शनिवार, 12 मार्च 2011

सुनामी का सितम :सवाल और सबक

सुनामी का सितम :सवाल और सबक

आज तो बस यही दिमाग में उमड़ घुमड़ रहा है -कृपया इस पोस्ट को पढ़ें और अपने विचार भी यहाँ ,वहां जहाँ सुविधाजनक समझें दें!यह एक वैश्विक मुद्दा है और मानवीय जिजीविषा के समक्ष एक बड़ी चुनौती.

                     क्या  उन्नीस मार्च को चाँद कहर बरपायेगा? 

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16 टिप्‍पणियां:

  1. अफसोसजनक, इन बेचारे जापानियों की किस्मत में शायद सदा ही कष्ट उठाना लिखा है ! अभी कुछ देर पहले परमाणु संयंत्र में भी विस्फोट हो गया !

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  2. जापानियों में गज़ब का जीवट है और यह बात वह कई बार दुनिया को दिखा चुके हैं ! शायद प्रकृति भी उनकी परीक्षा बार बार लेती है जो उसकी मार को झेलने के अभ्यस्त हों !

    मगर इस भयानक क्षण में जो हमेशा के लिए छिन जायेंगे उनके अपनों के आंसू , हमारे आंसुओं जैसे ही होंगे !

    उनके लिए, हम उनके कष्ट में साथ हैं !
    शुभकामनायें आपको !

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  3. त्रासदी को देखकर परमात्मा के अस्तित्व पर प्रश्नचिहन लगाता रहा हूँ.
    जयपाणी अपने नाम के अनुरूप हर तबाही से उबर कर फिर खड़ा हो जाता है.
    जीत उसके हाथ में बसी है. हर मुसीबत से निबटना उसे आता है.
    जापानियों की देशभक्ती ही उसे पुनर्जीवित कर देती है. उसे फिर से विकसित देशों की पंक्ति में अग्रिम कर देती है.
    मुझे विश्वास है कि वह फिर अपना हाथ उठा आगे आ खड़ा होगा!
    .
    .
    .
    कहीं कृषि को भूमि बंजर
    कहीं अकाल पड़ जाता.
    ......... वाह विधाता !!
    कहीं कंप होती है धरती
    कहीं भूधर फट जाता.
    ......... वाह विधाता !!
    बेमौत मरे लाखों नर-नारि
    पर तू ना पछताता.
    ......... वाह विधाता !!...

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  4. यह वाकई बहुत ही भयावह था.इससे बचने के लिए अभी बहुत तैयारी करनी होगी,आशा है इस विषय में लोग सक्रिय भी होंगे.
    जहाँ तक जापान का सवाल है- प्रकृति नें उन्हें गिरने-झेलने और फिर मजबूती से खड़े होने की शक्ति दे रखी है.
    इस भयावह बेला में हम सब वहाँ के निवासियों के साथ हैं.

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  5. यह वाकई बहुत ही भयावह था.इससे बचने के लिए अभी बहुत तैयारी करनी होगी,आशा है इस विषय में लोग सक्रिय भी होंगे.
    जहाँ तक जापान का सवाल है- प्रकृति नें उन्हें गिरने-झेलने और फिर मजबूती से खड़े होने की शक्ति दे रखी है.
    इस भयावह बेला में हम सब वहाँ के निवासियों के साथ हैं.

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  6. लगता है मानो प्रकृति बार बार ऐसे कहर बरसा कर अपने आप को संतुलित करने में लगी है ... बहुत दुखद है जो भी हुआ ... भगवान् जापान के लोगों को हिम्मत दे इस त्रासदी का सामना करने की ....

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  7. उफ़ ...प्रकृति का रूठना ... वीभत्स, जहाँ तक अपने देश को लेकर चिंता का सवाल है हम कहाँ सबक लेते हैं किसी भी घटना से ...... ? यहाँ कब क्या हो जाये कुछ पता नहीं....

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  8. प्रकृति से प्रतिदिन जूझने का दमखम है जापानियों में।

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  9. क्या भूकंप और उसके प्रभाव से उत्पन्न हुआ सुनामी इस धरती पर मानव की प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है. शायद नहीं. भूकंप तो भूगर्भीय उथलपुथल से होते हैं जिस पर किसी का बस नहीं. ये ग्लोबल वार्मिंग की तरह सीधे सीधे मानवीय क्रियाकलापों की देन नहीं हैं. इसलिए इस प्राक्रतिक आपदा को हमें साहस के साथ झेलना ही होगा. क्या इससे बचा जा सकता है. सुनामी की ऊँची लहरों से बचने का एक ही तरीका है की समुद्र तटों से दुरी बनाई जाए जो की संभव नहीं.




    लोग भावुक हो रहे हैं और आपने आपने तरीके से अलग अलग मनोभाव प्रकट कर रहे हैं . मानव विकास को व्यर्थ ठहराया जा रहा है. प्रकृति के समक्ष इन्सान के बौनेपन की याद दिलाई जा रही है. मुझे तो ये सब शमशान भूमि में हुए वैराग्य की तरह लग रहा है. शमशान से बहार आओ और कुछ याद नहीं रहता. इस विषय में मैं तो यही कहूँगा की



    भज गोविन्दम भज गोविन्दम गोविन्दम भज मूढ़ मते....

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  10. सुनामी का संकट तो प्रकृतिजन्य है जिसे जीवट से पार पा भी लिया जाये पर उस नाभिकीय विकिरण का संकट क्या करें जो हमारा खुद का पैदा किया हुआ है?

    विकास की अन्धी दौड़ में, और अल्पकालीक फायदों को लेकर किये जाने वाले यह उपाय हमारे लिये दीर्घकालीन समस्यायें न दे जायें। भारत में भी सैकड़ो नाभीकीय सयंत्र लगाने की जो योजनायें हैं उन पर भी नये सिरे से विचार करना होगा।

    जापानवासीयों के जस्बे को सलाम!

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  11. अब और क्या बाकी रह गया है, जो होली की रात भी कुछ होगा!

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  12. Yah Aisee trasdee hai jisaka mukabla isase pahale ki anubomb wisfot se bhee nahee kee ja sakti. Japanee hain to jeewat wale par kyun inake hee hisse ye bhayanak kasht hain . aaeeye prarthana karen unake liye jo is kasht se ubarne kee koshish men hain aur unke liye jo unke kasht kum karane kee koshish me hain.

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  13. जापान की त्रास्दी पर कुछ कहते नही बनता । प्रकृ्ति भी कैसी निर्मम है। आभार।

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