आदरणीय मैथिली जी और प्रिय सिरिल ,
आपको विजयदशमी की बधाई और ढेरो शुभकामनाएं ! मैं यह क्या देख रहा हूँ ? ब्लागवाणी को बंद कर दिया आपने ? विजयदशमी पर आपने यह कैसा उपहार दिया है ! मैं तो स्तब्ध हूँ ! क्या इस निर्णय के लिए यही सबसे उपयुक्त समय था ! विजयदशमी असत्य पर सत्य के विजय का पर्व है -आसुरी प्रवृत्तियों पर देवत्व के अधिपत्य के विजयोल्लास का पर्व ! यही हमारी सनातन सोच है ,जीवन दर्शन है ! ऐसे समय इस तरह की क्लैव्यता ? कभी राम रावण से पराजित भी हुआ है ? यह आस्था और जीवन के प्रति आशा और विश्वास के हमारे जीवन मूल्यों के सर्वथा विपरीत है कि प्रतिगामी शक्तियां अट्ठहास करने लग जायं और सात्विक वृत्तियाँ नेपथ्य में चली जायं ! और वह भी आज के दिन -विजय दशमी के दिन ही ?
आपसे आग्रह है कि सनातन भारतीय चिंतन परम्परा के अनुरूप ही ब्लागवाणी को आज विजयदशमी के दिन फिर से प्रकाशित करें ! सत्यमेव जयते नान्रितम के आप्त चिंतन को आलोकित करें !
अगर आप ऐसा नहीं करते तो हिन्दी ब्लागजगत की विजयदशमी कैसे मनेगी ? ब्लागवाणी के अनन्य मित्रों ,प्रशंसकों को आप आज के दिन यही उपहार दे रहे हैं -वे क्या अपने को पराजित और अपमानित महसूस करें? नहीं नहीं आज के दिन तो यह निर्णय बिलकुल उचित नहीं है ! ऐसा न करें कि राम पर रावण की विजय का उद्घोष हो ?पुनर्विचार भी न करें, ब्लागवाणी के तुरीन से तत्काल शर संधान कर असत्य और अन्याय के रावण का वध करे -प्रतिगामी शक्तियों को पराभूत करें! हम आपका आह्वान करते हैं !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
अफसोसजनक हादसा।
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहा जाता है तो यह स्वतंत्रता हर क्षेत्र में होती है, फिर चाहे वह समाज सेवा हो या व्यवसाय।
यह ब्लॉगवाणी का अपना निर्णय था, शायद कुछ और बेहतर कर गुजरने के लिए।
अब तक ब्लॉगवाणी से मिला दुलार याद आता रहेगा। भविष्य की योजनाओं हेतु शुभकामनाएँ
बी एस पाबला
दुखद घटना...
जवाब देंहटाएंब्लॉगवाणी से निवेदन है कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे
बहुत दुखद. ऐसा लगा जैसे कोई अपना रूठ कर छोड़ कर जा रहा हो.
जवाब देंहटाएंदुखद
जवाब देंहटाएंब्लॉगवाणी से निवेदन है कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे
बेहद सशक्त अभिव्यक्ति दी है आपने हमारे चिन्तन को ।
जवाब देंहटाएंबस यही तो विचार कर रहा हूँ मैं कि इस यात्रा में केवल समानान्तर सूत्र ही तो न मिलेंगे, कुछ आड़े-कुछ तिरछे सूत्र भी मिलेंगे । और वस्तुतः जीवन या किसी समर्पित कार्य का ताना बाना तो दोनों तरह के सूत्रों से ही न बुना जायेगा !
मेरा भी विनीत आग्रह स्वीकारें - ब्लॉगवाणी वापस ले आयें ।
सुबह चाय पीते समय अखबार की आदत जैसे ही कम्प्यूटर खोलते ही ब्लॉगवाणी ओपन करने की आदत सी हो गई है। अब क्या करें?
जवाब देंहटाएंहमने तो सोचा था कि भविष्य में ब्लॉगवाणी पसंद अंग्रेजी डिग जैसे ही हिन्दी ब्लोग की लोकप्रियता का मानदंड बन जाएगी परः
मेरे मन कछु और है कर्ता के कछु और ....
Man supposes God disposes .....
विजयदशमी की ढेरो शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएं@दुखद फैसला..ब्लॉगवाणी से निवेदन है कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे क्योंकि ये अग्रीग्रेटर तो हिंदी ब्लॉग्गिंग की बैसाखी हैं..एक ब्लोग्वानी दूसरा चिट्ठाजगत..एक बैसाखी रही नहीं अब देखते हैं कितनी दूर तक हिंदी ब्लॉग्गिंग लडखडा कर चल पाती है?
-गूगल से निवेदन किया जाये की एक ऐसी सेवा हिंदी के लिए शुरू करें..
-किसी ने सही कहा है ' मुफ्त सेवाओ का उपयोग करना भी एक कला है..'
और अनुपस्थिति में ही किसी वस्तु की महत्ता का अहसास होता है..
