मेरे कुछ ब्लॉग मित्र यह आस लगाए बैठे हैं कि मैं रोबोट (तमिल एन्धिरन ) फिल्म देख लूं और सिफारिश कर दूं तो वे भी देख लें ....अब परमारथ के कारण साधुन धरा शरीर के चलते आज मैटनी शो देख ही डाला ..मिले जुले विचार हैं इस फिल्म के बारे में ..मगर आप को कोई फिल्म देखना ही हो तो कोई और फिल्म भले देख लें .....इसकी सिफारिश मैं अपने ब्लॉग मित्रों को नहीं करता -हाँ अपने बच्चों को वे इजाजत दे सकते हैं कि अकेले देख आयें ...इसलिए कि यह एक साईंस फिक्शन मूवी होने के नाते उनकी सोच को थोडा कुरेद सकती है ....बाकी आप इसकी बजाय कोई और हालीवुड की परिपक्व साई फाई फिल्म देख लें .....इसमें एक पढ़े लिखे और संजीदा आदमी के लिए कुछ ख़ास नहीं है ...
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अब रोबोट क्या है इसे कुछ इस तरह समझ लीजिये कि हालीवुड की बासी कढी में मुम्बईया फ़िल्मी मसालों ,लटको झटकों को तड़का मारकर परोस दिया गया है ...बाप रे पूरे तीन घंटे की मुकम्मल फिलम ...हम तो पूरा ऊब गए ....न तो यह एक अच्छी रूमानी या एक्शन फिल्म ही बन पाई है और न ही एक साई फाई फिल्म ही ..बोले तो बिल्कुल चूँ चूँ का हलवा या मुरब्बा बन के रह गयी है .ताज्जुब यह है कि अकेले ६० वर्षीय मगर चिर युवा दक्षिणी अभिनेता रजनीकांत के दम ख़म पर रीलें आगे भागती हैं ....ऐश्वर्या ज़रा भी प्रभावित नहीं करतीं ....पता नहीं मगर हो सकता है अब उन्हें ऐसी ही फ़िल्में मिल रही हों .फिल्म में एक से एक बोर करने वाले गाने /सीक्वेंस भरे पड़े हैं ..कोई गीत लोकप्रिय होने वाला नहीं है ...
कहानी की थीम इतनी पुरानी है कि खुद को शर्म सी लगती है कि अपना देश विज्ञान कथाओं के नाम पर अभी भी सौ साल पुराने पश्चिमी साईंस फिक्शन के विचारों को अपना रहा है -रोबोट शब्द मूलतः चेक भाषा का शब्द है जिसे कैरेल चैपक ने १९२१ में अपनी कहानी आर यूं आर (रोसम्स युनिवर्सल रोबोट ) में पहली बार इस्तेमाल में लाया था और जहाँ इसका मतलब कृत्रिम बन्धुआ मजदूरों से था जो मनुष्यों के गुलाम होते हैं मगर उनमें भी विद्रोह भड़क उठता है और वे सारी मनुष्य जाति को मिटा देते हैं ....यह रोबोट भी ऐसी ही एक कहानी है जिसमें नायक (रजनीकांत ) अपना हमशक्ल रोबोट बनाता हैं मगर उसमें जब इमोशंस उत्पन्न होते हैं तो वह नायक की ही महबूबा को हथियाने पर आमादा हो जाता है और अपने निर्माता के आदेश को भी नहीं मानता ...मशीनें खतरनाक हो सकती हैं अगर उन पर कठोर नियंत्रण न रखा गया ....और यही कारण है कि अमरीकी विज्ञान कथाकार आईजक आजीमोव ने रोबोटिक्स के तीन नियम बनाये जिसमें अनिवार्य रूप से एक शर्त थी... जो भी रोबोट बनें उनमें मानव जाति/मानवता को हानि न पहुचाने का स्पष्ट निर्देश हो ....क्या मशीने मानव को विस्थापित कर सारा राज काज खुद संभाल लेगीं ? तब मनुष्य क्या उनका गुलाम बन उठेगा ? ऐसी फ़िल्में इसी दुश्चिंता के प्रति आगाह करती हैं और इस थीम पर हालीवुड में सैकड़ों फ़िल्में बन चुकी है -तरह तरह के कथानक के साथ ..तो एक विज्ञान कथा प्रेमी के रूप में यह फिल्म मुझे तो कोई खास नहीं लगती ..हाँ जिन लोगों को यह पता नहीं है कि आखिर साई फाई किस चिड़िया का नाम है उन्हें यह कुछ अलग सी लग सकती है ...
