बुधवार, 16 मार्च 2011

क्या हम जापानियों का यह जीवन दर्शन अपना सकते हैं?

भयंकर भूकंप ,सुनामी ,नाभकीय विकिरण ,ज्वालामुखी और अब भारी बर्फबारी से जापान में  भीषण जन धन हानि और राहत कार्य में आ  रही बाधाओं ने मन को विकल सा कर दिया है. प्रकृति का इतने बड़े पैमाने पर नरमेध  जीवन के प्रति एक वितृष्णा उत्पन्न करता है. जीवन की क्षणभंगुरता का अहसास गहन हो उठता है. किन्तु आपने समाचार चैनेलो पर देखा होगा कि घटना  का विवरण  देते हुए अधिकाँश  जापानियों के चेहरे भावहीन हैं -वे दुःख से पीड़ित नहीं दिखते . और न ही वे घबराहट से भरे हैं -न कहीं लूटपाट और न हीं कहीं छीना झपटी का कोई दृश्य जबकि प्रभावित शहरों में उनका सब कुछ लुट  गया है -सगे संबंधी काल के मुंह में समां गए हैं .मगर फिर भी ज्यादातर जापानियों के चेहरे  पर आशा और विश्वास की आभा है ...कितने दिलेर हो सकते हैं ये जापानी! 
 गह मोन जीवन दर्शन से प्रेरित एक जापानी कला कृति 

ऐसा आत्मविश्वास और तटस्थ कर्मयोग तो  गीता के उपदेशों में वर्णित है .अब जापानियों के जीवन दर्शन में मेरी रूचि बढ़ चली थी ..मैंने उनकी संस्कृति के मुख्य बातों को जानने  के लिए अंतर्जाल को खंगालना शुरू किया और जो सामने आया आपके साथ बांटने का मन हो आया ...दरअसल जापानियों की संस्कृति और आचार व्यवहार में एक मुख्य घटक या उसे उनका जीवन दर्शन भी कह सकते हैं -Gaman (उच्चारण गह मोन  )  कहलाता है - मतलब कितना भी विपरीत समय न आ  जाय घबराना नहीं है ,अधीर नहीं होना है ,भावनाओं का इजहार नहीं करना है .हिम्मत से परिस्थितियों का सामना करते जाना है .न किसी से कोई गिला न कोई शिकवा .. ऐसा नहीं है कि उनमें भावनाएं नहीं हैं या घर  के ही किसी अजीज के बिछड़ जाने का सदमा नहीं पहुंचा है ...यह सब स्थितियां है मगर उसका प्रदर्शन नहीं है ...असहायता ,निरीहता का प्रगटीकरण नहीं है .भावों पर बचपन से अभ्यास करके लगाया  गया अंकुश उनके चेहरे पर  स्वाभिमान और गरिमा की झलक बनाये रखता है . गह  मोन घोर विपत्ति में भी मानव चेतना की अभिजात्यता /कुलीनता का मानो एक उत्सव है ..चाहे कुदरत का कहर हो ,राष्ट्रीय या पारिवारिक आपदा वे हर समय सौम्य ,दृढ प्रतिज्ञ बने रहते हैं -शायद   गीता के "स्थिति प्रज्ञ'   होने का सबसे व्यावहारिक उदाहरण ये जापानी अपने इस गह मोन  जीवन दर्शन के जरिये   ही प्रस्तुत करते हैं .

उनके लिए सब कुछ ठीक होने का भाव स्थाई है -असह्य स्थति को भी गरिमा और सम्मान से बिना समझौता किये सहते जाना ! उनका साहस ,संघर्ष और  सहने की क्षमता विलक्षण है .उनकी कुछ कलाकृतियों में भी इसी जीवन दर्शन का भाव आरोपित होता है जैसे कि  ऊपर  काठ की बनाई गयी ये चिड़ियाँ जो विपरीत परिस्थितियों से अनवरत संघर्ष और उनसे उड़ कर मुक्त होने का प्रतीति कराती हैं .गमन में राष्ट्र के लिए ,समाज के लिए मर मिटने /प्राणोत्सर्ग का भाव भी है! अब ऐसे जीवन दर्शन को बिना करनी और कथनी के भेद के जीवन में आत्मसात करने वाली कौम अगर पूरी धरती पर अपने विकास और समृद्ध आर्थिकी का झंडा बुलंद किये हुये है तो इसमें कैसा आश्चर्य? क्या हम इन गुणों को अपना सकते हैं ? क्या हम भी गह मोन जीवन दर्शन के अनुयायी हो सकते हैं? आईये मनन करते हैं!
इस लेख को  भी देखिये :

जापानी चरित्र

54 टिप्‍पणियां:

  1. जापानियों की जीवटता का मैं भी कायल हूँ.

