सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

बहुत कुछ हमारे सोच पर निर्भर है!


आज हमारे समाज में अनेक समस्यायें हैं -कुप्रथायें हैं ,अंधविश्वास है ,बेरोजगारी और भूख है, दिशाहीनता है, पलायन है. कई मामलों में मनुष्य की मूलभूत जरूरतों का हवाला हम अक्सर देते हैं -कपडा ,रोटी और मकान ,मतलब जीविकोपार्जन और रहने के लिए  एक खास जगह  की दावेदारी -मतलब एक छत . मगर देखा यह जाता है कि इन मूलभूत जरूरतों के पूरा होने के बाद भी कई समस्यायें उठती रहती हैं . और उनका एक तात्कालिक हल निकालकर हम आगे बढ़ते हैं .कई बार तो समस्याओं का निराकरण तो कुछ ऐसे फार्मूले से होता है जैसे कि गरीबी हटाने का सबसे  कारगर तरीका है गरीबों को ही मिटा देना :-) .... चलिए यह तो भूमिका हो गयी . आज की इस पोस्ट के लिए कोई एक विषय तो चुनना होगा. मैं भ्रष्टाचार पर कुछ कहना नहीं चाहता -काजल की कोठरी में रहकर तो हर ओर अँधेरा ही दिखता है -समाज में नारी की स्थिति,विवाहादि पर  अकेले कुछ नारीवादी ही इतना लिख चुके हैं कि कुछ ख़ास  बचा ही नहीं लिखने को और लिखा तो कुहराम मचना तय है. बढ़ती जनसख्या ,गर्भनिरोध के तरीकों पर लिखना अब कुछ नया नहीं रह गया . मनुष्य के अन्तरंग  जीवन के पहलुओं पर लिखने पर हमेशा श्लीलता और अश्लीललता की विभाजक रेखा धुंधलाती हुयी सी लगती है . फिर ?
आज सोचता हूँ कुछ ख़ास पर्सोनालिटी टाईप्स की बात करूँ. ऐसे लोग जो हमेशा नकारात्मक ऊर्जा का संचार करते रहते हैं .अंगरेजी का एक शब्द है सिनिक (cynic ) -अर्थात- दोषदर्शी/मानवद्वेषी/निंदक ...ऐसे लोग आपसे भी अक्सर टकराते होंगें .उन्हें हमेशा यह लगता है कि यह दुनिया ही बड़ी कमीनी है ,स्वार्थी है ,यहाँ कुछ भी अच्छा नहीं है ....अब कुछ भी नहीं बचा जो अच्छा हो -कबीर ने ऐसे आदमी की पहचान तरीके से कर ली थी बल्कि यहाँ तक कह डाला था कि उसकी तो बड़ी आवाभगत करो -घर के भीतर भी बुला आँगन में बिस्तर आदि लगा उसकी पूरी सेवा श्रूशुषा करो क्योंकि वह तो आपनी आदत से बाज तो आएगा नहीं, हां आपकी बर्दाश्त करने की आदत में निरंतर इजाफा करता जाएगा -अब महापुरुष लोग समस्याओं का ऐसा ही कोई यूनिक तरीका बताते  हैं जो व्यवहार में पूरी तौर पर कभी लागू न हो पाए और इसलिए उसे कभी खारिज भी न किया जा पाए :-)  
मगर मुझे लगता है कि ऐसे लोगों को अवायड करना चाहिए क्योकि वे आपमें एक तरह की नकारात्मक ऊर्जा का समावेश करते हैं -आपका आत्मविश्वास डिगाते हैं. और आपका कोई काम बनते बनते इसलिए बिगड़ जाता है कि आप में नकारात्मक सोच घर कर गयी थी . दर्शनशास्त्र  में ऐसी ही एक विचारधारा(Solopsism) है कि आपका मस्तिष्क जो सोचता है वही साकार हो उठता है. इसलिए मस्तिष्क का सकारात्मक सोच वाला होना बहुत आवश्यक है .मनुष्य की यह सकारात्मक सोच न होती तो वह चन्द्रमा का जेता न हुआ होता और आज ब्रह्माण्ड के असीम दिक्काल तक जा पहुँचने का हौसला न रख पाता. हम छोटी छोटी बातों को लेकर नकारात्मक हो उठते हैं -किसी ने अन्यान्य कारणों से आपका साथ नहीं निभाया तो सारा समाज ही दोषी हो गया , किसी औरत ने अपने खसम पर हाथ उठा दिया तो सारी नारी जाति ही कुलटा बन गयी -ऐसे सोच खुद ऐसा सोचने  /कहने वालों को और प्रकारांतर से सारे समाज को नुकसान पहुंचाते हैं . एक व्यक्ति  ऐसी नकारात्मक अतिवादी सोच के चलते अपना और समाज का बड़ा नुक्सान करने पर उद्यत रहता है . 
मेरा आशय यह नहीं कि सभी झूठ मूठ आदर्शवादी हो जायं ....यथार्थवादी रहते हुए भी एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ हम क्यों न रहें? -विवेकानन्द की अनेक ऊर्जाभरी बातों में मुझे यह उनका सबसे अच्छा विचार लगता है कि देखो अगर तुम सब कुछ खो चुके हो तो भी पूरा भविष्य अभी भी तुम्हारे पास बचा हुआ है . यह है आशावादी सोच -हमेशा नकुआये रहना ,मुंह को बिसूरते बिसूरते उस पर एक  नकारत्मक स्थायी भाव ही चिपका लेना मुझे तनिक भी नहीं भाता ..माना कि दुनिया बहुत बुरी है मगर सच तो यह है कि बहुत कुछ हमारे सोच पर निर्भर है -. सकारात्मक सोच और ऊर्जा के प्रवाह से हम नरक को स्वर्ग में तब्दील कर सकते हैं ....ऐसा मेरा सोचना है . 
आपका क्या सोचना है ? 

