जी हाँ ,बाई बाई टू काकटेल एंड वेलकम तो माकटेल ! इतनी सड़ेली गर्मीं पड़ रही है कि जीना दूभर हो गया है -पसीना सूख नही रहा ! एक नुस्खा पेशे खिदमत है -माकटेल पीजिये ! गरमी को भगाने का यह नया नुस्खा अब खूब प्रचलन में है ! माकटेल बोले तो तरह तरह के विशुद्ध शाकाहारी जूसों आदि का कल्पनाशील मिश्रण -अब जैसे जो माकटेल पिता पुत्र चित्र में पी रहे हैं उसमें लीची ,अन्नानास ,स्ट्राबेरी आईसक्रीम ,थोडा सोडा और थोडा थम्स अप -सब माशा तोला एक निश्चित अनुपात में है -बोले तो परफेक्ट ब्लेंडिंग ! फिर ऊपर से क्या खूब
सजावट- मतलब गार्नेशिंग ! वाह मजा आ गया -यह मेरी एक न्यू फाउन्ड इंटेरेस्ट है -
तरह तरह के चित्र विचित्र नाम भी है इस पेय के -हमने जो आज अभी अभी पी है उसका नाम है -ट्रापिकल स्प्लेंडर !
माकटेल बनाने वाला आपसे अक्सर पूंछ सकता है कि सर कैसी बनी /ब्लेंड हुयी थी माकटेल ? और आपको तो औपचारिक उत्तर ही देना होगा -जोरदार ,जबरदस्त ! पार्टियों में काकटेल के समानांतर इसे पेश कर सकते हैं -आपके शाकाहारी मित्र भी मान जायेंगें कि हाँ आपने पिलाई थी कोई चीज !
आप भी ट्राई करें जनाब -खोजें अपने शहर में और बनारस आ रहे हों तो हमें माकटेल पर साथ देने का सौभाग्य अता करें !
जीवन शैली और खान पान
शाकाहारी जूसो का ये मिश्रण अवश्य मजेदार होगा, ये तो आपका ये चित्र ही बता रहा है।मिश्रा जी, अगर ये मजेदार न होता तो आपका ध्यान गिलास की बजाय सामने कैमरे की ओर होता।..:)
जवाब देंहटाएंaaj yahaan baarish ho gayee to haalatzara sudhare hai...varna bura haal ta garmee se...aisi garmi me peene k eliye to lassee best lagtee hai,par aapki salaah ko dhyaan me rakhenge
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जवाब देंहटाएंमाक टेल.... माने झुट्ठा पूँछ, यही न ?
कभी नींबू की शिकँजी में थोड़ा कैच का चाट-मसाला मिला कर देखिये न ?
मज़ा न आये तो टिप्पणी वापस !
वर्जिन पिनाकोलाडा ट्राई किया या नहीं? जब सब जाम छलकाते हैं तो हम जैसों को तो इसी से काम चलाना पड़ता हैं जी. मजबूरी में :) जितने कॉकटेल और दारुपेय है उनके नामों में से ब्लडी हटा दीजिये या वर्जिन जोड़ दीजिये. उस नाम का मॉकटेल मिल जाता है.
जवाब देंहटाएंअर्विंद जी चलिये हम इसे शनिवार को बना कर (घर पर) फ़िर सुंदर से गिलासो मे डाल कर उस का चित्र खींच कर ब्लांग मे डाले गे,लेकिन उस से पहले इसे पीयेगे, अगर स्वाद लगी तो ओर ना स्वाद लगी तो भी इस बारे लिखेगे,आप ने जो जो समान लिखा है सब यहा मिलता है.
जवाब देंहटाएंशनि वार इस लिये कि एक बच्चा शाम को घर आता है तो एक दोपहर कॊ, इस लिये सब मिल कर शनि बार ओर इतबार को पिय़ॆगे,देखने मै तो बहुत स्वाद लग रहा है, आप बाप बेटा खुब जंच रहे है.सुंदर फ़ोटो है.
धन्यवाद
मॉकटेल पी-पर अपनी कॉकटेल ही लम्बी दूरी तक ले जा पाती है. :)
जवाब देंहटाएंगरमी से परेशान हो गये थे खूब ही । नुस्खा खोज ही निकाला आपने । और जैसा विषय-वैसी प्रस्तुति । आभार ।
जवाब देंहटाएंआप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
जवाब देंहटाएंएक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
मेरी ग़ज़ल/प्रसन्नवदनचतुर्वेदी
बनारस के कवि/शायर
समकालीन ग़ज़ल [पत्रिका]
रोमांटिक रचनाएं
मेरे गीत/प्रसन्नवदनचतुर्वेदी
अरे ठीक है डाक्टर साहब . जिन्दगी इन्हीं मुर्गपुच्चों और भ्रम्पुच्छों में गुजार दी . अबतो आप बढियां बनारसी ठंढई की कुछ कहिये . न सही बूटी , हम उसे विश्व ' विजयी ' मोक्टेल मानते हैं . मारिये इन रंगीन गिलासों को गोली . हम उसे कुल्हड़ में छानते हैं .
