बुधवार, 24 दिसंबर 2008

मेरे प्यारे ताऊ ! चिट्ठाकार चर्चा -3

मैंने बहुत सोचा विचारा -ख़ास दोस्तों से सलाह मशविरा किया और तय पाया कि क्यों न अपने ताऊ को ही इनीशियल एडवांटे (कांसेप्ट सौजन्य :ज्ञानदत्त जी ) दे दी जाय .और अभी तो यह चिट्ठाजगत आर्यपुत्रों{संदर्भ :अनूप शुक्ल जी एवं कविता वाचकनवी जी ) से भरा है सभी इस जद में आ ही जायेंगे देर सवेर ,मगर इन दिनों तो ताऊ की चांदी है - किसकी हिम्मत है जो इस दुर्धर्ष सृजनशील व्यक्तित्व को अनदेखा कर जाय .ताऊ तो छा चुका चिट्ठजगत में ! और अगर अब भी कोई इस शख्सियत को हलके फुल्के ले रहा है तो उसे सावधान हो जाने की जरूरत है .इन पर कवितायें लिखी जा रही है -यह चिट्ठाकार ख़ुद भी कवितायें लिख रहा है और विनम्रता (?)भी ऐसी कि उस कविता को लेकर उद्घोषणा कि उक्त कविता तो ठीक किसी और से (एक कविता से ही ) कराई गयी है -उसके तो बस टूटे फूटे अल्फाज भर ही हैं ! नही नही इस शख्स यानी अपने ताऊ को बिल्कुल हलके फुल्के नही लिया जा सकता ।वैसे मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि यदि कोई अचानक कविता वबिता लिखने लगे तो समझिये उसी किसी से -स्वकीया या परकीया से प्यार हो गया है .पर ताऊ बिचारे की यह हिम्मत कहाँ ? कोई लट्ठ लिए हरवक्त उसके पीछे है ! हार्ड लक ताऊ !!
ताऊ आए ,उन्होंने चिट्ठाजगत को देखा भाला और बस छा गए ! और सच बताऊँ आज अगर यहाँ कोई लोकप्रियता की वोटिंग हो जाय तो समीरलाल जी भी शायद एक दू वोटों से हार ही जायेंगे और यदि काउंटिंग में कुछ आर्यपुत्र भी शामिल हुए तो कहिये कि ताऊ के आगे समीर जी को हरा न दिया जाय ! मुख्य कारण यही है कि ताऊ की विस्तृत हौसला- आफजाई टिप्पणियों के आगे समीर जी की चंद शब्दीय टिप्पणियों से भला कौन खुश है -केवल मुझे छोड़कर ! तो मित्रों मेरी गुजारिश है कि इस ताऊ नाम्नी सज्ञां शक्ति को अब बहुत गंभीरता से लेने का वक्त आ गया है -ई महराज का अभी केवल टिप बाहर (टिप बोले तो मुंडी ! ) दिखा है बाकी आठ नौ हिस्सा तो इन्होने अभी जाहिर ही नही किया है .और शायद मुंडी भी नही -क्या चिम्पांजी किसी मनुष्य का चेहरा बन सकता है ?ये भी चिट्ठाजगत में -प्रत्यक्षतः गुमनाम बने रहना चाहते हैं पर उन्मुक्त जी की तरह मनसा वाचा कर्मणा नही - कोई उन्मुक्त जी ऐसा पाषाण ह्रदय हो भी कैसे सकता है -प्रशंसक हथेली पर जान लेकर न्योछावर करने को उद्यत हों और कोई झलक तक ना दिखलाए -पर ई अपना ताऊ इतना अनुदार नही है -वह एक सीधा सादा भावनाओं से भरपूर ताऊ है ,लोगों की इज्जत करना जानता/चाहता है और थोड़ी अपनी भी इज्जत की साध है -बिल्कुल भी तटस्थ या उदासीन नही है इसलिए आभासी दुनिया से बाहर आकर भी चाहने वालों को फोनिया फोनिया कर अपना सही अता पता बता चुका है -मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि ताऊ के पास आभासी जगत के जितने लोगों का फून नंबर होगा ,किसी के पास भी नही होगा .