38 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे वक्त का सारा विद्रूप इस रचना में मुखरित हुआ है .अब लम्पटगीरी भी माई वेलेंटाइन,माई लव कहलाता है।मासूम चेहरे पे तेज़ाब फैंकने वाला

    लम्पट परले दर्जे का अपराधी प्रेमी कहलाता है न्यूज़ बनती बनती है -प्रेमी ने प्रेमिका के चेहरे पे तेज़ाब फैंका .यह भाषा का दिवालिया पन है .

    इसी दौर में सहज दैहिक आकर्षण पर पहरा है .नृशंस ह्त्या को कह देतें हैं आनर किलिंग .अरे भैया कैसा आनर ?यह तो डिसआनर है क़ानून व्यवस्था का .

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  2. कमाल है , कभी-कभी आपका एक पोस्ट पिछले कई पोस्ट को समेटते हुए एक सुलझा हुआ जवाब बन जाता है. जो कि हतप्रभ करता है. रही बात सकारात्मक औरा की तो निस्संदेह वह सूक्ष्म रूप से व्यापक कार्य करता है. आप अपनी मनोदशा में हुए क्षणिक परिवर्तन से उसे आसानी से भांप सकते हैं.

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  3. आपने सही कहा ,,,
    सकारात्मक सोच और ऊर्जा के प्रवाह से हम नरक को स्वर्ग में तब्दील कर सकते हैं,,

    RECENT POST ...: यादों की ओढ़नी .

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  4. बिल्कुल सही कहा है आपने नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा से ही खत्म किया जा सकता है, जो लोग नकारात्मक बातें करते हैं वे कभी सुधर नहीं सकते, इसलिये बेहतर है कि ऐसे लोगों से दूरी ही बना कर रखी जाये, अब समाज है तो निभाना भी पड़ेगा ही, और जो लोग सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्य करते हैं, उनसे प्रगाढ़ संबंध रखें, अपने आप ही जीवन में आनंद का सागर हिलोरे मारने लगेगा।

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  5. ...इस समय सबसे बड़ा हमला हमारी सोच पर ही हुआ है सो हम कुछ भी कहने में असमर्थ हैं जी !!

