उत्तर प्रदेश में इन दिनों पंचायत चुनावों की धूम है .आज आख़िरी चरण के मतदान के लिए पोलिंग पार्टियां रवाना हो गयी हैं -कल मतदान है .हम सरकारी मुलाजिमों की हालत हलकान है ..पिछले डेढ़ माह से हम निर्वाचन आयोग के अधीन चुनाव प्रक्रिया को निर्विघ्न सकुशल निपटाने को रात दिन लगे हैं .आज भी देर शाम पोलिंग पार्टियों की रवानगी सुनिश्चित करके लौटा हूँ -आज कुछ ऐसा अनुभव हुआ है जिसे मैं आपसे बांटे बिना खुद को रोक नहीं पा रहा हूँ .दिन के वक्त जब तकरीबन ढाई हजार मतदान कार्मिकों की विशाल भीड़ मतदान स्थलों पर जाने के पहले अपनी सर सामग्री -मतपत्र ,मतदाता सूची ,मतपेटियां आदि सहेज रही थी और उनकी पार्टी के अब्सेंन्टीज (गैर हाजिर ) मतदान अधिकारियों की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था मेरे निर्देशन में चल रही थी ..बेईन्तहा शोर ,चिल्ल पों ,मजमें का आलम था ...एक अलग सी आवाज ने मुझे सहसा आकर्षित किया ...
"सर ,मेरी पोलिंग पार्टी में मतदान अधिकारी प्रथम अब्सेंट हैं ,मुझे एक मतदान अधिकारी प्रथम चाहिए " यह एक नारी आवाज थी जबकि मेरी जानकारी में आराजीलायिन ब्लाक पर किसी महिला की ड्यूटी नहीं लगाई गयी थी ...वैसे भी दूर दराज के गाँवों वाले ब्लाकों में महिला मतदान कर्मी नहीं लगाई गयी थीं ,जबकि शहर के निकटवर्ती गावों में पोलिंग आफीसर तृतीय की ड्यूटी आयोग के निर्देशों पर की गयी थी ...मेरे सामने तो एक महिला खडीं थीं और खुद को पीठासीन अधिकारी की हैसियत में प्रस्तुत कर रही थीं ..हैरानी की बारी मेरी थी ...
"आप ..आप की ड्यूटी कैसे लगी ..यहाँ तो किसी भी पोलिंग पार्टी में महिला कर्मी की किसी भी पद पर ड्यूटी नहीं लगी है और आप तो पीठासीन अधिकारी बता रही हैं खुद को ..."
" सर यह दिक्कत मेरे नाम के चलते हुई है ..शैलेश भारती को पुरुष समझ लिया गया और मुझे पीठासीन अधिकारी की ड्यूटी मिल गयी है ,मैंने मतदान सामग्री एलाट करा लिया है ,सब सामानों का मिलान भी कर लिया है ..मगर मेरी पार्टी में मतदान अधिकारी प्रथम अनुपस्थित हैं ..बस आप उनकी व्यवस्था कर दीजिये ...." मैं ,मेरे सहयोगी ,सबके सब अवाक ...सहसा कुछ कहते ही नहीं बना ...यह तो अपने ढंग की अप्रत्याशित समस्या आ खडी हुई थी ..जहाँ अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने वाले कई भगेड़े पुरुष कर्मी अन्यान्य कारणों से अपनी ड्यूटी कटवाने के फिराक में रिरिया रहे थे,पूरे आत्मविश्वास से लबरेज यह महिला अपने दायित्व के लिए दृढ प्रतिज्ञ लग रही थी ..जबकि वह एक क्लारिकल भूल की शिकार हुई थी और उसकी ड्यूटी बदलने का पूरा औचित्य बनता था ...और यह मेरे अधिकार में था ...मैंने सहसा कुछ निश्चय किया ..
