बुधवार, 24 अगस्त 2011

डॉ.अमर कुमार: अंतर्ध्यान हुआ ब्लागजगत का दुलारा स्फिंक्स ...एक श्रद्धांजलि!

श्रद्धांजलि 
यह स्तब्धकारी सूचना संतोष त्रिवेदी जी ने कल शाम को दी और इसे सत्यापित किया डॉ.दराल साहब ने  ...मन बेहद उद्विग्न हो गया ....ब्लॉग जगत में अपनी जीवंत मौजूदगी का हमेशा अहसास दिलाने वाली शख्सियत हम सभी का साथ छोड़ चुकी थी ..मैं अक्सर सतीश सक्सेना जी से उनके बारे में बोलते बतियाते उन्हें ब्लॉग जगत का स्फिंक्स कहा करता था -मगर डरावने नहीं दुलारा किस्म वाला स्फिंक्स ..कारण यह भी कि उन्हें कोई ठीक से समझ नहीं पाया ,कम से मैं तो बिलकुल भी नहीं और इसलिए उन्हें एक रहस्यमय वजूद वाले व्यक्तित्व का दर्जा मैंने दिया था, स्फिंक्स कहकर -मगर एक सबका प्यारा दुलारा सा स्फिंक्स ....उनका अध्ययन का एक बड़ा विषद क्षेत्र था .....चिकित्सा तो उनका कर्म ही था मगर उससे हटकर साहित्य और जीवन के लालित्य में उनकी रूचि अपनी ओर आकर्षित करती थी ....वे ब्लॉग जगत में अपनी ख़ास स्टाईल की टिप्पणियों के कारण  विख्यात थे जिन्हें काजल कुमार ने 'बीहड़ ' कहा है -क्योकि वे बहुत प्राकृत होती थीं ....देशी शब्द मुहावरों से लबरेज .....और प्रायः इटालिक्स में भी .....   

वे कब कैंसर से पीड़ित हुए नहीं पता ....जिजीविषा ऐसी कि कभी बताया तक नहीं ..जब अस्पताल से लौटे तब ज्यादातर लोग जान  पाए उनकी असाध्य बीमारी के बारे में ..मगर विनोद प्रियता देखिये कि आते ही शरद पवार जी की फोटो चेप कर कहते  भये  कि आपरेशन के बाद मेरा थोबड़ा ऐसा हो गया है ..... उनकी टिप्पणियाँ कभी कभार तो ऐसी बहुअर्थी हो जाती थीं कि समझने में बहुतों के छक्के छूट जाते थे ... बिलकुल बाणभट्ट की  कादम्बरी की भांति ....इसलिए ही सतीश जी से  बातचीत में उन्हें स्फिंक्स कहकर मैं किनारा कर लेता था कि इस  रहस्यमय व्यक्तित्व को ज्यादा जानने का प्रयास बेमानी है ....विगत आम के मौसम में मुझे उन्होंने अपनी बाग़ के चौसा आमों के रसास्वादन का न्योता दिया था ..अब अवसान इतना निकट है कौन जानता था ..वे ठीक भी तो हो चले थे..पर कल अचानक हालत बहुत खराब हो गयी और शाम को वे अपने दैहिक वजूद से मुक्त हो लिए ....मगर उनकी यशः काया हमारे साथ बनी रहेगी! उनके इस आकस्मिक अवसान से सारा ब्लागजगत मर्माहत है ..संतोष त्रिवेदी जी ने उन्हें यहाँ श्रद्धांजलि दी है ...अनुराग शर्मा जी ने उनके शोक श्रद्धांजलियों के संकलन का बीड़ा यहाँ उठाया है ..फेसबुक पर उनके लिए श्रद्धांजलियों का तांता लगा हुआ है ...चिट्ठाचर्चा पर भी शोक आयोजन है! नारी पर भी शोक प्रस्ताव  है!


उनके इस तरह से सहसा चले जाने से बेहद स्तब्ध और दुखी हूँ  ....ईश्वर उनकी आत्मा शान्ति दे और परिवार को इस हादसे से उबरने की शक्ति ... .

47 टिप्‍पणियां:

  1. अभी डा0 दराल के ब्लॉग में यह लिख कर आया हूँ..

    बड़ा दुखद समाचार मिला। उनकी बेबाक टिप्पणियों का ब्लॉग जगत कायल था। यह कमी अब शायद ही कोई पूरी कर सके। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

    बिछुड़ेंगे सब बारी-बारी
    मौत के आगे दुनियाँ हारी
    यारों के यार अमर थे
    याद रहेगी वो अय्यारी
    ..विनम्र श्रद्धांजलि।

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  2. आपने सही कहा, उनकी यशः काया हमारे साथ बनी रहेगी! विनम्र श्रद्धांजलि!