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  6. जब समस्यायें कम रहती हैं तो उनको सुधारने का सोचा जाता है, पर जब थोक के भाव समस्यायें हो जायें तो लोग बच के निकलने लगते हैं।

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  7. @ आज सोचता हूँ कुछ ख़ास पर्सोनालिटी टाईप्स की बात करूँ. ऐसे लोग जो हमेशा नकारात्मक ऊर्जा का संचार करते रहते हैं..

    दुनिया आज भी बेहद खूबसूरत है,केवल उसे महसूस करने के लिए एक नज़र( सकारात्मक) चाहिए ! नकारात्मक उर्जा न केवल खुद को बेचैन रखती है अपितु अन्यों के कामों में भी रुकावट डालती है !

    ब्लॉग जगत में हर ब्लोगर मित्र अलग अलग स्वभाव के हैं हर एक हमारी कसौटी पर खरा न उतर सकता है और न ही यह प्रयत्न करना चाहिए !

    ब्लॉग जगत में आप के अलावा,अनूप शुक्ल और रचना से भी, मैं प्रभावित हूँ,इनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है और निस्संदेह यह अपने कार्यक्षेत्र में बेहतरीन हैं मगर इसका अर्थ यह नहीं कि केवल मित्रता के नाते उनके किये गए हर कदम में मेरी सहमति होगी ! कई बातों में सहमति न होने पर भी,आप लोगों की मित्रता का आनंद लेता हूँ !
    मुझे लगता है, यही सही है ...
    शुभकामनायें आपको

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    1. @सतीश भाई,
      अब तो ये सभी जैसे जीवन के हिस्से से हो गए हैं मगर किसी अंग में कोई छोटा मोटा विकार होने पर उसे काट कर फेका तो जा नहीं सकता -
      इलाज किया जा सकता है -बस कैंसर न होने पाए :-)

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  8. यह सच है की दुनिया में नकारात्मक सोच वाले बहुत मिल जायेंगे . सकारात्मक सोच बनाये रखना वास्तव में बड़ा मुश्किल होता है . लेकिन प्रयास तो करते रहना चाहिए . मन को सुकून तो सकारात्मक विचारों से ही मिलता है .

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  9. Yes Think positive.सकारात्मकता कई समस्यायों को सुलझा सकती है.

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  10. नकारात्मकता समस्त जगत के लिए बहुत ही हानिकर है। यह आक्रोश व विद्रोह की प्रेरक है। यह विग्रह, अराजकता और द्वेष के अतिरिक्त कुछ भी उपार्जित नही करती।

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  11. सकारात्मक सोच आवश्यक है लेकिन यह भी ध्यान देने की बात है कि वास्तव में सकारात्मक सोच हम कहते किसे हैं? कबीर ने जब धार्मिक अंधविश्वास पर करारे प्रहार किये तब किसी को यह सकारात्मक सोच नहीं लगा होगा लेकिन बाद में सभी ने उन्हें सम्मान दिया। उनकी बातों को मन ही मन सही, स्वीकार किया। गलत को गलत कहना भी सकारात्क सोच है क्योंकि इसमें सुधार की संभावनाएं विद्यमान रहती है। वैसे ही सही को भी गलत कहना नकारात्क सोच है। सही क्या है, गलत क्या है के लिए हमारे जैसे साधारण लोग वक्त की प्रतीक्षा करते हैं। सत्य ज्ञानी पहले ही जानकर भविष्यवाणी करते हैं। बहरहाल यह वाक्य तो परम सत्य है कि सकारात्म सोच से ही कल्याण होता है।

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  12. Mai apne jeevan me is nateeje pe pahunchee hun,ki soch yatharthwaadee honee chahiye.

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  13. शतश :प्रणाम मलाला के इस ज़ज्बे को ."मुझे बोलने का हक़ है मैं बोलूंगी ,पढने का हक़ है मैं पढूंगी "क़यामत के दिन इन वहशियों की भी पेशी होगी .फतवा खोरी धरी रह जायेगी .

    लो जी भाई साहब ये भी खूब रही कहीं और की टिपण्णी हम गलती से आपकी पोस्ट पे लगा बैठे .गलती सुधार रहें हैं आज फिर घूम घामते आपकी पोस्ट

    पर लौटे -

    ,तमाम टिप्पणियाँ पढ़ीं .