सबजिंदगी से कट रहे लोग हैं -अब जैसे मेरे पास ही केवल दो चार फोन नंबर है लोगों के -लुगाईयों का तो बस एक ही नंबर ! हाय !! पर अपने ताऊ के पास किसी भी का नंबर लेना हो वहा मौजूद है !आप सभी गाँठ बाँध लें -शेष जीवन मजे से गुजारना है तो थोड़ी मोह्बद्ध्ता की गुन्जायिश जीवन में बनाए रखें ,थोडा ही सही ताऊ बन जायं ! कुछ इश्क विश्क करें -अब अमिताभ जब इतनी उम्र में अपनी उम्र से इतना नीचे गिर कर यह सब कर ले रहे हैं तो आप क्यों नही ? क्या कहा ? वो अभिनय है -तो मैं कहाँ कह रहा कि आप सच्ची मुच्ची किसी लफडे में पड़ें ! अब ताऊ भी ऐसा कोईसचमुच का लफडा कहाँ पाल रहा है -उसे भी तो ताई की लट्ठ का डर है ! तो तय पाया कि अपना ताऊ एक मस्त मौला इंसान है और जीवन्तता से लबरेज है पर है बड़ा जालिम भी -ये कई और खुराफाते नेट पर कर रहा है पर मुझे गोपनीयता की शपथ है इसलिए नही बता पा रहा .पर सावधान जरूर कर दूँ आपसभी को- इस शख्स को हलके मे लिया आपने तो गए !
ताऊ दोस्तों का दोस्त है -अपने साईब्लाग चिट्ठे पर जब मैं नारी सौन्दर्य का अवगाहन कर रहा था और आभासी जगत की आभासी जूतियाँ चप्पलें खा रहा था तब वे ताऊ ही थे जो एक लौह ढाल बन आ गए मेरे फेवर में ! ताऊ की मेरी दोस्ती तभी की है और अब तो बहुत प्रगाढ़ हो चुकी है -बस दांत काटी रस्म रह गयी है -एक तो यह आभासी जगत है दूसरे उनसे वास्तविक भौगोलिक दूरी भी काफी है ! पर हमराज हम फिर भी हैं .बस उन्हें यह नही बताया कि मैं उन्हें इनीशियल एडवांटेज (या डिसएडवांटेज ! ) देने जा रहा हूँ -भडकना मत ताऊ -मैं तुझ पर अपना हक़ समझने लगा हूँ इसलिए यह प्रलाप कर डाला हूँ .अब अंत में देखिये ताऊ अपने बारे में क्या कहते हैं -
अब अपने बारे में क्या कहूँ ? मूल रुप से हरियाणा का रहने वाला हूँ ! लेखन मेरा पेशा नही है ! थोडा बहुत गाँव की भाषा में सोच लेता हूँ , कुछ पुरानी और वर्त्तमान घटनाओं को अपने आतंरिक सोच की भाषा हरयाणवी में लिखने की कोशीश करता हूँ ! वैसे जिंदगी को हल्के फुल्के अंदाज मे लेने वालों से अच्छी पटती है | गम तो यो ही बहुत हैं | हंसो और हंसाओं , यही अपना ध्येय वाक्य है | हमारे यहाँ एक पान की दूकान पर तख्ती टंगी है , जिसे हम रोज देखते हैं ! उस पर लिखा है : कृपया यहाँ ज्ञान ना बांटे , यहाँ सभी ज्ञानी हैं ! बस इसे पढ़ कर हमें अपनी औकात याद आ जाती है ! और हम अपने पायजामे में ही रहते हैं ! एवं किसी को भी हमारा अमूल्य ज्ञान प्रदान नही करते हैं ! ब्लागिंग का मेरा उद्देश्य चंद उन जिंदा दिल लोगों से संवाद का एक तरीका है जिनकी याद मात्र से रोम रोम खुशी से भर जाता है ! और ऐसे लोगो की उपस्थिति मुझे ऐसी लगती है जैसे ईश्वर ही मेरे पास चल कर आ गया हो !
पर मित्रों इन चिकनी चुपडी बातों में मत आना -इनमे बहुत सी बातें आप को भरमाने वाली हैं -आप ख़ुद समझें कि ताऊ किस फेनामेनन का नाम है ! क्योंकि अब यह किसी भी चिट्ठाकार के वश की बात नहीं कि वह ताऊ को सिम्पली इग्नोर कर सके .ताऊ चुके हैं और छा चुके हैं !