अब कुछ नादानों की नादानी का अंजाम पूरे हिन्दी ब्लॉग समाज को भुगतना होगा। अनुरोध है कि ब्लॉगवाणी वापिस शुरु हो।
जवाब देंहटाएंअच्छा नहीं लगा यूँ रूठ के जाना वो भी आज के दिन ..ब्लागवाणी अपने निर्णय पर फिर विचार करे .....मेरे जैसे कई लोग होंगे जो अपनी मेल बॉक्स से पहले ब्लागवाणी देखते हैं की आज कहाँ क्या नया लिखा गया है ...आशा है आप निराश नहीं करेंगे मैथली जी
जवाब देंहटाएंबहुत अफ़्सोस जनक है.
जवाब देंहटाएंइष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
इस निर्णय पर एक बार पुनर्विचार किया जाना अपेक्षित है!!!!
जवाब देंहटाएंआपसे पूरी तरह सहमत हूं. दूसरों के पापों का दंड हम अपने को क्यों दें. ऐसे तो रावण कभी नहीं मरेगा. लम्पटों को माफ कर आगे बढ़ें जीत आपका रास्ता देख रही है
जवाब देंहटाएंसौ टके खरी बात कही आपने।ब्लागवाणी का बंद होना व्यक्तिगत नुकसान जैसा भी है,इसे बंद नही होना चाहिये,किसी भी हालत मे नही।इस फ़ैसले प्र पुनर्विचार होना चाहिये।
जवाब देंहटाएंअच्छा नहीं लगा यूँ रूठ के जाना वो भी आज के दिन ..ब्लागवाणी अपने निर्णय पर फिर विचार करे मेरे जैसे कई लोग होंगे जो अपनी मेल बॉक्स से पहले ब्लागवाणी देखते हैं की आज कहाँ क्या नया लिखा गया है ...आशा है आप निराश नहीं करेंगे मैथली जी
जवाब देंहटाएंVijayadashmee kee shubh kamnayen!
जवाब देंहटाएंLekin ye uphaar jo blggers ko mil raha hai,usme kiska 'vijay' hai?
यह सब दुखद है ..मेरे सामने यह दूसरा ब्लॉग संकलक विदा ले रहा है ..यह हिंदी ब्लॉग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है.पर हम सिर्फ अनुरोध कर सकते हैं. ब्लोग्वानी का बंद होना जल्द बाजी में लिया गया फैसला है. आशा है ब्लोग्वानी दुबारा जीवित होगी या फिर जैसा की अजित जी ने कहा है अगर मैथली जी इससे इतर कुछ अलग सोंच रहे हैं हम उनके साथ है.
जवाब देंहटाएंअत्यंत दुखद
जवाब देंहटाएंब्लागवाणी को किसी भी तरह बंद नहीं होना चाहिए !
इस तरह से पलायन गले नहीं उतरता
रेल की एक बोगी खराब थी और आपने स्टेशन समेत सारी पटरी ही उखाड़ दी !
जरूरत थी खामियों को सही करने की अथवा उस "आप्शन" को ही बंद करने की जो मुद्दे की जड़ थी !
यह ब्लॉग जगत के लिए तो दुखदायी है ही ... हिंदी भाषा की बढती लोकप्रियता के लिए भी घातक कदम है !
आज जरूरत है हमें अपने बचकानेपन से ऊपर उठकर सोचने की !
दशहरे की शुभकामनाएं
अरे मेथिलिई जी अब ब्लांग बानी पर सिर्फ़ आप का हक नही, जब चाहो बन्द कर दो, अब वो हम सब के दिलो दिमाग मै बस गई है,भाई ऎसा मत करो, फ़िर से चालू कर दो वो तो हमारा मायका है, जहां दिन मै कई बार आना जाना होता है, कुछ लोगो की गलतियो की सजा हम सब को मत दो....
जवाब देंहटाएंओर अब जल्दी से हमे हमारा दशहरे ओर दिपावली का उपहार, ब्लांग बाणी हमे लोटा दो.
आप का भी धन्यवाद, आप के जरिये हमारा संदेश शायद ब्लांग बाणी के संचालको तक पहुच जाये.
आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.
हम यह उपहार स्वीकार नहीं करेंगे॥
जवाब देंहटाएंविजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंमिश्र जी के प्रत्येक शब्द में मैं अपना स्वर मिलाती हूँ.......
जवाब देंहटाएंआदरणीय मैथिलि जी एवं सिरिल जी....करबद्ध प्रार्थना है आपसे कि यह अपने इस निर्णय को निश्चित रूप से बदल दें....
आपने जो यह इतना बड़ा प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है हिंदी ब्लोगिंग को यह हिंदी ब्लॉग का सबसे बड़ा प्लेटफार्म ,उसका पोषक है.. इसके माध्यम से आप हिंदी की कितनी बड़ी सेवा कर रहे हैं,आप स्वयं यह जानते हैं.....
किसी क्षुद्र की बातों का बुरा मान ,निस्वार्थ सेवा का व्रत यूँ खंडित करना किसी भी हाल में उचित नहीं...
क्या दुष्ट शक्तियों को ऐसे ही आसानी से जीत जाने देंगे ???????
कृपया पुनर्विचार करें और हिंदी सेवा के लिए ब्लोग्वानी को जीवन दान दें.......
टिप्पणी तो देना चाहते थे पर इस कांड के मुख्य अभियुक्त ने भी यहाँ टिप्पणी कर दी है, इसलिये यहाँ से चलना ही ठीक है--------
जवाब देंहटाएंब्लॉग वाणी फिर से लौट कर आये ...हमारी विनती स्वीकार की जाये ..!!
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