    यहाँ तो बात नकारात्मक और सकारात्मक सोच की हो रही थी .विज्ञान की भाषा में कहूं तो विश्व में अव्यवस्था बढ़ रही है व्यवस्था कम हो रही है ,यानी

    ऐसी ऊर्जा का प्रवाह बढ़ रहा है जिसका इस्तेमाल रचनात्मक कामों में हो ही नहीं सकता है .रचनात्मक ऊर्जा यानी व्यवस्था यानी ऑर्डर कम हो रहा है .

    अब देखिये ऐसा हो भी क्यों न: ताश के बावन पत्तों को क्रम बद्ध करने का एक ही तरीका है लेकिन बिगाड़ने के अनेक हैं .देअर आर मोर वेज़ फार डिस-

    ओर्डर

    ,देन ऑर्डर .

    विश्व की enotropy बढ़ रही है .यूज़फुल एनर्जी कम हो रही है .नकारात्मकता का बोलबाला है इसीलिए सकारात्मकता की पहले से ज्यादा ज़रुरत है

    लड़का लड़की अनुपात की तरह सब गडबड हो रहा है .

    फतवा खोरी के खिलाफ आज दुनिया भर में "मलाला "को लेकर प्रार्थना सभाएं हो रहीं हैं .सकारात्मकता विश्व को जोड़ती है नकारात्मकता इस्लामी

    दहशत गर्दी की तरह तोडती है .ये इस्लाम को भटकाने वाले लोग हैं इस्लामी नहीं हैं .

    एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट -

    क्वचिदन्यतोSपि...
    अर्थात मेरे साईंस ब्लागों से अन्य,अन्यत्र से भी ....

    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

    बहुत कुछ हमारे सोच पर निर्भर है!

    http://mishraarvind.blogspot.com/2012/10/blog-post_15.html#comment-form

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  14. देखो अगर तुम सब कुछ खो चुके हो तो भी पूरा भविष्य अभी भी तुम्हारे पास बचा हुआ है . यह है आशावादी सोच -हमेशा नकुआये रहना ,मुंह को बिसूरते बिसूरते उस पर एक नकारत्मक स्थायी भाव ही चिपका लेना मुझे तनिक भी नहीं भाता ..माना कि दुनिया बहुत बुरी है मगर सच तो यह है कि बहुत कुछ हमारे सोच पर निर्भर है -. सकारात्मक सोच और ऊर्जा के प्रवाह से हम नरक को स्वर्ग में तब्दील कर सकते हैं ....ऐसा मेरा सोचना है .

    सकारात्मक सोच.

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  15. sunane पढ़ने में अच्छी है लगती है समग्र रूप से जीवन में उतारना ?
    यह तो ऐसी बात है की जहाँ तक चाहिए की बात है - दुनिया को स्वर्ग होना चाहिए पर ऐसा होता नहीं. चाहिए और बना सकते है और क्या होता है और कितना बन पाता है के बीच स्पष्ट भेद है

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  16. .
    .
    .
    सहमत हूँ आपसे,

    'नकारात्मक' व 'अतिवादी' दोनों ही तरह की सोच से बचना चाहिये... स्वर्ग व नर्क तो नहीं जानता पर इतना जरूर जानता हूँ कि 'नकारात्मक' व 'अतिवादी' सोच किसी का भी बेड़ा 'गर्क' करने में देर नहीं लगाती...


    ...

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  17. आपकी बात से सहमत हूँ. नकारात्मक ऊर्जा घातक होती है, लेकिन गलत को गलत कहने के लिए कभी-कभी नकारात्मक होना पड़ता है. नकारात्मकता तब गलत होती है जब हम ये मान लें कि अब सुधार हो ही नहीं सकता.
    जब हम इसलिए नकारात्मक पक्ष को देखते हैं कि उसे सुधारा जा सके या कम से कम सबके संज्ञान में लाया जा सके तो वो मेरे विचार से अनुचित नहीं है.

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  18. अच्छी विचारणीय और सकारात्मक पोस्ट..... सब कुछ यक़ीनन सोच पर निर्भर है....