29 टिप्‍पणियां:

  1. ताऊ तो फिर ताऊ ही है. बहुमुखी प्रतिभा के धनी. हम केवल उनके भैंस से बिचकते हैं. आभार.

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  2. मिश्रा जी ताऊ तो आए ही छाने के लिए थे | उनमे जो अपनत्व लगता है वो अन्यत्र कहाँ ?

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  3. हमारी पूरी सहमति है आपके लिखे हर "ताऊनामा " मेँ लिखे वाक्योँ से
    Deffinately a "Phenomenon"
    - लावण्या

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  4. ताऊ की बात ही कुछ और है पर समीर जी की अपनी महत्ता है। हिन्दी ब्लागिंग में उन के ऐतिहासिक योगदान को कभी भी कम नहीं किया जा सकेगा। ताऊ को इनिशियल एडवांटेज आप भले ही दे रहे हैं। लेकिन किसी को भी इनिशियल एडवांटेज प्रदान करने में समीर जी का नाम हमेशा नंबर वन ही रहेगा।

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  5. ताऊ अपनी बात बहुत सरलता से कह जाते हैं.. वाकई ताऊ gr8 है

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  6. ताऊ का व्यक्तित्व जबरदस्त है.. उनकी ज़िंदादिली उनकी पोस्ट में सॉफ झलकती है.. और हा ताऊ के पास तो मेरा भी नंबर है.. अकसर उनसे बात होती रहती है.. ताऊ का अपना एक फ़ैन क्लब भी बनता जा रहा है.. काफ़ी कम समय में उन्हे बहुत लोकप्रियता भी मिली है..

    मगर समीर जी से तुलना करना मैं ठीक नही समझता हू.. यदि लेखन में समीर से आप तुलना करे तो समीर जी मेरे पसंदीदा ब्लॉगरो में कई ऊपर होंगे.. और रही टिपनियो की तुलना की बात तो समीर लाल जी करीब तीन चार सालो से सक्रिय है.. ताऊ की तीन साल बाद आने वाली टिप्पणियो से तुलना की जाए तो अधिक बेहतर रहेगा..

    हालाँकि में तुलना करने के विरोध में नही हू.. पर यदि ये स्वस्थ तुलना हो तो उत्तम है..

    आज की चर्चा बढ़िया रही... ताऊ के बारे में पढ़कर अच्छा लगा.. आपको भी बहुत बहुत बधाई इस सराहनीय प्रयास के लिए..

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  7. आदर्णिय मिश्रा जी, मैं इस काबिल नही हू जितना आप बता रहे है ! ये आपका प्रेम है ! धन्य्वाद !

    असल मे समीर जी की बराबरी एक ताऊ तो क्या सौ ताऊ भी नही कर पायेंगे ! सही बात आपको यहां बताऊं तो मुझे समीर जी ने ही ग्रूम किया है वो मेरे सिर्फ़ कहने के गुरु नही हैं !

    अगर मुझे समीर जी का साथ नही होता तो आज आप यह पोस्ट नही लिखे होते ! जब भी समीर जी मेरे बारे मे कुछ पढते हैं उनको बडी प्रशन्नता होती है !

    असल मे गुरु और शिष्य का रिश्ता भी पिता पुत्र सरीखा होता है ! अपने पुत्र की उन्नति पर कौन पिता प्रशन्न नही होता ?

    मेरे प्रति आप द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं को महसूस करते हुये मैं आपको धन्य्वाद देना चाहुंगा !