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  3. डॉ अरविन्द मिश्र,

    व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए बेहद कष्टदायक खबर !

    कल जब पता चला तब आँखों में आंसू छलक उठे थे इस ईमानदार और बेहद विद्वान् ब्लोगर के लिए, जिनसे मैं कभी नहीं मिल पाया !

    पहली बार मुझे आपने उनके बारे में बताया था कि कई भाषाओं के इस विद्वान् की टक्कर के लोग ब्लॉग जगत में दुर्लभ हैं...देश के जिन हिस्सों में वे रहे वहां की भाषा व संस्कृतियों के बेहतरीन जानकार रहे ...आखिर तक वे टिप्पणियों के माडरेशन के खिलाफ रहे !

    दादा अमर समय से पहले, बहुत जल्दी चले गए , उनके बारे में कुछ पहले भी लिखा था जो उनके चरणों में समर्पित कर रहा हूँ !

    http://satish-saxena.blogspot.com/2010/08/blog-post_30.html
    http://satish-saxena.blogspot.com/2010/12/blog-post_22.html

    वे बहुत अच्छे थे....

    लगता है कोई अपना हमें छोड़ कर चला गया है,

    मगर वे हिंदी ब्लॉग जगत में अपने निशान छोड़ गए हैं जो अमर रहेंगे !

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  4. शब्द नही है मेरे पास! हिन्दी ब्लागजगत डा अमर कुमार के जाने से एक रिक्तता उत्पन्न हो गयी है।

    स्तब्ध हूँ! उन्हें विनम्र श्रद्धाजंलि!

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  5. बहुत दुःख हुआ ...विनम्र श्रद्धांजलि....

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  6. अरविन्द जी , सारी रात मैं भी बेचैन रहा . शाम को बेटे का मेसेज तो मिला लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी बात नहीं हो पाई . सुबह उनके बेटे से बात हो पाई .

    क्या कहें , ऐसे व्यक्तित्त्व के बारे में जिनसे बिना कभी मिले ही , बिना बात किये भी , एक अटूट रिश्ता सा बन गया था . मन में बस गए थे डॉ अमर कुमार . बेटे शांतनु से स्वास्थ्य के बारे में पता चलता रहता था लेकिन एकदम ऐसा हो जायेगा , ऐसा संभावित नहीं था .
    एक महीने पहले ही आखिरी बार संपर्क हो पाया था . इतनी जल्दी बहुमुखी प्रतिभा के धनि डॉ अमर यूँ चले जायेंगे , विश्वास ही नहीं होता .

    ईश्वर उनको अपने चरणों में जगह दे , यही प्रार्थना है .

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  7. इस अज़ीम शख्सीयत को सामने देखकर आज खुदा भी हैरान होगा कि इसके आराम के लिए जन्नत से भी ऊंचा स्थान कहां से लाऊं...पिछले साल पांच नवंबर को दीवाली वाले दिन पापा को खोया और अब डॉक्टर साहब को...कैंसर जैसी नामुराद बीमारी से भी लड़ते हुए एक सेकंड के लिए अपनी ज़िंदादिली नहीं खोने वाले इस शख्स का साथ पाकर खुदा भी अब अपनी किस्मत पर इतराएगा....राजेश खन्ना की फिल्म आनंद की आखिरी पंक्ति याद आ रही है...

    आनंद मरा नहीं, आनंद कभी मरते नहीं...

    इसे अब बदल देना चाहिए...

    अमर मरे नहीं, अमर कभी मरते नहीं...

    जय हिंद...

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  8. उफ़...
    शोक ....

    इंसान तो चला जाता है पर यादें शेष रहती है...

    !विनम्र श्रद्धांजलि!

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  9. लगभग एक वर्ष पुरानी पोस्ट पर मोडरेशन लगाया था क्योंकि व्यर्थ विवाद हो रहा था उस पर, अमर जी उस पोस्ट पर टिप्पणी की थी, कुछ दिनों पहले सेटिंग चेंज की तब उनकी टिप्पणी पढ़ी , उन्हें जवाब भी दिया ,मगर तब वे अस्पताल में थे !
    विनम्र श्रद्धांजलि !

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  10. ब्लॉग-जगत नें जिंदादिल स्पष्ट्वादी खो दिया!!!
    अमर अपनी सार्थक टिप्पणीयों से सदैव अमर रहेंगे!!