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  19. सकारात्मक सोच अक्सर अच्छा ही परिणाम देती है !
    आपकी पोस्ट पर यह पढना आश्चर्यजनक रूप से सुखद है :)

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    उत्तर
    1. इस सकारात्मकता के लिए आभार - इस टिप्पणी की नकारात्मकता को नकार दिया मैंने :-)

      हटाएं

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  22. सहमत हूँ आपसे कि नकारात्मक विचारों के लोगों से दूर रहना ही बेहतर है, क्योंकि अक्सर वे हमारी सोच को बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं...

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  23. Negative thought is the most powerful weapon of our times .Wars are fought in the minds of man .

    नकारात्मक विचार ऊर्जा का क्षय है अपव्यय है ,अन -उपयोगी ऊर्जा है ज्सिका इस्तेमाल सिर्फ विध्वंश के लिए ही किया जाता है फिर नकारात्मक विचार विरोधी को हानि पहुंचाए न भी पहुंचाए जिस हृदय में

    उपजता

    है उसे

    ज़रूर नष्ट कर देता है .इसकी ऊर्जा अका आकलन टी एन टी में नहीं किया जा सकता .

    आज सूचना जगत का एक बड़ा आधात निगेटिव न्यूज़ बन रही है ,धारावाहिक हिट हो रहें हैं।बनाना मुश्किल है बिगाड़ना बहुत आसान है बनी हुई को चाहे वह साख हो या ईमान .

    आपकी द्रुत टिपण्णी का शुक्रिया भाई साहब .


    भाई साहब इसी पर इससे पहले वाली टिपण्णी गायब हो गई है .

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  24. आपका सोचना एकदम सही है । ऐसा कई बार होता है कि हम चारों तरफ बुराई ही देखने लगते हैं इसके लिये हमारे समाचार माध्यम काफी हद तक उत्तरदायी हैं क्यूं कि समाज में काफी कुछ अच्छा होता रहता है वह उसे नही दिखाते । हम ब्लॉगर ये काम कर सकते हैं । आप की इस सलाह का अनेक धन्यवाद ।

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  25. सकारात्मक ऊर्जा जीवन को एक नया रंग और दिशा देती है ।

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  26. बेशक सकारात्मक सोच हमेशा साथ देती है लेकिन बहुत बार आप स्वयं से हारने लगते हैं तब नकारत्मकता हावी होने लगती है .उस समय आप की सोच नहीं सकारात्मक सोच वाला साथी साथ देता है .इसलिए सकरात्मक बने रहने के लिए ज़रुरी है आप के आसपास का माहोल भी ऐसा ही हो या कोई ऐसा करीबी जो आप से अधिक सकरात्मक उर्जा रखता हो.

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  27. विजयादशमी की बहुत बधाईयाँ और शुभकामनायें

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  28. विजयादशमी की बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें

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  29. सकारात्मक सोच ही जीवन को आगे बढ़ाती है | ज्यादा क्या लिखूं खुद अपने जीवन में महसूस किया है !!!!

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  30. हम जो सोचते है वही होते (है)/जाते है ! यह तो निर्विवाद है !

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  31. हैपी हैलोवीन भाई साहब .यहाँ तो पूरा सप्ताह ही इस हैलोवीन में रंगा है कल "कार्वेल्स बेंटले एलिमेंटरी स्कूल ,"कैंटन में "बू बाश" था .भूतों की भूल भुलैयां

    में से हमें भी डरते डरते गुजरना पड़ा -

    भूत बने बच्चे अँधेरी गुफा से गुजरते लोगों का पैर पकड़ के डरा रहे थे .बू का मतलब ही (boo bash )डरावनी आवाजें निकाल के परिवेश में आतंक

    भरना है .आपकी

    टिपण्णी के बिना यह श्रृंखला अपनी सार्थकता खो देती .शुक्रिया .

    सकारात्मक सोच हर पग पे ज़रूरी है ,सांस लेने के लिए भी .

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  32. नकारात्‍मक ऊर्जा वाले लोग दूसरों की अपेक्षा कहीं अधि‍क Committed होते हैं अपने नीचता के बारे में ... कोई क्‍या करे

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