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  2. विपत्ति में धैर्य न खोने की दृढ़ता तो अनुकरणीय है।

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  3. उनके इस अद्भुत जीवन दर्शन का रत्ती भर भी अगर हम अपना सकें तो एक निश्चय ही सुखद रामराज हमारी प्रतीक्षा कर रहा है....वैसे तो कल मैं स्वयं अपने मित्र से जापानियों की इस खुभी की चर्चा कर रहा था, परन्तु इसकी जड खोजने की जहमत नही उठाई...धन्यवाद!

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  4. असह्य स्थति को भी गरिमा और सम्मान से बिना समझौता किये सहते जाना ! उनका साहस ,संघर्ष और सहने की क्षमता विलक्षण है .

    बिल्कुल सही कह रहे हैं..... जब भी टीवी चेनल पर वहां दृश्य देखे यही विचार मेरे मन में भी आ रहे हैं..... वे किसी भी तरह से भयाक्रांत नहीं है..... अनुकरणीय है जापानियों का जीवट

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  5. यह है वो जीवन दर्शन जो कथनी और करनी में भी एक ही है, आडंबर और पाखंडयुक्त नहीं.

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  6. दिक्कत यही तो है कि हमारे पास धर्मग्रन्थ बहुत हैं |

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  7. shukriya unke jeewan darshan ki ye jhanki yahan prastut karne ke liye. Bhagwan itne jeewat kisma ke logon ko jald hi is trasdi se ubare yahi kaamna hai.

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  8. @@मतलब कितना भी विपरीत समय न आ जाय घबराना नहीं है ,अधीर नहीं होना है ,भावनाओं का इजहार नहीं करना है .हिम्मत से परिस्थितियों का सामना करते जाना है .न किसी से कोई गिला न कोई शिकवा ..
    इसी जीवन दर्शन के चलते वे फिर बहुत जल्द बुलंदियों पर होंगे...
    बढ़िया पोस्ट.

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  9. टीवी पर बहुतेरे ज्ञानी पुरुष कह रहे हैं कि जापान को इस हादसे से उबरने में समय लगेगा. मुझे ऐसा नहीं लगता. शायद एक साल के भीतर वे फिर से और अधिक मज़बूत बुनियाद पर खड़े हो जायेंगे.
    और हम... अभी भी चैनल भुज और पारादीप के हाल दिखाते हैं कि वहां बर्बादी के निशान अभी भी ताज़ा हैं.

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  10. दुःख में दुखी न हो , ख़ुशी में ज्यादा खुश न हो , यह तो सात्विक सोच की निशानी है ।
    निसंदेह हमें जापानियों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा ।
    halanki अभी तो यह सोचना है कि हमारे परमाणु संयंत्र कितने सुरक्षित हैं ।

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  11. वे बहुत जीवट वाले हैं, और विश्व के आगे एक बार फिर यह दूसरे एटम बम की मार झेल रहे हैं और जल्दी ही वे फिर शिखर पर होंगे !

    आपात कालीन स्थिति से निपटने के लिए अगर उन्होंने पहले से ही उपाय नहीं कर लिए होते तो शायद यह प्राकृतिक और एटोमिक आपदा , १० गुना विनाश कर चुकी होती ! अगर हमारा देश होता तो भगवान् ही मालिक था ...

    हमारी दुआएं हैं कि वहां मानवीय क्षति कम से कम हो !
    शुभकामनायें !