    वैसे एक बात मैं यहां विशेष रुप से कहना चाहूंगा कि मुझे जीवन मे अच्छे दोस्त बडी सहजता से उपलब्ध हुये हैं और गलत आदमियों से मेरी पहचान ही नही होती ! ये ईश्वर की मुझ पर बडी कृपा है !

    और एक बात यहां कह दूं - इस ब्लाग जगत मे मेरी अगर कुछ अच्छाई या कहें सफ़लता है तो उसका पूरा श्रेय समीरजी को जाता है और कुछ खराबी है तो उसके लिये मैं पूरी तरह जिम्मेदार हूं !

    पुन: आपका शुक्रिया और बधाई !

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  8. यह लेख और ताऊ जी की विनम्रता दोनों सराहनीय हैं

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  9. पर मित्रों इन चिकनी चुपडी बातों में मत आना -इनमे बहुत सी बातें आप को भरमाने वाली हैं -आप ख़ुद समझें कि ताऊ किस फेनामेनन का नाम है
    " हा हा हा हा सच कहा आपने, ताऊ जी एक पहेली बनते जा रहे है, आब की बार की पहली यही होनी चाहिय की "ताऊ कौन" हा हा हा "

    Regards

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  10. ताऊ सचमुच हिन्दी ब्लॉग-जगत के ताऊ हैं. उनके अनुभव और उनका ज्ञान कभी भी उनकी सहजता और सरलता को छिपाने का प्रयास नहीं करता है. हम तो शुरू से ही ताऊ-पंखा हैं यानी के उनके फैन हैं.

    वैसे विवेक भाई की बात पर भी खोजी पत्रकारिता शुरू की जा सकती है.

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  11. ताऊ पर तो मैं भी प्रशंसात्मक लिख चुका हूं। बहुत प्रिय देसी पर्सनालिटी हैं।

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  12. ताऊ जी के बारे में पढ़ कर अच्छा लगा ..ताऊ जी तो ताऊ जी हैं .उनके जैसा कोई नही है .अच्छा लिखा है आपने

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  13. हमें तो उन्होंने स्नेह ओर आशीर्वाद दिया है हमेशा .....ओर मेरी नजर में वे एक सम्मानीय बुजुर्ग ही रहेगे ...भले ही वे कितने मजाक स्नेह वश कर ले.....ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे ...

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  14. चिटठा चर्चा का आगाज बहुत जोरदार है, आपको और ताऊ दोनों को बधाई।

    वैसे विवेक भाई की बात में भी बहुत दम है।

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  15. ताऊ तो ताऊ हैं.....कितनी भी लट्ठ भांजे और गवां लगने की कोशिश करें पर अपने गंभीर (ज्ञान और संजीदगी) व्यक्तित्व को छुपा नही पाएंगे.
    बहुत अच्छा लगा पोस्ट .साधुवाद आपका..

    (पर भाई जी ,तुलना से बचें.....नही तो विवाद से नही बच पाएंगे.)

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  16. चिटठा चर्चा जोरदार है, बधाई।

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  17. हाँ ,कुछ ऐसा ध्वनित सा हो रहा है कि जैसे मैंने समीर जी और ताऊ में तुलना की है पर ऐसा नही है -गुजारिश है कि पंक्तियों में छुपे विनोद को समझा जाय -उसके अभिधात्मक भाव को नही .

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  18. ज़िन्दादिल ताऊ मेरे लिये एक रहस्य हैं !

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  19. वाह...! अरविंद जी,हमें तो पता ही नहीं था ताऊ जी इतने चर्चा में हैं भई हमारा तो नमन है उन्‍हें...