फिल्म की जांन इसके कुछ आख़िरी दृश्य हैं जिन्हें हालीवुड की अभी हाल में ही आई साई फाई फिल्म ट्रांस्फार्मर्स से उड़ाया गया है मगर चूंकि सारे स्पेशल इफेक्ट्स भारत में ही तैयार हुए हैं ...हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि अब सिनेमा के विशेष प्रभावों के लिए हम केवल हालीवुड की ओर ही नजरे उठाये नहीं रह सकते ....फिल्म में नायक के हजारों प्रतिकृतियों में तैयार हो उठना और क्षण क्षण में अनेको छोटे बड़े और अति विशाल रूपों का धारण कर लेना पूरे आडियेंस को स्तंभित कर देता है ..पूरा हाल स्तब्ध अवाक सा हो रहता है ..मैंने केवल इन्ही दृश्यों के आधार पर इस फिल्म को तीन स्टार दिए हैं .तो बच्चों को भेज दीजिये और आप मियां बीबी घर की नीरवता का आनंद उठाईये ...बस यही कहना है .
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
चाहे कुछ भी हो रजनीकांत अपने आप में एक ऐसा अकेला नाम है भारतीय फिल्म industry में जो movie में जान दाल सकता है.. मैंने अभी तक देखी तो नहीं, मौका मिलते ही देखूँगा... समीक्षा
जवाब देंहटाएंके लिए धन्यवाद.... मेरे ब्लॉग पर इस बार
सुनहरी यादें ....
जी हाँ मिश्रा जी...क्यूँ कोई बात हुई क्या ???
जवाब देंहटाएंसुन्दर फ़िल्म समिक्षा
जवाब देंहटाएंयानी घर में एकांत का आनद ..... आप ये भी कह सकते थे की बीवी बच्चो को फिल्म देखने भेज दें और खुद घर में एकांत का आनंद लें.
जवाब देंहटाएंबहरहाल अच्छी समीक्षा की है आपने फिल्म की.
मुझे इस फिल्म के बारे में यही उम्मीद थी। वैसे आप ये नेक काम करते हैं..हॉल में जाकर, पैसा बर्बाद होने के साथ-साथ मूड और समय खराब होना खलता है। एक से सबका भला।
जवाब देंहटाएं..आभार।
बढ़िया समीक्षा दी है ...देखने के झंझट से निजात मिली ..
जवाब देंहटाएंआज DVD खरीदी है, समय मिला तो देखूंगा. पहले ही आपने पृष्ठभूमि से अवगत करा दिया, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं*न जाने क्यूँ इस फिल्म की कास्ट ही पसंद नहीं इसलिए देखने का दिल भी नहीं है .
जवाब देंहटाएं*समीक्षा अच्छी की है.
कुछ दिन पहले गये थे देखने, पर टिकट नहीं मिला। लगता है ठीक ही नहीं मिला।
जवाब देंहटाएंहम तो जा रहे हैं सोसल नेटवर्क देखने.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
जवाब देंहटाएंया देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
मरद उपजाए धान ! तो औरत बड़ी लच्छनमान !!, राजभाषा हिन्दी पर कहानी ऐसे बनी
इसका नाम सुनकर ही देखने कि इच्छा नहीं थी ...समीक्षा पढ़कर तो बिलकुल भी नहीं ...
जवाब देंहटाएंयूँ भी हमारे घर में नवरात्र में रामायण पढ़ी जाती है,फ़िल्में नहीं देखी जाती ...
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाये ...!
फिल्म के ट्रेलर देखते ही मैं समझ गयी थी कि ये बहुत कुछ ट्रांसफार्मर्स की नक़ल है. हाँ ये अच्छी बात बतायी आपने कि सारे स्पेशल इफेक्ट भारत में ही तैयार किये गए हैं. ऐसी फिल्मों के लिए मैं पैसे नहीं खर्च करती. टी.वी. पर कभी आयगी तो देखा जाएगा.