"रहने दीजिये आप मत जाईये ..एक अप्लीकेशन लिखिए मैं आपके स्थान पर दूसरे पीठासीन अधिकारी को नियुक्त कर देता हूँ ..रिजर्व में कई पीठासीन अधिकारी यहाँ हैं भी ..."
"सर मैंने तो सब समान रिसीव कर लिया है और मतपत्रों के पीछे अपनी साईन भी कर दी है ..अब कैसे कोई दूसरा जा सकता है ? "
मैं झुंझला पड़ा .."मुझसे पूंछ तो लिया होता ...यहाँ कई लोग ड्यूटी न करने के बहाने ढूंढ रहे हैं और आप ड्यूटी को उद्यत हैं ." मेरी आवाज में अब असहायता का पुट साफ़ उभर आया था ....मैंने फिर प्रयास किया ...
" आप फाईनल बताईये ..मन स्थिर कीजिये ..आपके ऊपर है अब इस टफ ड्यूटी को करना या न करना ..गाँव में रात गुजारनी है, आपके अन्य सभी पोलिंग पर्सोनेल पुरुष हैं ....आपको असुविधा हो सकती है ...सोच लीजिये ..मैं अब भी आपके स्थान पर दूसरा पीठासीन अधिकारी भेज सकता हूँ ..."
"नहीं सर अब मैं ही जाउंगी ,आप तो बस मुझे एक पोलिंग आफीसर प्रथम दे दीजिये बस ..." वे अपने निर्णय पर अटल थीं और अब मैं असहाय हो उठा था ...उन्हें एक पोलिंग आफीसर प्रथम दे दिया ....और वे खुशी खुशी चल दीं ....मगर थोड़ी ही देर में फिर आ पहुँची ..
." सर मेरे मतदान स्थल पर १००० मतदाता हैं "
"अरे, सभी बूथों पर तो औसतन ६००-७०० मतदाता हैं आपके यहाँ कैसे एक हजार ? "
जवाब में उन्होंने पूरी मतदाता सूची ही सामने धर दी ....१००० से कुछ ऊपर ही मतदाता थे...." तो यहाँ मुझे एक और कर्मी रिजर्व से देना होगा ,जाईये आपके बूथ पर कल सेक्टर मजिस्ट्रेट एक अतिरिक्त कर्मी और लेकर जायेगें ..सकुशल शांतिपूर्ण मतदान के लिए मेरी शुभकामनायें "
..और शैलेश भारती जो यहाँ स्थानीय सहायक बेसिक शिक्षाधिकारी काशी विद्यापीठ कार्यालय में हैं और प्रधान अध्यापक हैं खुशी खुशी अराजीलाईन ब्लाक के मतदेय स्थल संख्या १२२ ,प्राईमरी पाठशाला शहंशाहपुर, पर कल मतदान कराने को चल दी हैं ....रात में उनकी पोलिंग पार्टी के सकुशल मतदान स्थल पर पहुँच जाने की सूचना है ...मैं उनके जज्बे को सलाम करता हूँ और उन्हें शांतिपूर्ण ,निर्विघ्न मतदान कराने की शुभकामनायें भी देता हूँ ....
शैलेश भारती ने एक ऐसा अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसकी चर्चा होती रहेगी ...
पुनश्च:
आज तारीख २६ अक्तूबर २०१० को शैलेश भारती की खबर स्थानीय दैनिक जागरण ने भी प्रमुखता से छापी है .मित्रों के पुरजोर आग्रह पर उसी फोटो को यहाँ दे रहा हूँ ,हो सका तो कभी उनका इंटरव्यू भी लेकर एक अच्छी सी तस्वीर भी दे सकूंगा ..अभी तो इसी से संतोष कीजिये .
देखिये इस सुदर्शन महिलाके सुन्दर और अनुकरणीय काम को भी ....