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  11. ऐसे व्यक्तित्व हमेशा यादों में ज़िन्दा रहते हैं.. उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धाजंलि...!!

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  12. डॉ.अमर कुमार हमारे लिए एक गौरव का विषय यह भी थे कि वे हमारे जनपद के थे,पर ब्लॉग-जगत में उनकी हनक कितनी है ,यह उनके जाने के बाद महसूस हो रहा है.
    अभी दस दिन पहले उनसे मुलाकात करके आया हूँ.आपके बार-बार आग्रह करने पर भी उनसे सम्बंधित पोस्ट नहीं लिख पाया.डॉ.साहब की तबियत जैसी मैंने देखि थी उसका वर्णन तब नहीं कर सकता था क्योंकि वह स्वयं अपने बारे में ऐसा पढ़कर परेशान होते.

    मैं उनसे मिल पाया इसे इस समय अपना सौभाग्य भी कैसे कहूं ? वास्तव में वे सच्चे इंसानी ब्लॉगर थे !
    उनके प्रति आपका अनुराग अद्भुत है.

    उनकी स्मृति को सादर नमन !

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  13. डॉ.अमर कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि !

    दिवंगत आत्मा को परमात्मा शांति और उनके परिवार जनों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें !

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  14. अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...

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  15. अपूर्णीय क्षति हुई है ब्लोग-स्पेस की! विनम्र श्रद्धान्जलि ! ईश्वर उनके घर वालों को स्म्बल दे..!

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  16. डॉ. अमर को ब्लॉगजगत का स्फिंक्स कहना गलत न होगा, बहुत ही ऑब्जर्वेशनल और गहन टिप्पणियों के जरिये उन्होंने ब्लॉगजगत में अपनी अलग छाप छोड़ी है।

    विनम्र श्रृद्धांजली.

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  17. शायद काल का क्रूर मजाक इसी को कहते हैं, अविश्वसनिय है सब कुछ, पर क्या किया जाये. अब तो उनकी टिप्पणियों और इमेल, फ़ोन द्वारा हुए वार्तालाप के एक एक शब्द याद आ रहे हैं.

    अश्रूपूरित विनम्र श्रद्धांजलि.

    रामराम.

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  18. ओह बहुत ही दुखद घटना । अमर जी मेरे ब्लाग पर भी यदा कदा आते थे और मैँ उनके कमेँट कई बार पढता था । हिन्दी ब्लागिँग के लिये बङी क्षति ।

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  19. बहुत दुखद सूचना....उनके दिए कॉमेंट्स कभी भूले नहीं जा सकते ..हिंदी ब्लॉग जगत के लिए यह दुखद पूर्ण घटना है ...

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  20. स्तब्ध हूं ! क्या कहूं ! निश्चय ही ईश्वर को उनकी ज़रूरत हमसे कहीं अधिक रही होगी !

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  21. अविश्‍वसनीय लग रहा है .. हार्दिक श्रद्धांजलि !!

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  22. बहुत ही दुखद सूचना. ब्लौगिंग के शुरूआती दौर में उनके ब्लॉग पर 'काकोरी कांड और बिस्मिल जी' से संबंधित पोस्ट्स से उन्हें जानने का मौका मिला था. उनका मार्गदर्शन भी मिला और उनके कम्युनिटी ब्लॉग में शामिल होने का अवसर भी. हार्दिक श्रद्धांजलि.

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  23. डॉ० टी० यस० दराल साहब और डॉ० अरविन्द मिश्र जी अमर कुमार को श्रद्धान्जलि देने के मकसद से ब्लॉग पर आया लेकिन लगता है कुछ बड़ी गलती प्रथम कमेंट्स पढ़कर हो गयी |हलाकि मेरा कमेंट्स डिलीट हो गया है लेकिन मैं विनम्रता पूर्वक क्षमा मांगता हूँ मेरा आशय पवित्र था लेकिन जल्दबाजी में लगता है भयंकर भूल हो गयी |भविष्य में ध्यान रक्खूंगा |