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  12. अनुकरणीय है जापानियों का यह जीवट !
    हमने तो बस जैसे संख्यात्मक मान ही बढ़ाना सीखा हो।

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  13. जापानी हार मानना नहीं जानते ! वे गिर कर उठना जानते है ! निक्की शुरुवाती गिरावट के बाद फिर से ऊपर जा रहा है !

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  14. निसंदेह हमें जापानियों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा । धन्यवाद|

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  15. वाकई ...इस त्रासदी ने प्रकृति के आगे बेबस जीवन की क्षणभंगुरता के प्रति चेताया तो है.. इन हालातों में भी अफरातफरी ,छीनाझपटी नहीं होना , सारे दुःख को पीकर क्यू में खड़े अपनी बारी का इंतज़ार ख़ामोशी से करना ...उनकी जीवटता और धैर्य अनुकरणीय है ! उनके इन्ही गुणों ने नागासाकी और हिरोशिमा के भयावह हादसों से उबरने में सहायता की थी !

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  16. अद्बुत व्यक्तित्व होता है इन जापानियों का.

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  17. जानकारीपूर्ण पोस्ट। हम लोग यह दर्शन ज़रूर अपना सकते हैं बल्कि अधिकांश भारतीय तो "संतोष" के इस दर्शन पर ही जीते हैं। जापानी भी अपने गमोन का श्रेय अपने राष्ट्र पर पडे बौद्ध प्रभाव को ही देते हैं।

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  18. ....जापानियों की बुद्धिमानी, समय के सदुपयोग के किस्से तो बहुत पढ़े हैं। सुना था कि जापानी एक स्टेशन पर गन्ना खरीदता है तो दूसरे स्टेशन तक पहुँचते-पहुँचते गन्ना चूसकर उसके छिलकों की टोकरीबना कर बेच देता है। यह अतिशयोक्ति हो सकती है मगर उजड़े जीवन को पुनः सवारने के करिश्मे को द्विती विश्वयुद्ध के बाद विश्व ने देखा और नमन किया है। आज फिर विश्व की निगाहें वहाँ घटित इस प्राकृतिक आपदाओं को इस आशा और विश्वास के साथ देख रही हैं कि वे अवश्य ही इस संकट से निजाद पा लेंगे और पहले से भी अधिक ताकतवर बन कर विश्व के सामने उदाहरण पेश करेंगे।
    ...गह मोन शब्द की नई जानकारी दी आपने। यह अलग बाद है कि बुद्ध देशवासियों के लिए यह दर्शन एकदम से नया नहीं लगता। कठिन काम तो इसे अपनाना ही है।
    ...शानदार व उर्जा देती इस पोस्ट के लिए हम आपके आभारी हुए ।

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  19. मुझे पूरा विश्वास है की वो लोग इस त्रासदी से अवश्य ही उबर कर फिर से खुशहाल और समृद्ध होंगे. बहुत से लोग जापान की इस त्रासदी को विकसित होने का परिणाम बता रहे हैं. कहीं न कहीं मुझे ये मानसिकता अंगूर खट्टे हैं वाली लगती है. जापानियों ने बड़ी मेहनत और अनुसाशन से अपने देश को विकसित किया और जो लोग खुद एसा जज्बा नहीं रखते आज उन लोगों के द्वारा किये गए विकास को कोस रहे हैं. हो सकता है की परमाणु उर्जा सम्बन्धी उनकी नीतिया गलत हों जिसका परिणाम वो भुगत रहे हैं पर अपनी देशभक्ति, अनुशासन, परिश्रम, साहस और जीवट के कारण जापान के देशवासी हमेशा ही मेरी नजर में श्रद्धा और सम्मान के पात्र रहेंगे.

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  20. अच्छी जानकारी दी ,बाकी उनकी इस मुसीबत को झेलने की हिम्मत हम सब देख रहे हैं .....

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  21. कुछ जापानी नागरिकों के संपर्क में रहता हूँ . उनकी जिजीविषा और जीवटता अनुकरणीय होती है .

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  22. आपने सही कहा जापानियों की संस्कृति और दर्शन के बारे में.. मैं इस बारे में लिखने की सोच रहा था.. आपने सरे बातें लिख दीं... जापनी भी दुःख में दुखी होते हैं, रोते भी हैं.. पर रोने का काम वो अकेले में करते हैं.. लोगों के सामने अपने आपको कातर और निसहाय रूप में दिखाना उन्हें पसंद नहीं.. वहीं कई देशों में संवेदनाओं को अधिक से अधिक व्यक्त करने की संस्कृति है...