आज तारीख २६ अक्तूबर २०१० को शैलेश भारती की खबर स्थानीय दैनिक जागरण ने भी प्रमुखता से छापी है .मित्रों के पुरजोर आग्रह पर उसी फोटो को यहाँ दे रहा हूँ ,हो सका तो कभी उनका इंटरव्यू भी लेकर एक अच्छी सी तस्वीर भी दे सकूंगा ..अभी तो इसी से संतोष कीजिये .
देखिये इस सुदर्शन महिलाके सुन्दर और अनुकरणीय काम को भी ....
मतपेटिका जमा कराने जब शैलेश जी आयीं तो दैनिक जागरण के फोटोग्राफर ने झट से उतारी उनकी ये तस्वीर
शैलेश भारती ने एक ऐसा अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसकी चर्चा होती रहेगी ...
जवाब देंहटाएंपूरा वाकया जानकर हैरानी हुई .. उनके जज्बे को सलाम !!
मुझे भी कई मतदान कराने का मौका मिला है , जिस स्थिति की आपने चर्चा की है पुरुष अधिकारी तक अपना नाम हटवाने के लिए घंटों रिरियाते फिरते हैं ! मगर ऐसी महिला ने कभी देखी न सुनी ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंपंडित जी!आपकी पोस्ट अभी पूरी की पूरी अपने भाई को, जो पटना से फोन लाइन पर था,पढकर सुनाई. तब उसने बताया कि नाम का फ़ायदा उसे भी हुआ है (उसका नाम शशि प्रिय है, अन्ग्रेज़ी में Shashi Priya) इस नाम के कारण उसे कई बार चुनाव ड्यूटी से छुटकारा मिला, क्योंकि उसे महिला समझा गया.
जवाब देंहटाएंवैसे शैलेश जी के जज़्बे को सलाम!!
शैल्ष भारती जी की कर्तव्यपरायणता को प्रणाम।
जवाब देंहटाएं6/10
जवाब देंहटाएंसर्वथा नयापन लिए हुए पोस्ट.
बदलते समय की प्रतिध्वनि बहुत कुछ कह रही है. बेहतर हो कि इस पोस्ट को नारी सशक्तिकरण से जोड़ के देखा जाए.
85/99
जवाब देंहटाएंमै हमेशा कहती हूँ नाम में कुछ नहीं काम देखिये....शैलेश भारती जी के जज्बे को सलाम ...
जवाब देंहटाएंइस तरह की बातें सामने आने पर लगता है कि हां, ब्लॉगिंग वाकई बहुत रोचक और उपयोगी चीज है। कई ऐसी बातें सामने लाकर धर देती है जो कि अब तक गुमनामी और पेशेवर पत्रकारों की काहिली के चलते छुप सी जाती थीं।
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट।
यह चेतना स्थान-स्थान पर प्रखर-निखर देख रहा हूँ ।
जवाब देंहटाएंमेरे यहाँ भी स्कूल की महिला शिक्षामित्र को रिजर्व ड्यूटी में रख दिया गया, तो उसने स्वतः प्रयास कर अपनी सक्रिय ड्यूटी लगवाई और पोलिंग पार्टी के साथ रवाना हुई । खबर यह भी मिली कि उस पार्टी का सबसे सक्रिय सदस्य कोई था, तो वही महिला ।
सच में, जज्बे को सलाम !
नारी शक्ति जिंदाबाद। अरविंद भाई सारा किस्सा पढ़कर अच्छा लगा। और दिल भी उनके जज्बे को सलाम करता है।
जवाब देंहटाएंयह जज़्बा सलामी के योग्य है ही ...
जवाब देंहटाएंएक अच्छी पोस्ट के लिए बहुत आभार ..!
९.८५/१०
जवाब देंहटाएंवाह. शैलेश जी जज्बे को मेरा भी सलाम.
नाम में कुछ नहीं काम देखिये....