जवाब देंहटाएंआनंद लीजिये इस जोरदार, जबरदस्त मॉकटेल का. हम तो चित्र से ही मन भर लेंगे. वैसे हम ने तो यहाँ सभी स्थानीय जनों को आम की लस्सी और लीची और अमरुद का रस पिलाकर भारत का दीवाना बना दिया है.
जवाब देंहटाएंभारत मेँ सब
जवाब देंहटाएंअब बहुत ही स्मार्ट हो गये हैँ
ऐसा लगता है -
मोकटेल भी है वहाँ !
-- लावण्या
और डाक्टर साहब पुनश्च :
जवाब देंहटाएंबनारस आयेंगे तो आपको ५०० मोकतेलों की लिस्ट थमाएंगे ( उन्हें काकटेल बनाने की विधी अलग से समझायेंगे ) इतने अलग अलग नाम की वे सब आपकी शब्दावली की शोभा बढायेंगे .
लेकिन वादा करिए .......
आप हमें गोदौलिया मिश्रम्बु तो पिल्वायेंगे ही उसका शास्त्रोक्त फार्मूला भी समझायेंगे .और हम उसे फिरंगियों के कक्तेलों / मक्तेलों का बाप बनायेंगे .
जय हो बाबा विश्वनाथ की !
का मिश्र जी ..बिटवा अभी दूरे है...आप तो घुस गए हैं गिलास्वा में...मजा आ गया..ई पोसते पढ़ के ठंडक पड़ गयी कलेजे में....हाँ बनारस आयेंगे तो हम भी एगो ऐसन फोटू खीन्च्वायेंगे ..आपके साथ..जाहिर है मोक्टेल्वा तो आप पिलईबे करेंगे..
जवाब देंहटाएंआप से शिकायत है - माकटेल नाम बहुत ही एलियन और असंस्कृत सा नाम है। "चिढ़ाता हुआ पूँछ वाला" अर्थ या अनर्थ तो यही हुआ न।
जवाब देंहटाएंएक फड़कता हुआ सा चौंचक बनारसी नाम सुझाइये न !
ये पीने पीलाने की बात अच्छी नही होती ( अटलजी स्टाईल):)
जवाब देंहटाएंरामराम.
मॉकटेल बहुत से देशों में प्रचलित शब्द नहीं है। इसका अनुभव मुझे साउथ अफ्रीका में हुआ।
जवाब देंहटाएंकुछ देर को ही गर्मी से राहत तो मिली थैंक्स to -ट्रापिकल स्प्लेंडर !
जवाब देंहटाएंregards
आप लिख ही नहीं रहें हैं, सशक्त लिख रहे हैं. आपकी हर पोस्ट नए जज्बे के साथ पाठकों का स्वागत कर रही है...यही क्रम बनायें रखें...बधाई !!
जवाब देंहटाएं___________________________________
"शब्द-शिखर" पर देखें- "सावन के बहाने कजरी के बोल"...और आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाएं !!
जाकिर जी की पोस्ट पढ़ कर तो लग रहा है मुझे भी 'स्वैएन फ्लू' न हो गया हो! जरा तबियत सुधर जाये तो मैं भी लुत्फ़ लेता हूँ इस पेय का.
जवाब देंहटाएंफोटो देख कर मन कर रहा है कि बनारस का टिकट बुक करा डालू।
जवाब देंहटाएंह ह हा।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
भाई हमारी दुबई में तो नहीं मिलती है............... क्या करें..........
जवाब देंहटाएं@@बिलकुल दुरुस्त बात समीर जी लम्बी दूरी तो काकटेल ही ले जाती है !
जवाब देंहटाएं@@वर्जिन पिनाकोलादा देखते हैं प्रिय अभिषेक !
जवाब देंहटाएंकित्ता अलकोहल होता है इसमें? यानी अलकोहल प्रेमी कितना मिला सकते हैं कि फिर भी यह माक ही रहे?
