे उन सब की जो चुपचाप ही चले गए ...
जवाब देंहटाएंअब जब आप खुद मानते हैं की इमेज से भगवान राम भी नहीं बच सके तो इंसान बेचारों का क्या कसूर .... उनको ले कर बुरा न मानें ...
मुझे तो यहाँ इमेज की चिंता नहीं है. मुझे जो लोग जानते हैं पर्सनली वो अच्छे से जानते हैं. हाँ! मुझे इमेज की चिंता अपने नोर्मल समाज में बहुत रहती है... और मैं कोई ऐसा काम भी नहीं करता कि मेरी इमेज खराब हो. बाकी मुझे मेरे नोर्मल समाज में सब लोग जानते हैं कि भई.. महफूज़ से सिर्फ प्यार से ही डील किया जा सकता है. यहाँ फॉल्स इमेज क्यूँ क्रियेट करना. हम तो जैसे हैं .. वैसे ही शो भी करते हैं... और आपकी भी यही बात अच्छी है.. कोई ढकोसला नहीं.. और हम समाज में रहते हैं तो हमें आदमी देख कर भी डील करना पड़ता है....
जवाब देंहटाएंइमेज की फ़िक्र कमजोरों को होती है.. जो लाइफ में अन्सक्सेस्फुल होते हैं.. जिनका मेंटल लेवल.. लो होता है.. और जिन्हें कभी लड़कियों ने घांस नहीं डाली होती है....जो अपनी ज़िन्दगी से सैटिसफाय रहते हैं.... आप मस्त रहिये... देखिये.. मतभेद तो मेरे और आपमें भी रहा है.... लेकिन कभी हम में मनभेद नहीं रहा.. मैंने आपकी हमेशा से इज्ज़त की है.. और आपके ब्लॉग पर भी आता रहा हूँ.... और हर ओकेशन पर हमने एक दूसरे को विश भी किया है.... तो समझदारी इसी में होती है.. कि हमें हर हाल में सामाजिकता निभानी भी आनी चाहिए..
आप बड़े क्वालिटीदार इंसान हैं.... इमोशनल भी हैं.. तभी आपने ऐसी पोस्ट भी डाली... .बाकी अबसे आप खुश रहिये.. क्यूंकि इसी से आपके विरोधियों को और भी प्रॉब्लम होगी... आपका इन्टेलेक्ट लेवल आपकी लैंग्वेज और लेखन से टपकता है... इससे भी लोगों को प्रॉब्लम होती है. लोगों का डाइजेसशन सिस्टम कमज़ोर है. बस आप लोगों को भाव देना बंद कर दीजिये. एक चीज़ और आम भारतीय कमज़ोर है.. आप आम नहीं हैं...
लीडर को हमेशा एगरेसिव होना ही चाहिए. एक लम्म्म्मम्म्म्मबी सांस लीजिये.... और छोड़ दीजिये..
यह सोचिये.. कि अब तक के आप गलत थे.. कि आपने गलत लोगों से टच में आये.... आपकी गलती थी कि आपने लोगों को समझ नहीं पाए.... आपही गलत थे कि सोशियो - सायकोलौजिकल पर्सपेक्टिव को समझ नहीं पाए.. अब से इन गलतियों को सुधार लीजिये और कसम खा लीजिये कि आइन्दा ऐसी गलती नहीं होगी.. मैं इंसानों को समझ कर ही आगे बढूँगा.. फिर देखिये कितना रिलीफ मिलेगा. और यहाँ आप चुके हुए लोगों पर इमेज क्रियेट कर के कर भी क्या लेंगे? मस्त रहिये मस्त.. अब चलता हूँ ट्रेन का टाइम हो गया.. बाय.. टेक केयर ..
मिश्र जी , यह कोई नई बात नहीं है . आम तौर पर टिप्पणी देने वाले मॉल में खरीदारी करने वालों के समान होते हैं यानि १०-१५ % . अच्छी से अच्छी पोस्ट पर भी अनुपात यही रहता है . शायद इसका कारण है -- सभी पढने वाले ब्लॉगर न होते हों .
जवाब देंहटाएंवैसे भी आपने स्वयं ही लिखा है कहीं -- ब्लॉगर्स अब फेस्बुकिया गए हैं . :)
पिछली पोस्ट पर बसंती रंग खूब चढ़ा था . :)
जवाब देंहटाएंइमेज का ही तो खेल है सारा | तुष्टिकरण की नीति यहाँ भी पाँव पसार रही है | वहां गए तो वो खुश , वहां नहीं गए तो नाखुश | सब अपने अपने ब्लॉग पर रोजा-अफ्तार सा कराते रहते हैं सबको अपने पक्ष में रखने के लिए |
जवाब देंहटाएंसंजय अनेजा जी से सहमत!!