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  20. ताऊ ताऊ है आखिर हम जैसे हज़ारो भतीजो के ताऊ है वो,

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  21. ताऊ क्या बात है, बहुत धुम मचा दी, अपुन तो एक बात जानते है ताऊ ताऊ नही है, ताऊ तो रामपुरिया ताऊ है, ओर ताई का लठ्ठ खाऊ.
    धन्यवाद

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  22. बढ़िया लिखा है। परन्तु समस्या मेरी उम्र के लोगों की है। इस उम्र में किसी को ताऊ कहें तो वह किसी अन्य लोक का वासी सा लगता है। पृथ्वी पर मेरे ताऊ की उम्र के लोग कम ही वास करते हैं। है कोई समाधान?
    घुघूती बासूती

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  23. ताऊ की टिप्पणियाँ अनेक ब्लॉग्स पर पढ़ते रहे हैं जिनसे उनके लेखन और सोच के उच्च स्तर का आभास है, मन में उनकी एक छवि अंकित हुई है और श्रद्धा भी उपजी है पर इसके बावजूद उनके स्वयं के ब्लॉग पर कभी जाना नहीं हुआ.

    दरअसल मुझे उनके लेख़ के शीर्षकों और प्रारम्भिक वाक्याशों से लगभग हमेशा ही कुछ अचकचाहत सी होती है. ऐसा लगने लगता है कि पाठक के दिमाग पर अपनी छाप छोड़ने के लिये कुछ प्रतीकों (जैसे लठ्ठ , ताई आदि) का उबाऊ (ऊब शब्द आजकल चर्चा में है) और आवश्यकता से अधिक प्रयोग किया जा रहा है. वैसे ही जैसे कि विज्ञापन एजेंसियाँ कुछ पंच लाइन का इस्तेमाल करती हैं ताकि दर्शक के मस्तिष्क में देर तक उनके जिगल्स गूंजते रहें. ऐसे में मुझे अपनी स्थिति एक मूर्ख विज्ञापन दर्शक की सी प्रतीत होने लगती है और उनकी पोस्ट को पढ़ पाना सम्भव नहीं रह जाता.

    लेकिन मैं ये भी अच्छे से समझता हूं कि आज यदि समस्त ब्लॉग जगत उनकी वाहवाही कर रहा है और केवल मैं ही मीनमेख निकाल रहा हूं तो अवश्य मैं ही कहीं गलत होऊंगा.

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  24. भूत भंजक भाई ! सप्लीमेंट के लिए आभार ! दरअसल यही शुरुआती खीझ मुझे भी थी -पर जैसे जैसे मैंने इस आरंभिक बैरियर को पार किया ताऊ की असली पहचान होती गयी -मगर हैं तो वे एक स्फिंक्स ही -डॉ अमर कुमार ने भी सही फरमाया !

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  25. ताऊ जी के बारे में पढ़ कर अच्छा लगा।

    'कोई उन्मुक्त जी ऐसा पाषाण ह्रदय हो भी कैसे सकता है' अपने बारे यह नया गुण जान कर अच्छा लगा :-)

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  26. आज ही सारी छुटी हुई पोस्ट पढ़ पाई हूँ.आपके इस नए प्रयास का मुझे पता ही नही था ..बहुत बधाई और शुभकामनायें.

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  27. 'yahan ताऊ के बारे में लिखा है arrey यह पोस्ट मेरी नज़रों से कैसे बच गई!
    ताऊ एक बहुमुखी प्रतिभा का नाम है
    ताऊ एक ऐसी शख्सीयत है जिसने सभी ब्लोग्गेर्स को एक मंच पर एकत्र कर दिया है.
    वह किसी गुटबाजी में नहीं हैं.और भी बहुत ही खूबियाँ ताऊ जी में हैं.आप ने बता ही दी हैं.समीर जी ताऊ के गुरु हैं तो
    ताऊ भी लोकप्रियता में उन से कम नहीं होंगे.
    ताऊ जी की भी पोस्ट्स का इंतज़ार सभी को रहता है.
    यही उन के प्रभावशाली व्यक्तित्व की पहचान है.
    वह कौन हैं यह पहेली आज तक नहीं सुलझी..लेकिन इतनी तेज़ी से सब के बीच लोकप्रिय होने वाले व्यक्ति की पहचान साधारण नहीं होगी शायद इस लिए यह अभी तक एक राज़ है.
    इस चर्चा के लिए आप का आभार!

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