जवाब देंहटाएंजोड़ दे अब गीत में कुछ और सुर
नेपथ्य नहीं, मंच की यह माँग है।
सीनियर, बेनामी, जूनियर उस्तादों के मार्क्स का औसत 81.45%। सम्मान सहित उत्तीर्ण। क्लैपिंग
शैलेश जी को नमन!
जवाब देंहटाएंशैलेश भारती मतदान करवा कर वापस लौटें तो कैमरा ले कर हाजिर रहिएगा। कम से कम उन का चित्र तो देखने को मिले।
जवाब देंहटाएंतो आपके यहां भी चुनाव ड्यूटी लगाने में लैंगिक भेद भाव किया जाता है !
जवाब देंहटाएं@बस यही चूक हो गयी दिनेश जी ,कम के दबाव में फोटो नहीं ले सका ...मलाल अब भी है ..
जवाब देंहटाएंदेखते हैं !
शैलेश जी को नमन!फोटो की कमी खली.
जवाब देंहटाएंसत्य है शैलेश भारती ने एक ऐसा अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसकी चर्चा होती रहेगी
जवाब देंहटाएंशीर्षक देखकर लगा कि टाइपो हो गया है और आप शैलेश भारतवासी की बात कर रहे हैं.
जवाब देंहटाएंबहरहाल, शेलेष भारती जी के कार्य के प्रति समर्पण को हमारा भी सलाम. 20 साल की सरकारी नौकरी में हमने भी हजारों कामचोरों तथा समर्पितों को देखा है, मगय शैलेष जी तो अप्रतिम उदाहरण हैं. आग्रह है कि उन्हें ये पोस्ट ढूंढ ढांढ कर दिखाइए और बाद में एक पोस्ट उनके फोटो सहित लगाइये.
चिट्ठाजगत पर इस पोस्ट का शीर्षक देखकर मुझे भी रवि ज़ी की तरह ही लगा कि शायद आप शैलेश भारतवासी ज़ी की बात कर रहे हैं.
जवाब देंहटाएंअपने काम के प्रति शैलेश ज़ी का समर्पण देखकर बहुत अच्छा लगा. उनको मेरा भी सलाम.
अनुकरणीय उदाहरण .
जवाब देंहटाएंशैलेश भारती जी के अधीन क्षेत्र के लिए शांतिपूर्ण ,निर्विघ्न मतदान की शुभकामनायें .
---------
'आप फाईनल बताईये ..मन स्थिर कीजिये ..आपके ऊपर है अब इस टफ ड्यूटी को करना या न करना ..गाँव में रात गुजारनी है, आपके अन्य सभी पोलिंग पर्सोनेल पुरुष हैं ....आपको असुविधा हो सकती है ...सोच लीजिये ..मैं अब भी आपके स्थान पर दूसरा पीठासीन अधिकारी भेज सकता हूँ ..."
*आप का महिला कर्मियों के लिए इतना सोचना भी काबिले तारीफ है.
वरना जहाँ आजकल सब समानता की बातें करते हैं वहाँ कौन किस की[दूसरों की] वातावरण में सहजता /असहजता /सुविधा- असुविधा की बात सोचता है?
*-चुनावों में गाँवों में रात को ड्यूटी आसान नहीं होगी ..बड़ी हिम्मत का कदम उठाया है शैलेश जी ने .
अनुकरणीय उदाहरण
जवाब देंहटाएं...मजा तो तब आये कोई सुज्ञा भी ब्लॉग जगत में मिल जाए और सुग्य और सुज्ञा का एक जोड़ /जोड़ा बने ..क्योंकि तोता मैना की कहानी अब पुरानी हो गयी :)
क्या समझे ?
This comment is selected as a best comment. Please have a look on this , thanks a lot .
शैलेश भारती जी की कर्तव्यपरायणता बेमिसाल है.
जवाब देंहटाएंकायम रहें उनका ये जज्बा और अधिक से अधिक महिलायें उनका अनुकरण करें.
ये है असली जज्बा. सम्मान सहित उत्तीर्ण से सहमत... बेनामी मार्किंग में भी !