जवाब देंहटाएंहमें इमेज की चिंता नहीं है, स्पष्ट भी कहा जा सकता है, लेकिन कथन निष्फल जाय तो क्या उपयोग।
आप भी क्यों चाहते है लोग अपनी इमेज की चिंता किए बिना प्रतिक्रिया रखे आपकी इसी चाह में आपकी भी इमेज चिंता प्रकट हो रही है।
हम जानते है आपकी तरफ फैकी जा रही इमेज आपकी स्वयं की वास्तविक इमेज नहीं है किन्तु आप भी उस थोपी जा रही इमेज को हमेशा कैच करने में ही लगे रहते है। शायद आप इसे साहस मानते होंगे और कहते होंगे आपको फर्क नहीं पड़ता। जब आप अपनी लाईन पर अडिग है तो अन्य होग अपनी इमेज संरक्षण की लाईन से क्यों हटे?
वर्तमान विवाद पिछले दो वर्षों से जारी है विवाद में सभी पक्षों के “टुच्चे अहंकार” से अधिक कुछ भी माल नहीं है। कभी कभी तो संदेह होता है कि क्या वाकई आप इन विवादों को दूर करना चाहते भी है? अगर गम्भीरता से चाहते तो इस विवाद के स्थायी निराकरण के प्रयत्न होते। भले आप अपने पर छद्म इमेज के प्रक्षेपण का प्रतिकार न करें पर आपने कभी विपक्ष के छद्म भावों और अहंकार को उजागर करने का प्रयत्न किया? उसी में स्थायी निराकरण सम्भव था।
आप भी तो खोज-खाज कर कोई मौका नहीं चुकते, आपको पता है इन शब्दों के कंकर शान्त सरोवर में हलचल मचाएंगे। फिर भी फैकते है कंकर को भोजन समझ गति करती मच्छलियों को देखना चाहते है। दूसरे लोग लहरें गिनने में ही व्यस्त हो जाते है।
साकारात्मक अभिगम देखा तो अपनी बात को आगे बढ़ाउंगा अन्यथा इतना ही।
शीर्षक में 'मुई छवि' लिखते तो क्या बिगड़ जाता :)
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है कि पोस्ट पढ़ने और टिप्पणी करने वालों का अनुपात कमोबेश ऐसा ही होता है !
लोग विवादित नहीं होना चाहते ? या फिर
लोग विवाद में पड़ना नहीं चाहते ? इन दोनों बातों में ज़मीन आसामान का फर्क है !
बहरहाल संजय अनेजा और डाक्टर दराल की टिप्पणियाँ अच्छी लगीं ~!
!@अली सैयद…
जवाब देंहटाएं"मुझे लगता है कि पोस्ट पढ़ने और टिप्पणी करने वालों का अनुपात कमोबेश ऐसा ही होता है !"
@ऐसा नहीं है अली सा -गणना काउंटर पर चेक करिए
@सुज्ञ जी,
आप इतने सज्जन और सरल व्यक्ति हैं और आपका हमेशा स्नेहाव्ल्म्बन रहता है मुझे -मन से बातें सुझाते हैं मगर मैं मूरख दुनियादारी का चक्कर चलाये रहता हूँ -पर आपकी बात की गंभीरता का अहसास हमेशा किया है !
@महफूज,
जवाब देंहटाएंदूर कर लीजिये अपने भी सारे गिले शिकवे ....:-)
बहुत अन्दर तक बाँधती है आपकी ईमेज..रोचक अवलेकन।
जवाब देंहटाएंसर बहुत ही अच्छा आलेख |
जवाब देंहटाएंदूसरों के व्यवहार की शिकायत क्या ? खास तौर पर तब उसे नज़रंदाज़ करना ही ठीक है, जब सामने वाला विवाद करने के लिए ललकार रहा हो ! अधिकतर व्यक्ति विवाद में नहीं पड़ना चाहते !
जवाब देंहटाएंयहाँ एक से एक घटिया और बेहतरीन व्यक्तित्व मौजूद है ! क्या आवश्यकता है कि मौके की तलाश में खड़े हर गामा महिला अथवा पुरुष को ललकारा जाए ?
टिप्पणियाँ और लेखन हर व्यक्तित्व कि पहचान कराने के लिए पर्याप्त हैं, पाठक मूर्ख नहीं हैं वे पहचान कर लेंगे कि कौन क्या हैं ..
अमित शर्मा, संजय, सुज्ञ जैसे विद्वानों की टिप्पणियों से आनंद आया !
आपको पढ़ना अच्छा लगता है !
