आज युनुस जी की इस पोस्ट ने पिता जी की याद दिला ही दी जिसे मैं तबसे सायास रोके हुए था जब आज यह पता चला कि आज ही "फादर्स दे " है -इन नित नए नए चोचलों में ,नूतन दिवसों में मेरी रूचि नही है -मगर अब युनुस भाई को क्या कहूं कि उन्होंने इस दिवस को कुछ चुनिन्दा लोगों की चुनिन्दा कविताओं से ऐसा अर्थ गौरव प्रदान कर डाला कि पिता जी याद आ गए और बेसाख्ता याद आए !
मैं उन पर क्या लिखूं ? पहले उनके लिखे से आगे बढ़ पाऊँ तब तो ! लीजिये "आत्मा वै जायते पुत्रः " के फलस्वरूप उनकी यह कविता आप भी पढ़ लें !
कया करुँ मन कुछ कहो तो .........
क्या करुँ मन कुछ कहो तो
क्या सितारे तोड़ लाऊँ
या कि गैरिक वस्त्र में सब कुछ छुपाऊँ
तरस आता किंतु तेरी विवशता पर
त्याग सकते हो कुछ नही तुम
रूढियों की जिन्दगी ही भाती तुझे है
कसकना ,कोसना ,हरदम फुलाए गाल रहना
और रो -रोकर सिसक कर पाँव रखना
बस ,यही आग्रह तुम्हारा खून पीकर
लड़ रहा प्रतिपल तुम्हारी साँस लेकर
और तुम ?
मुझी पर डांट की वर्षा लगाये
रो रहे हो
क्या करुँ मन कुछ कहो तो !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
-
Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
कहने को अब क्या बाकी रहा
जवाब देंहटाएंअरविंद जी पिता जी की यह कविता बहुत कुछ कह जाती है उन के खुद के बारे में। उन्हें शत शत प्रणाम।
जवाब देंहटाएंइस प्रकार की उत्कृष्ट रचनायें आपको थाती में मिल गयीं हैं । मैं अनभिव्यक्त हूँ । पितृ-दिवस पर पिता जी का सादर स्मरण व उनकी इस रचना का धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआपकी पितृ दिवस पर बहुत ही सटीक रचना लिखी है जिसे पढ़कर आंखे नम हो गई . पिता की कमी हमेशा जीवन पर्यंत रहती है . मै तो कहूँगा " ओह पापा तुम्हारे वगैर .." . . फादर्स डे पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धासुमन विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ .
जवाब देंहटाएं"त्याग सकते हो कुछ नही तुम
जवाब देंहटाएंरूढियों की जिन्दगी ही भाती तुझे है"
पिताश्री को हमारा नमन
शत शत प्रणाम, यह तो आपके पास अनमोल धरोहर हैं जो हर किसी के पास नही होती.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कर्तव्यबोध एवं मर्यादाओं में बंधा मनुष्य कभी-कभी भयंकर मानसिक संत्रास से गुजरता है। व्याकुलता के यह क्षण कुछ इसी प्रकार से व्यक्त होते हैं।
जवाब देंहटाएंअरविंद जी अभी अभी पिता से फोन पर बात की है ।
जवाब देंहटाएंपितृ दिवस तो एक बहाना था...मुझे तो अपने पिता से अपने मन की कई बातें कहनी थीं । देखिए आपने भी कह डालीं । यही तो इस दिन का सार है ।
आप सबको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंDevPalmistry
पिता जी को नमन!!
जवाब देंहटाएंवाकई अनमोल धरोहर हैं ये यादें. अक्सर कई भाव हम चाह कर भी व्यक्त नहीं कर पाते.
जवाब देंहटाएंपितृ दिवस के बहाने पिता जी की रचना के सहारे उनको याद करना ही उनके प्रति सच्ची श्रृद्धांजलि है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
pita tujhe naman !!
जवाब देंहटाएंमन की भावनाओं को विराम नहीं लगाना चाहिए ..कभी कभी ऐसे मौके अपना वजूद तलाश ही देते है...
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण, मार्मिक रचना ........
जवाब देंहटाएंpitr diwas par pitaa shree ko shradhaanjali ka anuthaa prayog kaabile saadhuvaad hai.
जवाब देंहटाएंjhalli kalam se
jhalli gallan
angrezi.com
हमारी भी श्रद्धांजलि जी।
जवाब देंहटाएंफादर्स डे तो बहाना है ! ऐसी भावनाएं कब भूलती हैं भला ?
जवाब देंहटाएंआह..
जवाब देंहटाएंइस अद्भुत रचना के लिये शुक्रिया मिश्र जी। हमने एक प्रति बचा कर रख ली है अपने संकलन में।