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  23. जापान का यह जीवन दर्शन अनुकरणीय है.

    ऐसा ही ख्याल २००६ की मुंबई बाढ़ के समय आया था, जब महिलाओं/लड़कियों से भरी ट्रेन-बस पूरी रात के लिए जहाँ तहाँ रुक गयी थी....जगह-जगह पर लोग फंसे हुए थे...पर किसी अभद्रता...लूट-पाट की कोई घटना सामने नहीं आई...बल्कि लोगों ने उनकी मदद ही की.

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  24. शुभ भाव जहाँ कथनी में नहीं करनी में है।
    व्यवहारिकता में वीरता का जीवट है।
    शानदार प्रेरणा!!

    निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक

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  25. रश्मि जी की बात से सहमत हूँ,
    संकट के समय शायद हमारे अन्दर का इंसान जाग जाता है... :)

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  26. जापानी वेसे ही बहुत मेहनती ओर इमान दार हे, लेकिन जब कोई आफ़त गले पड जाये तो हम सब को पुजा पाठ को त्याग कर पहले उस आफ़त से लडना चाहिये, तभी हम कामयाब होंगे...
    क्या हम... जीवन दर्शन अपना सकते हे? जी बिलकुल नही, जिस देश मे ८०% लोग बिना मेहनत के ओर दुसरे को उल्लू बना कर, लूट कर ऎश करते हो उन से यह उम्मीद करना गलत हे, आज ही पढा कि १० करोड मे सांसदो को खरीदा गया... जिस के हाथ जो लग रहा हे वो उसे लुट रहा हे, जिस देश मे गट्टर के ढक्कन नही सुर्क्षित उस देश मे जपानियो के जीवन दर्शन की बात अपनानी बेमानी लगती हे

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  27. @आप सभी सुधी जनों का आभार इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करने का -
    सत्यार्थी जी आपने जापानियों के इस व्यवहार के मर्म को बिलकुल सही समझा है -
    वे भी सुख दुःख सब झेलते हैं मगर गैरों के सामने व्यक्त नहीं करते -अपनी निजी गरिमा/
    कम्पोजर बनाये रखते हैं ....
    रहिमन अपने मन की व्यथा जाई न कहिये कोय ....जैसा ही !

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  28. हिरोशिमा और नागासाकी का दुबारा बसना और उन्नत होना जापानियों की जीवटता का प्रतीक है.
    वाकई कर्मठ और धैर्यवान कौम है.

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  29. हिम्मत जिसके साथ है , ईश्वर भी उसके साथ है …


    लेकिन उनको एक के बाद एक ऐसा कष्ट उठाना पड़ा है , कि सोच कर ही कलेजा बैठ जाता है …


    दुआओं के सिवा कोई कुछ नहीं कर सकता … … …

    कितना भी विपरीत समय क्यों न आ जाय …घबराना नहीं है , अधीर नहीं होना है , भावनाओं का इजहार नहीं करना है । हिम्मत से परिस्थितियों का सामना करते जाना है । न किसी से कोई गिला न कोई शिकवा …

    साधुवाद आपको भी …

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  30. हमारे लिए तो असम्भव है. भारतीय हैं तो जब तक चिल्ला चिल्लाकर अपने मन की हर बात न कह दें , छाती पीट पीट रोएँ नहीं तो कैसे जिएंगे?
    घुघूती बासूती

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  31. @घुघूती जी ,
    हा हा क्या कहना -बढियां शब्द चित्र है एक भारतीय का !

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  32. ‘ अधिकाँश जापानियों के चेहरे भावहीन हैं’

    शायद उनके चेहरे की बनावट ऐसी होती है कि वे निर्विकार दिखाई देते हैं। वैसे, वे अधिकतर बौध मत का अनुसरण करते हैं... तो वे भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं ही॥

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  33. सचमुच अनुकरणीय है यह जीवन दर्शन। भारतीय मनीषा में भी इस दर्शन का प्रचुर उल्लेख है लेकिन बात केवल किताबों और प्रवचन तक रह जाती है। जीवन में उतारना हमें नहीं आता।

    बेहद उम्दा प्रस्तुति।

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  34. सबसे पहले त्रासदी से जूझते जापानियों के लिए हार्दिक शुभकामनायें और ईश्वर से यह प्रार्थना कि वो उन्हें संबल दे ,फिर से सुख शांति से परिपूर्ण जीवन दे !