जवाब देंहटाएं@शुभाकांक्षी मित्र बड़े गुनग्राही लग रहे हो /रही हो ..लव यू !
जवाब देंहटाएं...देखिये, शैलेश जी की मतपेटिका जमा हुई या नहीं.
जवाब देंहटाएंसहारनपुर में तो अनिवार्य रूप से प्रत्येक बूथ पर एक महिला कर्मी लगायी गयी थीं. सहारनपुर शहर से लगभग ४८ कि० मी० दूर लखनौती गांव में एक बूथ पर साढ़े सात बजे मतदान समाप्त हुआ है . सबसे अधिक मेहनत एक महिला कर्मी ने की है.
चुनाव में आज दिन भर में लगभग ५० बूथ देखे और एक नयी बात दिखी -- प्रत्येक बूथ पर लड़कियां पोलिंग एजेंट बनी थीं. खुशी के साथ-साथ हैरत भी हुई.
सुश्री शैलेश जी की प्रशंसा हर जगह हो रही है यह अखबार में छपी इस खबर से मालूम हुआ.
जवाब देंहटाएं--आज तस्वीर भी देखी ,साक्षात्कार की प्रतीक्षा रहेगी.
-एक कर्मठ महिला को इतना मान और पहचान मिलते देख बेशक,भविष्य में और भी महिलाएं आगे आएँगी जो मुश्किल क्षेत्रों में ड्यूटी करने के लिए अब तक हिम्मत नहीं जुटा पाती थीं.
-उनसे इस पोस्ट के ज़रिये एक बार फिर मिलना बहुत अच्छा लगा .
इस बहादुर महिला की तारीफ़ प्रशस्तिपत्र दिलवाइये/ दीजिये !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंउनके इस जज्बे को सलाम.... बडी सकरात्मक पोस्ट है....अच्छा लगा इस महिला को जानकर जिनके लिए उनका कर्तव्य सर्वोपरि है....मुझे बहुत प्रेरणादायी लगा उनका व्यक्तित्व
जवाब देंहटाएंदूर-दराज के किसी मतदान क्षेत्र में चुनाव ड्यूटी कितनी कठिन होती है, यह कई करीबी मित्रों से पता लग चुका है. एक महिला द्वारा इस प्रकार आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारी निभाना वाकई काबिले तारीफ़ है.
जवाब देंहटाएंअल्पना जी की बात से सहमत हूँ कि शैलेश जी की इतनी चर्चा और प्रशंसा होने से अन्य औरतों का भी हौसला बढ़ेगा इस तरह के काम को हाथ में लेने का.
इस पोस्ट के लिए आपको बधाई !
आमतौर पर ऐसी बातें खबर नहीं बन पातीं, आपने पोस्ट लिखा, समाचार भी बना. ऐसा लगा कि भारती जी ने बड़ी सहजता से यह किया है, उन्हें इसमें कुछ बहुत खास नहीं लगा होगा और यही सबसे महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय है.
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंशैलेश भारती जी के जज्बे को सलाम ...
जवाब देंहटाएं-------------
फिर से हरियाली की ओर........support Nuclear Power
अरविंद भाई आज तस्वीर भी देख ली है। एक टिप्पणी में ब्लॉगर साक्षात्कार की अपेक्षा किये हैं हम फ़िर आयेंगे...नमस्कार...:)
जवाब देंहटाएंशैलेश भारती जी के जज़्बे को सलाम। उन्हों ने देश दुनियाँ को बता दिया कि हम किसी से कम नहीं। लोगों को उनसे सबक लेना चाहिये। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंशैलेश जी के बारे में जानना अच्छा लगा ...यही नारीशक्ति का सच्चा उदाहरण है ...आभार
जवाब देंहटाएंचर्चेय प्रस्तुति उम्दा लेख बहुत - बहुत शुभ कामना
जवाब देंहटाएं