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  24. डा0 अमर ऐसे ब्लॉगर थे जिनसे मेरा कमेंट का कोई रिश्ता नहीं था। न कभी उनका एक कमेंट मिल सका और न कभी मैं ही उनके ब्लॉग में कमेंट लिख पाया। सबसे मजेदार बात यह है कि कमेंट से कोई रिश्ता न होते हुए भी मैं उनको उनके कमेंट से ही जानता/मानता था। दूसरे के ब्लॉग में उनके कमेंट ध्यान से पढ़ता था। पढ़कर आकर्षित होता था और फिर उनका ब्लॉग खोलकर, पोस्ट पढ़कर चुपचाप निकल आता था।
    वे इतनी बेबाक आलोचना करते थे कि पोस्ट लेखक लिखता था कि आप मेरे ब्लॉग पर मत आइये...! मैं सोचता यह क्या लिखा है..! लेकिन आश्चर्य कि उसी ब्लॉगर के अगले पोस्ट में फिर डा0 साहब का कमेंट मौजूद रहता था। मैं सोचता कि डा0 साहब मेरे ब्लॉग पर तो आते नहीं लेकिन यहां...! लेकिन कभी कुछ कहा नहीं। उन्हें अंदाजा भी न होगा कि उनको उनके कमेंट के कारण कोई इतना चाहता है !
    आप ने सही लिखा...उन्हें समझना वाकई बहुत कठिन काम था।

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  25. Its indeed a very sad news.
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  26. ye stabdhkari soochna sharir ko nidhal kar rakha hai......

    guruwar ko hardik shradhanjali...


    pranam.

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  27. डा० अमर कुमार जैसे विद्वान का जाना निस्संदेह हम सब के लिए एक अपूर्णीय क्षति है. ब्लॉग जगत के चमन से तो लगता है कोई हरा भरा सायादार दरख़्त ही कट गया हो. एक विनम्र श्रद्धांजली उस महान व्यक्तित्व को.

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  28. सतीश सक्सेना जी के पोस्ट से अमर कुमार जी से परिचय हुआ था.उनकी बीमारी और जिजीविषा कहीं गहराई तक प्रेरक बनी.इस ब्लॉगजगत में एक स्थान रिक्त करने वाले अपने नाम के अनुरूप ही ' अमर ' रहेंगे .विनम्र श्रद्धांजलि ...

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  29. ऐसे विलक्षण व्यक्तिव का जाना अखर जाता है,मेरी भी विनम्र श्रद्धांजलि.

    ईश्वर ,परिवारी जनों को दुःख सहन करने की शक्ति दें...

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  30. अवाक् हूँ इस सूचना से .......... जानते सभी थे ऐसा कुछ होगा, पर इतनी जल्दी !
    ईश्वर अमर आत्मा को शरण में ले और संतप्त परिजनों को संबल प्रदान करें !

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  31. कोई शब्द नहीं...ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. विनम्र श्रृद्धांजलि!!

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  32. डॉ.अमर कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि !

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  33. एक निर्भीक और सुलझा हुआ टिप्पणीकार, रहनुमा और दोस्त बिछड गया। मौन श्रद्धांजलि॥

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  34. ब्लॉग जगत से ही उनसे परिचय था और अब यह समाचार भी ब्लॉग से ही। मुझे ध्यान है,कई बार डॉ. अमर की टिप्पणियों पर ही टिप्पणियों का सिलसिला चल पड़ता था। अपनी बात बेबाकी और विस्तार से कहने की जो नींव उन्होंने डाली है,अगर उस परम्परा को आगे बढ़ाया जा सके,तो कई पाठक पोस्ट की बजाए टिप्पणियों के लिए हिंदी ब्लॉगजगत से जुड़ सकते हैं।

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  35. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.

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  36. अमर कुमार जी के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं टिप्पणियों से मैं वंचित ही रहा। लेकिन इस लेख से उनके बारे मे जानकर अच्छा लगा।
    ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे।

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  37. डाक्टर अमर कुमार जी के निधन के विषय में जानकर बहुत दुःख हुआ. उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि

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  38. मन फूला फूला फिरे जगत में झूंठा नाता रे ,
    जब तक जीवे माता रोवे ,बहिन रोये दस मासा रे ,
    तेरह दिन तक तिरिया रोवे फेर करे घर वासा रे .लेकिन अपने डॉ अमर का ब्लॉग जगत से सच्चा नाता था ,दो टूक ,बिंदास बोलते थे .उनकी याद आती रहेगी .आपके ब्लॉग की तो वह जीवंत "नौक झोंक "थे ,उनका ब्लॉग बूझते वहां तक पहुँचते सिर्फ यह जानने ,उनका कोई ब्लॉग नहीं है ,वह औरों के हैं .उनके महा -प्रयाण पर वीरुभाई के शतश :नमन ,प्रणाम .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    कपिल मुनि के तोते .

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  39. डॉ. अमऱ कुमार जी को हार्दिक श्रध्दांजली ।

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