बेमानी बेनामी टिप्पणियों पर खूब हल्ला गुल्ला मचा है -! लोगों को पता भी है मगर संविधान की यह मूल भावना है कि जब तक चोर चोर साबित न हो जाए उसे चोर कहना ठीक नही है -उसे संदेह का लाभ मिल ही जाता है ! चोर की दाढी में तिनके देखने की कभी लोगों में दिव्य दृष्टि होती थी - अब उसे तकनीकी के जरिये देखने में कुछ सुधीजन लग चुके है -खुदा उन्हें कामयाबी बख्शे ! कभी यह भी होता है कि कुछ बिचारे नाहक ही बदनाम हो जाते है - !
कहते हैं बद अच्छा बदनाम बुरा । मुझे तो भाई बदनामी से बहुत डर लगता है ! बद मैं भले हूँ लेकिन " न भीतो मरणदस्मि केवलम दूषितः यशः " मरने से नहीं अपयश से डर लगता है ! बेनामी और अनामिकाओं ने ऐसा भय और संशय का माहौल बुन डाला है कि लोग जाने परखे मित्रों तक को भी शक के दायरे में ला दे रहे हैं !
बेनामी टिप्पणियाँ अनेक कारणों से की जा सकती हैं -उचित और तर्कपूर्ण कारणों से भी ! मगर इस समय जो टिप्पणियाँ हो रही हैं केवल घोर हताशा और निराशा का ही परिणाम हैं -कारण जिन्होंने भी हिन्दी ब्लागिंग को ऐसे ही मौज मस्ती के लिए ले लिया और उसके साथ सामाजिक उत्तरदायित्व को नहीं जोड़ा या फिर किसी प्रायोजित उद्येश्यों की पूर्ति में लगे या फिर अपने हारे हुए मुद्दों को यहाँ लाकर हायिलायिट करने लग गये , अब चुक गए हैं ! कुछ लोगों ने बस यही समझ लिया था कि ब्लॉग का मतलब बस अपना रोना धोना, ज्ञान जी के शब्दों में कहूं तो सुबक सुबक पोस्ट है !
मुझे लगता है की इन बेनामियों की ज्यादा नोटिस नहीं ली जानी चाहिए -एक एक महारथिओं ने अपने ब्लागों पर माडरेशन लागू कर रखा है -आप भी वही आप्शन अपना सकते हैं .और वैसे भी यदि आप आधी दुनिया -नारी पर कुछ नहीं लिख्रते या फिर पहेलियाँ नहीं पूंछते तो मत घबराईये कोई बेनामी आप तक नहीं पहुँचने वाला है -बिना माडरेशन के भी आप चैन की वंशी बजा सकते हैं .
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
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9 वर्ष पहले