@दुनियादारी……
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी,
यकिन मानिए सुखमय दुनियादारी के लिए तनावमुक्ति बहुत ही आवश्यक है। तनावमुक्ति के लिए तनाव के कारणों को दूर किया जाना भी आवश्यक है। कभी कभी हमें लगता है मुझे कोई तनाव नहीं किन्तु अधैर्य, आक्रोश, प्रतिस्पर्धात्मक व्यवहार अन्दर ही अन्दर कईं तरह के तनावों को जन्म देते है। आपको मैं सरल शान्त लगता होउंगा किन्तु मेरे अन्दर भी कितने ही तनाव पल रहे होंगे जिसका मुझे ही ख्याल न होगा। आज की जीवन-शैली में यही सबसे बड़ी समस्या है। कई चीजों से तो हम चाहकर भी नहीं बच सकते, इसलिए तनावों का जितना बोझ हम कम कर सकते है करना चाहिए।
मात्र और मात्र अपने ही सुखमय जीवन के लिए!!
एकदम आपके इमेज जैसी पोस्ट.
जवाब देंहटाएंसही कथन .कभी कभी नहीं सदा लोग कोशिश करते हैं बच के निकल लिया जाये .न कहना भी समझ में आता है आपका पक्ष .
जवाब देंहटाएंइमेज तो क्या , विवाद में पड़ने से बचना चाह्ते होंगे ...महिला ब्लॉगर के नजरिये से !
जवाब देंहटाएंअनूप जी,
जवाब देंहटाएंखुल के कहा करिए ..अब देखिये कितनी अच्छी टिप्पणी की है आपने और फिर मेरी इमेज को निशाना बनाया है :-) आप जब अपनी से बाज नहीं आते तो मैं क्यों बाज आ जाऊं ?एक बात याद रखा करिए केवल गधे और मृत लोग अपने विचार नहीं बदलते -ये दुनिया बड़ी डायनमिक है ..क्षण क्षण बदलती रहती है और लोग बाग़ से भी सम्बन्ध भी ऐसे बदलाव की बहार में बदलते रहते है -स्थाई नहीं रहते ....दुश्मन दोस्त और दोस्त दुश्मन में बदलते रहते हैं .....हाँ वो एक शेर आप भी सुनाते रहे हैं न ..चाहे दोस्ती हो या दुश्मनी ऐसा निर्वाह हो कि जब कभी आमने सामने हों नज़रे न चुराना पड़े ....आज ब्लाग जगत में कोई भी ऐसा नहीं है जिससे मैं नज़रे न मिला सकूं ..जो चुरायेगें उनसे भी हम मिला ही लेगें....
बाटम लाईन यह कि आप भी स्कैंडल प्रेमी हैं और उसे सामने आकर या नेपथ्य में रहकर बढ़ावा देते हैं -अज आपने जो लिंक दिया है वह उसी प्रवृत्ति की देंन हैं -आपके लिंक देने की जरुरत नहीं है और सब जानते हैं उस के बारे में ....आप यह पहलू नहीं देखेगें कि मैंने उस पोस्ट को आज भी डिलीट नहीं किया ...कर सकता था ..मगर यहाँ भी खुद को पाक साफ़ रखना चाहता हूँ यद्यपि उसके कारण मुझे असहज प्रश्नों से जूझना पड़ता है -आप जैसे महानुभाव बेलो द बेल्ट प्रहार से चूकते भी नहीं ...मगर हाँ उस देश काल में मैंने जो लिखा वो मौजूद है .....यहाँ कोई दुराव छुपाव नहीं है -जो जब जिस भाव में आएगा उसे यहाँ वही नज़र नहीं आएगा -यहाँ कोई पक्षपात नहीं है -
आपकी अनूप शुक्ल जी से लव हेट रिलेशनशिप कमाल की है . :)
जवाब देंहटाएंआपने ईमेज के बारे में बहुत अच्छा लिखा है.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर पधारें.
इमेज के व्यापक अर्थ को बड़ी महीनी से खींच दिया है आपने , हवा की गुलामी ..फिर भी अपने भरम में उन्मत्त..
जवाब देंहटाएंChalo to hum is se pichhli post ko padhkar maamle ko samajhne ki koshish karte hein :)
जवाब देंहटाएंHum to dekhne gaye the ki 2-3 comments hi aaye honge last post per jo Mishra ji itna bhun-bhuna rahe hein.
जवाब देंहटाएंYahan to 70 comments lage hue hein last post per. Very bad Mishra ji, very bad ;-)
वाकई अपनी भावनाओं की खुलकर अभिव्यक्ति जरुरी है...
जवाब देंहटाएंउस कमाई का क्या फायदा जो संचित ही रह जाए. भले ही वो कमाई इज्जत ही क्यों न हो :)
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