जवाब देंहटाएंअब तो सोच रहे हैं कि ना ही देखें । आपकी समीक्षा तो यही कहती है ।
जवाब देंहटाएंशीर्षक पर आपत्ति. नक़ल भी कभी प्रशंसनीय हो सकती है? क्या हम हिन्दुस्तानी इतने अभावग्रस्त हैं मौलिकता के?
जवाब देंहटाएंटीवी पर आएगी तो चैनल बदल देंगे.
भाई
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह अच्छी समीक्षा लिख डाली......लेकिन फिल्म देखने की तीव्र इच्छा दबा नहीं पा रहा हूँ !!!!!
लीजीए हम अक्षय कुमार कैटरीना का परेम नहीं देखने जाते हैं ..ई रोबोट और एश्वर्या का परेम कौन देखेगा ? हमको तो पहिले ही पता था ..कि शादी के बाद एश्वर्या से खाली रोबोट लोग ही प्रेम उरेम करेगा ...। रजनीकांत अब तकले बुढाए नहीं हैं ...ओह मशीन बने हैं न इसलिए चलेगा ...
जवाब देंहटाएं175 करोड़ कर्च कर दिये हैं।
जवाब देंहटाएंहम ने तो इस फ़िल्म के एक दो सीन देखे तो हंसी छुट गई,इस लिये देखने या राय देने का सवाल ही नही.
जवाब देंहटाएं@मिश्र जी
जवाब देंहटाएंफिल्म जैसी भी हो हमें ये समीक्षा पढ़ कर मजा आया , और हम तीन घंटे नहीं बिगाड़ने वाले धारावाहिक की तरह देखेंगे रोज तीस मिनिट
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/08/blog-post_29.html
ये फिल्म समीक्षा पढियेगा , और बताइयेगा ये फिल्म कैसी है?? , अजी हमने कुछ द्रश्य भी लगाए हैं , फिल्म का पूरा एहसास हो जायेगा
बस 3 ?
जवाब देंहटाएंसुना है कि नोट तो ख़ूब कूट रहा है ये रोबोट.
3/10
जवाब देंहटाएंok...time pass
जब आदमी अपना इमोशन बचाए नहीं रख पा रहा,तो बेचारा रोबोट क्या करता। छेड़ दी प्रोग्रामिंग। न रोबोट रहा,न इन्सान बन पाया।
जवाब देंहटाएंबहरहाल अच्छी समीक्षा की है आपने फिल्म की.
जवाब देंहटाएंब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
मैंने अभी तक रोबोट फिल्म नहीं देखा है ! बहुत बढ़िया समीक्षा रहा! सुन्दर प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंअभी तो मैंने भी नहीं देखी रोबोट....
जवाब देंहटाएं____________________
'पाखी की दुनिया' के 100 पोस्ट पूरे ..ये मारा शतक !!
पैसे खर्च करनें के मामले में मुक्ति जी से सहमत !
जवाब देंहटाएंहमें तो फिल्म पसंद आई ..... रजनीकांत अपने अंदाज़ में ही है .... एश्वर्या को अब परिपक्व रोल लेने शुरू करने चाहिएं .... आपकी समीक्षा अच्छी है ...
जवाब देंहटाएंबेबाक समीक्षा। अब नहीं देखनी वह फिल्म।
जवाब देंहटाएंचलिए, डी वी डी से काम चला लेंगे।
जवाब देंहटाएंहम भी देखते हैं....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंMERI TO HINDI KA HI TEST HO GAYA...
जवाब देंहटाएंKYA TITLE DIYA AAPNE....
BAISE BHI BAITHE BITHYE KUCH TO LIKHNA HI CHAHIYE...
ISLIYE LIKHO ...LIKHO...LIKHO
बहुत दिनों बाद कोई पढने लायक सामग्री मिली. धन्यवाद्. आप सब को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक त्योहार दशहरा की शुभकामनाएं. आज आवश्यकता है , आम इंसान को ज्ञान की, जिस से वो; झाड़-फूँक, जादू टोना ,तंत्र-मंत्र, और भूतप्रेत जैसे अन्धविश्वास से भी बाहर आ सके. तभी बुराई पे अच्छाई की विजय संभव है.
जवाब देंहटाएंnot yet got chance to watch this !
जवाब देंहटाएंAny other good hindi movie to watch this weekend ?