जवाब देंहटाएं@ गिरिजेश राव
जवाब देंहटाएंआपकी फरमाइश पर हाज़िर है एक बनारसी नुमा नाम
' मिलाव्टेल ' या 'मिलव्तेल ' ...मिलान्टेल ,मिलंटेल ,
मिलन्ठल ........या चाहें तो आप के पात्र लंठ की शान में सिर्फ .....' लंठेल ' .
सब्जेक्ट टू बनारसी हुंकारी !
:)
अमर कुमार जी की टिपण्णी पर सदके जाऊ.. अब हम कहा मेहनत करे सोच रहे बनारस की ही टिकट कटा लेते है
जवाब देंहटाएंआनंद लीजिये इस जोरदार, जबरदस्त मॉकटेल का!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक पेय लग रहा है।
जवाब देंहटाएंमाकटेल देख कर ही तरावट आ गयी .
जवाब देंहटाएं@ राज सिंह
जवाब देंहटाएंआप तो बिचारे लंठ के पीछे लाठी लेकर पड़ गए हैं। भैंसवारी मुद्रा पसन्द आ गई साइत! :)
जल्दी ही दूसरी कथा आएगी। वैसे 'जल्दी' माने आलसी का जल्दी, अमेरिकन जल्दी नहीं।
@अरविन्द मिश्र
'रसीली' नाम कैसा रहेगा ? दुकान पर गए तो ऑर्डर देंगे "आम और लीची की रसीली लाओ"। मित्र गण सामने बैठी बला या बाला जो कहें पर 'रसीली' के ब्याज से चर्चा भी कर सकेंगे। बेचारी को अच्छा लगे तो अच्छा, न लगे तो 'हमार का उखाड़ लोगी, हम त जूस के बारे में बतिया रहे हैं।"
वैसे नाम के लिए एक प्रतियोगिता करा दें। विजेता को मुफ्त बाबा का दर्शन और घाट पर 'रसीली' पान और उसके बाद बनारसी पान। बस आने जाने और ठहरने का प्रबन्ध स्वयं करना रहे। मेरी प्रविष्टि इसे ही मान लें। ;)
@इन दोनों "र " कार नामधारियों और उनके बना रस प्रेम को नमस्कार (दूर से भी और पास से भी )
जवाब देंहटाएंलग ही रहा है बहुत भोगे हैं बनारस को और बनारस में ....
वाह क्या दिव्यदृष्टि है रसीली को ही देख कर रसीली का आर्डर दिया गया था ! बाद में उस मेज पर भी पहुँची माकटेल !
अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंये गार्नेशिंग कर -कर के नुस्खे कहाँ से लाते हैं....? कमल है आपकी पसंद .....!!
इन दिनों तो भगवान् से यही मना रहा हूँ , बनारस आने का मौका मिल जाए!
जवाब देंहटाएंमैं तो आजकल इलाहाबाद की सड़ी गर्मी में इतना परेशान हूँ कि यहाँ कम्प्यूटर पर बैठना नहीं हो पा रहा है। यहाँ इतना रस छलका जा रहा है और मैं पसीने-पसीने हो रहा हूँ।
जवाब देंहटाएंआपने जिस पेय और पेयकर्म का फोटू लगा रखा है उसे देखकर मेरी बेचैनी बढ़ रही है। इलाहाबाद में कहाँ मिलेगा भाई?
शानदार पोस्ट।
@भाई ,कान्हा श्याम में एक शाम प्रिय भाभी जी और माकटेल के साथ बितायिये न -कब तक सडी गर्मी को कोसियेगा !
जवाब देंहटाएंवैसे मॉक का अर्थ है कृत्रिम और टेल का जानबही करते हैं कि पूंछ होता है. त ई मुर्गपुच्छ पर कुर्गपुच्छ की जीत मानी जाए और वह भी ख़ास कर गर्मी के कारन.
जवाब देंहटाएंहा हा हा
जवाब देंहटाएंऐसा मिक्सचर तो हमने नही पिया, कभी ड्यू फूटी और पेप्सी जरूर साथ मिला कर पी है, नया टेस्ट अच्छा लगता है।
लीची ,अन्नानास ,स्ट्राबेरी आईसक्रीम ,थोडा सोडा और थोडा थम्स अप--ki परफेक्ट ब्लेंडिंग kar ke
जवाब देंहटाएं--[Veg--]mocktail tayyar--!kya baat hai!
strawberry ice cream ki jagah..kulfi ya mango [ice cream ]try ki jaye!aur --thumbs up ki jagah Pepsi![thumbs up asani se jo nahin milti]
dekhte hain banaa kar...