    इससे आगे ...

    हमारे स्यापे पर घुघूती बासूती से सहमत !

    जापानी जीवन दर्शन पर बौद्ध धर्म का प्रभाव है और हम उसे कब का निर्वासित कर चुके हैं !

    जापानियों का राष्ट्रीय चरित्र / राष्ट्र बोध बनाम हम और हमारा बोध ? आपकी सदेच्छा पर केवल एक शब्द ...आमीन !

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  35. जापानियों के जज़्बे को सलाम...लेकिन आज यहां भारत मे तो...

    तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
    तन रंग लो,
    खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
    प्यार के ले लो...

    खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...

    जय हिंद...

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  36. आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।

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  37. होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।

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  38. सच में अनुकरणीय है ......

    होली की हार्दिक शुभकामनायें।
    http://rimjhim2010.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html

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  39. सँस्कृति के हिसाब से बहुत से भाव व्यक्त होते हैं, वहाँ भाव के साथ साथ हाथ गरदन ऊँगलियों का सँचालन साथ ही स्वर का आरोह अवरोह भी मायने रखता है । छूटते ही चीत्कार करने लग जाना प्रबुद्ध समाज में शोभनीय नहीं माना गया है ।
    बाबू साहेब आप गौर करें कि उनके चेहरों पर हतप्रभ भाव भली भाँति टँकित है, साथ ही अपनों द्वारा प्रकृति के लोभपूर्ण दोहन पर एक ईमानदार पश्चाताप की रेख भी अँकित है ।
    जापानियों को जितना मैंनें जाना है, उनकी प्राकृतिक शक्तियों में आस्था एवँ शिष्टाचार के प्रति समर्पण हम भारतीयों को शर्मसार करती है ।

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  40. आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  41. होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना

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  42. jai japan..


    आपको पूरे परिवार सहित होली की बहुत-बहुत शूभकामनाएँ.......jai baba banaras....

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  43. मगर फिर भी ज्यादातर जापानियों के चेहरे पर आशा और विश्वास की आभा है ...कितने दिलेर हो सकते हैं ये जापानी!

    सुना है जापन में लोग आत्महत्या बहुत करते हैं। मेरी जानकारी गलत भी हो सकती है।

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  44. बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
    आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  45. बिल्कुल सही.आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  46. कमाल के हैं ये जापानी लोग और इनका जीवन दर्शन ।
    इस संदर्भ में अपना एक अनुभव बाँटना चाहूंगी । जब हम जापान गये थे तो टोकियो आने के बाद सारा प्रवास हमे रेल से करना था । हम टोकियो स्टेशन पर आये हमें याकोहामा जाना था अधिकतर जापानी अंग्रेजी जानते नही हैं (ऐसा हमें लगा )। हमारे पास एक पुस्तिका थी जो थी तो जापानी में पर नाम इंग्लिश में थे हमने एक आदमी को वो दिखा कर इशारे से समझाया कि हमें वहां की गाडी पकडनी है । तो वह अपना काम छोड कर ४ प्लेटफॉर्म पार कर के हमें हमारे प्लेटफॉर्म तक छोडकर गया । हम भी कमर में झुक कर उसे अरिगातो अरिगातो ( धन्यवाद ) कहते रहे । हमें अगर किसी की भाषा न समझे तो क्या हम ऐसा करेंगे ?

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  47. विपत्ति में धैर्य न खोने की दृढ़ता तो अनुकरणीय है।

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  48. जीवन में यही बात हमें जीवन के उच्च मानकों तक ले जाती है ....जापानियों का नहीं बल्कि हम सबका प्रयास यही होना चाहिए कि विपरीत परिस्थिति का डट कर मुकाबला किया जाए

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